अगस्त की एक सुनसान रात. दूर खेतों के ऊपर कोहरे की चादर ने मानो हर चीज़ को ढंक रखा हो. चांद की रौशनी और घने कोहरे से रात में एक अजीब सी खामोशी छाई थी. बहुत सफेद रंग की दीवार से लगा हुआ दूर-दूर तक फैला समुन्द्र और उस पर गीली और बेहद ठंडी हवा के झोंके. सुबह होने में अभी कुछ वक्त बाकी था. साथ वाली सड़क से जंगल के किनारे तक जाने वाले रास्ते पर कहीं दूर आग की रौशनी नजर आ रही है. ओक के पेड़ के नीचे सर से पैर तक सफ़ेद रंग के सूती कपड़े में लिपटी एक डेड बॉडी पड़ी है
उसके सीने पर लकड़ी का एक क्रोस रखा था. लाश के पास ही सड़क पर बैठे दो किसान लाश का पहरा दे रहे है. उनमे से एक लंबा छोटी उम्र का लड़का है जिसकी काली घनी आईब्रोज़ और बेहद पतली मूंछे है. उसने बार्क के जूते पहने है और बदन पर फटी-पुरानी भेड़ की खाल लपेट रखी है. वो टाँगे फैलाए मजे से गीली घास पर बैठा है. वो अपनी लंबी गर्दन झुकाता है और एक गहरी साँस लेता है