(hindi) The Storytelling Animal: How Stories Make Us Human
इंट्रोडक्शन
आप क्या पढ़ना चाहेंगे एक लिस्ट जिसमें पिछले दस सालों के फैक्ट्स लिखे हो या फिर कोई आपको खुद इन फैक्ट्स को कहकर सुनाए? अगर आप उन ज़्यादातर लोगों में शामिल हैं तो ख़ुशी-ख़ुशी दूसरा ऑप्शन ही चुनेंगे.
स्टोरीज़, यानि कहानियाँ, ये किसी भी शक्ल में हो, हर किसी का इंटरेस्ट अपनी ओर खींचती हैं फिर चाहे वो बच्चें हों या बड़े. लेकिन, कहानियों में ऐसी क्या ख़ास बात होती हैं जो इसे सुनने से हम खुद को नहीं रोक सकते?
इस बुक में आप ये जानेंगे कि कहानियाँ क्यों और कैसे हमें इतना अपनी ओर खींचती हैं. आप ये भी जानेंगे कि कैसे हमारे आगे बढ़ने के साथ-साथ कहानी कहने का चलन भी आगे बढ़ा. आप सीखेंगे कि कब हम इन कहानियों के सहारे खुद को किसी सिचुएशन से निकाल सकते हैं और कब नहीं. रिलिजन यानि धर्म का इन कहानियों के साथ क्या रिश्ता हैं, आप ये भी जानेंगे.
इस बुक को पढ़ने के बाद आप कहानियों को एक नए नज़रिए से देखेंगे. कौन जानता हैं, इससे आप भी अपनी कहानी बताने के लिए इंस्पायर हो जाएँ.
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कहानी का जादू
हम इंसानों के डेवलपमेंट में कहानियों का कितना कंट्रीब्यूशन रहा, इस बात को हम हमेशा ही नज़रअंदाज़ करते हैं. हज़ारों साल पहले, कहानियाँ हमारे पूर्वजों के लाइफ का इम्पोर्टेन्ट हिस्सा थी. अभी भी कहानियों का यूज़ बड़े ज़ोरों-शोरों से होता हैं. लेकिन, हम फिर भी ये नहीं जानते कि कैसे कहानी सुनाने का चलन अभी तक बचा हुआ हैं.
जब भी आप कोई बुक पढ़ते हैं, क्या वो आपको अपनी ओर खींचता हैं और ये एहसास कराता है कि आप इस कहानी का ही पार्ट हैं? जब आप किसी पेज को पढ़ते हैं तो क्या आपको अपने आस-पास के शोर-शराबे भी नहीं सुनाई देते? इन कहानियों में हमें बांधे रखने का बहुत पावर होता हैं. हम बस इन कहानियों की दुनिया में खो जाते हैं, हमारा इस पर कोई वश नहीं चलता.
काफी लोग सोचते हैं कि बुक पढ़ना एक आलस भरा काम हैं और हम ऑथर की बातों को सुनते हैं, उससे ज़्यादा कुछ नहीं. लेकिन, क्या आपने इस बात पर कभी गौर किया कि जैसे-जैसे हम पन्ने पलटते हैं, उसमें पढ़े हुए सीन हमारे ब्रेन में किसी पेंटिंग की तरह पेंट होता रहता हैं. आपने ध्यान तो नहीं दिया होगा पर आपके इमेजिनेशन में इस कहानी के करैक्टर के शक्ल तक बन जाते हैं. अपने ख्यालों में आप उनके घर, उनके लॉन, कुत्ते, सब कुछ इमेजिन करना शुरू कर देते हैं. जब किसी करैक्टर के इमोशंस के बारे में जान जाते हैं तो ऑथर को ये बताने की अलग से ज़रूर ही नहीं पड़ती कि वो करैक्टर खुश हैं या दुखी हैं. ऑथर बस ये बताता हैं कि वो करैक्टर क्या कर रहा हैं, उसके एक्शन्स क्या हैं, बाकी आप खुद अंदाज़ा लगा ही लेते हैं कि वो खुश हैं या नहीं.
इसलिए, ये बात सच नहीं कि कहानियों का आर्किटेक्ट एक राइटर होता हैं. असली आर्किटेक्ट तो कहानियाँ पढ़ने वाले रीडर होते हैं, और आप ही वो रीडर हैं. राइटर तो एक गाइड होते हैं. कहानियाँ बुनने वाले तो हम रीडर्स होते हैं. हम ही इन कहानियों में जान डालते हैं.
बच्चों को कहानियाँ बहुत पसंद आती हैं. आप ये कह सकते हैं कि यही उनकी पूरी दुनिया होती हैं. कहानियों को एक्टिंग करके बताने में उन्हें बड़ा मज़ा आता हैं और इनके करैक्टर बच्चों को खूब हंसाते हैं. लाइफ का ये स्टेज बहुत ही जादुई होता हैं, इसे ऑथर ने 'नेवरलैंड' का नाम दिया हैं जहाँ पीटर पैन रहता हैं. नेवरलैंड ये दिखाता हैं कि कैसे हमारी सोच उड़ान भर सकती हैं. हमारी सोच के लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं हैं. जब हम सब ग्रुप में होते हैं, हम नेवरलैंड कभी नहीं छोड़ते. हम बचपन के सारे टॉयज और डॉल्स तो छोड़ सकते हैं पर ढोंग करना नहीं छोड़ सकते, बचपना नहीं छोड़ सकते. बस, जब हम बड़े होते हैं तो हमारा एक्सप्रेस करने का तरीका बदल जाता हैं. हम नेवरलैंड को कभी नहीं छोड़ते, इसका सबसे बड़ा प्रूफ हैं ये फिल्म्स, मूवीज़ और हमारे सपने जिन्हें हम देखना कभी नहीं छोड़ते. यही सब हमारे बचपने को संभाल कर रखते हैं.
आप ये जानकार हैरान होंगे कि ये कहानियाँ कितनी ही बार हम पर जादू करते हैं. आप सोशल मीडिया अकाउंट में स्क्रॉल करते हुए जो कुछ पढ़ते हैं, उसमें जादू हैं. ये जादू टीवी में आने वाले ad और शो में भी दिखता हैं. अपने ऑफिस की ओर ड्राइव करते हुए आप जो भी गाने सुनते हैं, उसमें जादू हैं. आपके सपनों में भी ये जादू भरा हुआ होता हैं. जब आप कोई ऐसा काम नहीं कर रहे होते जिसमें आपको बहुत सोचने-समझने की ज़रूरत पड़ती हैं, तो आपका ब्रेन अपने ख्यालों के दुनिया में चला जाता है. आप अपने ख्यालों में ही अलग-अलग बातें सोचने लगते हैं. आप ख्यालों में सोचने लगते हैं कि दस साल बाद आपकी ज़िन्दगी कैसी होगी.
मीडिया को छोड़कर, काफी और भी लोग कहानियों को यूज़ करते हैं. आर्किओलॉजिस्ट भी जब खुदाई करते हैं, उसमें पड़े हड्डियों, ड्राइंग और पुरानु चीज़ों को देखकर अपनी कहानी बनाते हैं. हिस्टोरियंस या इतिहासकार भी कई सौ साल तक के पुराने लोगों की कहानियाँ बनाते हैं और टेक्स्ट बुक में डालते हैं. पोलिटिकल कमेंटेटर भी पॉलिटिक्स की कहानियाँ ही सुनाते हैं. इलेक्शन को इंटरेस्टिंग बनाने के लिए ड्रामा डालते हैं.
हमारी लाइफ भी अपनी कहानी कहने के लिए बेकरार हैं. अगर आप अपने आसपास ध्यान से देखें तो आपको हर जगह कहानी ही नज़र आएगी.
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नर्क की कहानी
एक कहानी इमेजिन कीजिये. एक पिता अपनी बेटी लिली के साथ ग्रोसरी ले रहें हैं. वे दोनों सीरियल यानि अनाज वाले सेक्शन में पहुंचते हैं जहां बहुत सारे डब्बे एक के ऊपर एक रखे हैं. पिता अपने सामने से गुज़र रहे लोगों को यूँ ही देख रहा हैं. कुछ औरतें लिली को देखकर स्माइल करती हैं. सामने की रैक में एक टीनएजर लड़का अपना सिर झुककर ज़मीन साफ़ कर रहा हैं. फिर, एक छोटी हाइट का आदमी खड़ा हैं जिसकी आखें उसके काले चश्मे के पीछे छुपी हैं. इस आदमी का सिर लाल बेसबॉल कैप से ढका हुआ हैं. वो आदमी रैक से एक डब्बा निकालता हैं और लिली की तरफ देखकर मुस्कुराता हैं जब लिली और उसके पिता उसके सामने से गुज़रते हैं.
हमेशा की ही तरह अपने मनपसंद सीरियल को उठाने के बाद, लिली दूसरे सीरियल की तरफ इशारा करती हैं. उस डब्बे में लिखा था कि सीरियल बहुत टेस्टी हैं. लिली अपने पिता के पैर पकड़कर ज़िद करती हैं कि वो सीरियल खरीद लें.
जैसे ही लिली के पिता ने उस बॉक्स के पीछे उसके इंग्रेडिएंट्स को देखा, उन्होंने अपना सिर हिलाया. इस सीरियल में शुगर भरा हुआ था और कोई नुट्रिएंट्स नहीं था. अगर उन्होंने इसे ख़रीदा तो लिली की माँ गुस्सा करेगी. जैसे ही पिता लिली को ना कहने के लिए मुड़े, वो घबरा गए. लिली जो वहां पैर पकड़कर खड़ी थी अब वहाँ नहीं थी. असल में, वो कहीं पर भी दिखाई नहीं दे रही थी. वे अब घबरा गए. थोड़ी देर पहले वहां एक आदमी खड़ा था जो अब वहां नहीं था. वो वही आदमी था जिसने कैप और चश्मा पहना था.
अब, आप इसी कहानी को अलग तरीके से इमेजिन कीजिए. एक पिता और उनकी बेटी एक ग्रोसरी स्टोर में सीरियल के सेक्शन में खड़े हैं. हमेशा की तरह अपना मनपसंद सीरियल उठाने के बाद लिली ने अपने पिता के पैर पकड़कर दूसरा सीरियल खरीदने की ज़िद की. ये सीरियल सेहत के लिए ठीक नहीं था इसलिए पिता ने पहले इसे खरीदने से मना कर दिया. फिर, लिली अपने दोनों हाथ क्रॉस करके अपने पिता को गुस्से से देखने लगी. फिर, लिली के पिता ने अपनी हार मान ली. उन्हें लिली की माँ के गुस्से का भी डर था. सब सामान के पैसे देकर, पिता और लिली घर वापस गए और वे हंसी खुशी से अपनी ज़िंदगी जीते हैं.
आप में से बहुत लोग दूसरी कहानी को जीना पसंद करेंगे, हैं न? लेकिन, इन में से कौन सी कहानी एक बेहतर फिल्म या टीवी शो बन सकती हैं? शायद पहली कहानी. फिक्शन कहानियाँ असली नहीं होती इसलिए ये मज़ेदार होती हैं और लोग इन्हें पसंद करते हैं. लेकिन, यहां एक प्रॉब्लम हैं. लोग कहते हैं कि फिक्शन कहानियाँ एक ऐसा जरिया होते हैं जिससे आप थोड़ी देर के लिए अपनी असली दुनिया के दुःख-दर्द को भूल जाते हैं. इसीलिए लोगों को कहानियाँ पढ़ना और देखना अच्छा लगता हैं. थोड़ी देर के लिए ही सही, हम अपने बोरिंग लाइफ की बोरिंग सच्चाई से दूर जा सकते हैं.
कहानियों के द्वारा आप ऐसा दिखा सकते हैं कि आप एक main करैक्टर हैं. जो अपनी भरपूर ज़िन्दगी जी रहे हैं. आप बहुत अट्रैक्टिव हैं और मॉडल्स आपकी पार्टनर हैं. आपके पास पैसों की कोई कमी नहीं हैं. आप कोई एक्सरसाइज नहीं करते फिर भी आप फिट रहते हैं और आप हमेशा वैसा खाना खाते हैं जो सेहत के लिए ठीक नहीं हैं. आपके पिताजी देश के प्रेसिडेंट हैं और आपकी माँ एक सुपरस्टार हैं. आपके लाइफ में ये सब होता तो कैसा होता?
फिक्शन कहानियाँ बहुत ही मज़ेदार और इंटरेस्टिंग होती हैं. लेकिन, क्या आपने गौर किया हैं कि बहुत से फिक्शन मूवी और शो ऐसे सब्जेक्ट के बारे में होते हैं जो हमे डराते हैं जैसे कि मर्डर, डिप्रेशन, और अपहरण. ऐसी कहानियाँ हमे क्यों बांधकर रखती हैं? वो इसलिए क्योंकि डर, परेशानी और मुसीबत ही इस दुनिया की सच्चाई हैं. इन्हीं पर तो सारी कहानियों के मज़े टिके होते हैं और इसीलिए हम ऐसी कहानियाँ पसंद करते हैं.
लड़का-लड़की के मिलने से पहले, जंगल से लोगों को बचाने से पहले, कुछ झगड़े होते हैं. हर कहानी में हीरो के सामने बहुत सारे प्रॉब्लम्स आती हैं पर हीरो सब में जीत जाता हैं. अगर कहानी में कोई भी प्रॉब्लम न हो तो क्या आपको कहानी पसंद आती? एक लड़का हैं, वो एक लड़की से प्यार करता हैं, लड़के ने अपने प्यार का इज़हार किया, दोनों ने शादी कर ली और खुशी-खुशी अपनी ज़िन्दगी जीने लगे. क्या आपको ऐसी कहानी पसंद आएगी? बिलकुल नहीं.
इसलिए, अगर कोई कहता हैं कि ऐसी कहानियाँ सिर्फ सच्चाई से दूर भागने का एक ज़रिया हैं तो ये गलत हैं. आप ऐसी दुनिया में जाना ही क्यों चाहेंगे जिसमें सिर्फ मर्डर, सीरियल किलर जैसी घिनौनी बातें बताई जाती हैं. फिर, भी हम कहानियों से खींचे चले जाते हैं. इन कहानियों से हम उन बातों की प्रैक्टिस कर पाते हैं जो हम अपने असल ज़िन्दगी में नहीं कर पाते जैसे कि अकेलेपन, गम, मौत. हम इन सबको कहानियों में ही जी लेते हैं.