(hindi) WHEN THINGS FALL APART – Heart Advice for Difficult Times
इंट्रोडक्शन
आज हम बहुत ही फ़ास्ट और मॉडर्न दुनिया में जी रहे हैं और ऐसा कभी कभार ही होता है जब हमें एक ऐसी बुक पढ़ने का मौका मिलता है जो हमें अपने आप से कनेक्ट करने में मदद करती है. इस बुक में मैडिटेशन, spirituality, बुद्ध की सिखाई हुई बातें और टिबेटन कल्चर जैसे थीम शामिल हैं. ये आपको ख़ुद को और बेहतर तरीके से जानने में मदद करेगा.
ये बुक आपको अपने डर का सामना करने और उनका मुकाबला करने में मदद करेगी. इसके अलावा, जब चारों ओर हलचल मची हो तो ख़ुद को शांत कैसे बनाए रखना है वो भी सिखाएगी. शायद समय के शुरुआत से ही हमें ये बताया गया है कि इंसान को दूसरों से सहानुभूति रखने वाला और एक शांत इंसान बनना चाहिए. आज लोग सच्चाई से दूर हो रहे हैं या उससे भाग रहे हैं.
ये बुक इस बात की ओर आपका ध्यान खींचेगी कि आप बिना जल्दबाज़ी किए या हडबडाए बिना कैसे progress कर सकते हैं.
तो क्या आप इसे आज़माने के लिए तैयार हैं? क्या आप अपने लाइफ में चल रहे ड्रामा को समझने के लिए तैयार हैं? क्या आप अपने हर दिन के छोटे-छोटे इवेंट्स के बारे में सोचने के लिए तैयार हैं? अगर हाँ तो आपको इससे बेहतर बुक नहीं मिलेगी. तो आइए बिना देर किए शुरू करते हैं.
Intimacy with Fear
डर वो भावना है जो हर जीव महसूस करता है. इसका कारण है कि हमें अपने आस पास की चीज़ों के बारे में बहुत कम या लिमिटेड जानकारी होती है. अगर आप डर से भागने के बजाय उसका सामना करेंगे तो आप उसे हरा सकते हैं.
अपने डर के करीब जाना हमें स्ट्रोंग बनाता है. आप जितना ज़्यादा डर से भागेंगे ये उतनी ही तेज़ी से आपकी ओर बढ़ता जाएगा. अगर आप डरकर पीछे ही रुक गए तो जिंदगी के सफ़र में आपकी ख़ोज अधूरी रह जाएगी. बिना डर का सामना किए आप एक समझदार और बेहतर इंसान नहीं बन सकते.
1960 के समय में भारत में एक आदमी था जो अपने हर डर और नेगेटिव भावना से पीछा छुड़ाना चाहता था. वो घमंड, गुस्सा, लालच जैसे इमोशन पर काबू पाना चाहता था. इसके लिए वो एक गुरु के पास गया. गुरूजी ने उससे कहा कि वो इन भावनाओ से छुटकारा पाने के लिए जितना स्ट्रगल कर रहा था उसे वो बंदकर रिलैक्स करना चाहिए. लेकिन वो आदमी किसी भी कीमत पर अपने डर को दूर करना चाहता था. गुरूजी ने उसे पहाड़ों के नीचे एक झोपड़ी में मैडिटेशन करने के लिए कहा.
ये उस आदमी के लिए बड़ा ही यूनिक एक्सपीरियंस था. वो झोपड़ी में गया वहाँ दिया जलाया, दरवाज़ा लॉक किया और मैडिटेशन करने में लीन हो गया. कुछ पलों बाद उसे शोर सुनाई दिया और वो सावधान हो गया. जब उसने आँखें खोली तो वो हक्का बक्का रह गया. उसके सामने एक बड़ा कोबरा था जो अपना फन फैलाए बैठा था.
एक पल के लिए तो उसकी सांस ही रुक गई. लेकिन फ़िर उसने हिम्मत जुटाकर ख़ुद को संभाला और एक कोने में जाकर बैठ गया. वो इसी तरह पूरी रात जागता रहा, उसकी नज़र कोबरा पर टिकी हुई थी. उस अँधेरी झोपड़ी में वो आदमी रोने लगा. बाद में उसे एहसास हुआ कि वो निराशा या डर के कारण नहीं रोया था बल्कि उसके आंसू इसलिए निकले क्योंकि उसका दिल पिघल गया था. वो रोया क्योंकि उसे एहसास हुआ कि कोबरा और वो दोनों ही इस दुनिया में जिंदा रहने के लिए संघर्ष कर रहे थे. पहले उसे लगता था कि वो इस दुनिया के लिए इम्पोर्टेन्ट था लेकिन अब उसे लगने लगा था कि किसी ना किसी वजह से वो कोबरा भी दुनिया के लिए इम्पोर्टेन्ट था. अगर दुनिया को उसकी ज़रुरत थी तो शायद दुनिया को उस सांप की भी ज़रुरत थी.
इस सोच ने उसके दिल में दया भर दी, उसका मन नरम हो गया. वो उठा और बिना किसी डर के सांप के पास गया, उसने झुककर उसे प्रणाम किया और सोने चला गया. सुबह उठकर जब उसने अपने चारों ओर देखा तो कोबरा जा चुका था.
अब वो आदमी ये समझ नहीं पा रहा था कि क्या सच में कोई सांप उसके सामने आया था या वो सिर्फ़ एक सपना था. वो जो कुछ भी था, उसने उसके मन से सांप का डर हमेशा के लिए ख़त्म कर दिया था.
शायद हमें भी डर को एक अलग नज़रिए से देखने की ज़रुरत है. शायद हमें डर को एक आशीर्वाद समझने की ज़रुरत है क्योंकि अपने डर का सामना करना ही हमें निडर और मज़बूत बनाता है. हम उस एक्सपीरियंस से बहुत से सीखते हैं. कहते हैं कि जब हम सबसे ज़्यादा डरे हुए होते हैं तभी हम सबसे ज़्यादा स्ट्रोंग भी होते हैं. ये डर हमें जिंदगी में एक नया सबक सिखाता है. हमें कभी अपनी खोज बंद नहीं करनी चाहिए क्योंकि हम जितने ज़्यादा सिचुएशन का सामना करेंगे वो हमें उतना ही स्ट्रोंग बनाएगा. आप जितना ज़्यादा दुनिया को एक्स्प्लोर करेंगे ये आपकी पर्सनालिटी को उतना ही ज़्यादा निखारता जाएगा.
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When Things Fall Apart
जब चीज़ें आपके हिसाब से नहीं चलती तो आप सोचते हैं कि आपका समय ख़राब है. आपके सपने टूटने लगते हैं और आप सोचते हैं कि बस आपकी दुनिया अब ख़त्म हो गई. लेकिन एक बात बताऊँ, ये सच नहीं है. unexpected घटनाएं और सपनों का टूटना ये सब बस एक टेस्ट है, जो वक़्त लेता हैं. ये आपके पेशेंस और गिरकर दोबारा खड़े होने की हिम्मत को टेस्ट करता है.
जिंदगी हमें सुख और दुःख दोनों देती है. ये सिक्के के वो दो पहलू हैं जिन्हें अलग नहीं किया जा सकता. इसलिए कभी ना ख़त्म होने वाली ख़ुशी की चाहत रखना ही हमारे दुःख का कारण बनती है. दुःख और तकलीफ़ के प्रति एक प्रैक्टिकल नज़रिया डेवलप करना बेहद ज़रूरी है. आप दूसरों के दर्द और मुश्किलों को समझने के लिए मैडिटेशन कर ऐसा कर सकते हैं. ऐसे प्रैक्टिस आपको बुरे वक़्त के दौरान पेशेंट और शांत बनना सिखाते हैं. आइए एक कहानी से इसे समझते हैं.
एक छोटे गाँव में एक गरीब परिवार रहता था. बुजुर्ग पति पत्नी का एक ही बेटा था जिसकी कमाई से घर चलता था. उसके माता पिता ने उसे बड़े लाड प्यार से पाला था. वो उनके लिए गर्व और सम्मान का प्रतीक था.
एक दिन, बड़ी दुखद दुर्घटना हुई. वो लड़का घोड़े से गिरा और उसके पैर टूट गए. ये उस परिवार के लिए किसी सदमे से कम नहीं था. उन्हें लगा जैसे उनकी दुनिया ही उजड़ गई हो. उनकी जिंदगी में सब कुछ अस्त व्यस्त हो गया. उसके माता पिता ने उसके अच्छे जीवन के लिए सारी उम्मीदें खो दी और उस लड़के की बुरी किस्मत पर रोने लगे जो अब अपाहिज हो गया था.
कुछ दिनों बाद, उस गाँव में राज्य की सेना आई और वहाँ के सभी जवान और हट्टे कट्टे लड़कों को जंग में लड़ने के लिए सेना में भर्ती करने लगी. जब वो उस लड़के के घर पहुंचें तो उसकी हालत देखकर उसे अपने माता पिता के पास ही छोड़ दिया. जंग से जिंदा लौटकर कौन वापस आता है और कौन नहीं ये तो कोई नहीं जानता तो इससे ये साबित होता है कि वो दुर्घटना भी उस परिवार के लिए किसी आशीर्वाद से कम नहीं थी क्योंकि कम से कम अब वो लड़का अपने परिवार के साथ रह तो सकता था. उस लड़के को एहसास हुआ कि अपाहिज होने के बावजूद भी वो अपने माता पिता के लिए बहुत कुछ कर सकता था. जो चीज़ पहले उन्हें तकलीफ़ दे रही थी वही अब उन्हें सुकून देने का कारण बन गई थी.
तो जब भी आपको लगे कि आपके साथ कुछ बहुत बुरा हुआ है तो थोड़ा इंतज़ार करें क्योंकि शायद आपको उसका वो पहलू दिख जाए जो उससे कुछ अच्छा आपके जीवन में लेकर आए. ये सिर्फ़ आकी बेचैनी और पेशेंस की कमी है जो आपके लाइफ को इतना complicated बना देती है. हर चीज़ हमारी मर्ज़ी से नहीं हो सकती, इसे एक्सेप्ट कीजिए. जिंदगी अपने तरीके से हमें टेस्ट करती है.