पाकिस्तान से एक ट्रेन पंजाब के एक छोटे से गाँव पहुँचती है. ट्रेन लाशों से भरी है. इसमें किसका कुसूर है? किसने उन मासूमों के खून से अपने हाथ रंगे थे? वो हिंदुओं की लाशें थीं या मुसलमानों की या सिखों की? इस समरी में आप जानेंगे कि कैसे इंसान की गलती उसे तबाही की ओर ले जाती है. हमारे दुःख के लिए कोई और नहीं बल्कि हम ख़ुद कुसूरवार हैं. अगर आप बदलाव चाहते हैं तो शुरुवात ख़ुद से कीजिए. भारत को आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी हम सब की है.
ये समरी किसे पढ़नी चाहिए?
* हर उम्र, जेंडर और धर्म के भारतीय को
ऑथर के बारे में
खुशवंत सिंह एक award विनिंग ऑथर, जर्नलिस्ट, लॉयर और पॉलिटिशियन हैं . वो हिन्दुस्तान टाइम्स और नेशनल हेराल्ड में बतौर एडिटर रह चुके हैं. 1980 से 1986 तक वो मेंबर ऑफ़ पार्लियामेंट रह चुके हैं. 1974 में उन्हें पद्म भूषण से नवाज़ा गया था लेकिन 1984 में उन्होंने गोल्डन टेम्पल पर रेड के विरोध में इसे वापस लौटा दिया. 2007 में सिंह को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.