(Hindi) Unbroken : A World War II Story of Survival, Resilience, and Redemption

(Hindi) Unbroken : A World War II Story of Survival, Resilience, and Redemption

अनब्रोकन (Unbroken )

अनब्रोकन बुक की ऑथर लौरा हिलेनब्रांड (Laura Hillenbrand) की ये स्टोरी मिडल ऑफ़ द एक्शन में शुरू होती है. ये स्टोरी एक ऐसे रेबेल की है जो ओलम्पियाड और एक वार हीरो रह चूका है और उसका नाम था लुइ सिल्वी ज़म्पेरिनी (Louis Silvie Zamperini). स्टोरी की स्टार्टिग में ही हमे आर्मी एयर फ़ोर्स के बोम्बार्डीयर (Army Air Forces bombardier ) लुइ ज़म्पेरिनी और उसके दो क्रू मेट्स का इंट्रोडक्टशन मिलता है. ये लोग अपनी ट्रिप में है और उन्हें आज 27 दिन हो गए है. ये लोग राफ्ट में लेटे हुए समुन्द्र के ऊपर है जहाँ पर जापानीज आर्मी का कण्ट्रोल है. इससे एक महीने पहले ही लुइ ओलिंपिक में दौड़ा था और न्यूज़ हेडलाइन्स में उसे काफी तारीफ भी मिली थी. लेकिन अब वो मीलो दूर यहाँ इस हालत में पड़ा था,

उसका वेट भी घटकर आधे से कम रह गया था. तभी अचानक इन लोगो की नज़र एक उड़ते हुए एरोप्लेन पर पड़ी तो उन्हें लगा शायद कोई उन्हें रेस्क्यू करने आ रहा है. लेकिम तभी उस प्लेन से लुइ और उसके साथियों पर फाइरिंग होने लगी. अपनी जान बचाने के लिए तीनो जल्दी से पानी में कूद गए. इस स्टोरी के फर्स्ट चैप्टर में हम 1929 के कैलीफोर्निया में पहुँच जाते है. लुइ और उसके भाई पीट की एक विज़िंग साउंड से नींद खुल जाती है. जल्दी ही उन्हें पता चल जाता है कि उनके शहर में हवाई अटैक हो गया है. जर्मन एयरशिप ग्राफ जेपलिन (German airship Graf Zeppelin ) घरो के ऊपर से उड़ते हुए फायर कर रहे थे. ये एयरशिप्स आलरेडी फ़्रांस, स्विट्जरलैंड, न्यूयॉर्क, जापान, और जर्मनी को नेविगेट कर चुके थे और तीन दिनों से लगातार इसी तरह सिटीज़ के उपर से उड़ते हुए जा रहे थे और आज उनका लास्ट दिन था.

लुइ ज़म्पेरिनी (Louie Zamperini) न्यू यॉर्क के ओलेन में पैदा हुआ था, उसकी फेमिली इटेलियन इमीग्रांट्स थी. बचपन से ही लुइ रेबेल टाइप का था. अपने स्कूल और टोरेंस, कैलीफोर्निया (Torrance, California ) की गलियों में उसने बहुत एडवेंचर किये थे. उसकी फेमिली कैलीफोर्निया में इसलिए शिफ्ट हुई थी क्योंकि न्यू यॉर्क के चिल्ड वेदर के चलते दो साल के लुइ को न्यूमोनिया (pneumonia) हो गया था. पीट (Pete,) लुइ का बड़ा भाई था और उसके एकदम अलग था. वो लुइ की तरह शरारती बिलकुल नहीं था बल्कि काफी पोलाईट था और पढने में तेज़ था.

पीट(Pete ) को हमेशा ही लुइ की टेंशन रहती थी क्योंकि उसे पता था कि कुछ बदमाश टाइप के लड़के लुइ को उसकी शोर्ट हाईट और इटेलियन होने की वजह से तंग करते है. लुइ लोगो का खाना चुराता था, लड़ाई झगड़ा करता था, और कई बार तो उसकी हरकतो से पूरे मोहल्ले में हल्ला मच जाता था. लेकिन लुइ क्लीवर और कॉंफिडेंट भी बहुत था, वो इतना बोल्ड था कि किसी भी प्रॉब्लम से बड़ी चालाकी से बच निकलता था. और अपनी इसी क्वालिटी के चलते वो इतने सालो तक चली वार सरवाईव् कर पाया. उसके शहर की गवर्नमेंट ने कमज़ोर, बीमार और क्रिमिनल माइंड वाले बच्चो के लिए एक स्टरलाइजेशन (sterilization program ) प्रोग्राम चला रखा था . लुइ का एक पडोसी इस प्रोग्राम का विक्टिम बन गया और उसे देखकर लुइ इतना ज्यादा शॉक हुआ कि उसे सुधरने की कसम ले ली थी. लेकिन इतना ट्राई करने के बावजूद वो सुधर नहीं पा रहा था,

तब उसने टोरेंस (Torrance.) से भागने के बारे में सोचा. अपनी मेंटल स्ट्रेंग्थ की वजह से लुइ ज़म्पेरिनी (Louie Zamperini) हर मुश्किल हालात में भी डट कर खड़ा रहा. ये उसकी फ्लेक्सीबिलीटी ही थी कि बुरे से बुरे टाइम में भी उसने हिम्मत नहीं हारी. 1931 की बात है, लुइ को चाबियां कलेक्ट करने का शौक चढ़ा, वो किसी भी रेंडम लॉक में चाबी लगा देता ये देखने के लिए कि वो खुलता है या नही. फिर एक दिन उसे पता चला कि उसकी घर की चाबी से टोरेंस जिम (Torrance gym.) का लॉक खुल सकता है. अब उसने क्या किया कि बच्चो को बिना टिकट बास्केट बॉल गेम्स में भेजना शुरू कर दिया. लेकिन जल्दी ही ऑथोरिटी वालो को उसकी इस हरकत का पता लग गया और लुइ को हर स्पोर्ट्स एक्टिविटी से बैन कर दिया गया. लेकिन पीट(Pete) ने स्कूल प्रिंसिपल को मना लिया कि वे लुइ को फिर से सपोर्ट ज्वाइन करने दे. उसे लगता था कि लुइ में टेलेंट है और वो एक अच्छा रनर बन सकता है.

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पीट ने लुइ को एथलीट बनाने के लिए स्ट्रिक्ट ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी. लुइ ने कई सारी रेसेस जीती और आल सिटी फाइनल्स में फिफ्थ पोजीशन तक पहुँच गया. हालाँकि वो एक ब्रिलिएंट रनर था लेकिन उसे दौड़ना बोरिंग लगता था. उसे लग रहा था कि वो एक ही टाइप के रूटीन में फंस गया है. इस बात पर लुइ की अपने फादर से लड़ाई हो गयी जिसके बाद वो अपने एक फ्रेंड के पास लोस एंजेल्स (Los Angeles) चला गया. उसने डिसाइड कर लिया था कि वो अब कभी घर नहीं लौटेगा, लेकिन कई राते भूखे प्यासे सडक पर गुज़ारने के बाद उसे घर की याद आ ही गयी. अक्ल ठिकाने आते ही वो घर लौट आया, उसने अपने भाई के सामने हार मानते हुए फिर से एक बार ट्रेनिंग शुरू कर दी.

ये 1932 की गर्मियों की बात है, लुइ की डेडीकेशन ने उसे एक ब्रिलिएंट रनर बना दिया था. वो इंडीउन रिजर्वेशन में ट्रेनिंग के लिए गया और जब वापस आया तो पैसन से भरा हुआ था. अब उसने अपनी डेली लाइफ में भी रनिंग को इन्वोल्व कर लिया था. अब वो अपनी बाइक चलाने के बजाये स्ट्रीट्स में दौड़ता था. लुइ ने एक्सटेंसिव ट्रेनिंग स्टार्ट कर दी. मिलर ग्लेन कनिघम (miler Glenn Cunningham ) उसका आइडियल था जिसने बुरी तरह जल जाने के बाद रनिंग में अपना करियर बनाया था. लुइ की अब एक पर्सनेलिटी बन रही थी. हालाँकि वो अभी भी पहले वाला स्ट्रोंग और कभी हार ना मानने वाला लुइ ज़म्पेरिनी (Louis Zamperini) ही था लेकिन अब उसका एक एम्बिशन (ambition.) था.

जूनियर कॉलेज में लुइ क्लास प्रेजिडेंट बना. वो लड़कियों में काफी पोपुलर था. अब वो सब-फाइव मिनट्स माइल्स में दौड़ने लगा था. अपनी कम हाईट के बावजूद पोस्चर और ट्रीड (posture and tread)से वो किसी टाल बॉय का लुक देता था. वो रेस में काफी तेज़ भागता था और UCLA क्रोस कंट्री रेस में उसने अपने कॉलेज कॉम्पटीटर्स को काफी मील की दूरी से हराया था. पीट की गाइडेंस में लुइ शोर्ट टाइम में ही एक एक्सीलेंट रनर के तौर पे फेमस हो गया था. उसने अब तक जितनी भी रेस की थी सब में वो जीता था. 1934 में उसने साउथर्न कैलीफोर्निया ट्रेक चैपियनशिप की रेस हुई जिसमे लुइ ने नेशनल हाई स्कूल माइल का रिकोर्ड तोड़ दिया था. अपनी फ़ास्ट स्पीड की वजह से उसका निकनेम पड़ गया था”

द टोरेंस टोर्नेडो” (“The Torrance Tornado”)और टोरेंस के लोगो के लिए वो किसी सेलेब्रिटी से कम नहीं था. लुइ में मेंटल इमेजरी की स्ट्रोंग पॉवर थी और साथ ही अपनी स्ट्रोंग विल पॉवर की वजह से उसे किसी भी चैलेन्ज में हराना मुश्किल था. वो अब 1936 के ओलम्पिक में 1500 मीटर रेस के लिए का पार्ट लेने का ड्रीम देख रहा था. हाई स्कूल पास करने के बाद लुइ को अपने यूनिवरसिटी ऑफ़ कैलीफोर्निया में स्कोलरशिप मिल गयी थी जहाँ उसका भाई भी पढता था.लेकिन उसके भाई ने उसे कहा कि कुछ टाइम और ट्रेनिंग करो उसके बाद कॉलेज ज्वाइन करना. लुइ ने काफी कोशिश की लेकिन वो ओलम्पिक टीम में सेलेक्ट नहीं हो पाया. फिर उसने कोम्प्टन ओपन 5000 मीटर रेस (Compton Open’s 5000 meter race) में हिस्सा लिया.

इसमें उसका कोम्प्टीशन एक प्रिमिसिंग रनर नार्मन ब्राइट से था जो 1936 ओलम्पिक टीम में भाग ले चुका था. पूरी रेस में लुइ ब्राइट के साथ-साथ दौड़ता रहा लेकिन बहुत स्माल मार्जिन से वो ये रेस हार गया था. याह एक बार फिर उसकी विल पॉवर काम आई, उसने ओलम्पिक के लिए फाइनल ट्रायल देने का सोचा. फाइनल ट्रायल न्यूयॉर्क में होना था. लुइ ज़म्पेरनी (Louis Zamperini) ट्रायल के लिए न्यूयॉर्क गया, पूरे टोरेंस को उस हाई स्कूल ग्रेजुएट से उम्मीदे थी. लेकिन न्यूयॉर्क में सब कुछ गड़बड़ हो गया. हीट वेव के चलते मेनहट्टन 40 लोगो की मौत हो गयी थी. सारे एथलीट्स डिहाईड्रेट हो गए थे और उनका वेट भी घट रहा था. लेकिन इस सब के बीच भी लुइ बदला नहीं, उसके माइंड में एक ही पिक्चर थी. वो खुद को ओलिंपिक ट्रेक में दौड़ते हुए देखना चाहता था. और वो हर मुसीबत फेस कर सकता था

पाने इस ड्रीम को हकीकत में बदलने के लिए. रेस वाले दिन टेम्परेचर बहुत ज्यादा हाई था, सारे एथलीट्स रेस के लिए एकदम रेडी थे. इस रेस में लुइ ज़म्पेरिनी ने कुछ अनएक्सपेक्टेड किया: उसने अनबीटेबल डॉन लेश (Don Lash)को हराकर ये रेस जीत ली. लेकिन फिर कुछ मिनट बाद ही अनाउंसमेंट हुई कि रेस लुइ ने नहीं बल्कि डॉन ने जीती है. लेकिन लुइ को कोई फर्क नहीं पड़ा. वो फिर भी ओलिंपिक टीम का यंगेस्ट डिस्टेंस रनर बन गया था और अपने माइंड में तो वो आलरेडी बर्लिन के ट्रेक में दौड़ रहा था.

अमेरिकन ओलिंपिक टीम ट्रेनिंग के लिए जर्मनी आई.  जहाँ ओलिंपिक होना था वो विलेज जेर्मन के कण्ट्रोल में था. अपने बारे में लुइ ऑलमोस्ट श्योर था कि वो शायद मेडल ना जीत पाए क्योंकि फ़िनलैंड कई सालो ये रेस जीत रहा था. फाइनल से पहले लुइ को पीट का लैटर मिला. इसमें एक जोकर और एक रेसर की पिक्चर थी जिसके नीचे लिखा था” इनमे से कौन लुइ बनेगा?”. पीट के इस लैटर ने लुइ को बड़ा मोटिवेट किया और रेस के फाइनल लेप में फिनिश लाइन के पास पहुँचते ही लुइ ने अपनी पूरी ताकत लगा दी. ओलंपिक्स के फाइनल में लुइ 8 वे नंबर पे था फिर भी उसने फास्टेस्ट फिनिश का रिकॉर्ड बनाया.

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