(hindi) YOU, INC.
इंट्रोडक्शन
क्या आप कोई ऐसी चीज़ अचीव करने का सपना देख रहे हैं जो हासिल करना नामुमकिन लग रहा हो? क्या आपको लगता है कि कई लोग बड़ी आसानी से जो वो अचीव कर लेते हैं जो वो चाहते हैं जबकि बाकियों को स्ट्रगल करना पड़ता है?
क्या आपको लगता है कि आप अपनी पर्सनालिटी को बदल नहीं सकते क्योंकि आप ऐसे ही पैदा हुए थे? तो मैं आपको बता दूं कि ऐसे ख़याल सिर्फ़ आपको नहीं आते बल्कि हम सभी को कभी ना कभी ये ख़याल ज़रूर आया है. खैर, इन सवालों का जवाब ये है कि हम अपनी इच्छा और पसंद से अपनी पर्सनालिटी को बदल सकते हैं, उसे शेप दे सकते हैं.
इस बुक में आप ख़ुद को एक कंपनी के रूप में देखन सीखेंगे जिसका नाम है “यू इंक.” यकीन मानिए, इस कंपनी में इन्वेस्ट करना आपके लिए सबसे बेस्ट और फ़ायदेमंद चीज़ साबित होगी. आप ऐसे प्रिंसिपल्स सीखेंगे जो आपको इम्प्रूव करने और ख़ुद को कंट्रोल में रखने में मदद करेंगे.
तो क्या आप वो अचीव करने के लिए तैयार हैं जो आप दिल से चाहते हैं? ये बुक आपको ख़ुद में इन्वेस्ट करन और अपने जीवन में सेल्फ़-डेवलपमेंट को इम्पोर्टेंस देकर अपना वैल्यू बढ़ाने में मदद करेगी.
Think-YOU, INC.!
हम में से हर एक के पास अपना बेस्ट version बनने की एबिलिटी है. इसका कारण ये है कि हम ख़ुद अपने लीडर होते हैं और हमारा ख़ुद के ऊपर यानी हमारी कंपनी “You, Incorporated” के ऊपर 100% कंट्रोल होता है. हमारी पर्सनालिटी का 80% इमोशनल इंटेलिजेंस होता है जिसे हम अपनी मर्ज़ी के अनुसार बदल सकते हैं. अपनी पर्सनालिटी के इस बड़े हिस्से को शेप देना ही हमें लाइफ के हर फील्ड में सक्सेस दिला सकता है. अगर आप बदलने का फ़ैसला कर लेते हैं तो आपको वो सक्सेस मिलेगी जिसे आपने इमेजिन किया था.
जैसे-जैसे आप ख़ुद पर काम करेंगे आपकी वैल्यू बढ़ती जाएगी, जिससे आपकी इनकम और सक्सेस भी बढ़ती चली जाएगी. ये सब आप पर डिपेंड करता है कि आप ख़ुद में वैल्यू add करने की चॉइस को अपनाते हैं या नहीं.
इस बुक के ऑथर बर्क की जिन्दगी में ऐसा मोड़ आया जहां उन्हें एक फ़ैसला लेना था. उन्हें क्रिमिनल जस्टिस की डिग्री पूरी करने में पांच साल लगते लेकिन उन्हें एहसास हुआ कि ये उनका पैशन नहीं था इसलिए ये डिग्री उनके लिए बेकार थी. अपनी माँ के बहुत कहने पर उन्होंने insurance adjustor का टेस्ट दिया लेकिन उसमें फेल हो गए. इस जॉब में उन्हें साल में सिर्फ़ 20,000 $ ही मिलते लेकिन फ़िर भी उन्हें वो जॉब नहीं मिली. इस फेलियर के बाद वो ख़ुद को एक लूज़र समझने लगे और बहुत निराश हो गए.
बर्क को आखिरकार फ्लोरिडा के सारसोटा में जॉब मिली जहां उन्होंने बोट बनाने वाले के रूप में काम किया. वहाँ उन्हें बहुत मेहनत करनी पड़ती थी और वो साल में सिर्फ़ 18,000$ कमा रहे थे. एक दिन उन्होंने “The Greatest Salesman in the World” नाम की बुक के बारे में पता चला. उन्होंने बुक पढ़ना शुरू किया.
इस बुक ने उन्हें एहसास दिलाया कि उन्हें भी जिंदगी में एक बदलाव की ज़रुरत थी और ये बदलाव ख़ुद से शुरू हो सकता था. अब बर्क ने ख़ुद में वैल्यू जोड़ने की दिशा में अपना सफ़र शुरू किया ताकि उन्हें अपनी पसंद की जॉब में अच्छी सैलरी मिल सके.
कुछ समय बाद, बर्क को लगा कि अब एक्शन लेने का समय है. उन्होंने बोट कंपनी में जॉब छोड़ी और फ़ोन बेचना शुरू किया. उन्हें जो कमीशन मिलता था सिर्फ़ वही उनकी इनकम थी. वो जानते थे कि इतना काफ़ी नहीं था इसलिए एक साल बाद उन्होंने अपने बिज़नेस की शुरुआत की.
बिज़नेस खोलने के पहले साल में उन पर 2,00,000$ का क़र्ज़ था. बर्क के ऊपर अपने परिवार, बीवी और बेटे की ज़िम्मेदारी थी लेकिन वो जानते थे कि वो सही दिशा में आगे बढ़ रहे थे इसलिए वो रुके नहीं. उन्होंने खुद पर विश्वास किया और पर्सनल डेवलपमेंट में इन्वेस्ट करते रहे. धीरे-धीरे समय के साथ बर्क को बिज़नेस में प्रॉफिट होने लगा. इतना ही नहीं, उन्होंने किताबें लिखना शुरू किया और उनकी कई किताबें पब्लिश भी हुईं.
ऐसा इसलिए हो पाया क्योंकि उन्होंने एक डिसिशन लिया और अपने गोल के लिए एक्शन लेने लगे. उन्होंने अपने वैल्यू को बढ़ाया जिससे उनकी इनकम और सक्सेस दोनों बढ गई.
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बर्क की तरह आप भी ऐसा कर सकते हैं. अपनी कंपनी यू इंक में इन्वेस्ट करें. लाइफ में आपकी सक्सेस किसी और पर नहीं सिर्फ़ आप पर डिपेंड करती है. अब हम उन प्रिंसिपल्स के बारे में जानेंगे जो आपको अपनी वैल्यू बढ़ाने में मदद करेंगे.
Principle 1: Take Responsibility
इस बात का एहसास हो जाना कि सिर्फ़ आप ख़ुद अपने सक्सेस और फेलियर के लिए ज़िम्मेदार होते हैं, बहुत पावरफुल होता है. इंसानों की फितरत होती है कि वो दूसरों को दोष देकर ख़ुद बड़ी आसानी से अपनी जिम्मेदारियों से जी चुराने का रास्ता ढूंढता रहता है. लेकिन ये सोच हमें जिंदगी भर ज़िम्मेदारी लेने ही नहीं देती और हम ऐसे फैसले और एक्शन लेते चले जाते हैं जिससे सिर्फ़ नुक्सान ही होता है.
इससे बचने के लिए आपको ज़िम्मेदारी लेना शुरू करना होगा. ये शोर्ट टर्म में मुश्किल लग सकता है लेकिन लॉन्ग टर्म में आपको इससे सिर्फ़ फ़ायदा ही होगा. अपने एक्शन की ज़िम्मेदारी लेने से आपके लिए पर्सनल डेवलपमेंट के दरवाज़े खुल जाएंगे और आपको अपने असली पोटेंशियल का एहसास होने लगेगा. आइए एक कहानी से इसे समझते हैं.
टिम एक मिडिल क्लास परिवार का लड़का था जिनका गुज़ारा बहुत मुश्किल से हो रहा था. टिम की दो बहनें और पांच भाई थे. उनके हालात बद से बदतर तब हुए जब अचानक उनके पिता की कार एक्सीडेंट में मौत हो गई. टिम ने इन मुश्किल हालातों में किसी तरह अपना कॉलेज कम्पलीट किया लेकिन वो गलत लोगों के चक्कर में फंस गया. उसने ड्रग्स बेचना शुरू कर दिया और 1979 में पकड़ा गया. ड्रग्स बेचना कानूनन जुर्म है इसलिए उसे आठ साल की सज़ा हुई.
जेल में अपने समय के दौरान टिम ने महसूस किया कि उसने हमेशा अपनी जिम्मेदारियों से बचने की और भागने की कोशिश की थी. उसने कई गलतियां की जिसकी कीमत उसे अपनी जिंदगी के कीमती साल जेल में बिताकर चुकानी पड़ी और उसका परिवार बाहर अकेले संघर्ष कर रहा था. टिम को ख़ुद पर बहुत गुस्सा आने लगा क्योंकि वो जानता था कि ये सब उसकी गलती थी.
टिम की सोच और नज़रिया बदलने लगा था. अब उसने अपनी गलती के लिए सोसाइटी को दोष देना बंद कर दिया. ख़ुद को इम्प्रूव करने के लिए, ख़ुद में वैल्यू add करने के लिए अब उसने जेल में किताबें पढ़ना शुरू किया ताकि उसकी नॉलेज बढ़ सके. क्योंकि टिम का सेंस ऑफ़ humour काफ़ी अच्छा था तो उसने जेल में कई इवेंट भी organize किए जैसे टैलेंट शो, कॉमेडी शो वगैरह.
जेल से निकलने के बाद, टिम एक advertsing कंपनी में जॉब करने के साथ-साथ लोकल क्लब में कॉमेडी शोज़ परफॉर्म करने लगा. यहां तक कि उसे कॉमेडी शो में एक्टर बनने के लिए डिज़्नी की तरफ़ से दो ऑफर भी मिले. टिम अब अपने एक्शन की ज़िम्मेदारी लेने लगा था और उसने अपने विज़न की ओर एक्शन लेना शुरू कर दिया था. उसने अपना ख़ुद का शो शुरू किया जिसका उसने सपना देखा था और उसे होस्ट करने लगा.
इसके अलावा, वह एबीसी होम इंप्रूवमेंट का सुपरस्टार बन गया, उसने “द सैंटा क्लॉज” नाम की एक popular फिल्म बनाई, और एक ऑटोबायोग्राफी भी लिखी जो एक बेस्ट सेलर साबित हुई.
अगर जेल में रहते हुए टिम दूसरों को ही दोष देता रहता तो क्या होता? अगर उसे कभी एहसास ही ना होता कि उसकी जिंदगी सिर्फ़ उसकी वजह से ऐसी थी तो क्या होता? तब शायद वो जिंदगी भर एक क्रिमिनल ही बना रह जाता.
बिलकुल टिम की तरह आपको भी ये समझने की ज़रुरत है कि आपके हर डिसिशन, हर एक्शन के लिए सिर्फ़ आप ज़िम्मेदार हैं. इसके लिए गवर्नमेंट, सोसाइटी या आपके माता पिता ज़िम्मेदार नहीं हैं. इसलिए शिकायत करना बंद करें और ज़िम्मेदारी लेना शुरू करें. जो भी प्रॉब्लम आपके सामने आए उसका solution ढूँढें. इस तरह आप सक्सेस के करीब पहुँचते जाएंगे.