(Hindi) The ONE Thing

(Hindi) The ONE Thing

पहला आदमी: क्या तुम जानते हो कि जीवन का रहस्य क्या है?
दूसरा आदमी: नहीं। क्या है?
पहला आदमी: यह। [एक उंगली ऊपर करता है।]
दूसरा आदमी: तुम्हारी उंगली?
पहला आदमी: एक चीज। केवल एक चीज। तुम केवल एक चीज में बहुत ज्यादा अच्छे हो जाओ ओर बाकी कुछ मेटर नही करेगा।
दूसरा आदमी: बहुत बढ़िया। पर वह “एक चीज” है क्या?
पहला आदमी: यही तो तुम्हें पता करना है।
अगर आप किसी एक चीज मे बहुत देर तक लगे रहते है तो “आप जरूर जीतेंगे”।यही सफलता का रहस्य है। किसी भी एवरेज आदमी और उसकी अचीवमेंट्स के पीछे का एकलौता रहस्य।

गोइंग स्माल

यदि हर आदमी के लिए दिन में उतने ही घंटे होते हैं, तब ऐसा क्यों लगता है कि कुछ लोग औरो से बहुत ज्यादा अचीव कर लेते हैं? उत्तर है कि– दे गो स्माल। “गोइंग स्माल” है उन दूसरी सारी चीजों की अनदेखी कर देना जिन्हें आप कर सकते थे, और वही करना जो इम्पोरटेन्ट है। यह पहचानना है कि सारी चीजें एक समान जरूरी नहीं हैं और उन चीजों को पा लेना जो सबसे ज्यादा जरूरी हैं। हमें यह इसे समझना है कि EXTRAORDINARY RESULTS सीधे इस बात पर डीफेन्ड करते है कि आप अपना फोकस कितना नैरो कर सकते हैं। जब आप जितना संभव है उतने छोटे बन जाते हैं, तब आप अपनी वन थिंग अचीव कर सकते है जो आपको लाईफ में सक्ससफुल बना देगा।

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EXTRAORRDINARY रिजल्ट अचीव करना

डोमिनोज़ गिराना बहुत ईजी टास्क है। बस आपको उन सारे पत्थरो को एक साथ लाईन में लगाना है और उनमें से पहले पत्थर को धक्का देना है उसके बाद सारे के सार पत्थर अपने आप गिर जायेंगे इसे हम डोमिनो इफेक्ट भी बोलते है फिर भी, असली दुनिया में यह थोडा डिफिक्लट है प्रोब्लम ये है कि कोई हमारे गोलस को लाईन में नही लगाता और हमसे  यह नहीं कहता, “यहीं से तुम्हें शुरू करना चाहिए।” इसलिए, इसके बदले हर दिन, हमें स्टार्टिंग से अपनी प्रयॉरिटीज़ की लाइन लगानी चाहिए,हमें अपने सबसे हाईस्ट प्रयांरिटी टास्क को ढूढंना चाहिये और उसी पे काम करना चाहिये जब तक वो अचीव ना हो जाये। यह अप्रोच काम करता है क्योंकि एक्सट्रा आर्डनरी रिजल्ट सिक्वनशनल होते है यानी एक के बाद एक अचीव होते है एक साथ नही। डोमिनो इफेक्ट अपने काम पर और आपके बिजनेज पर भी लागू होता है, और उस छोटे से छोटे पल पर भी लागू होता है जब आप डिसाइड कर रहे होते हैं कि आगे क्या करना है। सफलता का निर्माण सफलता पर किया जाता है। सिर्फ एक बार में एक चीज।

भाग 1:- झूठ: जो हमे मिसलीड करते हैं और पटरी से उतार देते हैं
समय के साथ-साथ, हमें इतने सारे झूठ बताये गये होते है, कि हम उन पर फाईनली विश्वास करने लगते है। इतना ही नही हम लाईफ के सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण डिसीजन भी उन झूठ के बेस पर लेने लगते है। अगर हमें अपना मेक्सिम पोटेनशियल अचीव करना है, तो हमे ये निश्चित करना पडेंगा कि हम उन सब झूठो से दूर रहें।

झूठनं. 1: सभी चीजों का महत्व एक समान है
लाँ और जस्टिस  के नाम पर हमें बताया जाता है कि हर चीज इक्वल है जबकि असली दुनिया में कोई भी चीजें बराबर नहीं होतीं। चाहे लोग कितने भी टैलेंटेड हों — इनमें से कोई भी दो लोग कभी एक समान नहीं होते। हर चीज की इम्पोरटेन्स इक्वल नहीं होता। equality बराबरी एक झूठ है। और सक्सेस एक ऐसे गेम नही है जो इसे ज्यादा खेलेगें वही जीतेगा। मगर हर रोज ज्यादातर लोग ठीक इसी तरह से खेलते हैं। हालांकि टु-डू लिस्ट हमारे अच्छे इरादों के उपयोगी कलेक्शन का काम करते हैं, वे हमें छोटी-छोटी, गैरजरूरी चीजों से डराने का काम भी करते हैं जिन्हें हम करने के लिए मजबूर होते हैं  क्योंकि यह हमारी लिस्ट में हैं। अचीवर्स अलग तरीके से काम करते हैं।

अचीवर्स हमेशा प्रायॉरिटी कर के काम करते हैं। वो टु-डू लिस्ट्स की जगह, success लिस्ट बनाते है । एक ऐसी लिस्ट जिन्हे करने पर जो उनके गोल के साथ alined है और जिन्हे करने से वो अपने गोल के और करीब पहुँच जायेगें।  यदि आपकी टु-डू लिस्ट में हरे एक चीज लिखी हुई  है, तब वो  शायद आपको हर जगह पर ले जायेगी सिवाय उस जगह के जहाँ आप जाना चाहते हैं। हमें पैरेटो  प्रिंसिपल apply करना चाहिये जिसे हम 80/20 प्रिंसिपल के नाम से भी जानते है, यह प्रिंसिपल कहता है कि हमारे 20 परसेंट effort हमें 80 परसेंट रिजल्ट दिलवाते है यह आपको करेकट डारेकशन देती है जो आपको आपके गो तक ले जायेगी। हमें ये समझाने होगा की कई चीजें बाकी चीजों से बहुत ज्यादा इम्पोरटेन्ट है। एक तो दो लिस्ट एक सक्सेस लिस्ट में तब कनवरट होती है जब आप पैरेटो  प्रिंसिपल लगाते है अगर आप एक स्टेप फर्दर ले जाये तो आप उन सारी चीजो में से 10-12 चीजो जो अपने टू डू लिस्ट में लिखी है उस पर पैरेटो  प्रिंसिपल लगा कर आप अपनी वन थिंग तक पहुँच सकते है यानि सबसे ज्यादा इम्पोरटेन्ट चीज जो आपको आपके गोल तक ले जायेगी।.

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झूठ नं. 2: मल्टीटास्किंग

मल्टीटास्किंग एक झूठ है क्योंकि लगभग सभी मानते हैं की मल्टी टासकिंग करने से वो बहुत ज्यादा प्रोडेक्टिव हो जाते है।यदि आप दो चीजें एक साथ करने की कोशिश करते हैं, तब आप इनमें से किसी को भी चीज को अच्छे तरीके से नही कर पायेगे। मल्टीटास्किंग एक काम करने का इफेक्टिव तरीका है।टर्म “मल्टीटास्किंग” कंप्यूटर के कई काम एक साथ करने की capabilty को डिफाईन करने के लिये 1960 आया था। पर कम्पयूटर भी मल्टीटास्किंग नही कर सकते। वो मल्टीपल टास्क को एक एक करके करते है, लेकिन ये काम बहुत तेजी से होता है और हमें लगता है की कम्पयूटर मल्टीपल टास्क को एक साथ कर रहा है लोग एक साथ दो या ज्यादा काम कर सकते हैं, जैसे टहलना और बातें करना

परंतु हम एक साथ दो चीजों पर फोकस नहीं कर सकते। हमारा ध्यान आगे पीछे होता रहता है। यह कंप्यूटरों के लिए तो ठीक है, परंतु मनुष्यों के लिये ये एक बहुत बडी प्राँबल्म है जब आप एक टास्क से दूसरे टास्क पर स्विच करते हैं, तब दो चीजें होती हैं। पहली लगभग तत्काल है: आप स्विच करने का निश्चय करते हैं। दूसरी कम प्रेडिक्टेबल है : आप जो भी करने वाले हैं उसके लिए आपको उसके “नियमों” को ऐक्टिवेट करना पड़ेगा। हमेशा किसी नए टास्क को शुरू करने में और जिसे आपने छोड़ दिया है उसे फिर से शुरू करने में कुछ समय लगता है। और फिर भी कोई भी गारंटी नहीं है कि आपने जहाँ छोड़ा था वहीं से शुरू करेंगे। तो हम कभी भी मल्टीटास्किंग को बर्दाश्त क्यों करें खासकर जब तब हम सबसे महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं? केवल इसलिए कि हमारा दिन का काम बाइपास सर्जरी से संबंध नहीं रखता इसका मतलब यह नहीं है कि हमारी सफलता के लिए फोकस करना कम क्रिटिकल है। आपका काम इससे कम रेसपेक्ट डिजर्व नहीं करता।

झूठ न. 3: एक डिस्पिलीन लाईफ

जो ज्यादातर लोग मानते हैं सच उसके एक दम उल्टा है सफलता डिसिप्लीन्ड एक्शन की लंबी दौड़ नहीं है।अचीवमेंट आपसे यह मांग नहीं करती कि हर समय डिसिप्लीन्ड व्यक्ति बने रहें जहाँ पर आप हर ऐक्शन के लिये ट्रेनड हो और जहाँ पर आपके पास हर प्राँबल्म का आपके पास साल्यूशन हो असल में सफलता एक छोटी दौड़ है — एक स्प्रिंट, जिसमें फ्यूल तो डिसिप्लीन का है, केवल उतनी ही देर तक जब तक वो एक हैबिट नही बन जाती आप जितना सोचते हैं उससे कम डिसिप्लीन से आप सफल हो सकते है, इसका एक सिम्पल सा रिजन है : सफलता सही चीज करने के बारे में है, हर चीज सही करने के बारे में नहीं।सफलता के लिए तरकीब है अपनी ।

ONE THING choose krna yaani aapki sabse important cheez aur uske badh sirf utna hi discipline ki jb tk ye ek habit me convert nhi ho jata jaise-jaise ye aadat apke jeevan ka hissa banti hai aap ek discipline vaykti ki tarah dekhe jayge lekin aap honge nhi aap vo vaykti honge jisne ek mazboot aadat banane ke liy selective discipline ka istemal kiya tha ek aadat banae me lag bhag 66 days lagte hai yani chyastt din shi discipline bahoot dur tk jaati hai, aur aadatein keval suruwat me mushkil hoti hai aadat ke shuruwat me jitni energy ki jarurt hoti hai usse bahoot km usse maintain krne le liy hoti hai.

2009 में यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के रिसर्चर्स ने यह प्रश्न पूछा था, “किसी आदत को लगाने में कितना समय लगता है?” रिजल्ट्स बताते हैं कि इसमें लगभग 66 दिन लगते हैं; पूरा रेंज 18 से 250 दिनों का था, परंतु 66 स्वीट स्पॉट tha — आसान aadatein banane me कम दिनों की जरूरत होती है और कठिन आचरणों में ज्यादा दिनो की। सुपर-सफल व्यक्ति कोई सुपर ह्युमन नहीं हैं; उन्होंने केवल कुछ simple आदतों को लाने के लिये सेलेक्टिव डिसिप्लीन का उपयोग किया tha –– एक बार में sirf एक, और समय के साथ vo aadatein banti rhi।

झूठ न.4: विल पावर जब चाहें तब आ सकती है

अधिकतर लोग यह मान कर चलते हैं कि विल पावर का बहुत importance है, परंतु इससे पूरी तरीके से  नहीं समझते कि ये कितनी ज्यादा इम्पोरटेन्ट है विल पावर इतना महत्वपूर्ण है कि इसका इस्तेमाल सबसे हाईस्ट प्रायॉरिटी काम को करने के लिये होना चाहिये क्योकि इसे हम हमेशा अपनी  इच्छा से ही बुला सकते है इसलिये इसको सबसे अच्छे उपयोग में लाने के लिये हमे इसे मैनेज करने की जरुरत है। विल पावर एक बैटरी की तरह है जिसकी एक लाईफ और इसके रिजार्ज करना पडता है । आप इसे रिजार्ज करते है सोने से , अच्छा खाने से, रेस्ट करने से इसलिये हमे ये सोचने की जरुरत है कि विल पावर को काम में कैसे लाते हैं? इस बारे मे सोचे इस पर ध्यान दीजिये इसका सम्मान कीजिये हर रोज जो चीज सबसे ज्यादा जरुरी है उसे सबसे पहले कीजिये जब आपकी विल पावर सबसे ज्यादा है।

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