(hindi) The Way of Peace

(hindi) The Way of Peace

इंट्रोडक्शन

क्या आपने हाल ही में ख़ुद को आईने में देखा है? क्या आप ख़ुद को पहचानते हैं? क्या आप उस शख्स पर गर्व महसूस करते हैं जो आप समय के साथ अभी बन गए हैं?

आजकल तो कोई रुकना ही नहीं चाहता, अगर थकान भी हो जाए तब भी नहीं.  हर कोई इतना बिज़ी है कि बस पूछो मत. सब किसी ना किसी रेस में लगे हुए हैं, “मुझे ये अचीव करना है, मुझे उस मुकाम तक पहुंचना है, उफ़ अभी तो कितने काम करने बाकी हैं तो बैठने का या ख़ुद के लिए वक़्त कहाँ है भई?”

लेकिन ज़रा सोचकर बताइए, ख़ुद के लिए ज़रा सा वक़्त निकालना क्या गलत है? ज़रा याद कीजिए कि अपने बारे में सोचे हुए आपको कितना वक़्त हो गया है?

इस बुक में आप सीखेंगे कि अपनी जिंदगी में pause का बटन कब दबाना है, कैसे दबाना है. जिंदगी में थोड़ा ठहराव हम सब के लिए बहुत ज़रूरी है, आखिर हम जीते जागते इंसान हैं रोबोट तो नहीं. इससे आपको एहसास होगा कि अपने अंदर ये सुकून और शांति महसूस करना कितना ज़रूरी है. जब अंदर ही हलचल मची हो तो क्या आप बाहर कुछ अचीव कर पाएँगे? मुझे तो नहीं लगता. तो आइए इस सफ़र में साथ चलते हैं जहां हमें हमारा अंदर का ठहराव बाहर की हलचल का सामना करना सिखाएगा.

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The Power of Meditation

हम सब ने मैडिटेशन के बारे में सुना है. कोई इसे ध्यान लगाना कहता है, कोई इसे मन को शांत करने का ज़रिया कहता है, तो कोई कहता है कि मैडिटेशन का मतलब है अकेले में बिना हिले डुले आँखें बंद करके घंटों तक बैठे रहना. सदियों से ऋषि मुनि ध्यान लगाते आ रहे हैं और आज इस मॉडर्न युग में रिसर्च करने वाले इस बात को मानने के लिए मजबूर हो गए हैं कि मैडिटेशन में एक अजीब सी पॉवर है, ना जाने वो क्या जादू है जो हमें इतना रिलैक्स कर देती है, इतना सुकून महसूस कराती है. ये जैसे धरती और स्वर्ग के बीच एक पुल (ब्रिज) बनाने का काम करती है.

हम में से ज़्यादातर लोग मैडिटेशन का असली मतलब जानते ही नहीं. मैडिटेशन का मतलब घंटों तक बिना हिले डुले एक जगह बैठना नहीं होता बल्कि ये तो वो ज़रिया है जो हमें दिव्य शांति महसूस करवाता है. क्या आपने नोटिस किया है कि आज हमारे पास सब कुछ होते हुए भी हर इंसान एक अजीब सा खालीपन और उदासी महसूस कर रहा है? कारण कोई नहीं जानता पर इसका हल सभी जानना चाहते हैं. तो मैडिटेशन वो ज़रिया है जो हमें उस परम आनंद और ख़ुशी को एक्सपीरियंस करवाता है जिसके लिए शायद हम तरस रहे हैं.

तो असल में मैडिटेशन की कला है क्या? मैडिटेशन का मतलब होता है गहराई से किसी विचार, आईडिया या प्रिंसिप्ल के बारे में सोचना. मैडिटेशन का मतलब है पूरे दिलो दिमाग और आत्मा से किसी चीज़ को समझने की कोशिश करना. मैडिटेशन आपको उस विचार में बदलने में मदद करता है जिसके बारे में आप सोच रहे हैं. जैसे मान लीजिए कि आप पहले से ज़्यादा निस्वार्थ यानी selfless बनना चाहते हैं तो मैडिटेशन आपके मन को उस स्टेट में ले जाएगा जहां आप पहले से ज़्यादा निस्वार्थ भावना रखने लगेंगे.

अब शायद आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि  “मुझे किस बारे में meditate करना चाहिए?” तो इस बुक के ऑथर जेम्स ऐलेन कहते हैं कि आप जिस चीज़ के बारे में लगातार सोचते रहते हैं उस चीज़ पर meditate करें. वो क्या है जो आपकी आत्मा को सबसे ज़्यादा अपनी ओर खींचती है? उस चीज़ को चुनें जो आपके लिए सबसे अच्छी हो. किसी ऐसे आईडिया या विचार के ऊपर meditate ना करें जो आपको बुराई की ओर ले जाए क्योंकि देखा जाए तो मैडिटेशन का मतलब होता है ख़ुद को spiritually आगे बढ़ाना, अपने बारे में, जिंदगी के बारे में और जानना और नॉलेज हासिल करना.

मैडिटेशन को हमेशा से एक पवित्र साधना की तरह माना गया है इसलिए आपको इसे बेमन से या आधे अधूरे मन से नहीं करना चाहिए क्योंकि बेमन से किया गया कोई भी काम कभी सफल नहीं होता और आपको उसका कोई रिजल्ट नहीं मिलेगा. अगर आप सच में इस अनोखे एक्सपीरियंस को महसूस करना चाहते हैं तो इसे पूरे दिल से करें नहीं तो आप इसके जादू से अछूते रह जाएँगे.

सक्सेसफुल लोगों के मुक़ाम का राज़ ये है कि जब वो सच में कुछ पाना चाहते हैं तो उसके लिए पूरी शिद्दत के साथ मेहनत और कोशिश करते हैं और अंत में उन्हें अपनी मंज़िल मिल ही जाती है. बस मैडिटेशन भी इसी आधार पर टिका हुआ है. इसे करना इतना आसान नहीं है. इसमें आपको इंस्टेंट रिजल्ट नहीं मिलेगा इसलिए बिना शिकायत किए इसे डटकर करते रहें. अगर आप सच की तलाश में हैं तो चाहे कुछ भी हो जाए इस सफ़र में आगे बढ़ते रहेंगे लेकिन अगर आप झिझक रहे हैं तो इसका मतलब है कि आप इसे अपने निजी मतलब के लिए कर रहे हैं.

मैडिटेशन करने का सबसे अच्छा समय सुबह का वक़्त बताया गया है. सुबह-सुबह हमारा माइंड फ्रेश होता है, हम में भरपूर एनर्जी होती है इसलिए सुबह meditate करने का रूटीन सेट करें. क्या आप जानते हैं कि Jesus Christ और गौतम बुद्ध बड़ी जल्दी उठ जाया करते थे. Jesus सुबह पहाड़ों पर जाकर प्रार्थना करते थे और बुद्ध ध्यान में लीन हो जाते थे, तब एक-एक कर उनके शिष्य उनके पास आकर बैठ जाते और मैडिटेशन करना शुरू कर देते थे.

अगर आप सुबह मैडिटेशन करने में uncomfortable फील करते हैं तो रात को भी meditate कर सकते हैं. अगर आप दिनभर के काम से बहुत थके हुए हैं और रात में भी समय नहीं निकाल पा रहे हैं तो चिंता ना करें आप दिन में कोई भी वक़्त अपने हिसाब से चुन सकते हैं. आपको बस कोशिश करके इसे अपने रूटीन का हिस्सा बनाना होगा ताकि ये वक़्त के साथ आदत में बदल जाए. धीरे-धीरे आप नोटिस करेंगे कि आपको इसके लिए अब ख़ुद को मनाना नहीं पड़ता बल्कि ये नैचुरली आपकी लाइफ का एक अहम हिस्सा बन जाता है.

Spirituality और सेल्फ़ डिसिप्लिन को एक दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता. जैसे-जैसे आप मैडिटेशन की शुरुआत करेंगे इस बारे में सोचें कि असल में आप हैं कौन. अपने एक्शन, विचारों, मान्यताओं (beliefs) के ऊपर गौर करना शुरू करें. लेकिन ऐसा ख़ुद को जज किए बिना करना है.

अब ख़ुद से सवाल करें, क्या आप ख़ुद को पसंद करते हैं? क्या आपमें कोई ऐसी बात या ऐसे वैल्यूज हैं जिन्हें आप बदलना चाहेंगे? या शायद ऐसा हो सकता है कि आपको बड़ी जल्दी गुस्सा आता हो. तो आपको शांत, विनम्र और पेशेंट बनने पर meditate करना चाहिए. अपने मन को प्रेम और दया जैसी भावनाओं से भरें. जल्द ही आप पाएँगे कि आप पहले से ज़्यादा शांत और विनम्र हो गए हैं. meditate करने से आप अपने दिल को प्यार से भरा हुआ महसूस करेंगे. ये वो सच है जिसका असर आप पर धीरे-धीरे दिखने लगेगा.

ये सच्चाई आपको spiritual रूप में मज़बूत करेगी. जिन ग़लतफ़हमियों को आप अपने मन में भरे बैठे हैं वो दूर होने लगेंगे. मैडिटेशन के ज़रिए आप अपने स्वार्थ और इच्छाओं को पूरा करने की बुरी सोच से छुटकारा पाने लगेंगे. मैडिटेशन हमें ख़ुद से ऊपर उठकर दूसरों के बारे में सोचना सिखाता है. ये आपको पहले से ज़्यादा बेहतर इंसान बनाता है.

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2. The Two Masters: Self and Truth

हम शायद ये कभी समझ भी नहीं पाते कि हमारे अंदर एक जंग चल रही है. एक तरफ है हमारा मास्टर सेल्फ़ यानी “मैं” की भावना और हमारा ईगो जो अहंकार, स्वार्थ और दूसरी बुराइयों को अपने हथियार के रूप में इस्तेमाल करता है. ये हिस्सा अंधकार है. दूसरी ओर है, मास्टर truth यानी परम सच जो विनम्रता, पवित्रता और अच्छाई का इस्तेमाल करता है. ये हिस्सा रौशनी का प्रतीक है.

आपके द्वारा लिए गए हर फ़ैसले में मास्टर सेल्फ और मास्टर truth के बीच एक जंग छिड़ी होती है. आप एक ही समय में इन दोनों की बातें नहीं सुन सकते क्योंकि ये दोनों बहुत अलग-अलग चीज़ें चाहते हैं. मास्टर truth बहुत सादा और ईमानदार है. मास्टर सेल्फ बहुत घमंडी और लालची है. जब आप एक की बात सुनते हैं तो दूसरे की बात को नकार देते हैं.

अगर आप मास्टर truth की बात सुनना चाहते हैं तो आपको बलिदान (sacrifice) करने के लिए तैयार रहना होगा. आपको “मैं” की भावना को छोड़ना होगा सिर्फ़ तब आप सच को देख पाएँगे. लेकिन इस “मैं” को कैसे छोड़ा जा सकता है? Jesus ने अपने शिष्यों को हर दिन उन चीज़ों को छोड़ने या उन इच्छाओं को नज़रअंदाज़ करने के लिए कहा जो सिर्फ़ उन तक ही सीमित थी यानी जो उनकी ख़ुशी, स्वार्थ और मतलब के लिए थी. इसके लिए हमें अपनी बुराइयों, इच्छाओं को छोड़ने के लिए तैयार रहना होगा क्योंकि यही चीज़ें हमें सच्चाई से दूर रखती हैं.

मास्टर सेल्फ़ हमेशा मास्टर truth को हराने या नकारने की कोशिश करता है. ये मैं की भावना आपको हमेशा दुःख और तकलीफ़ ही देगी. ये आपको भ्रम में अटकाकर सच को देखने नहीं देगी. ये आपको हमेशा ये यकीन दिलाने में लगी रहेगी कि आप जिस नज़रिए से ख़ुद को और दुनिया को देखते हैं वही सच है.

दूसरी ओर, मास्टर truth हमेशा आपको विनम्र बनाए रखेगा. ये आपको इस बात को एक्सेप्ट करने में मदद करेगा कि आपकी सोच या मान्यताएँ भी गलत हो सकती हैं और इसलिए आपको बदलने की ज़रुरत है. जैसे एक साँप अपनी केंचुली उतार देता है वैसे ही आपको भी “मैं” और अहंकार की परत को अपने मन से उतारना होगा. घमंड, नफ़रत और अहंकार आपको जिंदगी में आगे लेकर नहीं जा सकते और अगर ले भी गए तो आप ख़ुद को वहाँ अकेला पाएँगे. मैडिटेशन आपमें दया, हमदर्दी जैसे गुण को जगाएगी जिससे आपको सुकून और शांति महसूस होगी और ये बदलाव आप ख़ुद नोटिस करने लगेंगे. इसके साथ-साथ दुनिया को और ख़ुद को देखने का आपका नज़रिया भी बदल जाएगा.

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3. The Acquirement of Spiritual Power

क्या आपको नहीं लगता कि हम सभी किसी ना किसी चीज़ की तलाश में हैं. कुछ लोग ख़ुशी की तलाश कर रहे हैं, कुछ एडवेंचर खोज रहे हैं, तो कुछ उन चीज़ों को ढूँढ रहे हैं जो उनके चेहरे पर मुस्कान ला सके. ऐसे बहुत कम लोग हैं जो ख़ुद पर कंट्रोल करने का रास्ता खोज रहे हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि इसे करना बहुत मुश्किल है. इसके लिए एक स्ट्रोंग character की ज़रुरत होती है.

जब आप अपनी इच्छाओं के आगे झुक जाते हैं उसी वक़्त आप powerless हो जाते हैं. आज हम अपने मन और इच्छाओं के गुलाम हो गए हैं लेकिन होना तो इसका उल्टा चाहिए. आपके माइंड को आपको नहीं बल्कि आपको अपने माइंड को कंट्रोल में रखना चाहिए. आपको अपनी लाइफ में बैलेंस और स्टेबिलिटी बनाना सीखना होगा नहीं तो ये अंतहीन इच्छाएँ आपको गुमराह भी कर सकती है.

इंसान की इच्छाओं का कोई अंत नहीं है और हर इच्छा को पूरा कर पाना भी मुमकिन नहीं है इसलिए अपनी इच्छाओं के सामने हार मानने के बजाय अपने मन को समझाना सीखें. इस प्रिंसिप्ल को समझें और उस पर टिके रहें कि इच्छाओं के ज़रिए पॉवर और सच को हासिल नहीं किया जा सकता. हर इंसान को जिंदगी में ख़ुद के लिए कुछ प्रिंसिप्ल बनाने चाहिए क्योंकि ये आपके character को मज़बूत करता है. ये प्रिंसिप्ल आपको याद दिलाते हैं कि सच जानना आपको एक इंसान के रूप में बदल देगा. उसके बाद आप पहले की तरह किसी का साथ छूट जाने पर या किसी काम में फेल हो जाने पर निराश या हताश नहीं होंगे. सच आपको कभी हार ना मानने की सीख भी देगा.

इस सच को जानना थोड़ा मुश्किल है. कुछ लोग दावा करते हैं कि वो इसकी तलाश में हैं लेकिन अक्सर अंत में फेल हो जाते हैं. इस मैं और अहंकार से छुटकारा पाना इतना आसान नहीं है क्योंकि जब ऐसे लोगों को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है तो उन्हें गुस्सा आने लगता है. वो इसका सामना नफ़रत और हिंसा के साथ करते हैं. इसलिए ऐसे लोगों में असल में कोई पॉवर नहीं होती.

पावरफुल आदमी तो वो है जो अपनी बातों पर खरा उतरता है. जब वो कहता है कि वो इस मैं और अहंकार को छोड़ देगा तो वो बिना झिझके आगे बढ़ जाता है. पावरफुल इंसान की एक और ख़ासियत ये है कि वो अकेले चलने का ज़ज्बा और हिम्मत रखता है. अगर आप सच में सच्चाई की तलाश करना चाहते हैं तो ख़ुद में अकेले चलने की हिम्मत पैदा करें.

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