(Hindi) The Spirit of Kaizen: Creating Lasting Excellence One Small Step at a Time

(Hindi) The Spirit of Kaizen: Creating Lasting Excellence One Small Step at a Time

परिचय इंट्रोडक्शन (Introduction)

क्या आप भी अपनी ओर्गेनाइजेशन की इम्प्रूवमेंट को लेकर परेशान रहते हो? क्या आपको लगता है कि आपने अपनी प्रोब्लम को सोल्व करने की हर कोशिश करके देख ली है? अगर आपका जवाब हाँ है तो आप एकदम सही जगह पहुंचे है. क्योंकि ये बुक समरी जो आप पढने जा रहे है, ना र्सिर्फ़ आपको सिखाएगी कि आपसे कहाँ मिस्टेक हुई है बल्कि आपको अपनी प्रोब्लम्स के आल्टरनेटिव सोल्यूशन भी बताएगी जोकि काफी सिंपल और एकदम पेनलेस है लेकिन साथ ही इतने इफेक्टिव भी है कि आपका बिजनेस भी बचाएंगे. बिजनेस कल्चर में भारी पब्लिक डिमांड को देखते हुए कंपनीज और बिजनेस ऑर्गेनाइजेशंस अपना बिजनेस इम्प्रूव करने के नए-नए तरीके ढूढ़ते रहते है.

लेकिन उनका रातो-रात एक रेवोल्यूशनरी चेंज लाने का प्लान अक्सर फेल हो जाता है क्योंकि रेडिकल चेंजेस उनके माइंड के फियर रिस्पोंस को जगा देता है और क्लियर और क्रिएटिव ढंग से सोचने की पॉवर को ऑफ कर देता है. लेकिन जैपनीज लोगो ने इस प्रोब्लम का एक ज्यादा क्रिएटिव रास्ता निकाला है जोकि एक काँटीन्यूएस इम्प्रूवमेंट को डेवलप करता है, और इसे कहते है – कैजेन (Kaizen. कैजेन बिजनेस माइंडेड लोगो अपना मेंटल अलार्म सिस्टम बाईपास करने में हेल्प करता है ताकि उनका क्रिएटिव और इन्टेलेक्चुअल प्रोसेस बगैर किसी हर्डल के फ्लो कर सके.

फिर इसका जो रिजल्ट्स होता है वो पॉवरफुल भी होता है और लॉन्ग लास्टिंग भी. अब इस टाइम आपके माइंड में शायद ये सवाल आए “ये कैज़न है क्या और कैसे काम करता है?’ तो आपके इस सवाल का जवाब देने के लिए हम लेकर आए है रोबर्ट मौरेर की बुक समरी” द स्पिरिट ऑफ़ कैजन: क्रिएटिंग लास्टिंग एक्सीलेंस वन स्टेप एट अ टाइम” (The Spirit of Kaizen: Creating Lasting Excellence One Step at A Time” by Robert Maurer. )
चैप्टर 1 : Chapter One:
अ स्विफ्ट इंट्रोडक्शन टू कैजन (A Swift Introduction to Kaizen)

इस चैप्टर में हमारे ऑथर कुछ स्ट्रगलिंग बिजनेसमेन से मिले. उस टाइम रोबर्ट मौरेर यूनिवरसिटी ऑफ़ कैलिफोर्निया, लोस एन्जेल्स में एक क्लिनिकल प्रोफेसर थे. ग्रेजुएशन करते ही उनके स्टूडेंट्स को उस टाइम के फिजिशियन ग्रुप्स ने हायर कर लिया था, बाकी दुसरे स्टूडेंट्स ने आपस में मिलकर खुद का एक बड़ा ग्रुप बना लिया था. लेकिन चार डॉक्टर्स ने एक छोटा प्राइवेट प्रेक्टिस क्रियेट किया जोकि फेमिली मेडिसिन के लिए रखा गया था. प्रेक्टिस जब ओपन हुई तो मौरेर ने उन्हें कांग्र्रेट्स करने के लिए बुलाया.

हालाँकि वो लोग उतने खुश नहीं लग रहे थे, रोबर्ट मौरेर को पता चला कि चारो डॉक्टर्स मुसीबत में थे क्योंकि उन्होंने अपने ऑफिस की लीज़ के लिए काफी बड़ा पैसा उधार लिया था और प्रोब्लम ये थी कि उनके क्लिनिक में पेशेंट्स नहीं आ रहे थे. जिस शहर में उन्होंने अपना ऑफिस खोला वो था सांता मोनिका (Santa Monica,) जिसमे पहले से ही काफी डॉक्टर्स थे. अब उन्हें किसी बिजनेस कंसल्टेंस के हेल्प की ज़रूरत थी लेकिन सवाल ये था कि कंसल्टेंट की भारी-भरकम फीस देने के लिए वो पैसा कहाँ से लाये? एक कंसल्टेंट ने उन्हें अपने बिजनेस में एक इनोवेशन करने के लिए सजेस्ट किया.

मगर मौरेर नहीं चाहते थे कि उनके चारो स्टूडेंट्स कोई इनोवेशन करे. क्यों? इनोवेशन अच्छी चीज़ है, ये काम करती है. इनोवेशन का मतलब है चेंज, एक स्पीडी और ड्रामेटिक चेंज. इनोवेशन में ये भी शामिल हो सकता है कि आप अपने ऑर्गेनाइजेशन का फोकस चेंज कर दे. या इसमें किसी ऐसी टेक्नोलोजी को एडाप्ट करना भी हो सकता है जो आज से पहले आपने कभी यूज़ ना की हो. या इसमें सारे नए डिपार्टमेंटल हेड्स को हायर करना भी शामिल हो सकता है, या बैंकरप्सी डिक्लेयर करना या फिर दूसरी कंपनी के साथ मर्ज करना या कंपनी की इमेज को एकदम बदल देना. तो इनोवेशन में आखिर प्रोब्लम क्या है? एक्चुअल में प्रोब्लम है हमारी सिंगल माइंडेड अप्रोच

. अगर आप अपनी ऑर्गेनाइजेशन के सर्वाइवल या ग्रोथ के लिए फ़ास्ट रेडिकल चेंजेस लाने की कोशिश करोगे तो इफेक्टिवनेस खो दोगे. और ये उम्मीद भी मत करो कि आपकी कंपनी में हर कोई अचानक से चेंजेस एक्स्पेट कर लेगा. कुछ लोगो को एडजस्ट करने में टाइम लगता है जबकि कुछ लोग बिलकुल भी रिस्पोंड नहीं कर पाते. रेडिकल चेंजेस में पैसे के इन्वेस्टमेंट, लोगो का, टाइम या गुडविल का रिस्क शामिल होता है, अगर रेडिकल चेंज फेल हो जाए तो कंपनी की ग्रोथ ही रुक जाती है.

1990 के दौर में नासा की स्टोरी, फोर्ड एंड ज़ेरॉक्स की स्टोरी, ये कुछ ऐसे ऑर्गेनाइजेशंस के एक्जाम्पल है जो एक इनोवेटिव अप्रोच के साथ आगे बढे मगर कहीं के नहीं रहे. यही रीजन था जो रोबर्ट मौरेर नहीं चाहते थे कि फेमिली मेडिसिन ग्रुप रेडिकल चेंज ले. क्योंकि वो सब डरे हुएथे और काफी इमोशनल हो रहे थे. ऐसी इमोशनल स्टेट ऑफ़ माइंड में ये लोग किसी भी चेंज के लिए काफी वीक पोजीशन में थे.

चलो चेंज की इन दोनों स्ट्रेटेजीज को जान लेते है.: कैजान और इनोवेशन. जैसा कि हम पिछले वाले पैराग्राफ से देख सकते है, इनोवेशन के लिए रेडिकल, ड्रामेटिक, और इमीडियेट चेंज की ज़रूरत पड़ती है. सेकंड स्ट्रेटेजी जिस पर हम फोकस करेंगे, वो है कैजान. इनोवेशन से एकदम अलग, कैजान इम्प्रूवमेंट की तरफ एक स्लो अप्रोच लेने की बात करता है. यानी एक टाइम में एक स्टेप लेकर चलना. जैसा कि हम जानते है कि कैजान को जेपेंनीज़ लोगो ने इंट्रोड्यूस किया है. कैजान वर्ड का मतलब है गुड चेंज. असल में कैजान यूनाईटेड स्टेट्स में वर्ल्ड वार II के दौरान पैदा हुआ था.

उस टाइम पर यूनाइटेड स्टेट्स ने अमेरिकन्स के अंदर बेस्ट क्वालिटज़ इन्स्टिल की जैसे इमेजिनेशन पॉवर, ब्रेवरी, और काम करने की इन्स्प्रेशन.
1940 में जब फ्रांस पर नाज़ी आर्मी ने हमला बोला तो यू.एस. भी इस लड़ाई में शामिल हो गया. लेकिन जब यूं.एस. को मिलिट्री सप्लाईज के प्रोडक्शंन के लिए लोगो की ज़रूरत थी तो उनके ज्यादातर बेस्ट मैनेजर्स और वर्कर्स आर्मी में चले गए थे. तब यू.एस. गवर्नमेंट ने एक सोल्यूशन के तौर पर ट्रेनिंग विदिन इंडस्ट्री(TWI)  नाम से प्रोग्राम्स की एक सीरीज क्रिएट की जिसमे कॉर्पोरेशन्स को और ज्यादा एफिशिएंट और प्रोड्क्टिव बनने की ट्रेनिंग दी जाती थी. इन प्रोग्राम्स का एक बेहद इम्पोर्टेंट इंसाईट ये था कि कंपनीज को जल्दबाज़ी में एक बड़ा चेंज लाने के लालच से बचना चाहिए. “टीडब्ल्यूआई के मैनुअल की मेन एडवाइज थी” ऐसी कई सारी छोटी-छोटी चीज़े है जो आप इम्प्रूव कर सकते हो”

इम्प्रूवमेंट्स कहाँ करनी है ये सोची, जो आपके पास है उसका यूज़ करो. अपने स्टाफ पे ध्यान दो. वैसे पहली नजर से देखे तो ये सारी एडवाईज कोई ख़ास रीजल्ट ओरिएंटेड नहीं लग रही लेकिन हिस्टोरियन प्रूव कर सकते है कि टीडब्ल्यूआई के समाल स्टेप्स बड़े काम के है. फ्रंटलाइन सोल्जेर्स के पास लड़ने के लिए काफी मिलट्री सप्लाईज थी, हालाँकि जब वर्ल्ड वार II खत्म हुई तो टीडब्ल्यूआई भी बंद कर दी गयी. मेन्यूफेक्च्रिंग सेक्टर्स अपने प्रीवार हैबिट्स में वापस लौट आए थे. बिजनेस दुबारा नॉर्मल चलने लगा और कंटीन्यूएस इम्प्रूवमेंट कहीं पीछे छूट गयी. लेकिन इसी बीच जापान में कैजान पूरे जोर-शोर से चल रहा था.

वर्ल्ड वार में जापान के जानो-माल का काफी नुक्सान हुआ था, उनक इंडस्ट्री सेक्टर पूरी तरह से बर्बाद हो गया था. तब यू. एस. गवर्नमेंट ने जापान की इकोनोमी इम्प्रूव करने में काफी हेल्प की थी और इसीलिए उन्होंने जापानीज बिजनेस को मैनेजमेंट ट्रेनिंग कोर्सेस प्रूवाइड की. विलियम एडवार्ड्स डेमिंग जापानीज इंडस्ट्रीज़ के एडवाईजर्स में से एक थे. वो जापानीज़ लीडर्स के पास कंटीन्यूएस इम्प्रूवमेंट का आईडिया लेकर गए थे. जिसका रिजल्ट ये हुआ कि 20वी सेंचुरी के सेकंड हाफ में जापानीज बिजनेस दुनिया में सबसे टॉप पर पहुँच गया था.

कैजान का एप्लीकेशन प्रूव करता है कि इसने प्रोडक्शन वेस्ट काफी हद तक कम किया है. इसने क्वालिटी इनक्रीज की है, इसने एम्प्लोईज को अपने सजेशन्स और आईडियाज देने के लिए एंकरेज किया है. हालाँकि मॉडर्न टाइम में हमे कैजान को मैनेजमेंट में अप्लाई करने का मौका नहीं मिल रहा है और ना ही एक प्रोब्लम सोल्विंग टूल के तौर पे यूज़ करने का मौका मिल रहा और ना ही हम इसे एक गुड चेंज प्रोमोटर की तरह यूज़ कर पा रहे है.

लेकिन अगर आप कैजान को मैनेजमेंट साईंकोलोजी में यूज़ करेंगे तो आपको स्माल स्टेप्स लेने होंगे. और स्माल स्टेप्स में कई सारी अपोरच्यूनिटीज आती है जैसे अपने करंट रीसोर्सेस को थौटफ़ुली यूज़ करना, अपने एम्प्लोईज़ को पार्टिसिपेट करने के लिए इनवाईट करना, प्रोब्लम सोल्विंग के लिए अलर्ट रहना, और अपने कस्टमर्स के लिए इम्प्रूवमेंट के तरीके ढूँढना.

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चैप्टर 2 (Chapter 2)
बूस्ट मोराल (Boost Morale)

अक्सर मैनेजमेंट में मोराल की कमी होती है, तो कोई बड़ी बात नहीं. इसीलिए तो मैनेजमेंट कन्सल्टेंट्स हायर करते है जो एम्प्लोई सेटिसफेक्शन के तरीके इम्प्रूव करना सिखाते है. लेकिन मोराल बिल्डिंग डीज़ास्टर्स का रीजन क्या है? डब्ल्यू. एडवर्ड डेमिंग, जोकि जापान के कैजान एडवाईज़र है, उनका मानना है कि एम्प्लोईज भी एप्रीशिएट फील करना चाहते है, उन्हें भी अच्छा लगता है जब उनकी बात सुनी जाती है, जब उनकी पहचान बनती है, जब वो कोंट्रीब्यूशन देते है. रोबर्ट मौरेर (Robert Maurer) ने एक बार एक बड़ी एरोस्पेस फर्म को कंसल्ट किया था.

उन्हें मोराल प्रोब्लम्स पर फोकस करने को बोला गया था. एम्प्लोई सर्वे के रिजल्ट्स में कई बार मैनेजमेंट को लेकर काफी ज्यादा डिससेटिसफेक्शन देखने को मिलता है. एम्प्लोईज में ले-ऑफ और सेलरी इन्क्रीमेंट पर रोक को लेकर गुस्सा तो था ही साथ वो अपने कुछ फेवरेट पर्क्स जैसे कैफेटेरिया डिस्काउंट को खत्म करने को लेकर भी खासे नाराज़ थे. मगर इसके बावजूद उन्होंने अपने जो ओपिनिय्न्स दिए वो चौंकाने वाले थे. कुछ लोगो ने कम्प्लेंट किया कि जब वो सीईओ को हाल में देखते है तो वो उन्हें देखना तो दूर ग्रीट तक नहीं करते. कुछ लोगो की शिकायत थी कि सीईओ उन्हें देखकर कभी स्माइल नहीं करते. बाकि लोगो की शिकायत थी कि जब कभी वो ओवरटाइम काम करते है तो उन्हें कोई एप्रिशिएंशन नहीं मिलती.

दरअसल ये लोग खुद को पूअर पर्फोर्मेर्स फील करते थे. मौरेर ने जब ये सारी रिपोर्ट्स सीईओ के साथ शेयर की तो वो डिफेंसिव मॉड में आ गयी. उसका मानना था कि उसके पास लोगो को मनाने या उनके साथ इंटरएक्शन करना का फालतू टाइम नहीं है. इस पर मौरेर(Maurer) ने उसे ये कुछ स्टेप्स समझाये, हालाँकि ये छोटे-छोटे स्टेप्स है लेकिन इनसे मोराल इन्क्रीमेंट और प्रोडक्टीविटी बढाने में काफी हेल्प मिलती है. मौरेर की एडवाइस सीईओ को फाइनली समझ आ रही थी. उसने डिसाइड किया कि वो अपने एम्प्लोईज से इंटरएक्ट करने के लिए हर रोज़ तीन मिनट का टाइम निकालेगी.

रीसर्च पिरियड के एंड तक एक और सर्वे हुआ और इस बार एम्प्लोईज ने जो आंसर दिए उससे साफ़ ज़ाहिर था कि उनके मोराल में एक सिग्नीफिकेंट इन्क्रीमेंट आया है. अक्सर हमे वर्कप्लेस में कुछ डिफिकल्ट टाइप के कलीग्स या सुपरवाईजर मिल जाते है. और ऐसे लोग पूरे स्टाफ को अफ्केट करते है. अक्सर इस तरह के लोगो को उनके मैनेजर्स एंगर मैनेजमेंट सेशंस में भेजते है हालाँकि इससे फायदा होगा, इस बात की गारंटी नहीं है. अगर आप भी मैनेजर की पोस्ट पर है तो, बेस्ट यही होगा कि ऐसे लोगो को हैंडल करने के लिए न्यूट्रल अप्रोच ले. आप अगर अपने बिहेवियर में गुस्से के बजाय डिग्निटी लाना चाहते हो तो न्यूट्रल तरीका बेस्ट है.

सामने वाला जब देखेगा कि आप अपने गुस्से पर कण्ट्रोल कर सकते है तो वो भी आपसे इंस्पायर होगा. इस तरह आप एक अच्छा एक्जाम्पल सेट कर सकते है. आप जितना शांत रहेंगे उतनी ही शान्ति से सामने वाला भी बात करेगा. आपने कभी सैंडविच टेक्नीक के बारे में सुना है?” ज्यादातर मैनेजर यही टेक्नीक यूज़ करते है. इसमें पहले तो मैनेजर कॉम्प्लीमेंट्स देता है, फिर थोडा क्रिटिसाईंज की तरफ बढ़ता है और फिर ज्यादा क्रिटिसाईंज करता है.

लेकिन इसके पीछे इंटेशन बुरी नहीं होती. लेकिन प्रोब्लम ये है कि एम्प्लोईज इस टेक्नीक से मोटीवेट नहीं होते. बल्कि उन्हें लगता है वो किसी काम के नहीं है. इसलिए बैटर होगा कि आप कॉम्प्लीमेंट्स से ज्यादा लोगो को एप्रिशिएट करे. क्रिटीसाईंज से पहले एप्रीशीएट करना ज्यादा इफेक्टिव होता है क्योंकि सामने वाले को आप के उपर ट्रस्ट होता है. लेकिन ये सब करने से पहले आपको एक रिलेशनशिप बिल्ड करना होगा, लोगो को टाइम दो, उन्हें भरोसा दिलाओ, उनके साथ कुछ टाइम स्पेंड करो. आप चाहे तो हर रोज़ छोटे-छोटे कोम्प्लिमेंट्स देकर लोगो को भरोसा दिला सकते हो.

हमेशा कोशिश करे कि आपके एम्प्लोईज की परफोर्मेंस इम्प्रूव हो. जैसे मान लो, आपने अपने एम्प्लोईज की सजेशन्स मानी लेकिन कभी फ्रस्ट्रेट होके उन्हें ये मत बोलो” हम ये आईडिया पहले भी ट्राई कर चुके है”. एक बार रोबर्ट लोस एंजेलेस के एक हाई-एंड होटल में एक लेक्चर की तैयारी कर रहा था. तभी एक स्टाफ मेंबर रोता हुआ आया, रोबर्ट ने जब पुछा तो उसने बताया कि उसने स्टाफ मीटिंग में एक सजेशन दिया था लेकिन मैनेजर ने उसे ये बोलकर डान्ठ दिया कि”यू आर नोट बीइंग अ टीम प्लेयर”.

एक मैनेजर को चाहिए कि वो कभी भी अपने स्टाफ का कोई सजेशन बिना कंसीडर किये डिसमिस ना करे. और साथ ही एक और चीज़ मान के चलो कि स्टाफ मेंबर्स से भी छोटी-मोटी गलतियां हो सकती है. ऐसे में आप उन्हें हेल्प करो कि वो बैटर आईडियाज लेकर आपके पास आये. अगर कोई आईडिया पहले फेल हुआ है तो कोई बात नहीं, उन्हें मोटीवेट करो कि नेक्स्ट टाइम वो बैटर आईडिया लेकर आये.

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