(Hindi) Tipping point : how little things can make a big difference

(Hindi) Tipping point : how little things can make a big difference

परिचय

क्या आपको कभी कोई वंडरफुल आईडिया आया जो आपको लगा कि काम कर सकता है, लेकिंन स्टार्ट करने के कुछ ही टाइम बाद आप ये सोच के डिसकरेज़ होने लगे कि अब आगे कैसे होगा? क्या आप जानना चाहेंगे कि फ्यूचर में अपने आईडियाज़ को मेटीरियलाइज कैसे किया जाये? तो ये जानने के लिए बने रहिये हमारे साथ क्योंकि हम आपको सो-कॉल्ड टिपिंग पॉइंट के सबसे इम्पोर्टेन्ट केरेक्टरस्टिक्स बताने वाले है.टिपिंग पॉइंट एक एक्सप्रेशन है जिसे इन्वेंट किया है मल्कोम ग्लेडवेल ने – ये एक थ्रेसहोल्ड को सिग्निफाई करता है कि किसी भी आईडिया को वाइरल होने के लिए पास होने की ज़रुरत है ताकि वो किसी आग की तरह फ़ैल जाए. मल्कोम इसी चीज़ को एक्सप्लेन कर रहे है कि कैसे कोई भी आईडिया चाहे कितना भी अच्छा क्यों ना हो, उसे पोपुलर और प्रोफिटेबल होने के लिए इस थ्रेसहोल्ड को पास करने की ज़रूरी पड़ेगी.

अब हम उस मोस्ट इम्पोर्टेन्ट बात की गहराई तक पहुँचने की कोशिश करेंगे जो आपको किसी भी आईडिया को प्रोमोट करने से पहले कंसीडर कर लेनी चाहिए. और स्पेसिफिकली बोले तो ग्लेडवेल एक्सप्लेन करते है कि किसी भी ट्रेंड को कैसे वाइड-स्केल पोपुलेरीटी का स्टेट्स दिया जा सकता है. जैसे एक्जाम्पल के लिए उन्होंने एनालाइज़ किया कि कैसे 2012, में इन्स्टाग्राम एक्सोपेनेंशियल ग्रोथ के पीरियड में एंटर हुआ और 2012 से पहले तक इन्स्टाग्राम माइल्डली पोपुलर था मगर इस साल के बाद ये इतना पोपुलर हुआ कि हर किसी ने अपना इन्स्टाग्राम प्रोफाइल बना लिया.

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तीन तरह के लोग है जो आपका आईडिया चला सकते है

ग्लेडवेल डिसक्राइब करते है उन तीन टाइप्स के लोगो के बारे में जोकि उनके हिसाब से सारी दुनिया में किसी भी तरह के ट्रेंड्स की पोपुलेरिटी के लिए रिस्पोंसिबल होते है , और ये तीन लोग होते है, सेल्समेन, कनेक्टर्स और मेवेन्स. हम कुछ रियल लाइफ एक्ज़माप्ल्स देके इन सबके बारे डिसक्राईब करेंगे. सेल्समेन वो होता है जो किसी भी प्रोडक्ट को बेस्ट वे में प्रेजेंट करने में माहिर होता है और उसको भी प्रोडक्ट बेच सकता है जिसे नहीं चाहिए. उनमे इतना एन्थूयाज्म और इतनी एनर्जी होती है जो किसी के भी इमेजिनेशन और इंटरेस्ट को इंस्पायर कर दे.जॉर्डन बेलफोर्ट जिसकी स्टोरी “वोल्फ ऑफ़ द वाल स्ट्रीट” में दिखाई गयी थी, वो भी कुछ इसी टाइप का आदमी है. आपको उसके इंटरव्यू का कुछ हिस्सा देखना पड़ेगा कि हम क्या बताना चाहते है. जब वो किसी चीज़ के बारे में बात करता है तो ऐसा लगता है जैसे उसके दिमाग में उस आईडिया के अलावा और कुछ भी नहीं है. अपनी स्टोरी या बिजनेस एंडीवर्स में वो इतना डूब जाता है कि आप बस हैरानी से उसकी बाते सुनते रहते है.

लेकिन दरअसल ये शुरुवात बहुत हम्बल थी. वो एक वेल स्टेडिंग फॅमिली में पैदा हुआ था मगर फिर भी उसे पैसे के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी.बचपन में ही उसने ठान लिया था कि वोअपनी फेमिली पर डिपेंड नहीं रहेगा इसलिए वो बीच में जाकर आइस बेचा करता था! उसने बताया कि उसने इस काम से बहुत पैसा कमाया. इसके बाद उसने कॉलेज की पढ़ाई छोडके मीट सेलिंग का अपना खुद का बिजेनस खोला जहाँ उसने अपने सेलिंग टेलेंट का कमाल दिखाया. वो अपना सारा काम खुद करता था, कॉन्ट्रैक्ट्स कम्प्लीट करना, इम्पोर्टेन्ट डील्स करना और डिलीवरीज़ करना और इसी दौरान वो वाल स्ट्रीट से जुड़ गया और फिर क्या था? उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.फिर जब वो एक छोटी ब्रोकर कंपनी में नौकरी पर लगा तो पहले ही दिन में उसने कंपनी का रिकोर्ड तोड़ दिया – उसने अपने एक कस्टमर को एक अननॉन बिजनेस फर्म के सारे के सारे शेयर बेच डाले थे.

मूवी में दिखाया गया है कि जॉर्डन अपने विट, ह्यूमर और एनर्जी से अपने कस्टमर्स को ऐसे कन्विंस करता था कि वे मना ही नहीं कर पाते थे. वो आपको इतना कन्विंस करेगा कि आपको उसका ऑफर रिजेक्ट करना इरेशनल लगेगा.वो इतना केरिश्मेटिक है कि उसकी ये स्किल बाकी लोगो तक पास हो जाती है. और इसी स्किल के साथ उसने एक मल्टी मिलियन डॉलर कंपनी खड़ी की. बेशक उससे भी कुछ मिस्टेक्स हुई मगर उसकी सेल्स मेन इंस्टिक्ट अभी बाकी थी. जैसे ही वो जेल से छूटा तो फिर से अपने बिजनेस में वापस आया. और आज वो अपने बिजनेस में खूब पैसा कमा रहा है.

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कनेक्टर्स

जो कई बार सेल्समेन जैसे ही लगते है मगर इनमे कुछ इम्पोर्टेन्ट डिफ़रेंस होता है. इन कनेक्टर्स के बहुत से कॉन्टेक्ट्स होते है जिनमे से कुछ काफी इम्पोर्टेन्ट होते है जो उन्हें

.उनके बिजनेस में फायदा पहुंचाते है. इन कनेक्टर्स के पास बिजनेस से रिलेटेड हर नॉलेज होती है. आपको किसी अच्छे एस्ट्रोलोजर का पता चाहिए? नो प्रॉब्लम, ये कनेक्टर्स हैआजकल कनेक्टर्स ऐसे लोग होते है जिनके सोशल मिडिया में कई सारे फोलोवर्स होते है और इसकी वजह से उनका इन्फ्लुयेंश भी ज्यादा होता होता है और इस वजह से जो कंटेंट वो शेयर करते है उसे बहुत से लोगो का फायदा होता है. अब जैसे आजकल के जो मोस्ट पोपुलर यू ट्यूबर प्यूडीपी है उनका एक्जाम्पल लेते है जिनके 70 मिलियन से भी ज्यादा सब्सक्राइबर बन चुके है और बनते ही जा रहे है. जो कंटेंट वो शेयर करते है उसे ना जाने कितने ही लोग देखते है जिसकी वजह से उनके चैनल में अपना एड्वरटाइज़ देने के लिए ना जाने कितनी ही कंपनीज़ का आपस में कोम्प्टीशन चलता रहता है.

अब ज़रा इमेजिन करो कि अगर वो अपने वीडियो क्लिप में एक मिनट के लिए भी आपका आईडिया शेयर करे तो क्या होगा? उन्हें तो आपके आम सेल्समेन की तरह एन्थूयास्टिक और एनर्जेटिक दिखने की भी ज़रुरत नहीं है. वो तो बस आपके आईडिया पर थोडा कुछ बोलेंगे और बाकी लोग खुद ही इंटरेस्ट लेने लगेंगे. और जो इंट्रेस्टेड होंगे वो और ज्यादा सर्च करेगे, हो सकता है वो आपकी साईट सर्च करके आपके उस आईडिया के बारे में और ज्यादा जानना चाहे. फिर वो अपने फ्रेंड्स को भी बताएँगे और इस तरह आपका आईडिया पोपुलर हो जाएगा.कनेक्टर्स आमतौर पर’ लास्ट पीस ऑफ़ द पज़ल” की तरह होते है. जब सब कुछ हो चूका होता है तब आपका आईडिया डेवलप और टेस्टेड होता है. सेल्समेन ने अपना काम किया और कुछ इनिशियल सेल्स भी कर ली है अब बारी आती है कनेक्टर्स की. ये काफी इम्पोर्टेन्ट भी होगा क्योंकि कनेक्टर्स जिन लोगो को इंफ्लुयेंश करेंगे वो एक्सट्रीमली क्रिटिकल होंगे और फिनिश्ड प्रोडक्ट को लेना चाहेंगे.

इसलिए ध्यान रखे कि आपको इसके प्रोस और कोंस अच्छे से पता हो. तो अब बिजनेस स्टार्ट करके अपने लिए गुड कनेक्टर्स सर्च करना शुरू करे जो आपके आईडिया को स्प्रेड करने में आपकी काफी हेल्प करेंगे.ग्लेडवेल के हिसाब से पॉल रेवर, अमेरिकन हिस्ट्री के अब तक के सबसे इम्पोर्टेन्ट कनेक्टर्स है. रेवर की स्टोरी से वो हमे ये समझाना चाहते है कि लाखो लोगो तक अपनी इन्फोर्मेंशन पहुंचाने और स्टेट वाइड डिसीजन और अफेयर्स को इन्फ्लुयेंश करने के लिए एक ही इंसान काफी है जिसके पास गुड कनेक्शन हो. पॉल रेवर जोकि एक अमेरिकन पेट्रीयोट थे, वो पहले एक सिल्वरस्मिथ का काम किया करते थे और बाद में वो एक इंडस्ट्रीलियिस्ट और बिजनेसमेन बन गए थे.उनकी स्टोरी से ग्लेडवेल हमें ये पॉइंट आउट करना चाहते है कि कैसे एक सिंगल आदमी अपने सफीशियेंट कनेक्शन से वाइड स्केल और क्रूशियल लेवल पर इन्फ्लुयेंश क्रियेट कर सकता है. कभी-कभी, जैसा कि पॉल रेवर के केस में, ये कनेक्टर्स एक पूरे नेशन की डेस्टिनी तक इन्फ्लुयेंश कर सकते है. ना जाने अमेरिकन रेवोल्यूशन का क्या होता अगर पॉल रेवर और बाकि कनेक्टर्स नहीं होते तो ?

अब हम पॉल रेवर की स्टोरी का सिंपल मीनिंग समझने की कोशिश करेंगे, आपको एक और थोडा इंट्रेस्टिंग सा एक्जाम्पल देकर. और ये वाला थोडा मॉडर्न भी है. आज इंटरनेट के टाइम में कोई भी इन्फोर्मेशन क्विक्ली ट्रांसफर हो जाती है. जैसे आप अपने किसी फेवरेट सेलेब्रिटी को ले ले अगर वो कुछ भी करता है या करती है तो आप दुनिया के चाहे जिस कोने में भी रहते हो, उसकी खबर आपको तुरंत मिल जायेगी.अब एक और एक्जाम्पल लेते है. जब कोई खबर बड़ी इंट्रेस्टिंग और जूसी होती है तो इसे फैलने में एक सेकंड भी नहीं लगता है. जैसे जंगल में आग फैलती है ऐसे ही इस टाइप की खबरे फ़ैल जाती है. इस टाइप की स्टोरीज के लिए बस इसमें कुछ इंट्रेस्टिंग होना चाहिए और एक इंसान ऐसा ज़रूर होता है जो ये एपिडेमिक इनीशियेट करता है. ऑफ़ कोर्स यही इंसान तो कनेक्टर होता है. हम सब किसी ना किसी एक ऐसे इंसान को ज़रूर जानते पता होता है कि कौन कहाँ किसके साथ घूम रहा है.और इस इंसान के इतने सारे सोशल कनेक्शन होते है कि इसके लिए रयूमर फैलाना होई रेयर बात नहीं है.

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