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अध्याय 17 - श्रद्धात्रयविभागयोग
श्रद्धा का और शास्त्रविपरीत घोर तप करने वालों का विषय
श्लोक १ :
अर्जुन बोले, “ हे कृष्ण! जो मनुष्य शास्त्र विधि का त्याग करके श्रद्धापूर्वक पूजन करते हैं, उनकी निष्ठा कौन सी है – सात्विक, राजसिक या तामसिक?
अर्थ –अर्जुन के मन में अब सवाल उठने लगे थे कि जिन मनुष्यों के भाव शुद्ध हैं, उनमें श्रद्धा-भक्ति भी है लेकिन जो शास्त्रविधि को नहीं जानते या नहीं मानते तो वो कौन सा गुण कहलाता है. क्योंकि प्रकृति में सत्व, रज और तम गुण हैं इसलिए हर जीव, हर वस्तु में भी ये तीनों गुण होते हैं क्योंकि ये सब भी प्रकृति से बने हुए हैं इसलिए कोई एक पल के लिए भी इनसे अछूता नहीं रहता.