Why Should You Read This Summary?
नमस्कार दोस्तों,
गिगल एप पर आपका हार्दिक स्वागत है। एक बार फिर हम आपके लिए एक बेहद इंटरेस्टींग प्रोजेक्ट लेकर हाज़िर हैं। हमें पुरा विश्वास है कि हमारे अन्य प्रोजेक्ट्स की तरह ही ये प्रोजेक्ट भी आपको ज़रूर पसंद आएगा।
हम बात कर रहे हैं महाकाव्य “रामायण” की। दोस्तों हमने वाल्मीकि रामायण के मूल संस्करण को सरल व समझने लायक भाषा में लिखने का प्रयास किया है। आप इसे ज़रुर सुनें क्योंकि हम सभी इस बात को जानते हैं कि भारत के मूल ग्रंथों को आक्रमणकारियों ने कई बार नष्ट किया है, लेकिन फिर भी हमारे ऋषि-मुनियों, विद्वानों व दार्शनिकों ने आने वाली पीढ़ी के लिए उसे फिर से लिखा है। इसलिए अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनके इस महान कार्य का सम्मान करते हुए हमारे महाकाव्यों को पढ़े, समझे व इन्हें जीवन में उतारें।
दोस्तों हमारे स्कूल-कॉलेज के सिलेबस में हमें विदेशी आक्रमणकारियों का इतिहास तो पढ़ने मिल जाता है, लेकिन हमारे खुद के महान और गर्व करने वाले इतिहास विशेषकर रामायण और गीता जैसे महाग्रंथों को नहीं पढ़ाया जाता।
इसी कमी को पूरा करने के लिए गिगल एप आपके लिए वाल्मीकि रामायण का मूल संस्करण बेहद सरल और इन्टरेस्टींग भाषा में लेकर आया है।
इस महाकाव्य को शुरु करने से पहले इसके बारे में कुछ बातों को जानते हैं। रामायण मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जीवन पर लिखा गया ग्रंथ है। रामायण को इस पृथ्वी का आदिकाव्य भी कहा जाता है क्योंकी माना जाता है कि ये इस धरती पर कविता के रुप में लिखा गया सबसे पहला ग्रंथ है, और इसकी रचना करने वाले महर्षि वाल्मीकि को आदिकवि के रुप में जाना जाता है। उनके द्वारा रचित रामायण को “वाल्मीकि-रामायण” भी कहा जाता है।
महर्षि वाल्मीकि ने रामायण की रचना प्रभु श्री राम के जीवन काल में ही की थी। इसके बाद मध्यकाल में प्रसिद्ध कवि गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी रामायण की रचना की थी, जो “रामचरितमानस” के रुप में जानी जाती है। महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित आदिकाव्य रामायण संस्कृत भाषा में लिखी गई है, वहीं तुलसीबाबा ने इसे जनमानस तक पहुँचाने के उद्देश्य से लोक भाषा (अवधी/भोजपुरी) में लिखा था। पंद्रहवी सदी के महान कवि कबीरदास जी ने प्रभु श्रीराम के संपुर्ण जीवन को सरल भाषा में एक दोहे में पिरोते हुए लिखा कि, “एक राम दशरथ का बेटा, एक राम घट घट मे बैठा। एक राम का जगत पसारा, एक राम इन सबसे न्यारा।” हर सदी में हमारे कवियों और संतो ने प्रभु श्रीराम के जीवन को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया है। इसी कड़ी में गिगल एप का भी प्रयास है कि आज की यंग जनरेशन को भारत के मूल ग्रंथों को सरल भाषा में समझने और पढ़ने का मौका मिले।
बताया जाता है कि रामायण की रचना करने से पहले आदिकवि महर्षि वाल्मीकि एक डकैत हुआ करते थे, जिन्हें रत्नाकर डाकु के नाम से जाना जाता था। पौराणिक मान्यता है कि एक बार भगवान नारद मुनि एक जंगल से जा रहे थे, उसी समय रत्नाकर डाकु ने उन्हें बंदी बना लिया। इस पर नारद मुनि ने रत्नाकर से कहा, “ये जो तुम लूट-डकैती व हत्या जैसे पाप कर्म कर रहे हो, क्या उसमें तुम्हारे परिवार के सदस्य व साथी भी भागीदार बनेंगे?” रत्नाकर को अपने साथियों व परिवार पर पुरा विश्वास था कि वे भी इस पाप कर्म में उसके सहभागी बनेंगे। लेकिन रत्नाकर के पुछने पर सभी ने कहा “नहीं, तुम्हारे पाप के भागीदार तो तुम स्वयं बनोगे”।
ये सुनते ही रत्नाकर के मन से संसार के प्रति मोह समाप्त हो गया और यहीं से उनके महर्षि वाल्मीकि बनने का मार्ग खुला। उन्होंने नारद मुनि से अपने पाप कर्मों के प्रायश्चित का उपाय पुछा, जिस पर नारद मुनि ने रत्नाकर को “राम-नाम” का मंत्र दिया। लेकिन रत्नाकर के मुंह से राम नाम निकल ही नहीं रहा था। इस पर नारद मुनि ने कहा कि “तुम राम नाम का उल्टा ‘मरा-मरा’ का जाप करो”। रत्नाकर ने वहीं जंगल में मरा-मरा का जाप शुरु कर दिया। रत्नाकर कईं दिनों तक जंगल में बैठकर तपस्या करते रहे, वे तपस्या में इतने लीन हो गए कि उनके शरीर पर दीमक ने अपना घर बना लिया। उनकी कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्माजी ने उन्हें दर्शन दिए और उनके शरीर पर दिमक की बांबी देखकर उन्हें वाल्मीकि नाम दिया। कहते हैं कि स्वंय ब्रह्माजी ने ही वाल्मीकि को भगवान श्री राम के जीवन को रामायण के रुप में लिखने की प्रेरणा दी थी, जिसके बाद महर्षि वाल्मीकि ने रामायण की रचना की।
बताया जाता है कि प्रभु श्री राम के चौदह साल के वनवास से लौटने के बाद, उनके द्वारा पुनः राजा बनने के बाद वाल्मीकि ने रामायण की रचना की। इसमें उन्होंने चौबीस हजार श्लोक, पांच सौ सर्ग व सात काण्ड में प्रभु श्री राम के जीवन काल का पुरा वर्णन किया है।
रामायण लिखने से पहले वाल्मीकि को यह नहीं पता था कि वो रामायण की रचना कैसे करेंगे। बताया जाता है कि नारद मुनि ने महर्षि वाल्मीकि को मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम के जीवन से जुड़े सभी प्रसंग, संपुर्ण रामकथा संक्षिप्त रुप में सुनाई थी। जिसका वर्णन महर्षि वाल्मीकि ने बालकाण्ड के प्रथम सर्ग में किया है। दोस्तों चलिए उस प्रसंग को सुनते हैं, जहां से महर्षि वाल्मीकि को रामायण लिखने की प्रेरणा मिली थी।