(Hindi) Thinking, Fast and Slow

(Hindi) Thinking, Fast and Slow

परिचय

इस समरी में आपको काहनेमें की बेस्ट सेलर बुक” थिंकिग फ़ास्ट एंड स्लो” में से लिए गए कुछ बेहद इम्पोर्टेन्ट आईडियाज मिलेंगे. क्या आप जानना चाहते है कि इन्हे इकोनोमी में क्यू नोबल प्राईज मिला जबकि ये साईकोलोजिस्ट है? अगर हाँ तो आगे पढ़ते रहिये. इससे पहले कि हम स्टार्ट करे, एक बात हम यहाँ क्लियर कर देते है. “ह्यूरिसटिक्स” वर्ड बहुत इम्पोर्टेन्ट है और अपनी ये समरी शुरू करने से पहले इसका मतलब पता होना हमारे लिए ज़रूरी है. हालांकि बोलने में ये थोडा सा मुश्किल लगता है पर इसका मतलब बहुत सिम्पल है – ह्यूरिसटिक्स वो रूल्स और मेंटल शोर्ट कट्स होते है

जो लोग किसी इन्फोर्मेशन को ज्यादा एफिशियेंटली से प्रोसेस करने के लिए यूज़ करते है.  जैसे कि कोई सेट ऑफ़ प्र्ज़ुयुमप्श्न जिससे सही ढंग से प्रेडिक्शन की जा सके. इस बुक को पढ़कर जो सबसे इम्पोर्टेन्ट आईडिया आप ड्रा कर पाएंगे वो फेक्ट है कि ह्यूमन ब्रेन दो मोडस में काम करता है । पहला वाला है फ़ास्ट, इंट्यूटिव मगर कभी-कभी इरेशनल मोड यानी बिना जब हमारा ब्रेन बिना सोचे काम करता है। बस रिएक्ट कर देता है। दूसरी तरफ जो दूसरा वाला मोड है वो रेशनल, स्लो, केल्कुलेटिव और प्रूडेंट है. इस बुक का पॉइंट यही है कि हम दोनों मोड्स में से एक मोड की तारीफ करें और दूसरे को प्रेज़ करे. बल्कि गोल ये है कि दोनों मोड्स के गुड और बैड साइड्स को समझा जाये.

चलो पहले रेशनल साइड से शुरू करते है. अब हम में से कई लोग ये कह सकते है कि रेशनल साईड यानी हमारा सोच विचार के एकशन लेने वाला ब्रेन का फक्शन हमेशा इंट्यूटिव साइड यानी रिएकटिव माईन्ड से सुपीरियर है. हालांकि हर बार ऐसा नहीं होता. इसके एक्जेक्ट और डिफरेंसेस इस टेक्स्ट के बाद वाले पार्ट में डिटेल्स से बताये गए है. पर अभी के लिए हम ऐसा बोल सकते है कि इंट्यूटिव साइड यानी फास्ट माईड रोज़ की लाइफ में हमारी एनर्जी सेव करती है जैसे कुछ ऐसी रूटीन सिचुएशन जहाँ हमें स्लो और केल्कुलेटिव मोड ऑफ़ फंक्शनिंग की ज़रूरत नहीं पड़ती.

बेशक लाइफ में ऐसे भी मौके होते है जब हमें किसी प्रॉब्लम के बारे में तसल्ली से बैठकर सोचना पड़ता है. ऐसी सिचुएशन में हम अपना रेशनल एस्पेक्ट यानी स्लो माईन्ड जो सोच विचार कर एक्शन लेता है उसे इस्तेमाल करते है. फाइनली ये रेशनल, यानी स्लो माईड और इंड्यूटिव यानी फास्ट माईंड ये सब आपस में दुश्मन नहीं है. अक्सर ये सब मिलकर काम करते है. अब जैसे कि फ़ास्ट, इंट्यूटिव सिस्टम की मदद से “रॉ” डेटा कलेक्ट और ओर्गेनाइज़ किया जा सकता है मगर उसके बाद हमारे ब्रेन का ज्यादा केयर फुल और स्लो साइड अपना काम करना शुरू कर देता है.

हम इस समरी में ह्यूरिसटिक्स और बाइसेस के ऊपर ज्यादा फोकस करेंगे. जैसा कि हमने बताया ह्यूरिसटिक्स कुछ रूल्स का ग्रुप होता है यानी एक तरह से हमारे माईंड में हेबिट जिसकी वजह से हम बहुत सी सिचवेशन में बिना कुछ सोचे हुए जल्दी से एकशन ले सकते है एकशन लेते है जैसे की ब्रुश करना , शूज पहनना और इसकी वजह से हमारी एनर्जी कम खर्च होती है। अब ऐसा ज़रूरी नहीं कि हर बार इस से हमें फायदा ही हो , कई बार हम इन ह्यूरिसटिक्स पर डिपेंड होकर सिल्ली मिस्टेक्स भी कर लेते है.

ये बुक आपको ऐसी सिचुएशन को समझने में हेल्प करेगी जब हमारे यूजअल प्रीजमशन काम नही करतें यानी फास्ट माईड गलती कर देता है और जब हमें और भी स्लो और गहरी प्रोसेसिंग की ज़रुरत होती है. फ़ास्ट और स्लो थिंकिंग इसमें पहले कान्सेपट आता है एंकरिंग –  ये एक टाइप का ह्यूरिस्टिक है जो हम तब एम्प्लोय करते है जब हमारे पास एक refernce पॉइंट होता है. जैसे कि एक्जाम्पल के लिए अगर कोई हमसे पूछे कि ” नेल्सन मंडेला ने जेल में 30 साल से कम गुज़ारे थे ता ज्यादा” तो हो सकता है कि आप कहे “मुझे नहीं पता”. और यूँ ही कोई ज़वाब दे दे.

लेकिन इंट्रेस्टिंग बात तो ये है कि अगर कोई उसके तुरंत बाद आपसे पूछे कि नेल्सन मंडेला ने कितने साल जेल में बिताये थे तो आप ज़रूर 30 के आस-पास का टाइम लिखेंगे. क्योंकि जो पहला सवाल आपसे पुछा गया था उसके बेस पर आप इस ज़वाब पर पहुंचे. अब होता ये है कि जब एंकर्स रेंडमली सेट नहीं होते तो हर चीज़ सही काम करती है. नेल्सन मंडेला वाले एक्जाम्पल में एंकर रेंडमली सेट नहीं था क्योंकि मंडेला ने 30 साल जेल में काटे थे. इस तरीके से एंकरिगं आपको बेस्ट एस्टीमेशन का अंदाज़ा लगाने में हेल्प करता है. अब एक दूसरी सिचुएशन देखते है जहाँ ये एंकरिंग ह्यूरिस्टिक आपके खिलाफ यूज़ की गयी हो.

कुछ लोग pawn (पान) शॉप्स यानी ऐसी दुकाने जहाँ पर पुराना सामान बिकता है में जाकर अपना कुछ पर्सनल सामान काफी कोस्टली बताकर बेचने की कोशिश करते है. जैसे कि स्टीव ये हमेशा करता था और कई बार तो काफी सारा पैसा घर लेकर आता था. हालांकि इस बार वो एक ऐसी शॉप में गया जिसका ओनर बड़ा ही लालची टाइप का था, चालबाजी में एकदम जीनियस. स्टीव बेचने के लिए मामूली सामान लेकर गया था, जैसा सामान अक्सर हम अपने घर की छत पर रखते हैं। एक छोटा सा सोल्ज़र का स्टेच्यू. देखने में ये अच्छा था और स्टीव को लगा कि शायद उसे इसके बदले कुछ डॉलर मिल जायेंगे.

तो वो ये स्टेच्यू लेकर पान शॉप पे गया और उसका प्राइस लगाने लगा. और अचानक दूकान वाले ने उससे पूछ लिया” तुम्हे क्या लगता है कि इस स्टेच्यू के तुम्हे 25 डॉलर से ज्यादा मिलेंगे या कम ? इस सवाल ने स्टीव को चकरा दिया, उसने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा कि इसकी कीमत तो 25 डॉलर से कहीं ज्यादा है. दुकानदार ने उसके ज़वाब पर ध्यान नहीं दिया और फिर पुछा तुम्हे इस छोटे से टॉय के कितने पैसे चाहिए?

स्टीव फिर अटक गया लेकिन उसने धीरे से 30 डॉलर जैसा कुछ कहा. और दूकान वाले ने बिना किसी बारगेनिंग के उसे पैसे दे दिए. उसकी इस हरकत पे स्टीव को थोडा शक हुआ लेकिन फिर उसने पैसे ले लिए और शॉप से बाहर निकल गया. अगले दिन उसने उस दुकान में वही टॉय देखा जिसपे 200$ प्राइस लिखा हुआ था. ये बात साफ़ हो गयी थी कि उस दूकान वाले ने उसे उल्लू बनाया था कि उस टॉय का प्राइस 25 डॉलर है. और इस तरह उस धोखेबाज़ एंकर ने लास्ट में स्टीव को बुद्धू बना ही लिया.

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नेक्सट कान्सेप्ट आता है अवेलेबिलिटी –

ये कान्सेप्ट कहता है कि“ अगर आप इसके बारे में सोच सकते है तो ये इम्पोर्टेन्ट होना ही चाहिए” किसी भी दुसरे ह्यूरिसटिक की तरह जिस पर फ़ास्ट सिस्टम टिका है, ज़्यादातर ह्यूरिसटिक ऑफ़ अवलेबिलिटी बड़ा यूजफुल होता है. जैसे एक्जाम्प्ल के लिए जब कोई आपसे पूछे” योरोप की सबसे बड़ी सिटी कौनसी है ? आप शायद जल्दी से ज़वाब देंगे” लन्दन” इसलिए नहीं कि आपको श्योर है कि यही सबसे बड़ा शहर है बल्कि इसलिए क्योंकि ये नाम सबसे पहले आपका दिमाग में आया. और आपका ज़वाब सही जबाब के काफी नजदीक था क्योंकि लन्दन योरोप में मोस्को के बाद दूसरी बड़ी सिटी है.

इस सिचुएशन में अवलेबिलीटी ह्यूरिस्टिक आपके फेवर में काम करती है. वही दूसरी तरफ ऐसे कई एक्जाम्प्ल मिलेंगे जहाँ इस ह्यूरिस्टिक ने लोगो को चक्कर में डाल दिया जिसकी वजह से उनके कनक्ल्यूजन अननेसेसरी और इररेशनल निकले. दुनिया में सबसे ज्यादा शोकिंग और मिडिया कवर्ड इवेंट्स बड़े-बड़े प्लेन क्रेस ही है. इस तरह की बड़ी दर्दनाक घटनाओं के बाद कई दिनो तक न्यूज में इसकी रिपोर्ट्स आती रहती है. और जब आप लोगो से कार क्रेश या प्लेन क्रेश की पोसिबिलिटी पूछेंगे खासकर उनसे जो दिन-रात न्यूज़ और रिपोर्ट्स देखते है तो लोग प्लेन क्रेश के कम्पेयर में कार क्रेश को बहुत कम बतायेंगे।

क्योंकि उनके माइंड में दिन-रात न्यूज़ में देखी हुई प्लेन क्रेश की ईमेजेस होती है इसलिए उन्हें लगता है कि प्लेन ज्यादा क्रेश होते है बल्कि इसके रियल में कार क्रेशेस की घटनाएं कॉमन है और ज्यादा डेडली भी होती है. एक और एक्जाम्पल लेते है. हम सबको पता है कि शार्क् बहुत डेंजरस होती है. अगर हम स्टीवन स्पेलबर्ग की मूवी “शार्क” को देखकर शार्क्स के बारे में नेगेटिव इम्पेक्ट को नेगलेक्ट कर भी दे तो भी लोगो की ह्यूरिस्टिक ऑफ़ अवलेबिलीटी का एक्जाम्पल इस बात से दे सकते है कि ज़्यादातर लोगो को शार्क बाकि एनीमल से ज्यादा डेडली लगती है.

हम में बहुत से लोगो की शार्क के अटैक को लेकर गलत थिंकिंग भी हो सकती है क्योंकि हमने इसे बड़े ड्रामेटिक, ग्राफिक्स, खतरनाक रूप में देखा है, जिसे कई न्यूज़ एन्जेंसिज़ बड़े फोर्सड तरीके से पेश करती है क्योंकि ऐसी न्यूज़ ज्यादा लोग देखते है. जिसकी वजह से शार्क अटैक की एक खतरनाक पिक्चर हमारे माइंड में बन जाती है. और यही वजह है कि हम शार्क अटैक को ओवरएस्टीमेट करते है. हमें लगता है कि शार्क अटैक से ज्यादा लोगो की मौत होती है. लेकिन रियल में प्लेन से गिरकर मरने के चांसेस ज्यादा है.

नेक्सट टाँपिक आता है संक कोस्ट फालेसी – इसका सिम्पल मतलब है एक ऐसी सिचुएशन जहाँ लोग किसी बेकार के एसेट में बार-बार इन्वेस्ट करते रहते है ये जानने के बावजूद कि उनकी पहली इन्वेस्टमेंट इररेशनल थी और हर बार फिर से एक और इन्वेस्टमेंट करना उनकी बेवकूफी है. हालांकि बड़े समझदार लोग भी कई बार ऐसा करते है और उन्हें लगता है ऐसे वो खुद को रिग्रेट की फीलिंग से बाहर निकाल रहे है या फिर ये उसे गलती मानने से ही इंकार कर देते है.बेशक ऐसा करने से उनकी इगो बनी रहती है और खुद पे एक झूठा यकीन भी. एक ऐसी चीज़ है जिसे “ The Concorde Fallacy” “कोंकोर्ड फालेसी” कहते है. ऐसे रियल लाइफ सिचुएशन जो रेवोल्यूशनरी मॉडल ऑफ़ एयरप्लेन के दौरान हुए थे.

कोंकोर्ड जो यूके और फ्रेंच गवर्नमेंट का जॉइंट प्रोजेक्ट था. दोनों गवर्नमेंट ने इस प्रोजेक्ट में अपनी इन्वेस्टिगेटिंग ज़ारी रखी, ये जानते हुए कि इसकी इकोनोमिक ससटेनेबिलिटी बिलकुल नल है और कोई भी इन कोंकोर्ड एयरप्लेन को अनसेफ होने की वजह से यूज़ नहीं करना चाहेगा. हालांकि इस प्रोजेक्ट की इनिशियल इन्वेस्टमेंट में ही एक काफी बड़ी रकम खर्च हुई थी फिर भी हाई ऑफिशियल के लिए अपनी गलती को एक्सेप्ट करना इम्पोसिबल था और ना ही वे इस प्रोजेक्ट को बन्द करने को तैयार थे. इसलिये इस प्रोजेक्ट में ओर इन्वेस्टमेन्ट करके अपने पैसे डुबाते गये।

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