(hindi) Tribe of Mentors: Short Life Advice from the Best in the World
इंट्रोडक्शन
2017 में टिम फ़ेरिस 40 के हुए और साथ ही उनकी बेस्ट सेलिंग किताब “The 4 hour workweek” की दसवीं एनिवर्सरी भी थी. उनके कुछ फ्रेंड्स की डेथ हो चुकी थी और उन्हें एक टॉक शो में बुलाया गया था जहाँ उन्हें अपनी जिंदगी के एक बेहद मुश्किल दौर के बारे में बोलना था जब वो करीब-करीब खुदकुशी करने ही वाले थे.
टिम को लगा कि वो शायद अपनी जिंदगी के 40 साल भी पूरे नहीं कर पाएँगे. अब तक कोई 27 पब्लिशर उनकी किताब “The 4 hour workweek” रिजेक्ट कर चुके थे. उस दिन सुबह उन्हें एहसास हुआ कि 40 के बाद अब उनकी जिंदगी का कोई मकसद नहीं रहा.
टिम के दिमाग में कई सवाल घूम रहे थे जिनमें सबसे बड़ा सवाल था’ अगर ये किताब आसान होती तो कैसा रहता? काश कोई ऐसा ट्राइब ऑफ़ मेंटर्स होता जो मेरी मदद कर सकता?
टिम ने अपने दिमाग में कुछ सवाल नोट कर लिए, उनके दिमाग में दस ऐसे ही सवाल थे. उन्होंने फैसला किया कि वो 100 ऐसे लोगों से मिलेंगे जो अपने-अपने फील्ड में माहिर थे, जैसे कि राईटर, एथलीट, celebrity, एंटप्रेन्योर वगैरह-वगैरह.
टिम ने अपनी इस किताब में वो सब लिखा है जो उन्होंने ट्राइब ऑफ़ मेंटर्स से सीखा ताकि उनके रीडर्स भी ट्राइब ऑफ़ मेंटर्स के सक्सेस सीक्रेट्स सीख सकें.
सूज़न कैन (SUSAN CAIN)
सूज़न एक बेस्ट सेलिंग ऑथर हैं जिनकी किताब है “Quiet: The Power of Introverts”. साथ ही वो ओर्गेनाईजेशन “Quiet Revolution” की फाउंडर भी हैं और उनके टेड टॉक को 17 मिलियन से भी ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं.
उनकी किताब 40 से भी ज्यादा भाषाओं में ट्रांसलेट हो चुकी है. ये किताब इतनी पोपुलर है कि पूरे दो साल न्यू यॉर्क बेस्ट सेलर लिस्ट में रही थी. सूज़न कैन “Quiet Schools Network and also the Quiet Leadership Institute” की को-फाउंडर है.
टिम फ़ेरिस के सवालों पर सूज़न कैन ने जो जवाब दिए थे वो इस तरह है:
1. कैसे आपकी किसी गलती या फेलियर के बाद आपको सफल होने में मदद मिली? क्या आपकी भी कोई ऐसी गलती है जिसे आप अब तक याद करती हैं?
सूज़न कहती है कि कई साल पहले जब वो एक corporate लॉयर थी तो उन्होंने वॉल स्ट्रीट के लॉ फर्म में छह साल काम किया था. वो उम्मीद कर रही थी कि एक दिन वो उस फर्म में पार्टनर बनेगी पर एक दिन उनके सीनियर पार्टनर ने उन्हें कहा कि वो अभी पार्टनर नहीं बन पाएँगी.
सूज़न ये सोचकर हैरान थी कि वो कभी पार्टनर बन भी पाएंगी या नहीं या फिर उनके प्रोमोशन में अभी वक्त था. सूज़न आज तक उस दिन को नहीं भूली पाई जब वो सीनियर पार्टनर के सामने बैठी रो रही थी. इस मीटिंग के बाद सूज़न ने उस दिन के लिए ऑफिस से छुट्टी ली और तेज़ी के साथ चलती हुई बिल्डिंग के बाहर निकली. फिर वो सेंट्रल पार्क के इर्द-गिर्द बाईक के चक्कर लगाने लगी.
उस वक्त सूज़न कुछ भी फैसला नहीं ले पा रही थी, वो बहुत परेशान थी, कभी उनका मन होता था कि वो कहीं घूमने चली जाए या या फिर सारा दिन लेटकर छत को घूरती रहे.
फिर अचानक उन्हें ख्याल आया कि वो हमेशा से ही एक राईटर बनना चाहती थी पर काम के बोझ के चलते उन्हें कभी वक्त ही नहीं मिला.
बस फिर क्या था, उस दिन जैसे ही सूज़न घर पहुंची उन्होंने लिखने की शुरुवात की. अगले दिन उन्होंने NYU में क्रिएटिव राईटिंग कोर्स के लिए अप्लाई कर दिया.
और आज वो एक बेस्ट सेलिंग ऑथर है.
अगर सूज़न फेल नहीं होती और लॉ फर्म में पार्टनर बन जाती तो उन्हें दिन के 16 घंटे जी-तोड़ मेहनत करनी पडती.
सूज़न ऊपरवाले का शुक्रिया अदा करती है कि वो लॉ फर्म में पार्टनर नहीं बनने से रह गई वर्ना उन्हें राइटर बनने का मौका कभी नहीं मिलता और उन्हें कभी पता नहीं चलता कि उन्हें असली ख़ुशी लिखने से ही मिलती है.
2. अब तक की आपकी बेस्ट इन्वेस्टमेंट क्या है?
सूज़न कहती है कि उन्हें Quiet लिखने में पूरे सात साल लगे. लेकिन उन्हें इस बात का अफ़सोस नहीं है कि उन्हें किताब लिखने में इतना वक्त लगा. वैसे उन्हें कोई जल्दी नहीं थी, सूज़न मानती है कि किताब के सक्सेसफुल होने के पीछे उसका देर से पब्लिश होना भी एक वजह थी, लेकिन जो भी हो सूज़न को ख़ुशी थी कि उन्होंने किताब लिखने का डिसीजन लिया.
उन्हें अपना पहला ड्राफ्ट लिखने में दो साल लगे. एडिटर ने सूज़न से कहा कि अभी इस पर और मेहनत करने की जरूरत है. सूज़न के शब्दों में बोले तो ये बहुत बुरा था , एडिटर ने सूज़न को एडवाइज दी कि उन्हें सबकुछ शुरुवात से लिखना होगा चाहे इसमें कितना ही वक्त क्यों ना लगे ताकि फाईनल ड्राफ्ट एकदम बढिया हो..
सूज़न एडिटर की बात से इत्तेफाक रखती थी. वो जानती थी कि उन्हें एक अच्छा राईटर बनने में वक्त लग सकता है क्योंकि उन्हें पब्लिशिंग का पहले कोई अनुभव नहीं है इसीलिए सूज़न को लगता है कि उनकी किताब के सफल होने में उनकी सात साल की मेहनत और एडिटर की सलाह का बड़ा हाथ है. उनकी किताब Quiet हाथो-हाथ बिकी. और इस किताब की वजह से एक कवाईट रेवोल्यूशन भी आया. इस मूवमेंट ने introverts को ये सोचने में मदद की कि उन्हें अपनी लाइफ में क्या करना है.
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बेन स्टिलर (BEN STILLER)
बेन एक फिल्म डायरेक्टर, राईटर और एक्टर है जो 50 से भी ज्यादा होलीवुड मूवीज़ में काम कर चुके है. “Secret Life of Walter Mitty, Night at the Museum और the Madagascar cartoon trilogy” वगैरह उनकी कुछ ऐसी ही फेमस मूवीज़ है. उनकी फिल्में यू.एस. और कैनेडा में $2.6 बिलियन से भी ज्यादा की कमाई करती है. बेन “Frat Pack” नाम से कॉमेडियन एक्टर्स के ग्रुप से भी जुड़े हुए है. अपनी एक्टिंग स्किल्स के लिए बेन को एमी अवार्ड और एमटीवी मूवी अवार्ड जैसे कई प्रेस्टीजियस अवार्ड भी मिल चुके हैं.
तो ये रहे टिम फेरिस के सवालों पर बेन स्टिलर के जवाब :
1. अगर आपको कभी बिलबोर्ड लगाना हो तो आप उस पर क्या मैसेज लिखेंगे और क्यों?
“BE HERE NOW”
बेन स्टीलर कहते है जिंदगी बहुत छोटी है इसलिए हर पल का मज़ा लो. हमे अपने आज पर फोकस करना है.
हमारी यादें बीते हुए कल से जुड़ी होती है और फ्यूचर किसी ने देखा नहीं है. बेन कहते है” जब वो अपनों के करीब होते है और उनकी जरूरतों की ध्यान रखते है तब उन्हें लगता है कि वो अपनी जिंदगी को खुलकर जी रहे है” बेन का मानना है कि जिन्हें हम प्यार करते है, वो लोग हमारी जिंदगी को जीने का एक मतलब देते है.
साथ ही बेन ये भी मानते है कि पहले वो फ्यूचर को लेकर चिंता किया करते थे. वो हमेशा ये सोचकर टेंशन लेते थे कि कल क्या होगा पर फिर उन्हें एहसास हुआ कि आने वाले कल की फ़िक्र में वो अपना आज खो रहे है. जो लोग हरदम फ़िक्रमंद रहते है और बेवजह सोचते है, वो कभी खुश नहीं रह पाते.
यही वजह है कि बेन अब बेवजह टेंशन नहीं लेते, अपनी बॉडी और माइंड को रिलेक्स करने के लिए वो अपने आज पर फोकस करते है.
2. पिछले पांच सालों में ऐसी कौन सी नई आदत या सोच है जिसने आपकी लाइफ को इम्प्रूव किया है ?
बेन के लिए सबसे इम्पोर्टेंट हैबिट है खुलकर साँस लेना. जब कभी उन्हें स्ट्रेस होता है, वो तुरंत सारा काम छोड़कर अपनी ब्रीदिंग पर फोकस करने लगते है, इससे बेन को बड़ा रिलेक्स फील होता है. ब्रीदिंग उनके माइंड को रिफ्रेश कर देता है और बेन दोबारा पूरे फोकस के साथ अपने काम पर जुट जाते है.
3. अपने प्रोफेशन में आपने कौन सी बुरी रेकमंडेशन के बारे में सुना है?
बेन कहते है कि फिल्म इंडस्ट्री में लोग हॉट और पोपुलर के पीछे भागते है पर अक्सर बाद में यही लोग फेल हो जाते है. इसलिए एक फिल्म मेकर या एक्टर के तौर पर आपको अपनी खुद की पहचान बनानी चाहिए. हर कूल और ट्रेंडिंग चीज़ के पीछे भागने का कोई फायदा नहीं है. अपनी अंदर का टेलेंट ढूँढने में टाइम तो लग सकता है पर ये नामुमकिन भी नहीं है.
स्क्रीनराईटर विलियम गोल्डमेन ने एक बार कहा था “Nobody knows anything” यानी कोई भी इंसान सब कुछ नहीं जान सकता और बेन स्टिलर भी यही मानते है. वो जब अपने करियर के पीक पर थे तब भी बड़े हम्बल इन्सान हुआ करते थे. अपने हर नए प्रोजेक्ट के लिए वो शुरू से शुरुवात करने में यकीन रखते है और नई-नई चीज़ें सीखने के लिए हमेशा तैयार रहते है.
जो लोग फिल्म मेकर या एक्टर बनने का ख्वाब देख रहे है, उनके लिए बेन की यही सलाह है कि आपको क्या करना है, किस तरह की मूवी स्क्रिप्ट लिखनी है या कैसा दिखना है, ये जानने के लिए कभी दूसरो की सलाह मत लो, वही करो जो आपका दिल कहता है.
पहले अपने दिल की आवाज़ सुनो और फिर एक्शन लो.