(hindi) The Success Principles: How to Get from where You are to where You Want to be

(hindi) The Success Principles: How to Get from where You are to where You Want to be

परिचय


क्या आप खुद को लकी मानते हैं? क्या आपको लगता है कि सफलता आपको विरासत, किस्मत या अवसरों से मिली है? अगर आप ऐसा सोचते हैं, तो अपने सोचने का तरीका बदलने के लिए आपको इस बुक की जरुरत है।

क्यों? क्योंकि अगर आप अपनी सोच नहीं बदलोगे, तो आप कभी भी अपनी पूरी पोटेंशियल को बाहर नहीं ला पाओगे।

इस बुक में बहुत सारे प्रिंसिपल्स हैं जो आपको अपनी जिंदगी में अपनाने की जरुरत है। इस बुक में, आप जान पाओगे कि आपकी सफलता, अच्छी किस्मत या अच्छे हालातों की वजह से नहीं है, बल्कि ये अपने एक्शन्स की ज़िम्मेदारी लेने की वजह से हैं.

आप सीख पाओगे कि ऐसे लक्ष्य कैसे सैट करे, जिसे हासिल किया जा सके और उनको छोटे कामों में बाँट कर कैसे उन्हें आसानी से पूरा किया जा सके। ये बुक आपको ये भी सिखाएगी कि कैसे सही काम करके आप मन चाहे रिजल्ट पा सकते हैं।

अगर आप अपने भविष्य को कंट्रोल करने के लिए और जीवन को सफल बनाने के लिए तैयार है, तो हम आपको बताएँगे ये कैसे हो सकता है।

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Take 100% Responsibility For Your Life

अगर आप इस बारे में सोचें कि आप दुनिया को कैसे देखते हैं, तब आप जान पाएंगे कि आप सोचते हो कि आप एक सुन्दर जिंदगी जीने का हक़ रखते हो। और आप ये मानते हो कि सरकार, आपके माता पिता, या और कोई भी आपका जानने वाला इंसान आपको खुश करने और सफल बनाने की ज़िम्मेदारी रखते हैं।

ऐसा सोचना बिलकुल गलत है। सिर्फ आप ही अपनी पसंद के हिसाब से और अपने लायक अपनी जिंदगी बना सकते हैं। आप अपनी सेहत, स्वास्थ्य, सफलता, रिश्ते, पैसे और सबके लिए ज़िम्मेदार हो।

अपनी जिंदगी को एक equation की तरह सोचो। जो है E (Event) + R (Response) = O (Outcome)। आप जो भी करते हो उसका रिजल्ट आपके रेस्पॉन्सेस से मिलता है। अगर आप अपनी जिंदगी की ज़िम्मेदारी लेना चाहते हो, तो आपको कुछ जगह अपने रेस्पॉन्सेस बदलने होंगे। .

1994 में लॉस एंजेलेस में आये भूकंप का उदहारण लेते हैं। जैसा की न्यूज़ में दिखाया गया कि भूकंप की वजह से बहुत नुक्सान हुआ। फ्री वे का ख़त्म हो जाना, उस भूकंप का सबसे बुरा असर था।

जब लोग काम पर जाते थे, वो करीब एक घंटे तक ट्रैफिक में फंस जाते थे। भूकंप के बाद, ट्रैफिक और भी ज्यादा बढ़ गया और अब लोगो को एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचने में दो से तीन घंटे लग जाते.

एक सुबह एक न्यूज़ रिपोर्टर, ट्रैफिक में लगी गाड़ियों के पास गया और उनमें से कुछ लोगो से बात करने की कोशिश की, जो काम पर जा रहे थे.

रिपोर्टर ने पर्सन A से पूछा कि वो भूकंप की वजह से अपने सुबह के रूटीन में आये बदलाव के बारे में आप क्या सोचते हैं। पर्सन A ने जवाब दिया कि वो शहर से नफरत करते हैं और वो बहुत दुखी हैं। उन्हें पहले आग और बाढ़ की वजह से काम पर जाने के लिए देरी होती थी और अब ये भूकंप भी उस लिस्ट में जुड़ गया है.

पर्सन A ये मानते हैं कि चाहे वो सुबह कितनी भी जल्दी उठ जाएँ, वो वक़्त पर अपने ऑफिस नहीं पहुंच सकते.

फिर रिपोर्टर पर्सन B के पास गया। उससे वही सवाल पूछा और उस ड्राइवर ने मुस्कुराकर जवाब दिया। पर्सन B ने कहा कि वो सुबह 5 बजे से गाड़ी चला रहे हैं और उनके बॉस को हालात को समझना होगा।

पर्सन B अपने साथ गाने, स्पेनिश लेसंस, फ्रेश कॉफ़ी, लंच और एक बुक लेके आये हुए थे, कि अगर वो कही उम्मीद से ज्यादा ट्रैफिक में फस गए तो। पर्सन B शिकायत नहीं कर रहे थे बल्कि उन्होंने हालात पर पूरी तरह कंट्रोल कर रखा था।

पर्सन B गाड़ी में इंतज़ार करते हुए, स्पेनिश सीख सकता हैं, बुक पढ़ सकता हैं और यहाँ तक की लंच भी कर सकता हैं.

ज्यादातर लोग, ये सोचते हैं कि प्राकर्तिक आपदा, एक ऐसा बहाना है जिसके बारे में कुछ नहीं किया जा सकता। लेकिन कुछ लोग मानते हैं कि उनके रास्ते में कोई नहीं आ सकता क्योंकि हर चीज पर कैसे रियेक्ट करना है इसके लिए वो खुद ज़िम्मेदार हैं।

अगर आपको सफलता के शिख़र तक पहुंचना है, तो आपको अपने रेस्पॉन्सेस की पूरी तरह से ज़िम्मेदारी लेनी होगी। दुनिया को दोष देना बंद करो और खुद ज़िम्मेदारी लो।

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Unleash The Power Of Goal Setting


क्या आपके कुछ लक्ष्य हैं और क्या आप उन्हें हासिल करना चाहते है? अपने लक्ष्य को सैट करने की कला में माहिर होना ही, जिंदगी में सब कुछ पाने का सिर्फ एकमात्र तरीका है। सफल होने के लिए लक्ष्य बहुत ज़रुरी है क्योंकि जब आपकी नजर सिर्फ अपने लक्ष्य पर टिकी होती हैं, आपका सबकॉन्शियस (subconscious) दिमाग इस मिशन को पूरा करने में जुट जाता है.

अपने सबकॉन्शियस माइंड का अपने लक्ष्य पर फोकस करने के लिए, आपको यह साफ करना है कि आपका गोल क्या है और उसे आप कब तक हासिल करना चाहते हैं। ये आपकी मदद तब भी करता है जब आप अपने लिए मुश्किल लक्ष्य सैट करते हो जिसके लिए आपको कुछ नया सीखने की जरुरत है.

दूसरा तरीका है कि आप एक गोल बुक बनाएं। ये एक आसान सी नोटबुक हो सकती है जहाँ आप अपने लक्ष्य लिखोगे, उसको पाने के ज़रुरी स्टेप्स लिखोगे, फिर उसमे कुछ पिक्चर्स लगाओ और इंस्पायर करने वाले कोट्स लिखोगे। इस बुक को दिन में तीन बार पढ़ो ताकि आप अपनी प्रोडक्टिविटी को बड़ा सको को और फोकस्ड रह सको।

Lou holtz को हम एक महान लक्ष्य सैट करने वाले इंसान के तौर पे जानते हैं। वे Notre Dame के फुटबॉल कोच हैं। जब वे 28 साल के थे, उन्होंने एक सबक सीखा, जिसने उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी।

जब उनकी पत्नी को उनका तीसरा बच्चा होने वाला था, Lou को अपने घर की सारी चीजें बेचनी पड़ी। सबसे ज्यादा खराब तब हुआ जब Lou को अपनी जॉब से हाथ धोना पड़ा।
उनको खुश करने के लिए, उनकी पत्नी ने उन्हें एक किताब दी। वो बुक David schwartz के द्वारा लिखी गयी बुक ‘दा मैजिक ऑफ़ थिंकिंग बिग’ थी।

जब Lou ने बुक पढ़ी, उसने सोचा कि उसे उन सभी चीजों की लिस्ट बनानी चाहिए जो वह मरने से पहले हासिल करना चाहता है। इसलिए, Lou बैठ गए और उन्होंने अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाये और जिंदगी के हर पहलुओं को कवर करते हुए 107 गोल्स की की लिस्ट बना डाली।

इन लक्ष्यों में कुछ थे- वाइट हाउस में खाना खाना, सुपरस्टार टीम नोट्रे डेम (Notre Dame) का कोच बनना, TV पर आना और एक सफल गोल्फर बनना.
कुछ सालो बाद, Lou ने अपनी लिस्ट में से 81 लक्ष्य हासिल कर लिए थे, जिनमें से एक नोट्रे डेम (Notre Dame) का फुटबॉल कोच बनना शामिल था।

अगर आप भी ऐसा करोगे तो आपको जरूर मदद मिलेगी। बैठो और उन 101 सपनो की लिस्ट बनाओ जो आप मरने से पहले पूरा करना चाहते हो। पूरी डिटेल में लिखो। सभी सवालों का जवाब लिखो, जैसे की कब, क्या, और कहाँ।

जब आप लिखो लो, उनको एक छोटे कागज पर दोबारा लिख लो जिसे आप अपने पर्स में रख सको या अपनी गोल बुक लिख लो। और इन्हें हर रोज दिन में तीन बार पढ़ना मत भूलो क्योंकि आपको अपने दिमाग को फोकस्ड रखना है और सही रास्ते पर चलना है।

Chunk It Down
अब जब आपके पास अपनी 101 लक्ष्यों की लिस्ट है, हो सकता है आपको वो बहुत ज्यादा लगे। कुछ लक्ष्य बहुत बड़े और असंभव लगेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि हम उन्हें आसान और करने लायक स्टेप्स की तरह नहीं देख रहे हैं।

जब आप एक लक्ष्य को छोटे छोटे टुकड़ो में बांट  दोगे, तब आप इस बात से बेचैन नहीं होंगे कि वो कितना बड़ा है या इसे हासिल करने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ेगी। ऐसा करने के लिए आप एक्सपर्ट्स से पूछ सकते हैं कि उन्होंने वह लक्ष्य कैसे हासिल किया जो आप करना चाहते हो, फिर उनके स्टेप्स फॉलो करो.

जब आपके स्टेप्स तैयार हो जायेंगे, आपको उन कामों की लिस्ट बनानी होगी जिन्हे रोज करना है। अपने लक्ष्यों को पढ़कर अपने दिन की शुरुआत करो, फिर सबसे पहले सबसे ज़रुरी काम करो.
ईट डैट फ्रॉग: 21 ग्रेट वेज़ टू स्टॉप प्रोसैटिनटिंग एंड गैट मोर डन इन लैस टाइम बुक में, ब्रायन ट्रेसी ने अपने कामों की प्राइऑरिटी सैट करने के लिए बहुत अच्छा तरीका बताया है।

ब्रायन यह समझाते हुए शुरू करते हैं  कि एक इंसान अपनी काम को टालने की आदत से कैसे छुटकारा पा सकता है, फिर उन्होंने अपने लक्ष्य को पाने के सीक्रेट तरीके बताये।

उन्होंने पांच ऐसे ज़रुरी लक्ष्यों को सैट करने का महत्व बताया जो आपको रोज करने चाहिए। उनमें से आपको एक सबसे ज़रुरी काम चुनना है जिसे आपको रोज करना चाहिए, चाहे कुछ भी हो जाये।

लिस्ट में से सबसे ज़रुरी काम को रोज सुबह सबसे पहले करना चाहिए। आपको बाकि बचे चारों कामों को करना बहुत आसान लगेगा क्योंकि सबसे मुश्किल काम आप पहले ही कर चुके हो।
ये स्ट्रैटेजी आसान लग सकती है। लेकिन अगर आप अपनी आदतों को देखोगे तो आपको पता चलेगा कि आपने अपना सबसे ज़रुरी काम नहीं किया है। ऐसा इसलिए क्योंकि, ये काम सबसे ज्यादा मुश्किल है और कहीं ना कहीं आप सोचते हो कि ये काम अपने आप हो जायेगा। ज्यादातर मामलों में, आप ये काम नहीं करते हो और जिसका रिजल्ट ये होता है कि आप अपने लक्ष्य को हासिल करने से दूर हो जाते हो।

कल्पना कीजिये की आपने उठकर अपनी लक्ष्यों की लिस्ट पड़ी और फिर सबसे ज़रुरी काम करके अपने दिन की शुरुआत की। आपको बाकी का अपना पूरा दिन बहुत आसान और प्रोडक्टिव लगेगा क्योंकि आपके दिन की शुरुआत बिलकुल सही हुई थी.

चाहे आपका लक्ष्य कितना ही बड़ा हो, उसे ऐसे छोटे स्टेप्स में बाटने से जिन्हे रोज किया जा सकता हो, आपकी टेंशन कम हो जाएगी। आप अपना वो बड़ा लक्ष्य भी हासिल कर लोगे जिसके लिए आप मेहनत करने से डरते थे। बस अपने रोज के कामों को करने में थोड़ी स्मार्टनेस लाओ और अपने दिन की शुरुआत उस काम से करो जो आपकी सफलता के लिए सबसे ज्यादा मायने रखता है।

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