(Hindi) Who Will Cry When you Die? Life Lessons from the Monk Who Sold His Ferrari

(Hindi) Who Will Cry When you Die? Life Lessons from the Monk Who Sold His Ferrari

इंट्रोडक्शन(Introduction)

क्या आप दुखी हैं? क्या आप अपने लाइफ से satisfied नहीं हैं और बदलाव चाहते हैं? अगर आपका जवाब हाँ है तो यह बुक आपके सभी प्रोब्लम्स का जवाब है.

इस दुनिया से चले जाने के बाद कौन हमारे लिए दुखी होगा, कौन हूमें याद करेगा? हमारे लिए लोग कैसी बातें करेंगे?इन सवालों के जवाब की झलक आपको इस बुक में मिलेगी.यह बुक आपके द्वारा पढ़ी गई किसी भी बुक से बिलकुल अलग है.यह आपको इंसान के स्वभाव या नेचर की जड़ पर वापस ले जाएगी. यह कोई वर्कशीट नहीं है जो आपको कुछ हफ़्तों के लिए एक्टिव रहने में मदद करेगी और फ़िर आप वहीँ से जीवन जीने लगेंगे जिसे बदलने के लिए आप इतने उतावले थे.

एक बात तो तय है कि इसे पढ़ने के बाद आप पहले जैसे नहीं रहेंगे. अब आप सोच रहे होंगे, ऐसा क्यों? तो इसका बड़ा सिंपल जवाब है कि आप जीने की कला सीख जाएँगे यानी“आर्ट ऑफ़ लिविंग”.

आप दूसरों के साथ जुड़े होकर भी अपना रास्ता खोजने के इम्पोर्टेंस के बारे में जानेंगे. सक्सेसफुल होने के लिए आपको अलग थलग होने की ज़रुरत बिल्कुल नहीं है. हमें एक दूसरे के प्रति काइंड होने की ज़रुरत है.हमें एक क्लियर नज़रिया रखने की ज़रुरत है कि हम आख़िर हैं कौन और क्या बनने की कोशिश कर रहे हैं.

यह समरी आपको आनेस्टी के साथ साथ और भी कईवैल्यूज सिखाएगी. यह आपको समझाएगी कि कभी-कभी ना कहना भी बहुत ज़रूरी होता है. इसे पढ़ने के बाद आप जानेंगे कि आपको कब चिंता करनी चाहिए और कितनी करनी चाहिए. यह आपको डेली लाइफ में यूज़ होने वाले प्रैक्टिकल ट्रिक्स जैसे एक जर्नल मेन्टेन करना और सुबह जल्दी उठना भी सिखाएगी.

अगर आप एक रियल चेंज की तलाश कर रहे हैं, जो आपके कोर वैल्यूज से शुरू होगा, तो नॉलेज और मोटिवेटिंग स्टोरीज की इस जर्नी पर हमारे साथ चलने के लिए तैयार हो जाइए.

डिस्कवर योर कॉलिंग  (Discover Your Calling)
क्या आपको लगता है कि आपकी लाइफ बस यूहीं गुज़रती जा रही है? जैसे कि आपने ये भी नोटिस नहीं किया कि आपके दिन और हफ्ते कैसे बीते? क्या आपने कभी महसूस किया है कि आपकी लाइफ में कोई मीनिंग नहीं है और आपकी लाइफ में कोई कमी है जो आपको सुकून दे सके?
हमारे लाइफ ने मीनिंग को खो दिया है और इसका कारण है कि हम सबसे दूर और डिसकनेक्ट हो गए हैं. आज हम इतनी सुख सुविधाओं के बीच रहते हैं कि आसानी से दुनिया के किसी भी कोने से जुड़ सकते हैं, चैटिंग कर के, फ़ोन कर के. पुराने ज़माने में ये सुविधा कहाँ थी. इतना जुड़े हुए होने के बावजूद हमने कभी इतना अकेला महसूस नहीं किया.

इस अकेलेपन का कारण है, अपने मन की आवाज़ को अनसुना करना. हम ने अपने मन की आवाज़ को सुनना ही बंद कर दिया. अगर आप खोया हुआ महसूस करते हैं तो घबराएँ नहीं, आप अकेले नहीं हैं और आप इसे बदल सकते हैं.

हम सब इस दुनिया में किसी ना किसी ख़ास मकसद के लिए आये हैं और इसे अचीव करने के लिए हम सब के पास यूनिक टैलेंट है. तो हमारा मकसद है अपना पैशन ढूँढना और इसके लिए हमें अपनी जॉब छोड़ने की या कोई नया काम करने की ज़रुरत नहीं है. आप जो कुछ कुछ भी करते हैं उसमें अपना बेस्टपरफॉर्म करके अपना पर्पस हासिल कर सकते हैं. ख़ुद वो चेंज बनें जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं औरआपके हिस्से का काम कोई और आपके लिए कर देगा ऐसी उम्मीद करना बंद करें.
मेन्टेन योर पर्सपेक्टिव (Maintain Your Perspective)
एक ख़ुशहाल जीवन जीने के लिए आपको लाइफ के प्रति अपने नज़रिए पर फोकस करने की ज़रुरत है. कभी-कभी हम इतने मुश्किल सिचुएशन का सामना करते हैं कि हमें लगता है कि हमारी पूरी लाइफ ही बिख़र रही है. इसके बजाय अगर हम थोड़ा रुक कर, उस सिचुएशन को देखने का नज़रिया ही बदल लें तो प्रॉब्लम कम डरावनी लगने लगती है.

इस बड़ी सी यूनिवर्स का हम एक छोटा सा हिस्सा हैं. अपने आस पास की दुनिया को देखें तब आपको एहसास होगा कि हम लाइफ के circle में छोटे छोटे पीसेज हैं जो अपना अपना रोल निभा रहे हैं.तो एक उदास और नेगेटिव नज़रिए क्यों रखना?हर चीज़ हमारे कंट्रोल में नहीं होती इसलिए छोटी छोटी चीज़ों के बारे में सोचते रहना बेवकूफ़ी है. हर पल को एन्जॉय करें और आप इस पूरी दुनिया में सबसे हैप्पी इंसान होंगे.

चलिए एक दिलचस्प कहानी सुनते हैं. एक बार एक हॉस्पिटल में दो पेशेंट्स सेम रूम शेयर कर रहे थे. एक को खिड़की के पास वाली बेडदी गई और दूसरे को उसके बगल वाली.कुछ समय में उनमें जान पहचान बढ़ी और वे दोस्त बन गए. क्योंकि बगल वाला पेशेंट चल नहीं सकता था और खिड़की के बाहर नहीं देख सकता था, उसका दोस्त उसकी आँखें बन गया.वह बाहर का नज़ारा देख कर उसे बताता.

वह हवा के झोंकों में झूमते पत्तों और डालियों के बारे में बताता, बाहर लोग क्या क्या कर रहे हैं उस बारे में बताता. हर दिन उनके लिए एक नया एडवेंचर था. अब बिस्तर पर जो आदमी था वह अपने दोस्त से जलने लगा. उसे गुस्सा आने लगा था कि वह बाहर की जिंदादिल और ख़ूबसूरत दुनिया को नहीं देख सकता था जो उसका दोस्त देख पा रहा था.

दिन ब दिन वह अपने दोस्त को नापसंद करने लगा, उसकी कहानियों से उसे चिड होने लगी. फिर ऐसा भी दिन आया जब वह अपने दोस्त से नफ़रत करने लगा. एक रात, खिड़की के पास वाला आदमी बहुत खाँस रहा था. फ़िर कुछ देर बाद उसने साँस लेना बंद कर दिया. उसकी मदद करने के लिए डॉक्टर को बुलाने के बजाय उसका दोस्त चुपचाप सब देख रहा था और इलाज़ ना होने की वजह से उसका दोस्त दुनिया छोड़ कर चला गया.

जब उसकी बॉडी को वहाँ से ले जाया गया तो उस आदमी ने खिड़की के पास अपना बेड शिफ्ट करने की रिक्वेस्ट की. वह बाहर के सुंदर नज़ारे को अपनी आँखों से देखने के लिए बहुत excited था. लेकिन जब उसने बाहर देखा तो हक्का बक्का रह गया, खिड़की से सामने सिर्फ़ एक दीवार थी. अब उसे सब समझ में आने लगा,उसे एहसास हुआ कि उसका दोस्त उसे अच्छा और ख़ुश महसूस कराने के लिए अपनी इमेजिनेशन से कहानियाँ सुनाता था.वो दिल से उसे दोस्त मानता था. लेकिन उसकी ख़ुद की गलत सोच ने उसके दिल में जलन और ज़हर भर दिया था.अगर वह उसकी जान बचा लेता तो वे न जाने कितनी खूबसुरत यादें बना सकते थे. अब उसके मन में सिर्फ़ पछतावा था लेकिन सब कुछ उसके हाथों से छूट चुका था.

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प्रैक्टिस टफ लव  (Practice Tough Love)

क्या आपने कभी गौर किया है कि हर सक्सेसफुल स्टोरी में जो चीज़ जादू की तरह काम करती है वो है डिसिप्लिन. अगर आपके  भी सपने बड़े हैं और आप उन्हें अचीव करना चाहते हैं तो आपको हर रोज़ वो सब करने के लिए तैयार रहना होगा जिससे आप अपनी मंजिल के करीब पहुँच सकें. आपको ख़ुद को पुश करना होगा. ये पॉवर आपको डिसिप्लिन देता है.

डिसिप्लिन को टफ लव भी कहा जा सकता है. ख़ुद के साथ स्ट्रिक्ट होना, ये सुनने में मुश्किल लग सकता है लेकिन जब आप इसके रिजल्ट देखेंगे तो हैरान रह जाएँगे. जिंदगी के इशारों पर चलने से ज़्यादा बेहतर होता है ख़ुद इसका कंट्रोल अपने हाथों में लेना और इसे अपनी शर्तों के मुताबिक़ जीना.
अरस्तु का मानना था कि इंसान कुछ ना कुछ करने से ही सीखता है. हम क्या अचीव करना चाहते हैं वो मायने नहीं रखता बल्कि वहाँ तक पहुँचने के लिए हम किन रास्तों का और किन चीज़ों का चुनाव हैं वो ज़्यादा मायने रखता है.

एक्जाम्पल के लिए, अगर कोई इंसान बिल्डर बनना चाहता है तो वो हर रोज़ सिर्फ़ इसे प्रैक्टिस कर के ही अचीव कर सकता है. अगर हम ख़ुद एफर्ट नहीं करेंगे और ऐसे ही दिन waste करते रहेंगे तो हमारी लाइफ बिलकुल मीनिंगलेस हो जाएगी. लेकिन अगर हमारा हर एक्शन कंट्रोल में होगा तो हम अपनी लाइफ और फ्यूचर को भी कंट्रोल कर सकते हैं.

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कीप अ जर्नल (Keep a Journal)

कई सक्सेसफुल लोगों ने एक सीक्रेट शेयर किया है जिससे अपनाने से उनकी लाइफ में बहुत बड़ा बदलाव आया था. वो सीक्रेट है जर्नल मेन्टेन करना. कई लोगों ने तो यहाँ तक दावा किया है कि अगर उन्होंने जर्नल नहीं रखी होती तो उनका सक्सेसफुल होना नामुमकिन जैसा था. लेकिन उन्होंने इतनी बड़ी बात क्यों कही?

एक जर्नल रखने से आपको अपने experiences को गहराई से देखने और समझने में मदद मिलती है. आपने दिन भर में क्या क्या किया, आपसे क्या गलतियां हुईं और आपने उससे क्या सीखा, ये सब आपको और बेटर इंसान बनने में मदद करता है. आप अपनी गलतियों से सीख कर अपनी प्रोडक्टिविटी को बढ़ा सकते हैं.

अपनी जर्नल को सिर्फ़ एक डायरी नहीं बल्कि इस तरह सोचें जैसे आप ख़ुद से बातें कर रहे हैं. ये आपको ख़ुद को और अपने आस पास की दुनिया को बेहतर समझने में मदद करेगा. लेकिन आपको ध्यान रखना होगा कि जर्नल रखना एक डायरी मेन्टेन करने से काफ़ी अलग होता है. डायरी में हम डे तो डे एक्टिविटी को लिखते हैं लेकिन जर्नल में हमारे लाइफ के हर पहलु का एक डीप एनालिसिस होता है. डायरी में हम अपने मीटिंग और अपॉइंटमेंट के बारे में लिखते हैं लेकिन जर्नल में अपने सपनों के बारे में लिखते हैं.

यहाँ तक कि मेडिकल रिसर्च ने भी एक जर्नल रखने के इम्पोर्टेंस को प्रूव किया है. दिन में सिर्फ़ 15 मिनट जर्नल लिखना आपके हेल्थ और ओवरआल परफॉरमेंस को काफ़ी बेहतर बना देता है.इसलिए आज से ही, कुछ मिनटों के लिए ही सही जर्नल लिखने की आदत बनाएँ. अगर आपको लगता है कि आपका जीवन सच में जीने लायक है तो यकीनन ये लिखने लायक भी हुआ ना.

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डेवलपऍन आनेस्टी फिलोसोफी (Develop an Honesty Philosophy)

हमने कई बार नोटिस किया होगा कि कुछ लोग अक्सर ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं या ऐसे वादे करते हैं जिन्हें वो पूरा नहीं करते  और जब ऐसा होता है तब आप दुखी और निराश महसूस करते हैं. आपको लगने लगता है कि आप उस इंसान पर दोबारा भरोसा नहीं कर पाएंगे, वो तो भरोसे के लायक है ही नहीं.

कभी-कभी हम ख़ुद से भी कई प्रॉमिस करते हैं जिन्हें हम पूरा नहीं करते. हम हर साल ख़ुद को बदलने का वादा करते हैं, आने वाले कल में आज से बेहतर होने का वादा करते हैं. कल तो आ जाता है लेकिन हम में कोई चेंज नहीं आता.

अगर आप ऑनेस्ट और ईमानदार नहीं होंगे तो आप अपनी क्रेडिबिलिटी यानी भरोसेमंद वाली क्वालिटी को खो देंगे. जब लोगों का हम पर विश्वास डगमगाने लगता है तब उनसे हमारा कनेक्शन कमज़ोर होने लगता है.अगर आपने किसी को अपनी ज़ुबान दे दी तो बस वो पत्थर की लकीर होनी चाहिए. आपको उसे पूरा ज़रूर करना चाहिए. ख़ुद के साथ और दूसरों के साथ ऑनेस्ट रहे. जब भी आप अपना वादा पूरा करते हैं तो आप अपने कैरेक्टर को और आनेस्टी की हैबिट को और मज़बूत कर देते हैं.

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