(Hindi) World of Business

(Hindi) World of Business

दोस्तों काफी लोगों का बिजनेस के बारे में यह पर्सपेक्टिव रहता है कि बिजनेस की कोई थ्योरी नहीं है यह लक पर डिपेंड है लेकिन ऐसा नहीं है बिजनेस की प्रॉपर थ्योरी है जो आज हम इस बुक में देखेंगे । दूसरा मैंने यह भी देखा है कि लोगों ने बिजनेस को जानने के लिए कई बुक पढ़ते हैं उन्हें थोड़ा बहुत पता भी चलता है लेकिन उनके ब्रेन में एक कंपलीट थ्योरी बिल्ड है। मेरा बुक को लिखने का मेन मोटिव यही है कि हम एक से डेढ़ घंटे में बिजनेस की थ्योरी को ओवर ऑल समझ जाएं और एक बिग पिक्चर क्रियेट करें।

इसलिए इस बुक में  मैंने टॉप बिजनेसमैन की बुक को कंपाइल करके कनेक्ट किया है यह एक तरीके का कोर्स ही है जो इतने कम टाइम में हमें काफी कुछ सिखा सकता है मेरी ओपिनियन में हमें यह बुक चार से पांच बार सुननी चाहिए उम्मीद है यह आजकल के हजारों रुपए के पेड कोर्स से कही ज्यादा आपको नॉलेज देगी और बिजनेस जर्नी में आपकी हेल्प करेगी तो अब आप सोच रहे होंगे कि हम इस बुक में क्या-क्या डिस्कस करेंगे इसमें हम सबसे पहले देखेंगे कि हम खुद को व अपनी फैमिली को अच्छी लाइफ कैसे दे सकते हैं ओबीसयली हमें अपनी पैसे कमाने की स्किल को इंप्रूव करना पड़ेगा ज्यादातर लोग एक अच्छे पैकेज की नौकरी चाहते हैं आोबीयसली इसका यह मतलब है हम एक एम्पलोई ही बनना चाहते हैं.

अनफॉर्चूनेटली जब हम एम्पलोई होते हैं तो हमारे पास इतना टाइम नहीं होता और हम अपने अकोर्डिंग फ्री टाइम स्लॉट नहीं बना सकते ना ही उतने ज्यादा पैसे कमा सकते एक्चुली हमारे पास दो तरीके हैं जिससे हम पैसे कमा सकते हैं या तो हमें अपनी इन्वेस्टिंग की स्किल को इंप्रूव करना पड़ेगा या फिर बिजनेस स्किल्स को.  इस बुक में हम बिजनेस स्किल्स की डिटेल में जाएंगे लेकिन आपको पता है कि बिजनेस खोलने की भी दो फ्लोस्पी  हैं और दोनों बिलिनियर लोगों ने दी है एक फिलॉस्फी कहती है कि दूसरे के सक्सेसफुल आइडियाज को कॉपी करो और अपन एक्सपेरिमेंट मत करो।ताकि हमें जल्दी से जल्दी डिमांड का पता चल जाए लेकिन दूसरी फ्लोसफी बोलती है  कि कंपलीटली डिफरेंट आइडिया लेकर आओ वैसे सक्सेस हमें  दोनों तरीकों से ही मिल सकती है  इन दोनों मेथड को हम बुक में डिटेल से देखेंगे.

नेक्स्ट शायद कई लोगों से आपने यह शब्द सुने होंगे सोलो प्रीमिनयोर बनो यानी एक आदमी का बिजनेस करो या वीडियो प्रीमिनयोर बनो यानी अकेले वीडियो बनाओ या ऑडियो प्रीमिनयोर बनो आदि आदि…… यह सब बकवास है…. बिजनेस एक इंडिविजुअल सपोर्ट नहीं है यह एक टीम सपोर्ट है इसलिए हम इस बुक में देखेंगे कि बिजनेस के लिए एक टीम बनाना क्यों जरूरी है एक और बात देखें बिजनेस सक्सेसफुल तब होता है जब एक ही कस्टमर से बार-बार इनकम आए और वह तब होगा जब हम परमानेंट कस्टमर बनाएं और परमानेंट कस्टमर तब बनेंगे जब हम ब्रांडिंग के प्रिंसिपल को समझेगेग ।  इस बुक में हम पैसों को सेफ रखने के प्रिंसिपल के बारे में भी जानेंगे तो आई होप आप एक्साइटिड होंगे बिजनेस के रुल को समझने के लिये तो चलिए हम तो हैं। अब आगे की जर्नी में रूबी आपको ले जायेगी ये पूरी फ्लोसपी डिटेल में बतायेगी.

ईबीएसआई (EBSI)?

ईबीएसआई वर्ड्स पढकर आपके माइंड में सबसे पहले क्या चीज़ आई? वेल, ये वर्ड यूरोपियन बिजनेस स्कूल इंटरनेशनल के लिए यूज़ होता है. यूरोपियन बिजनेस स्कूल इंटरनेशनल के पीछे जो आईडिया है…..Just kidding हम इस बुक में बिजनेस को इन्टरस्टिंग वे में सिखेंगे ना की एक लेक्चर की तरह , तो दोबारा से स्टार्ट करते है ईबीएसआई एक्चुअल में एम्प्लोई, बिजनेसमेन, सेल्फ एम्पलॉयड और इवेस्टर्स के लिए यूज़ होता है. इसे और सिंपल वे में बोले तो एम्प्लोई वो है..जो किसी के लिए काम करता है हर रोज़ 8 घंटे, हफ्ते में 5 दिन 9 से 5 की जाँब करता है, और सेल्फ एम्पलॉयड भी almost सेम चीज़ है.

इसमें भी आप उतने ही घंटे काम करते है लेकिन फर्क सिर्फ इतना है कि आप खुद अपने बॉस है. लेकिन फिर भी आपको बाकी के options के मुकाबले जॉब में ज्यादा टाइम स्पेंड करना पड़ता है और पैसे भी कम मिलते है.. जैसे की एक डेन्टिस्ट या फिर एक नोर्मल छोटा दुकानदार ओके अब हमारे पास दो और आँप्शन है जिसमें रियल सक्सेस छुपी है. I know अब आप सोच रहे होगें की वो दो आँप्शन जल्दी बताओ? तो वो दो आप्शन है या तो आप बिजनेस करो या इन्वेस्टर बन जाओ. क्योंकि ये दोनों ही आप्शन आपको कम टाइम में ज्यादा पैसे कमाने का चांस देते है. और यहाँ हम इन दोनों तरीको को डिस्कस करेंगे.
पार्ट I: क्यों सिर्फ कुछ लोग ही अमीर है जबकि बाकी लोग गरीब है ?
चैप्टर 1: पैसो से काम करवाना सीखो

चलो, इस रूट को एक यंग जेंटलमेन रोबर्ट कियोसाकी की स्टोरी से शुरू करते है. रोबर्ट ने एक बुक लिखी है ”रिच डैड पूअर डैड”. इस बुक में रोबर्ट ने हमे बताया कि बचपन में उनके दो डैड थे एक तो रियल फादर जोकि एक वेल एजुकेटेड आदमी थे, उन्होंने पी.एच.डी की हुई थी लेकिन उसके बावजूद वो लाइफ टाइम गरीब रहे. जबकि उनके दुसरे डैड थे उनके फ्रेंड माइक के पापा.

वो ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे बल्कि अगर हम आज की एजुकेशन के हिसाब से बोले तो वो एकदम अनएजूकेटेड पर्सन थे लेकिन फिर भी वो अपने टाउन के सबसे अमीर इंसान थे. रोबर्ट के फर्स्ट डैड हमेशा रोबर्ट को पढ़ाई करने और अच्छे ग्रेड्स लाने पर जोर देते थे ताकि वो बड़ा होकर कोई स्टेबल जॉब कर सके. उनका मानना था कि पैसे कमाने के लिए सिर्फ एजुकेशन ही एक सेफ और सही तरीका है. रोबर्ट के सेकंड डैड ने रोबर्ट को हमेशा यही समझाया कि लाइफ के सारे लेसन हमे स्कूल में नहीं मिलते हैं. एजुकेशन इम्पोर्टेंट है लेकिन अमीर बनने का सिर्फ यही एक रास्ता नहीं है.

रोबर्ट के सेकंड डैड बिजनेसमेन रूट को मानते थे, वो रूट जिसमे हमे स्कूल से ज्यादा लेसंस सीखने को मिलते है. एक गधे के सामने अगर गाजर लटका दो तो वो उसे खाने के लिए भागेगा क्योंकि उसे लगता है कि अगर वो स्पीड से दौड़ेगा तो अपने गोल यानी गाजर तक पहुँच जाएगा.लेकिन असल में गाजर सिर्फ एक धोखा है, ठीक इसी तरह पैसा भी एक धोखा है. हम जितना इसके पीछे भागते है वो हमसे उतनी दूर भागता है. तो क्यों ना पैसे के पीछे भागने के बजाये पैसे को अपने पीछे भगाया जाए ?

क्या आप सुबह 6 बजे उठते है फिर 2 या 3 तीन बजे तक काम करते है, एक्स्ट्रा पैसों के लिए कभी एक्स्ट्रा शिफ्ट भी कर लेते है. है ना? एक तरह से आप एक रेट रेस में ट्रेप हो जाते है. आप ये सोचकर खूब मेहनत करते है कि कहीं आप पीछे ना रह जाए या बैंकरप्ट ना हो जाए. और फिर आप इमेजिन करते है कि खूब पैसे कमा कर आप अपने कितने सपने पूरे कर सकते है. फिर जितनी कमाई उतना खर्च, और फिर से पॉइंट जीरो. इस तरह आप कभी भी रिच नहीं बन सकते. इसलिए आपको मनी के लिए काम करने का आईडिया ही खत्म करना होगा.

रिच लोग कभी पैसो के लिए काम नहीं करते बल्कि पैसा उनके लिए काम करता है. रोबर्ट ने इस बुक में मेंशन किया है कि उनके रिच डैड उन्हें यही बात सिखाना चाहते थे कि पैसे के लिए काम मत करो बल्कि उसे अपने लिए काम करवाओ. उन्होंने रोबर्ट को एक स्टोर में काम पर रखवा दिया जहाँ उन्हें फ्री में काम करना था. रोबर्ट और उनका फ्रेंड माइक वहां काम करते रहे, उन्हें पता था कि उन्हें इस काम के कोई पैसे नहीं मिलने वाले इसलिए फ्री टाइम में वो दोनो पैसे कमाने के नए-नए आईडिया सोचते रहते थे. उस स्टोर में एक क्लर्क थी जो कॉमिक बुक्स के फ्रंट पेज को दो टुकडो में कटती थी.

वो एक हाफ रख लेती थी और दूसरा हाफ फेंक देती थी. फिर शाम को एक डिस्ट्रीब्यूटर आता था जो बुक का टॉप हाफ क्रेडिट के लिए ले जाता था और स्टोर में नयी कॉमिक्स दे जाता था. एक दिन दोनों ने डिस्ट्रीब्यूटर के आने पर उससे पुछा कि क्या वो ओल्ड कॉमिक्स बुक रख सकते है. डिस्ट्रीब्यूटर इस शर्त पर मान गया कि वो लोग उन कॉमिक बुक्स को बेचेंगे नहीं. उसके बाद दोनों ने डिस्ट्रीब्यूटर से ओल्ड कॉमिक बुक्स लेकर माइक के गैराज में एक लाइब्रेरी स्टार्ट कर दी.

बहुत से बच्चे लाइब्रेरी में आने लगे. लाईब्रेरी में कोई भी बच्चा 10 सेंट्स देखकर 2 घंटे तक पढ सकता था. कॉमिक्स पढने के बाद उसे रिटर्न करना होता था. तो टेक्निकली वो लोग कॉमिक्स बेच नहीं रहे थे बल्कि उसे रेंट पर दे रहे थे. और उन्हें Library में काम भी नहीं करना पड़ता था क्योंकि उन्होंने माइक की सिस्टर को इस काम के लिए हायर किया जिसे वो हर वीक एक डॉलर पे करते थे. दोनों ने एक हफ्ते में 9.5 डॉलर कमाए. और इस तरह फाइनली उन्हें समझ आ गया कि हमे पैसे के लिए काम नहीं करना है बल्कि वो हमारे लिए काम करेगा.

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चैप्टर 2: पैसे कमाने का कोई फायदा नही अगर हम उसे अपने पास नही रख सकते

ज्यादातर अमीर लोग अक्सर या तो बैंक रप्ट जो जाते है या फिर सुसाइड करके अपनी जान दे देते है. लेकिन ऐसा होता क्यों है? शायद इसलिए कि क्योंकि वो पैसे कमाने में अपनी सारी एनेर्जी और टाइम लगा देते है लेकिन उस पैसे को संभालना भूल जाते है. और जब सब कुछ लुट जाता है तो सर पीटने लगते है.

लेकिन इस सिचुएशन को अवॉयड करने के लिए हमे लाएबिलिटीज और एसेट्स के बीच का डिफ़रेंस समझना होगा. एसेट्स बेसिकली वो चीज़ है जो आपकी होती है और आपके लिए पैसा कमाती है. एसेट्स के उपर आप या तो बिलकुल काम नहीं करते या फिर थोडा बहुत करते है. जैसे आप घर खरीदते हो, उसे रेंट पे देते हो तो वो आपके लिए एक एसेट है क्योंकि रेंट से आपकी प्रोपर्टी की कॉस्ट भी कवर हो जायेगी और लाइफ टाइम आपको रेंट भी मिलता रहेगा. लोन्स जैसी चीज़े लाएबिलिटी के अंदर आती है. इनसे आपको एक पैसे की भी अर्निंग नहीं होती बल्कि उलटे ये आपका सारा पैसा खाती है.

जैसे आप जब कार या घर लेते है लेते है तो उसकी मेंटेनेस या घर की मेंटेनेस के लिए आपका पैसा खर्च होता है. मिडल क्लास लोगो की फिक्स इनकम होती है. मान लो आपकी इनकम 50000 है जिसमे से आप 15000 रुपये रेंट पे खर्च करते है, 20000 लोंस पर खर्च करते है. अब बचे 15000 जिसमे आपको पूरा महीना चलाना होता है. फिर खर्चे पूरे करने के लिए आप पैसा उधार लेते है जिससे आपके ऊपर और कर्जा चढ़ जाता है और इस तरह आप कभी भी पैसा सेव नहीं कर पाते. आप जिंदगी भर मिडल क्लास बने रहेंगे या क्या पता और भी गरीब हो जायेंगे.

तो अब सवाला आता है कि रिच लोग क्या डिफरेंट करते है? तो आपको बता दे कि उनके पास बहुत सारा एसेट्स होता है. उन्हें पता है कि अभी इसी वक्त उनकी जॉब भी छूट जाए तो उन्हें फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि उनके एसेट्स उन्हें इतना पैसा कमा कर देंगे कि उनके सारे खर्चे, सारे टैक्स, रेंट और डेली एक्सपेंस सब चुकता हो जायेंगे. सिंपलली बोले तो पैसा उनके लिए काम करता है, और फाइनली यही उनकी और मिडल क्लास मेंटेलेटी का डिफ़रेंस है. तो एक बार फिर सोचो, जब भी आप बड़ा घर लेना चाहते हो तो उसे एसेट समझ कर लो और उस एसेट को अपना खर्चा खुद निकालने दो. और ये हो सकता है उस घर के कुछ कमरे रेन्ट पर दे सकते है। इस तरह आप नए घर में कुछ भी स्पेंड नहीं करेंगे बल्कि आपका एसेट आपको और पैसे कमा कर देगा!

चैप्टर 3: अपने काम से काम रखो

स्टोरी टाइम: चलो आपको 1974 में लेके चलते है. रे क्रोक, वर्ल्ड के सबसे बड़े और मोस्ट सक्सेसफुल फ़ूड चेन मैक डोनाल्डस के फाउन्डर एक एमबीए क्लास में एक स्पीच दे रहे थे. उनकी स्पीच खत्म होने के बाद क्लास में मौजूद स्टूडेंट्स उनसे सवाल पूछने लगे. थोड़ी देर बाद रे ने अचानक उन्हें एक बोल्ड लुक दिया और उनसे एक ऐसा सवाल पुछा जो उनकी पूरी लाइफ चेंज करने वाला था” आपको क्या लगता है कि मै क्या बिजनेस करता हूँ”. इस पर क्लास के ऑलमोस्ट हर स्टूडेंट ने एक ही जवाब दिया कि बेशक उन्हें पता है कि वो हैमबर्गेर का बिजनेस करते है. रे हंसने लगे. स्टूडेंट्स को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्यों हंस रहे है. आफ्टर आल वो मैक डोनाल्डस के फाउन्डर जो थे. तो अगर वो हैमबर्गेर नहीं बेचते थे तो और क्या करते थे?

ऑफ़ कोर्स रे अपने फ़ास्ट फ़ूड में बिकने वाले फ़ूड को लेकर सिरियस थे लेकिन यही उनका मेन बिजनेस नहीं था. ये उनका असली बिजनेस नहीं था, उनका रियल बिजनेस था रियेल एस्टेट. मैक डोनाल्ड के हर एक आउटलेट के लिए काफी सोच समझ कर लैंड चूज़ किया जाता था. अगर किसी को मैकडोनाल्ड की फ्रेंचाईज़ी लेनी होती तो उसे उस लैंड के लिए एक्स्ट्रा पैसे देने पड़ते थे. स्कूल में अक्सर टीचर हमसे पूछते है कि हम बड़े होकर क्या बनना चाहते है. और ऑलमोस्ट हर कोई यही बोलता है कि वो डॉक्टर या लॉयर बनेगा.

डॉक्टर या लॉयर एक प्रोफेशन है  बिजनेस नहीं. कोई भी प्रोफेशन एक जॉब है जहाँ आप किसी और के लिए काम करते है. या तो आप किसी के लिए काम करते है या गवर्नमेंट एम्प्लोई होते है. लेकिन बिजनेस ऐसी चीज़ है जहाँ आप दूसरो के लिए नहीं बल्कि खुद के लिए काम करते है और यहाँ आपका पैसा भी आपके लिए काम करता है. ये क्या था ? मैंने कुछ सुना, ओह, तो क्या आप ये बोल रहे है कि मै अपनी डे-टाइम की जॉब छोड़ दूँ? जी नहीं! रोबर्ट आपको ऐसा करने को नहीं बोल रहा, वो सिर्फ यही समझाना चाहता है कि अपनी डे-टाइम की जॉब से कमाए हुए पैसे को किसी एसेट्स में इन्वेस्ट करो जो आपकी लाइफस्टाइल के खर्चे कवर कर सके. अब अगर आपकी डे-टाइम जॉब छूट भी जाए तो आपको टेंशन लेने की ज़रूरत नहीं है.

अब सवाल आता है कि हमे किस टाइप के एसेट्स लेने चाहिए? हम आपकी हेल्प के लिए यहाँ कुछ एक्जाम्पल दे रहे है:
• ऐसे बिजनेस शुरू करो जहाँ आप टाइम ना भी दो तो चलेगा, जिसे दूसरे लोग चलाए क्योंकि अगर आपको टाइम देना पड़ेगा तो वो बिजनेस नहीं है, जॉब है.
• रियेल एस्टेट में इन्वेस्ट करो जहाँ से रेंट वगैरह मिलता रहे.
• स्टॉक्स और बांड्स में इन्वेस्टमेंट करो ताकि बिजनेस कोई और चलाये और उसके शेयर के डिविडेन्ड आप लो.

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