(Hindi) The Power of Now: A Guide to Spiritual Enlightenment

(Hindi) The Power of Now: A Guide to Spiritual Enlightenment

परिचय (Introduction)

एच्खार्ट तोलले (Eckhart Tolle) अपनी लाइफ में ज्यादातर डिप्रेस्ड ही रहे परेशान ही रहे. वो जब 29 साल के थे तो अक्सर आधी रात में उनकी नींद टूट जाया करती थी. उन्हें अपनी लाइफ एकदम बेकार लगती थी, ऐसा लगता था जीने का अब कोई मतलब नहीं बचा है. रात के अँधेरे में उन्हें दूर से आती एक ट्रेन की आवाज़ सुनाई देती थी. लाइफ में अब उन्हें किसी भी चीज़ से प्यार या अटैचमेंट नहीं रह गया था. ऐसे में उनके दिल से एक ही आवाज़ आती थी” “आखिर क्यों मै इस तरह मर-मर के जी रहा हूँ”?

एच्खार्ट की पहले भी कई बार आधी रात को नींद टूटी थी, मगर वो रात सबसे डरावनी थी. उस रात एच्खार्ट के मन में भयंकर तूफ़ान उठ रहा था, वो सब कुछ छोड़-छाड़ कर हमेशा के लिए कहीं खो जाना चाहते थे. सबसे दूर एक ऐसी जगह जाना चाहते थे जहाँ से कहीं कोई वापस नहीं आता. उनसे अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा था. एच्खार्ट एक गहरी उदासी में डूब चुके थे. ऐसी कोई चीज़ नहीं थी जो उनके मन के खालीपन को भर पाती. ना फेमिली ना फ्रेंड्स, ना उनकी जॉब, कोई चीज़ नहीं. वो उस डार्कनेस की तरफ बढ़ते चले जा रहे थे जो उन्हें अपनी तरफ खीच रहा था. नेक्स्ट मोर्निंग जब एच्खार्ट की नींद टूटी तो उन्हें विंडो के बाहर एक छोटी सी चिड़िया की चहचहाट सुनाई दी.

आज से पहले उन्होंने कभी इस तरह की आवाज़ नहीं सुनी थी. उन्होंने धीरे से आँखे खोली और विंडो से आती हुई लाईट को देखा. वार्म सनलाईट उनके फेस पर पड़ रही थी जो एच्खार्ट फील कर सकते थे. अचानक उन्हें सब कुछ अच्छा लगने लगा. उनकी आंखू में आंसू भर आए. उन्होंने अपने चारो तरफ देखा. उन्हें अपना कमरा, कमरे की हर चीज़ नई लग रही थी. आज से पहले उन्होंने इन चीजों पर कभी गौर ही नहीं किया था. लाइफ में फर्स्ट टाइम एच्खार्ट ने घर के बाहर एक चक्कर लगाया. उन्हें आज हर चीज़ खूबसूरत लग रही थी. जिंदगी से भरपूर. उन्हें लगा जैसे उन्होंने आज एक नया जन्म लिया है. उस दिन से उन्होंने रोज़ पार्क जाना स्टार्ट कर दिया.

वो एक बेंच पर बैठ कर अपने चारो तरफ ब्यूटी एन्जॉय करते थे. पेड़, हवा, छोटे-छोटे जानवर, सनलाईट हर चीज़ उन्हें अच्छी लगने लगी थी. एच्खार्ट इस दुनिया में एकदम अकेले होकर भी काफी खुश थे. फिर जल्द ही ऐसा हुआ कि लोग उनके पास आकर उनसे पूछते थे” आपकी इस हैप्पीनेस का सीक्रेट क्या है? हम भी आपकी तरह खुश रहना चाहते है, हम क्या करे?” इस पर एच्खार्ट उन्हें बोलते” ख़ुशी तुम्हारे अंदर ही है. बस तुम्हारे दिमाग में इतना शोर भरा हुआ है कि तुम्हे अपनी खुशियों की आवाज़ सुनाई नहीं देती. धीरे-धीरे एच्खार्ट ने फील किया कि वो एकदम किसी स्प्रिचुअल टीचर की तरह बात करने लगे है. आपको क्या चीज़ परेशान कर रही है? ऐसा क्या है जो आपके माइंड में चल रहा है? क्या आप फ्यूचर की चिंता में डूबे है?

क्या आपको पास्ट का रिग्रेट सता रहा है? क्या आप बोल सकते है कि आप एक भरपूर लाइफ जी रहे है? क्या कभी ऐसा हुआ कि आपके मन में कोई चिंता कोई फ़िक्र नहीं थी ? क्या कभी ऐसा हुआ कि आपने सिर्फ आज के बारे में सोचा? इस बुक में आप अपने आज में जीना सीखेंगे. आप अपने प्रेजेंट लाइफ को और इस खूबसूरत दुनिया को एप्रीशिएट करना सिखेगो. लाइफ की हर बिटरनेस और पेन को दूर करने का एक तरीका है. अपने डर को और गुस्से को दूर करना इतना भी मुश्किल नहीं है. इस बुक summary को पढकर आप सीखेंगे कि अपनी प्रोब्लम्स को कैसे फेस करे. आप भी चाहे तो अपनी जिंदगी में शान्ति ला सकते है. जब एच्खार्ट ने अपनी लाइफ में ये सब कुछ सर्वाइव किया है तो आप क्यों नहीं कर सकते.

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यू आर नोट योर माइंड (You are not your mind)

एक बार एक बेगर (भिखारी) था जो 30 सालो से साइडवक में रहता आ रहा था. एक दिन सुबह जब एक स्ट्रेंजर वहां से गुज़रा तो बेगर ने अपनी बेसबाल केप उसके आगे रखते हुए पूछा” सर, क्या कुछ पैसे मिल जायेगे?”

“मेरे पास तुम्हे देने के लिए पैसे नहीं है” वो आदमी बोला. उस आदमी ने नोटिस किया कि बेगर एक ओल्ड बॉक्स पर बैठा हुआ था. “ये क्या है”? उसने बेगर से पुछा. “कुछ नहीं बस एक बॉक्स है. ये तो काफी टाइम से यहाँ पड़ा हुआ है” बेगर बोला.

“क्या तुमने कभी इसे खोल के देखा है?” स्ट्रेंजर ने पूछा.

“क्या फायदा? ये तो खाली होगा” बेगर बोला. मगर जब स्ट्रेंजर ने इंसिस्ट किया कि उसे एक बार बॉक्स खोल कर देखना चाहिए तो बेगर उसकी बात मान गया. बॉक्स काफी पुराना था इसलिए खुल नहीं पा रहा था, मगर बेगर ट्राई करता रहा तो बॉक्स खुल गया. बेगर ने जैसे ही बॉक्स के अंदर देखा वो हैरान रह गया. जिस पुराने से बक्से में वो इतने सालो से बैठता आ रहा है, वो असल में गोल्ड से भरा हुआ था. देखा जाए तो हम सब एक तरह से बेगर की तरह है. हम बाहर की दुनिया देखते है, अपने अंदर झाँकने की कभी कोशिश नहीं करते.

हम बाहर अपनी खुशियां तलाशते है. हम सभी को प्यार  और सिक्योरिटी की ज़रूरत है. मगर हम ये भूल जाते है कि हमारे अंदर ही एक खज़ाना छुपा है. एक ऐसा खजाना जो हमे कोई और नहीं दे सकता. तो असली खजाना आखिर है क्या? असली खजाना है अपने अंदर की शांति को महसूस करना. हम जैसे है वैसे खुद को accept करना. अपने असली नेचर के साथ खुश रहना. पास्ट के रीग्रेट और फ्यूचर की चिंता से दूर अपने आज में खुश रहना है असली दौलत है. अगर हम अपने आज में खुश है तो हम वाकई में खुश रहेंगे. एक बार जब ये खजाना आपको मिल जाएगा तो फिर कभी आप बाहरी दुनिया की झूठी चमक दमक में नहीं पड़ोगे. आप अपने में ही इतने मस्त रहोगे कि ये दुनिया आपको एकदम अलग नज़र आने लगेगी. फिर ना बीते हुए कल का दुःख होगा और ना ही आने वाले कल की चिंता रहेगी. असली सोना आपके अंदर ही है, बस एक बार अपने अंदर झाँक के तो देखो.

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कांशसनेस: द वे आउट ऑफ़ पेन (Consciousness: The Way Out of Pain)

उस बॉक्स को आप कैसे खोलेंगे जो आपके पास है? कैसे आप अपने अंदर छुपा गोल्ड बाहर निकालेंगे? सबसे पहले तो, ये जानना बहुत ज़रूरी है कि आप क्यों परेशान रहते है. ऐसा क्या है जो आपको जीने नहीं दे रहा? आपके दर्द की वजह क्या है? आपको अपनी उदासी की वजह मालूम करनी होगी. ज़रा ये सोचो कि अगर दुनिया में इंसान होते he नहीं तो क्या होता? सिर्फ जानवर और पेड़ पौधे ही होते तो? तब क्या पास्ट या फ्यूचर होता? तब टाइम जैसी कोई चीज़ होती क्या ? ईगल क्या ये पूछती ” टाइम क्या हुआ है, ज़रा बताना? या ओक का पेड़ सोचता” आज कौन सी तारीख है? असल में प्लांट्स और एनिमल्स के लिए टाइम या डेट जैसी कोई चीज़ मैटर ही नहीं करती. उन्हें क्या लेना देना पास्ट या फ्यूचर से. उनके लिए जो टाइम है आज और अभी है.

पेड़ पौधे और जानवर अपने प्रेजंट में जीते है. ज़रा सोचो कितना वंडरफुल है बिना किसी रिग्रेट और परेशानी के जीना. कोई फ़िक्र नहीं और ना ही कोई दुःख परेशानी. यही होता है अपने प्रेजेंट में जीना जो हम भूल चुके है. अपने पास्ट के बर्डन और फ्यूचर की चिंता छोड़ कर अभी का टाइम एन्जॉय करना. लेकिन क्या ये मुमकिन है? हम इन्सान है, चाह कर भी हम अपने पास्ट को भूल नहीं पाते, हमारा माइंड हमे आने वाले कल के लिए डराता है, हमारा माइंड हमे कण्ट्रोल करता है. हम हमेशा उलझनों से इतने घिरे रहते है कि अपने प्रेजेंट को एप्रीशिएट नहीं कर पाते. और हमारे दुःख की असली वजह यही है.

हम खुद ही उदासी को अपनी लाइफ में इनवाईट करते है. अब आप बोलोगे कि प्रजेंट में तो कुछ अच्छा नहीं है. सिर्फ दुःख है परेशानियां है. मगर क्या वाकई में ये सच है? आप शायद पास्ट के इन्फ्लूएंश में आकर ऐसा बोल रहे है. लेकिन आपको पास्ट को भूलकर प्रजेंट में ध्यान देना होगा, आज जैसा भी है उसे एक्सेप्ट करो. अपने आज को सुधारों. इसे अपना दुश्मन नहीं, दोस्त समझो. एक बार कोशिश तो करो फिर देखो कैसे ये आपकी लाइफ ट्रांसफॉर्म करता है.
मूविंग डीपली इनटू द नाऊ (Moving Deeply into the Now)

क्या कभी सोचा है लोग कार रेसिंग या माउन्टेन क्लिम्बिंग जैसी एक्टिविटीज क्यों पंसद करते है? वो इसलिए क्योंकि उन्हें लगता है कि वो present मूवमेंट में है. कितनी अजीब बात है ना? लोगो को present मूवमेंट फील करने के लिए कोई पर्टीक्यूलर एक्टिविटी करनी पड़ती है. यही वजह है कि अक्सर लोग खुश रहने के मौके ढूंढते है. एक जेन मास्टर थे. एक बार उन्होंने अपने स्टूडेंट्स से पुछा” इस वक्त किस चीज़ की कमी है?” स्टूडेंट्स सोच में पड़ गए कि इस सवाल का जवाब क्या होगा. सब शांत होकर सोच रहे थे. बस यही वो चीज़ थी जो शोर में नहीं मिलती यानी शांति.

किसी को भी शांत रखने के लिए ये कितनी सिंपल सी एक्सरसाइज़ है. कहने का मतलब है कि आपको अपने अंदर की शांती और खूबसूरती मह्सूस करने के लिए किसी ऊँचे पहाड़ पर चढने की ज़रूरत नहीं है. काम पर जाते हुए या सिटी का चक्कर लगाते वक्त आपने रास्ते में कई सारे पेड़ देखे होंगे. आप इन पेड़ पौधो को शायद ही कभी नोटिस किया होगा क्योंकि अक्सर हम लोग अपनी ही परेशानियों में खोये रहते है. अगर हो सके तो कभी इन पेड़ो के साए में बैठकर कुछ पल शान्ति से बैठो, रिलेक्स करो या अपनी विंडो के बाहर किसी पेड़ को गौर से देखो. आपको कुछ डिफरेंट फील होगा.

आप देखोगे कि ये पेड़ पौधे कितने ब्राईट कितने कलरफुल है. ये आपके वर्कप्लेस और घर के पास की किसी भी इमेज से एकदम अलग है. बेशक कुछ टाइम के लिए ही सही इन मोमेंट्स को फील करो. पेड़ो की फ्रेश एयर में सांस लो. आप फील करोगे कि आपका माइंड रिलेक्स हो गया है. वो सारी परेशानियां जो कुछ वक्त पहले आपकी माइंड में थी, उन सबको आप कुछ देर के लिए एकदम भूल गए है. एक सुकून सा आपके अंदर है. जिस वक्त आप सुबह उठकर ये सोचते है कि काश मै यहाँ से कहीं दूर होता या होती, उस वक्त दरअसल आप अपने रिस्पोंसेबिलिटीज से भागना चाहते है, आपके माइंड में ढेर सारी बाते घूमती है.

आपको उन चीजों की फ़िक्र सताती है जो आपको अचीव करनी है. और उस वक्त आपके दिमाग में बस एक ही बात होती है कि अब खुश रहने का और एक्साईटमेंट का अगला मौका कब मिलेगा. कब आप अपना फेवरेट फ़ूड फिर से खाओगे? कब आप कोई थ्रिलिंग एक्टिविटी करोगे ? कब आपको कोई ऐसा मिलेगा जो आपकी लाइफ कम्प्लीट करेगा? लेकिन आप सिर्फ वेट करते रहते है और इस चक्कर में आज की छोटी-छोटी खुशियों को एन्जॉय करना भूल जाते है. आप अपने आस-पास नहीं देखते बस फ्यूचर की चिंता में रहते है. और यही रीजन है कि हम कभी भी सेटिसफाई नहीं हो पाते.

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