(hindi) THE SLIGHT EDGE -Turning Simple Disciplines into Massive Success and Happiness
इंट्रोडक्शन
क्या आपने कभी कुछ अचीव करने की कोशिश की है और फ़िर उसे बीच में अधूरा ही छोड़ दिया हो? क्या आपने अपने गोल को सिर्फ़ इसलिए छोड़ा था क्योंकि आपको उसका रिजल्ट तुरंत नहीं मिला? आप अभी अपनी जिंदगी में क्या हैं और आप क्या बन सकते हैं क्या इस बीच का फ़र्क आपको बेचैन कर देता है?
अगर आपका जवाब हाँ है तो आपको इस बुक को पढ़ने की ज़रुरत है. हम सब जिंदगी में कुछ ना कुछ बनना चाहते हैं, ख़ुद को साबित करना चाहते हैं लेकिन अक्सर हम इसी उलझन में उलझे रह जाते हैं कि क्या करें, कैसे करें. बार-बार प्रॉब्लम का सामना करना हमें irritate कर देता है लेकिन ये भी सच है कि उससे बचकर भागना उसे सोल्व नहीं कर सकता, वो प्रॉब्लम कभी ना कभी लौटकर फ़िर आपके सामने खड़ी हो जाएगी.
सक्सेसफुल लोगों की कामयाबी का राज़ ये है कि वो जो कुछ भी पाना चाहते हैं उसे हासिल करने के लिए सिंपल चीज़ों को फॉलो करते हैं. इस बुक में आप सीखेंगे कि ये सिंपल चीज़ें क्या हैं. आप ये भी सीखेंगे कि अपने गोल को अचीव करने के लिए कैसे आपको अपने काम की धुन में लगे रहना चाहिए.
इस बुक का मकसद आपके सामने आने वाली हर प्रॉब्लम को सोल्व करने के लिए एक परफेक्ट solution देना नहीं है. हर प्रॉब्लम को सोल्व करने का exact solution नहीं हो सकता. इस बुक का मकसद है आपको क्लैरिटी देना. इसके साथ-साथ ये आपको अपने गोल्स को अचीव करने के लिए और अपने प्रॉब्लम को हैंडल करने के लिए उसे एक अलग नज़रिए से देखना सिखाएगी.
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The Beach Bum and the Millionaire
इस बुक के ऑथर जेफ़ के दो दोस्त थे. ये दोनों इतने जिगरी दोस्त थे कि इन्हें एक दूसरे से अलग करना नामुमकिन था. बचपन में साथ खेलने से लेकर कॉलेज में असाइनमेंट और एग्जाम के लिए तैयारी करना, इन दोनों ने सब साथ-साथ किया था. अगर उनके स्किल और बुद्धिमानी की बात की जाए तो दोनों में ज़्यादा फ़र्क नहीं था लेकिन दोनों ने आगे चलकर अपने लिए अलग-अलग रास्ता अपनाया.
जो पहला दोस्त था उसे कॉलेज में कम मार्क्स मिले थे जिसके बाद उसने कॉलेज छोड़ दिया. वो इधर उधर घूमने में और ज़्यादातर वक़्त बीच पर मस्ती करने में बिताने लगा. लोग उसे Gorgeous जॉर्ज कहने लगे. कहने को तो वो अपनी लाइफ एन्जॉय कर रहा था, लेकिन वो पैसों की काफ़ी तंगी भी झेल रहा था. अपने ख़र्चे उठाने के लिए उसे एक साथ कई जॉब करने पड़ रहे थे. अंत में वो ऐसी लाइफ से एकदम दुखी हो गया और उसने एक बिज़नेस शुरू करने की कोशिश की. लेकिन उसकी ये कोशिश भी फेल हो गई.
वहीँ दूसरी ओर, उसके दोस्त ने कॉलेज में बहुत अच्छा परफॉर्म किया. उसे एक बड़ी टेक फर्म में जॉब मिली. उसकी जिंदगी अच्छी चल रही थी, उसने बहुत पैसे भी कमाए और अपने जॉब में सक्सेस भी हासिल की. आप कह सकते हैं कि वो अपने दोस्त से बिलकुल opposite लाइफ जी रहा था. इतना फ़र्क होने के बाद भी वो अब भी एक दूसरे के टच में थे. क्या आप इसका कारण जानते हैं? क्योंकि वो दोनों दोस्त एक ही इंसान थे जो ख़ुद जेफ़ थे.
एक वक़्त था जब जेफ़ ने कम मार्क्स की वजह से कॉलेज छोड़ दिया था और इधर उधर मस्ती कर टाइम पास करने लगे थे. साथ में वो छोटे मोटे काम भी कर लिया करते. एक बार जब एक गोल्फ़ क्लब के लिए वो घास काटने वाले के तौर पर काम कर रहे थे तो उन्होंने अमीर लोगों के महेंगे कपड़े और गोल्फ़ के सामान को देखा. इस नज़ारे ने जॉर्ज को बेचैन कर दिया. उन्हें लगने लगा कि जिंदगी कितनी बेरहम है, जहां उन्हें अपने रहने और खाने के लिए भी इतना स्ट्रगल करना पड़ रहा था, वहीँ दुनिया में ऐसे भी लोग थे जो हर पल अंधाधुन पैसे कमा रहे थे.
जॉर्ज को बहुत गुस्सा आ रहा था और तभी उन्होंने एक फ़ैसला किया. उन्होंने ख़ुद से वादा किया कि चाहे जो भी करना पड़े अब वो भी कुछ ना कुछ बनकर ज़रूर दिखाएंगे. उन्होंने दोबारा कॉलेज जाना शुरू किया और अपनी आदतों में कुछ बदलाव किए जिसका नतीजा ये हुआ कि अब उन्हें अच्छे मार्कस मिलने लगे. इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने अपने क्लास में टॉप भी किया.
तो आप यहाँ कह सकते हैं कि उनकी स्टोरी का हैप्पी एंडिंग हुआ लेकिन उनकी स्टोरी यहाँ ख़त्म नहीं हुई थी. भले ही वो एक बड़े टेक कंपनी “टेक्सास इंस्ट्रूमेंट्स” में एक मैनेजर के रूप में अच्छी ख़ासी जॉब कर रहे थे लेकिन उन्हें कंपनी के अंदर चलने वाली पॉलिटिक्स से बेहद नफ़रत थी. इसलिए जॉर्ज ने जॉब छोड़कर बिज़नेस शुरू करने का मन बनाया. उन्होंने एक सोलर एनर्जी कंपनी की शुरुआत की जिसके बारे में उन्हें कोई भी जानकारी नहीं थी. लेकिन जॉर्ज ने हिम्मत दिखाई और वो डटकर खड़े रहे, अपने काम को बीच में बंद नहीं किया. धीरे-धीरे उनकी कंपनी ने उनके स्टेट और उसके बाद पूरे देश में बहुत अच्छा परफॉर्म करना शुरू कर दिया.
लेकिन जॉर्ज ने कभी सोचा भी नहीं था कि इतना लंबा सफ़र तय करने के बाद वो दोबारा उसी जगह पहुँच जाएँगे जहां से उन्होंने शुरुआत की थी. ज़माना बदल रहा था और सोलर एनर्जी इंडस्ट्री की हालत बद से बदतर होती जा रही थी और एक दिन जॉर्ज की कंपनी भी ढेर हो गई.
जॉर्ज अपने अब तक के सफ़र के बारे में सोचने लगे. कैसे वो इधर उधर घूमा करते थे, उसके बाद उनमें कुछ कर कर दिखाने का जुनून पैदा हुआ, फ़िर वो एक कंपनी के मैनेजर बने उसके बाद एक सक्सेसफुल सोलर एनर्जी कंपनी के मालिक बने लेकिन आज वो वापस घूमकर उसी मोड़ पर आ गए थे. बीते दिनों की झलक ने उन्हें एहसास दिलाया कि यूं बीच पर आवारा की तरह घूमना या एक मिलियनेयर बनना उन छोटी छोटी चीज़ों पर डिपेंड करता है जो हम हर दिन करते हैं.
क्या आप जानते हैं कि उनके फेलियर का कारण क्या था? इसका कारण था कि उन्होंने उन छोटे छोटे काम को करना बंद कर दिया था जिसने उन्हें सक्सेसफुल बनाया था. इमेजिन कीजिए कि जॉर्ज समुद्र के बिलकुल नीचे एकदम गहराई में थे. जब वो ऊपर आने की कोशिश कर रहे थे और किनारे के बिलकुल पास पहुँच गए थे तब अचानक उन्होंने तैरना बंद कर दिया. तो ज़ाहिर सी बात है कि वो फ़िर से डूबने लगेंगे. बस लोगों के साथ भी यही प्रॉब्लम है. एक पॉइंट पर आकर वो काम करना ही बंद कर देते हैं. एक बार जब हमें लगने लगता है कि हम सक्सेसफुल हो रहे हैं तो हम उन चीज़ों को करना बंद कर देते हैं जिसने हमें ऊँचाइयों तक पहुंचाया था. हम मेहनत करना कम कर देते हैं, लापरवाह हो जाते हैं. जॉर्ज भी हमें यही समझाना चाहते हैं.
ऐसे एक्शन जो हमें लाइफ में सक्सेस अचीव करने में मदद करते हैं वो काफ़ी सिंपल और इजी हैं. शुरुआत में ये हमें मामूली और बेकार लगते हैं लेकिन समय के साथ यही बढ़ते-बढ़ते हमारी स्किल को इम्प्रूव कर हमें औरों से बेहतर बना देते हैं. इसे ही slight edge कहा जाता है जिसका मतलब है दूसरों की तुलना में हमारे पास कोई एडवांटेज होना जो हमें उनसे अलग और better बनाती है. हम आसान और छोटी छोटी चीज़ों को बेकार समझते हैं कि इससे क्या फ़र्क पड़ेगा लेकिन आगे चलकर यही हमें एक्स्ट्राऑर्डिनरी रिजल्ट देते हैं. तो आइए अब जानते हैं कि ये छोटी छोटी चीज़ें हैं क्या.
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The First Ingredient
जॉर्ज का बिज़नेस बंद होने के बाद उन्होंने एक डायरेक्ट मार्केटिंग करने वाले फर्म को ज्वाइन किया और बाद में जाकर The People’s Network या TPN नाम की एक डेवलपमेंट ट्रेनिंग कंपनी शुरू की. TPN ने ऐसे कई टीवी प्रोग्राम को produce किया था जो अलग अलग टॉपिक पर पब्लिक को इनफार्मेशन देते थे. उनका मकसद था लोगों तक काम की इनफार्मेशन पहुंचाकर उनकी जिंदगी को बेहतर करने में मदद करना. लोगों ने भी बड़ी उम्मीद और विश्वास के साथ उनकी सलाह को फॉलो किया था लेकिन उन्हें उसका कोई फ़ायदा नहीं हुआ. लेकिन ये कैसे हुआ, इसका क्या कारण था?
इसका कारण था कि जब लोगों ने उनकी एडवाइस को फॉलो किया और जब उन्हें तुरंत रिजल्ट दिखाई नहीं दिया तो उन्होंने उसे बीच में ही करना छोड़ दिया. यही तो सबसे दिक्कत है. हम चाहते हैं कि हमें तुरंत रिजल्ट मिले. लेकिन कुछ पाने की सिर्फ़ इच्छा रखने से वो आपको नहीं मिल जाएगा. उसके लिए आपको पहले फैक्टर की ज़रुरत होगी.
अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने वाला पहला फैक्टर है जिंदगी के बारे में आपकी फिलोसोफी यानी आप जिंदगी के बारे में क्या सोचते हैं, उसे किस नज़रिए से देखते हैं. अगर आप जिस तरह चीज़ों को देखते हैं वो आपके लिए काम नहीं कर रहा है तो आपको अपना नज़रिया बदलने की ज़रुरत है. अगर आप अपने सोचने का तरीका नहीं बदलेंगे तो चाहे आप जितनी भी सेल्फ़ हेल्प किताबें पढ़ लें किसी से फ़र्क नहीं पड़ने वाला. सिर्फ़ स्टेप्स जान लेना आपको रिजल्ट नहीं दे सकता बल्कि आप उसे किस तरह अप्लाई करते हैं वो मायने रखता है. कहने का मतलब है कि आपके एक्शन के पीछे आपका क्या नज़रिया है वो आपको आपके गोल्स को अचीव करने में मदद करता है.
कई बार जब हम किसी को देखकर इंस्पायर हो जाते हैं या अपने दोस्त की बातों को सुनकर हममें जोश आ जाता है तो उस वक़्त हमारा नज़रिया बदल जाता है और ये अच्छी बात है क्योंकि ये हमें सही रास्ता देखने में मदद करता है. लेकिन दिक्कत ये है कि ये लंबे समय तक टिक नहीं पाता. हमारे इमोशंस बहुत जल्दी बदलते रहते हैं और हम अक्सर वापस उसी जगह पहुँच जाते हैं जहां हम पहले थे.
एग्ज़ाम्पल के लिए, आप ख़ुद से कहते हैं कि आप आज से अपना वेट कम करना शुरू करेंगे. ये थॉट आपको मोटीवेट करता है और आप अपने दिन की शुरुआत एक्सरसाइज से करते हैं. क्योंकि इमोशंस कभी एक जैसे नहीं रहते तो इस बात की संभावना बहुत ज़्यादा है कि कुछ दिनों बाद आपका एक्सरसाइज करने का मन नहीं करेगा. इस मोटिवेशन को बनाए रखने के लिए आपको फैक्टर की मदद लेनी होगी. आप जिस नज़रिए से चीज़ों को देखेंगे उसका आप पर अलग अलग असर होगा. ये एक चेन रिएक्शन जैसा होता है.
अगर आपका नज़रिया पॉजिटिव है तो आपके एक्शन भी पॉजिटिव होंगे जो आपको पॉजिटिव रिजल्ट देंगे. जैसे ऊपर के एग्ज़ाम्पल में अगर आपका attitude पॉजिटिव होगा तो चाहे आपको कितना भी आलस फील हो रहा हो या आपकी बॉडी दर्द कर रही हो आप इस पाजिटिविटी के साथ एक्सरसाइज करने में लगे रहेंगे कि आपका वेट कम होने के बाद आपकी बॉडी और लाइफस्टाइल कितनी healthy हो जाएगी. आप जंक फ़ूड की जगह healthy खाना खाने लगेंगे, रात को जाग जाग कर Netflix पर सीरीज देखने की बजाय इस बात की कदर करने लगेंगे कि पूरी नींद लेना हमारी बॉडी के लिए कितना ज़रूरी होता है और ये आपको सुबह जल्दी उठने में भी मदद करेगी जो फाइनली आपकी प्रोडक्टिविटी को बढ़ाने में मददगार साबित होगा.
अगर आप भी ख़ुद को दूसरों से कुछ अलग और एक क़दम आगे रखना चाहते हैं, ये slight edge पाना चाहते हैं तो इस बात को समझें कि सक्सेस पाने का कोई शोर्ट कट नहीं होता. उसे आप सिर्फ़ मेहनत और अपने स्किल्स को इम्प्रूव कर के ही हासिल कर सकते हैं.
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The Choice
एक समय की बात है, एक राजा अपने दो बेटों के साथ रहते थे. राजा बूढ़े हो गए थे और उन्हें लगने लगा था कि मौत कभी भी उनके दरवाज़े पर दस्तक दे सकती थी. इसलिए उन्होंने अपने बेटों को बुलाया. वो उन्हें एक तोहफ़ा देना चाहते थे. शर्त ये थी कि उन्हें एक मिलियन डॉलर और एक डॉलर में से किसी एक को चुनना था और ये उन पर था कि वो क्या चुनना चाहते थे. अगर वो मिलियन डॉलर चुनते हैं तो वो उन्हें राज्य के खज़ाने से मिल जाएगा लेकिन अगर वो एक पैसा चुनते हैं तो वो उन्हें खज़ाने को संभालने वाले सेवक की देखरेख में दिया जाएगा. जब तक वो पैसा उसके पास रहेगा तब तक सेवक राजा का आदेश मिलने पर हर रोज़ उसे दुगनी रकम देता रहेगा.
बेटों के आने पर राजा ने कहा, “बहुत सोच समझकर फ़ैसला करना और जब तुम्हें पक्का यकीन हो जाए कि तुम्हें क्या चाहिए तब मेरे पास आना”. उस रात, बड़ा बेटा इसी उलझन में डूबा रहा कि उसे क्या चुनना चाहिए. वहीँ, छोटे बेटे ने मिलियन डॉलर का नाम सुनते ही मन बना लिया था कि उसे वही चुनना है.
अगले दिन, छोटे बेटे ने मिलियन डॉलर चुना और कुछ एक्सपर्ट्स को काम पर रखा ताकि वो उसके पैसों को बढ़ाकर बिलियन डॉलर बना सकें. उसने अपनी टीम के साथ एक महंगे होटल में कई हफ़्ते ये स्ट्रेटेजी बनाने में बिता दी कि उसके पैसों का सही इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है.
दूसरी ओर, बड़े बेटे ने एक डॉलर चुना था. छोटे बेटे को अपने भाई पर दया आ रही थी और उसने उसे कुछ पैसे देने का ऑफर दिया. लेकिन बड़े बेटे ने मना कर दिया. उसने कहा कि उसका एक डॉलर धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा था. पहले दिन, उसके पास एक डॉलर था लेकिन 21 तारीख़ तक ये बढ़कर 653.35 $ हो गया था. उसके छोटे भाई को उसकी मूर्खता देखकर बड़ी हंसी आ रही थी और एक बार फ़िर उसने कुछ पैसे देने का ऑफर दिया. इस बार फ़िर बड़ा भाई मुस्कुराया और उसने पैसे लेने से मना कर दिया.
महीने के अंत तक, छोटे बेटे का दिवाला निकल गया था. उसके इन्वेस्टमेंट से उसे कुछ फ़ायदा नहीं हुआ और तो और उसने बिना सोचे समझे हद से ज़्यादा पैसे होटल और एक्सपर्ट्स की फ़ीस देने में बर्बाद कर दिया था. जहां महीने की शुरुआत में उसके पास एक मिलियन डॉलर थे वहीँ अब वो बुरी तरह क़र्ज़ में डूब चुका था. बड़ा बेटा जिसके पास शुरुआत में एक डॉलर था वो बढ़ते-बढ़ते अब 11 मिलियन $ हो गया था.
बिलकुल इन दो बेटों की तरह आपके पास भी जिंदगी में चॉइस होती है, एक मिलियन या एक डॉलर को चुनने की नहीं बल्कि अपने पैसे को इंवेस्ट या सेव करने की चॉइस. अब आप पूछेंगे कि क्या ये करना आसान है? तो जवाब है, बिलकुल आसान है और क्या ऐसा नहीं करना भी आसान है? तो इसका भी जवाब हाँ है. अक्सर जिन चीज़ों को करना आसान होता है, उन्हें नज़रंदाज़ कर देना भी बड़ा आसान होता है क्योंकि लोगों की सोच होती है कि इस मामूली से काम से मुझे क्या फ़ायदा होगा. लेकिन उनका यही नज़रिया तो गलत है क्योंकि ये छोटी-छोटी चीज़ें आप में बदलाव लेकर आती है जो बाद में आपको बड़ी सक्सेस देती है.
इमेजिन कीजिए कि आपने और आपके दोस्त ने इस बुक को पढ़ा. बुक पढ़ने के बाद आपके दोस्त ने हर महीने 250$ सेव करने का फ़ैसला किया ताकि रिटायरमेंट के बाद उसकी जिंदगी आराम से गुज़रे. दूसरी ओर, आप ये कहते हैं कि अभी तो सेव करने के लिए पूरी जिंदगी पड़ी है, अभी तो ऐश करने का वक़्त है. अब आप पैसे सेव करने के फैसले को साल दर साल टालते रहते हैं. 20 साल बाद आपका दोस्त बताता है कि रिटायर होने तक उसके पास कम से कम आधा मिलियन डॉलर जमा हो चुका होगा.
दूसरी तरफ़ हैं आप जिसने एक भी पैसा नहीं बचाया. हालांकि कहते हैं कि जब जागो तभी सवेरा यानी शुरुआत करने में अब भी देर नहीं हुई है लेकिन जो वक़्त बीत गया उसमें आप बहुत कुछ खो देते हैं. इंतज़ार करने में बहुत देर हो जाती है. जब आप सही समय में सही डिसिशन लेते हैं तो वो छोटी छोटी सिंपल चीज़ें भी आपको सक्सेस की ओर खींचने लगती हैं और अगर आप इसमें चूक गए तो वो आपके फेलियर का कारण बन जाता है. बिलकुल यही आपके और आपके दोस्त के साथ भी हुआ. आपका दोस्त थोड़े थोड़े पैसे बचाने के उस छोटे से एक्शन को लगातार करता रहा और वो बढ़कर मिलियन डॉलर तक पहुँच गया.
आप पैसे ना बचाने के एक्शन को लगातार करते रहे इसलिए आप रिटायरमेंट के बाद के लिए कुछ नहीं बचा पाए. अगर आप इस बात को समझने से चूक गए कि छोटी छोटी आदतें कितना बड़ा असर डालती हैं तो वो आपकी हार का कारण बनता है.