(Hindi) The War of Art: Break Through the Blocks and Win Your Inner Creative Battles

(Hindi) The War of Art: Break Through the Blocks and Win Your Inner Creative Battles

इंट्रोडक्शन (Introduction)

ज़्यादातर इंसानों की दो तरह की ज़िन्दगी होती है : एक वो जो हम जी रहे हैं और दूसरा वो जो हमारे अन्दर है, जो अभी जीना बाकी है. इन दोनों के बीच में खडी है रेजिस्टेंस (resistance). अगर आपने कभी ट्रेडमिल खरीदा लेकिन उसे कभी यूज़ नहीं किया, अगर आपने कभी कोई योगा कोर्स शुरू किया या किसी जिम की मेम्बरशिप की फ़ीस दे दी लेकिन कभी आप जिम गए ही नहीं, और अगर आप कभी कुछ करना चाहते थे लेकिन उसे अभी तक कर ही नहीं पाए हैं तो आपको अच्छे से समझ में आ गया होगा कि रेजिस्टेंस क्या होता है.

सच्चाई तो ये है कि रेजिस्टेंस यानी रोकना,विरोध या बाधा इस दुनिया की सबसे खतरनाक और ज़हरीली शक्ति है. ये फेलियर और दुःख का रास्ता है – ये बहुत निर्दयी और कठोर है. सवाल ये है कि रेजिस्टेंस के खिलाफ खड़े रहने के लिए क्या करना होगा? क्या हमें उस पल का इंतज़ार करना होगा जब हम मरने की कगार पर हों और जो सपना हमने देखा था तब उसे साकार करने की कोशिश करें? क्या हम इस रेजिस्टेंस को खुद को हराने देंगे? एक राइटर के रूप में मैंने जीवन में रेजिस्टेंस के बारे में एक रहस्य जाना है : लिखना एक बाधा नहीं है बल्कि लिखने की शुरुआत करने के लिए बैठना एक बाधा ज़रूर है. जो हमें शुरुआत करने से रोकता है, वो है रेजिस्टेंस. रेजिस्ट मतलब रोकना और रोकने की कोशिश यानी रेजिस्टेंस.

बुक वन : रेजिस्टेंस (Book One: Resistance)
डिफाइनिंग द एनिमी (Defining the Enemy)

रेजिस्टेंस को सिर्फ डेफिनेशन के रूप में देखें तो इसका मतलब होताहै कोई भी काम जो लॉन्ग टर्म सक्सेस और ख़ुशी की जगह तुरंत मिलने वाली सैटिस्फैक्शन की तरफ  हमें attract करता है. कोई भी चीज़ जो आपको जीवन में आगे बढ़ा सकती है, वो रेजिस्टेंस को एक्टिवेट कर देती है. रेजिस्टेंस के अपने charecteristic होते हैं. ये दिखाई नहीं देती लेकिन इसे महसूस किया जा सकता है – जैसे कोई  फ़ोर्स हमें पीछे धकेल रहा हो. इसका काम ही होता है – काम से ध्यान भटकाना. ये हमारे अन्दर से आता है.

जब पैट रिले लॉस एंजेल्स लेकर्स  के कोच हुआ करते थे, तो उनका कहना था कि रेजिस्टेंस एक बाहरी दुश्मन है, जो बाहर से आता है. लेकिन ये बात पक्की है कि हम खुद इसे पैदा करते हैं. रेजिस्टेंस बहुत बड़ा ट्रैप है जो हर संभव तरीके से आपको अपनी ओर खींचेगा ताकि आप अपने काम में आगे ना बढ़ सकें. इसकी बातें आपको बिलकुल सही लगेंगी जैसे किसी वकील की दलीलें कोर्ट रूम में लगती हैं. लेकिन सावधान, उसकी किसी बात पर ध्यान मत देना क्योंकि वो हमेशा झूठ ही बोलता है. रेजिस्टेंस फ़िल्म “jaws” के शार्क की तरह होता है, आप उससे बहस नहीं कर सकते.

वो सिर्फ़ पॉवर की भाषा समझता है. ये एक नेचुरल फ़ोर्स है इसलिए ये पर्सनल नहीं है, जब आप इसका सामना करने के लिए खड़े होंगे तो इस बात को हमेशा याद रखियेगा. इसका मतलब ये भी है कि हर कोई इस रेजिस्टेंस के कारण स्ट्रगल कर रहा है – आप अकेले नहीं हैं. इसकी शुरुआत डर से होती है. बिना डर के रेजिस्टेंस बहुत कमज़ोर होता है. अगर आप अपने डर को कण्ट्रोल कर लेते हैं तो आप रेजिस्टेंस को हरा सकते हैं. जहां ये बिना डर के कमज़ोर होता है तो वहीँ जब आप बिलकुल फिनिशिंग लाइन पर होते हैं , ये वहाँ बहुत ज्यादा स्ट्रोंग हो जाता है.

इथिका के रूलर ओडीसियस को ट्रोजन वॉर से घर वापस जाने के लिए बहुत स्ट्रगल करना पड़ा. वो और उसका पूरा क्रू दस साल तक समुद्र में भटकते रहे. जब इथिका नज़र आने लगी तब ओडीसियस इतने स्योर थे कि अब वो सब सेफ हैं कि उन्होंने झपकी लेने की सोची. उसके क्रू के एक आदमी को लगा कि उसका कमांडर एक बोरे में सोना छुपाकर ले जा रहा है.

लेकिन बोरे में सोने की बजाय उलटी दिशा में बहने वाली हवाए बंद थी जिसे उसने खोल दिया था.इसे हवाओं के राजा ने उसे दिया था ताकि ओडीसियस वापस घर ना लौट पाए. वो हवाएं उन्हें इथिका से दूर ले गई और वो फिर वहीँ पहुँच गए जहां से उन्होंने शुरुआत की थी. जब रेजिस्टेंस को समझ में आने लगता है कि हम जीतने वाले हैं तो वो घबरा जाता है और हमारी पूरी मेहनत पर पानी फेर देता है. अब बात करते हैं इसके सिम्पटम्स के बारे में.

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सिम्पटम नंबर वन है टाल मटोल करना. इसका सबसे खतरनाक हिस्सा ये है कि ये एक आदत बन सकती है. हम सिर्फ़ एक काम को करने में देर नहीं करते बल्कि हम अपनी ज़िन्दगी को भी पोस्टपोन करते चले जाते हैं. ऐसा नहीं है कि हम अपने प्लान को ही कैंसिल कर देते हैं, हम बस ये कह कर टालते रहते हैं कि हमउसे “कल” कर लेंगे. लेकिन वो कल कभी आता ही नहीं है. हालांकि, हमें भूलना नहीं चाहिए कि हम किसी भी पल अपनी ज़िन्दगी कोबदल सकते हैं. किसी भी पल हम इस टाल मटोल की आदत और रेजिस्टेंस को हरा सकते हैं और अपनी किस्मत पलट सकते हैं.

फिर आता है ट्रबल यानी मुसीबत. ट्रबल रेजिस्टेंस का ही एक चालाक साथी है. जलन, शराब पीना, ड्रामा करना और कुछ भी जो आपको आपके काम से दूर कर देता है, वो सब रेजिस्टेंस का ही सिम्पटम है. किसी फैकल्टी चेयरमैन की वाइफ को किस करते हुए पकड़े जाना ज़्यादा आसान है बजाय बैठ कर अपनी बुक का थीसिस या फाइनल चैप्टर  लिखना. एकवर्किंग आर्टिस्ट अपने जीवन केहर ट्रबल को दूर कर देता है और उसे अपने काम के बीच में नहीं आने देता.

जब मैंने पहले इस बुक को लिखना शुरू किया था तो मैं लगभग रेजिस्टेंसके बिछाए जाल में फँस गया था. मेरे मन में चल रही आवाज़ों ने मुझे बार बार कहा कि मैं फिक्शन के बारे में लिखता हूँ, नॉन फिक्शन मेरा  टॉपिक नहीं है. रेजिस्टेंसने मुझे बार बार समझाने की कोशिश की कि मैं ज्ञान के बारे में नहीं लिख सकता, मैं तो इसके काबिल ही नहीं हूँ. इसने मुझे सच में डरा दिया था और डर ही तो रेजिस्टेंस का खाना है. लेकिन जिस चीज़ ने मुझे आगे बढ़ाया वो था : अपनी बुक ना लिखने का दुःख.

मैंने अपने इन सिम्पटम्स को नोटिस किया इसलिए मैंने खुद को बैठने और लिखने के लिए फ़ोर्स किया, और सच में, मुझे बहुतअच्छा लगा.
रेजिस्टेंस आपको यही महसूस कराता है : दुःख. ये आपको नाखुश रखता है, बेचैन कर देता है और आपको कभी संतोष महसूस नहीं करने देता. आप हमेशा बस गिल्टी फील करते रहते हैं और कारण आपको समझ में ही नहीं आता. इसकी वजह से आपको खुद से और जीवन से नफ़रत होने लगती है. और ये अकेला नहीं आता, येअपने साथ डिप्रेशन, गुस्सा और dissatisfaction लेकर आता है. देखा जाए तो हमारासेल्फ डिस्ट्रक्शन शुरू हो जाता है.

लेकिन आर्टिस्ट और प्रोफेशनल होने के नाते हमें चुप नहीं बैठना चाहिए. इस दुश्मन के खिलाफ हमें एक जंग शुरू करनी होगी. लेकिन हम जिस consumer कल्चर में रहते हैं वो चीज़ों को थोडा मुश्किल बना देता है क्योंकि सोसाइटी हमें ऐसी चीज़ें बेचता है जो हमें हमारे दुःख से distract कर देता है. लेकिन एक आर्टिस्ट और प्रोफेशनल होने के नाते हमें अपने अन्दर एक रेवोलुशन शुरू करने की ज़रुरत है जो आपको ये एहसास दिलाएगा कि ये सारे advertisement, विडियो गेम्स और मूवीज हमारी बेचैनी को ठीक नहीं कर सकते. ये बेचैनी सिर्फ़ अपना काम पूरा करके की ठीक की जा सकती है.

जब आप रेजिस्टेंस के आगे हार मान लेते हैं तो जो भी इंसान अपनी लाइफ अपनी मर्ज़ी के हिसाब से जी रहा है या वो काम कर रहा है जो उसका पैशन है, तो आप उस इंसान की बुराई करना शुरू कर देते हैं क्योंकि आप उनकी तरह जीना चाहते हैं और इसलिए  आप उसने जलने लगते हैं. ये रेजिस्टेंस का ऐसा सिम्पटम हैजो ना सिर्फ़ आपको बल्कि दूसरों को भी बहुत नुक्सान पहुंचाता है.

आपको पता होना चाहिए कि रेजिस्टेंस का प्यार से सीधा सीधा और बराबर का रिश्ता है. जब आप किसी चीज़ की तरफ बहुत ज्यादा रेजिस्टेंस महसूस करते हैं इसका मतलब होता है कि आप उस चीज़ ही उतना ही ज्यादा प्यार भी करते हैं. दूसरे शब्दों में, जितना ज्यादा रेजिस्टेंस होगावो चीज़ आपके लिए उतनी ही ज्यादा इम्पोर्टेन्ट होगी. तो सिर्फ़ इस प्यार के खातिर आपको उस काम को करना चाहिए ताकि जब वो पूरा हो जाए तब आपको ख़ुशी और शान्ति मिले.

रेजिस्टेंस का एक और फॉर्म ये सोच है कि “हीलिंग” आपको अपना काम करने में मदद करता है. सैंटा फ़े की तरह, जहां उनका कल्चर “हीलिंग” के बारे में हैं; एक सेफ जगह जहां आप क्लीयरली सोच सकते हैं. लेकिन आप क्या हील करने की कोशिश कर रहे हैं? लोग ये नहीं जानते कि आप जो भी हिस्सा हील करना चाहते हैं आपकी क्रिएटिविटी उस हिस्से से नहीं आती.

जो आपके पेरेंट्स, आपके दोस्तों या सोसाइटी ने किया है वो आपकी क्रिएटिविटी को डैमेज नहीं कर सकता. आपके क्रिएशन की शक्ति बिलकुल वैसी की वैसी है, मज़बूत और फिट. अगर आपको हीलिंग की ज़रुरत है तो वो सिर्फ आपके पर्सनल लाइफ में है और पर्सनल लाइफ का काम से कोई लेना देना नहीं होताहै. ऐसा बिलकुल नहीं है कि मैं हीलिंग के खिलाफ हूँ, बल्कि हम सबको इसकी ज़रुरत है. लेकिन खुद को हील करते करते भी आप काम कर सकते हैं.

अच्छी बात तो ये है कि रेजिस्टेंस को हराया जा सकता है. ये बिलकुल एक नए जीवन को दुनिया में लाने जैसा है, आपको सब कुछ तब तक इम्पॉसिबल लगता है जब तक आपको याद नहीं आता कि हर औरत ने इसे successfully पार किया है, फिर चाहे उन्हें कोई सपोर्ट मिला हो या न मिला हो, वो बहुत ज़बरदस्त हिम्मत करके उन 9 महीनों को पार कर लेती हैं.

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