(hindi) The Presentation Secrets of Steve Jobs: How to Be Insanely Great in Front of Any Audience
इंट्रोडक्शन
क्या आप कभी स्टेज पर गए हैं और आपको पता नहीं था कि क्या करना है?
क्या आप जो समझाने की कोशिश कर रहे थे उसमें आपके ऑडियंस ने इंटरेस्ट नहीं दिखाया ?
क्या आपके पास कभी एक बेहतरीन आईडिया था जो पूरी दुनिया को बदल सकता था, लेकिन आप उसे ढंग से प्रेजेंट नहीं कर पाए और वो आईडिया यूँ ही बर्बाद हो गया? अगर हाँ तो ये समरी आपके लिए हैं.
इस समरी में, आप जानेंगे कि स्टीव जॉब्स ने कैसे अपने करियर में कमाल किया, क्यों उनके “शो” बेहतरीन होते थे, और क्यों उनके समय में एप्पल की सेल्स आसमान छूती थी. आप स्टीव जॉब्स की तरह ही प्रेजेंटेशन देने के लिए ज़रूरी सभी टिप्स और ट्रिक्स सीखेंगे. इन फैक्ट, आप उनसे बेहतर हो सकते हैं और ये सब आप पर डिपेंड करता है.
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एनालॉग में प्लान कीजिए
सभी डिज़ाइन एक्सपर्ट्स सज्जेस्ट करते हैं कि आप अपना ज़्यादातर टाइम सोचने, स्केचिंग और स्क्रिप्टिंग में बिताते हैं. ये सब काम कागज पर करना यानि इसे “एनालॉग” तरीके से करना हमारे दिमाग को ज़्यादा क्लियर और फ़ोकस में रखता है.
30-स्लाइड या एक घंटे के प्रेजेंटेशन के लिए लगभग 90 घंटे की तैयारी करनी चाहिए. उस टाइम के कम से कम 1/3 टाइम सिर्फ रिसर्च, सोच-विचार और प्रेजेंटेशन को स्केच करने पर खर्च करना चाहिए.
प्रेजेंटेशन का आईडिया कितना भी कॉम्प्लिकेटेड क्यों न हो, इसे आसानी से नैपकिन या पोस्ट-इट नोट पर लिखा जा सकता है. एक साधारण पेपर नैपकिन पावरपॉइंट से भी ज़्यादा ताकतवर हैं.
साउथवेस्ट एयरलाइंस की एक बहुत फेमस नैपकिन की कहानी हैं.
हर्ब केलहर, एक वकील थे. वे एक दिन अपने क्लाइंट रोलिन किंग के साथ के साथ मिले. किंग के पास एक छोटा चार्टर एयरप्लेन था और उनके दिमाग में एक सिंपल पर बहुत पावरफुल आईडिया था. वे एक एयरलाइन बनाना चाहते थे जो बड़े-बड़े हब के बजाय छोटे हब जैसे डैलस, ह्यूस्टन और सैन एंटोनियो में अपनी सर्विस दे सके.
शब्दों और पॉइंट्स से भरे पॉवरपॉइंट प्रेजेंटेशन पर इतनी मेहनत करने के बजाय, किंग ने एक पेपर नैपकिन निकाला और तीन सर्कल खींचे. हर सर्कल के बीच में एक-एक हब का नाम लिखा था, और फिर उन्होंने उन तीन सर्कल को एक साथ जोड़ा. जब केल्हर ने नैपकिन देखा, तो वह तुरंत समझ गए कि किंग क्या चाहते है.
केलहर ने फ़ौरन एक लीगल काउंसलर के हैसियत से साइन किया और बाद में उसी एयरलाइन के सीईओ बन गए. दो लोगों ने एक नैपकिन पर एक सिंपल पर क्लियर आईडिया रखा और साथ मिलकर एक एयरलाइन की शुरुवात की. ये एयरलाइन अब साउथवेस्ट एयरलाइंस है और अमेरिका में सबसे सक्सेसफुल एयरलाइनों में से एक है.
किसी भी बेहतरीन प्रेजेंटेशन के नौ एलिमेंट्स हैं.
पहला है हेडलाइन. जब स्टीव जॉब्स ने आइफोन लॉन्च करना चाहा, तो उनकी हेडलाइन थी, “Today Apple reinvents the phone” यानी “आज एप्पल फिर से फ़ोन का आविष्कार करेगा ” एक सिंपल और पावरफुल हेडलाइन ऑडियंस के दिल और दिमाग में घर कर लेती हैं. अपनी हेडलाइन को छोटा रखिए पर ये ऐसा होना चाहिए जो लोगो को हमेशा याद रहे.
दूसरा एलिमेंट है जूनून यानि पैशन. एरिस्टोटल का मानना है कि किसी भी सक्सेसफुल प्रेजेंटेशन के पीछे जूनून या पैशन होता हैं. आपको स्टीव जॉब्स को एप्पल के नए प्रोडक्ट्स को लॉन्च करते हुए देखना चाहिए. आपको उनकी बातें बहुत अट्रैक्टिव और जूनून से भरा लगेगा. इस बारे में सोचिए कि आप अपने प्रोडक्ट के बारे में पैशनेट क्यों हैं, और इसे शेयर करने से मत डरिए.
तीसरे एलिमेंट है तीन ज़रूरी मैसेज. अपने प्रेजेंटेशन के लिए तीन या चार ऐसे ज़रूरी मैसेज चुनिए जिन्हें आपके ऑडियंस सालों बाद भी याद रखें.
चौथा एलिमेंट है मेटाफर्स और अनालोजिस. मेटाफर ऐसे शब्द हैं जिनका अपना ही कुछ मतलब होता है लेकिन किसी और ही बात को कहने के लिए यूज़ किया जाता है. टेक कंपनी कैस्पर स्काय (Kaspersky) के एक बहुत फेमस कैंपेन में, एक पुराने ज़माने के सैनिक को एक फुल सूट कवच पहनकर चलते हुए दिखाया गया था. इसमें एक हैडलाइन था, जिसमें कहा गया था, “”Don't be sad, you were very good, once upon a time” यानी “दुखी मत हो, तुम किसी ज़माने में बहुत अच्छे थे.” ये हैडलाइन कैस्पर स्काय के कॉम्पिटिटर के लिए था जो अपने यूज़र्स को वायरस से बचाने के लिए पुरानी टेक्नोलॉजी देते थे.
दूसरी ओर, अनालोजिस दो अलग-अलग चीजों की एक दूसरे से कम्पेरिज़न करने के साथ-साथ उन दोनों में एक समान बात ढूंढ़ने के लिए की जाती हैं. जैसे कि “माइक्रोप्रोसेसर आपके कंप्यूटर का दिमाग है.”
पांचवा एलिमेंट हैं डेमोंस्ट्रेशन. जब स्टीव जॉब्स ने लेपर्ड ऑपरेटिंग सिस्टम की शुरुआत की तो उन्होंने कहा कि इसमें 300 नए फीचर थे. लेकिन उन्होंने इसके सारे फीचर को प्रेस के सामने पेश करके उनको दस फीचर चुनने के लिए देने के बजाय खुद ही दस फीचर ढूंढे और इन फीचर को हाईलाइट किया.
इसके अलावा, स्टीव जॉब्स ने उन 10 फीचर की लिस्ट ही नहीं बनाई बल्कि उन्हें समझाया भी. उन्होंने बैठकर ऑडियंस को दिखाया कि हरेक फीचर कैसे काम करती हैं. उन्होंने अपने प्रोडक्ट के फीचर को ज़िंदा किया था.
एक बेहतरीन प्रेजेंटेशन के लिए छठा एलिमेंट हैं -पार्टनर. जॉब्स हमेशा अपने पार्टनर्स के साथ स्टेज शेयर करते थे. एग्जाम्पल के लिए September 2005 में, जॉब्स ने अनाउन्स किया कि मैडोना के सारे गाने आई-ट्यून्स में मिलेंगे. मैडोना खुद ही स्टेज पर स्टीव के साथ इस लॉन्च में वेब-कैमरा की मदद से शामिल हुई और ऑडियंस को इसके बारे में बताया.
सातवां एलिमेंट हैं कस्टमरों की गवाही और थर्ड पार्टी एन्डोर्समेंट या विज्ञापन. लोग जब अपनी बातों से आपके प्रोडक्ट के बारे में दूसरों के सामने बड़ाई करते हैं तो ये सबसे बढ़िया एन्डोर्समेंट हैं, खासकर अगर आपकी कंपनी छोटी हैं. लोग अपने प्रोडक्ट के बारे में दूसरों के राय जानना चाहते हैं. ये करने के लिए आप एक सिंपल सा छोटा वीडियो बना सकते हैं या फिर कस्टमर को स्टेज में इन्वाइट करके पूछ सकते हैं.
आंठवा एलिमेंट हैं वीडियो क्लिप. आमतौर पर स्टीव जॉब्स अपने प्रेसेंटेशन में वीडियो क्लिप्स शामिल करते थे जो ज्यादातर लोग नहीं करते थे. यहां तक कि उन्होंने टीवी पर दिखाए जाने वाले एप्पल के ad का भी यूज़ किया. उन्होंने ad को स्टेज पर यूज़ किया और कभी-कभी तो एक से ज़्यादा बार भी चलाया. जब आप अपनी प्रेसेंटेशन में वीडियो का यूज़ करते हैं, तो लोग हैरान हो जाते हैं. वीडियो क्लिप आपके प्रेसेंटेशन को सबसे अलग बनाती हैं और आपके ऑडियंस का ध्यान खींचने में मदद करती है.
नौवां एलिमेंट हैं, अपने प्रेसेंटेशन में फ्लिप चार्ट, प्रॉप्स और शो-एंड-टेल का यूज़ करना. आपको सब तरह के लोगों तक अपने प्रोडक्ट को पहुँचाना है इसलिए आपको उन तक पहुंचना चाहिए. ज़्यादातर लोग किसी चीज़ को देखकर उसे बेहतर तरीके से सीखते हैं. और, कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो सुनकर ज़्यादा बेहतर सीखते हैं. वहीं , कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो चीज़ों को छूकर और उसका एहसास करके उसके बारे में सीखते हैं.
जो लोग देखकर बेहतर सीखते हैं, उनके लिए फ्लिप-चार्ट सबसे अच्छा ज़रिया हो सकता हैं. जो लोग किसी चीज़ को छूकर और उसका एहसास करके उसके बारे में सीखते हैं, वैसी ऑडियंस के लिए प्रेजेंटेशन के दौरान छूने के लिए प्रॉप या प्रोडक्ट दिए जाए तो सबसे असरदार होगा. और आखिर में, शो-एंड-टेल दोनों टाइप के लोग जो चीज़ों को देखकर सीखते हैं और जो सुनकर सीखते हैं, उन्हें अपनी ओर खिंच सकता हैं.
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सबसे ज़रूरी एक सवाल का जवाब दीजिए
स्टीव जॉब्स ने एक बार कहा था,“आपको कस्टमर एक्सपीरियंस के साथ शुरुआत करनी होगी और टेक्नोलॉजी की दिशा में काम करना होगा, न कि उलटे तरीके से. ”
1998 में जब जॉब्स ने नया आईमैक लॉन्च किया, तो उन्होंने ठीक इसी बात को फॉलो किया. सबसे पहले, उन्होंने कंस्यूमर्स को बताया कि उनका ये प्रोडक्ट किसके लिए था और ये उनके लिए क्यों मायने रखता है. उन्होंने कहा कि आईमैक खास स्टूडेंट्स और टीचर्स के लिए से बनाया गया था. ये कंस्यूमर्स को आसानी और जल्दी से इंटरनेट का यूज़ करने के लिए बनाया गया था. इसके बाद, जॉब्स ने अपने कम्पनी के कॉम्पिटिटर्स की कमजोरियों के बारे में बताया कि उनके नए आईमैक के सामने उनके प्रोडक्ट्स कितने स्लो हैं.
जब एप्पल कम्पनी ने IBM के पावर पीसी चिप्स को इंटेल प्रोसेसर में बदला, तो एप्पल के अनाउन्स करने से पहले ही अफवाह फैलने लगी. ज्यादातर अखबारों को चिंता थी कि ऐसी अफवाह फैलाना गलत हैं और उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि एप्पल अपनी कॉम्पिटिटर इंटेल जैसे बड़े कम्पनी के रहते हुए ऐसा कदम उठाएगा. प्रेस को यह भी समझ नहीं आ रहा था कि एप्पल ऐसा क्यों कर रहा हैं जबकि आईबीएम के पावरपीसी चिप्स इतने सक्सेसफुल थे.
अब जॉब्स के लिए मुश्किल काम था. उन्हें ऑडियंस के लिए एक सवाल का जवाब देना था, “हमें नए प्रोडक्ट की केयर क्यों करनी चाहिए?” ये काम मुश्किल था, लेकिन जॉब्स के लिए यह आसान था. उन्होंने उस सवाल के जवाब से अपनी प्रेजेंटेशन की शुरुवात की.
जॉब्स ने बताया कि एप्पल ने ऐसा मुश्किल कदम क्यों उठाया और उन्होंने ऑडियंस को दो साल पहले के एक कॉन्फ्रेंस का स्लाइड दिखाया जो उन्होंने अपने प्रेजेंटेशन में यूज़ किया था. ये एक ताकतवर कंप्यूटर की एक तस्वीर थी और उन्होंने वादा किया था कि एप्पल इसे बाजार में उतारेगा. और फिर, जॉब्स ने अपने ऑडियंस से कहा कि एप्पल वादा करना चाहता है और वे आईबीएम के साथ रहकर ये वादा नहीं निभा सकते. इसीलिए अपने कस्टमर्स को खुश करने के लिए एप्पल Intel company के साथ हो गए.
जब आप अपने प्रेसेंटेशन के लिए तैयारी कर रहे होते हैं, आपको खुद से एक ज़रूरी सवाल करना चाहिए,” ऑडियंस को इस बात से क्या मतलब है?”
अगर आपका जवाब साफ़ हैं और इतना सिंपल हैं कि ये पांच साल के बच्चे को भी समझाई जा सके तो, 100 % गारंटी हैं कि आपकी ऑडियंस आपकी सारी बात समझ जाएंगे.
एक रोड मैप बनाइए
जॉब्स ने पहली बार 2007 में आइफोन को इंट्रोड्यूस किया. कैसे? चलिए, बताते हैं. जॉब्स ने स्टेज पर जाकर ऑडियंस से कहा कि आज एप्पल एक नहीं तीन डिवाइस इंट्रोड्यूस करेगा.
जॉब्स ने कहा कि एप्पल का पहला डिवाइस एक आइपॉड है जिसमें वाइडस्क्रीन और टच कंट्रोल हैं. ऑडियंस ये सुनकर खुश हुए. तब उन्होंने कहा कि एप्पल का दूसरा डिवाइस एक बिलकुल ही नए टाइप का फ़ोन होगा. ऑडियंस ने फिर से खुशी मनाई और आखिर में, कहा कि तीसरा डिवाइस एक इंटरनेट कम्युनिकेशन डिवाइस होगा. लेकिन, इस तीसरे डिवाइस के बारे में सुनकर ऑडियंस ने ख़ुशी नहीं दिखाई. ऑडियंस को इस बारे में और ज़्यादा डिटेल्स चाहिए थी.
जॉब्स ने अपनी बात ज़ारी रखते हुए फिर से कहा, एप्पल एक वाइडस्क्रीन और टच कंट्रोल वाला आइपॉड, एक बिलकुल ही नए टाइप का फोन और एक इंटरनेट कम्युनिकेशन डिवाइस बाजार में उतारने वाली हैं. ये सुनकर भी ऑडियंस ने कोई रिएक्शन नहीं दिया. उन्होंने इसे फिर से दोहराया “हम एक वाइडस्क्रीन और टच कंट्रोल आइपॉड, एक फोन और एक इंटरनेट कम्युनिकेशन डिवाइस ला रहे हैं. क्या आप लोगों को ये समझ नहीं आ रही ? ये तीन अलग डिवाइस नहीं हैं. ये सब एक डिवाइस में हैं और हम इसे आईफोन नाम दे रहे हैं.” ऑडियंस अबकी बार बहुत खुश हुई. वे इस बार पहले से कहीं ज्यादा खुश थे.
एक वर्बल रोड मैप बनाने के लिए, आपको अपने प्रेजेंटेशन में जिस प्रोडक्ट के बारे में भी कहना हैं , उस बारे में आपको तीन सिंपल लेकिन पावरफुल पॉइंट्स बनाने हैं. जब आप पहली बार मंच पर आते हैं, तो अपने ऑडियंस को बताइये कि आप उन्हें 3 पॉइंट्स बताने जा रहे हैं. और ,अगर आप एक पॉइंट मिस कर गए तो यह गारंटी है कि ऑडियंस आपसे पूछेंगे, “क्या आपने नहीं कहा कि वे 3 पॉइंट्स थे?” तीन पॉइंट्स को फॉलो करना इजी हैं और ये इतना पावरफुल हैं कि इससे आपके ऑडियंस का इंटरेस्ट बना रहेगा.
साइंस के हिसाब से , तीन का रूल एक बहुत पावरफुल टूल हैं जिसकी मदद से आप ऑडियंस को किसी भी चीज़ के बारे में बता और समझा सकते हैं. प्रोफेशनल्स को पता हैं कि चार या दो पॉइंट नहीं , बल्कि तीन पॉइंट्स बनाना ही सबसे बेहतरीन रिजल्ट देता हैं. आपने देखा कि स्टीव जॉब्स ने किस पावरफुल ढंग से iphone को लॉन्च किया.
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