(Hindi) The One Minute Manager

(Hindi) The One Minute Manager

Introduction

क्या आप जानना चाहंगे कि लोगो को कैसे इफेक्टिव तरीके से मैनेज किया जाय? क्या आपको भी एक इफेक्टिव मैनेजर बनना है? क्या आप ऐसे तरीको के बारे में जानना चाहते है जिससे आप अपने ग्रुप में प्रोडक्टीविटी और हैप्पीनेस ला सके? आप बिलीव नहीं करेंगे लेकिन आप एक मिनट में ये कर सकते है. सबसे पहले आपको गोल सेट करने के लिए एक मिनट चाहिए. सेकंडली आपको लोगी की तारीफ करने के लिए भी एक ही मिनट लगेगा.

थर्ड बात ये कि आपको लोगो की कमिया बताने में भी एक मिनट लगेगा. और अगर आप ये सब फोलो करते है तो यकीन मानो ना सिर्फ आपका ग्रुप खुश रहेगा बल्कि अपनी बेस्ट परफोर्मेंस भी देगा. अगर आप एक मैनेजर है या बनना चाहते है तो यही टाइम है अपने फ्रेम ऑफ़ माइंड चेंज करने का. इस बुक से जो कुछ आप सीखने वाले है उस पर गौर करे और फिर अप्लाई करे. कोई भी इस वन मिनट बुक से सीख सकता है फिर चाहे वो एम्प्लोयी हो, पेरेंट्स हो या टीचर या लवर्स हो.

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द सर्च (The Search)

इस बुक की स्टार्टिंग होती है एक यंग मेन के साथ जो ये जानना चाहता था कि एक इफेक्टिव मैनेजर कैसे बना जाए. और ये जानने के लिए वो डिफरेंट ओर्गेनाइजेश्न्स में गया जैसे कि बैंक,रेस्तरोरेंट्स, होटल्स. स्टोर्स. यूनिवरसिटीज, गवर्नमेंट और कॉर्पोरेट ऑफिस. उसे कई मैनेजर्स मिले जो खुद को ऑटोक्रेटिक, रियलस्टिक और प्रॉफिट ओरिएंटेड बोलते थे. क्योंकि ये लोग काफी रिजल्ट ओरिएंटेड थे और इसीलिए इनकी इमेज एक टफ मैनेजर की थी. हालांकि जिस ओर्गेनाइजेशन के लिए ये लोग काम करते थे,

वो हमेशा प्रॉफिट में रहती थी लेकिन इस चक्कर में इन मैनेजर्स के अंडर काम करने वाले कभी खुश नहीं रह पाते थे. और कुछ ऐसे भी मैनेजर्स थे जिनकी इमेज पार्टीसिपेटिव, दूसरे लोगो के इमोशन को समझने वाले और ह्यूमेंनिस्टिक नेचर वाले मैनेजर्स की थी. इन्हें लोग पसंद करते थे. ये लोग ज्यादा पीपल ओरिएंटेड होते है.लेकिन इनके साथ उल्टा है. इनकी ओर्गेनाइजेशन उतने प्रॉफिट में नहीं रहती लेकिन स्टाफ के लोग खुश रहते है.

अब ये यंगमेन फ्रस्ट्रेटेड हो गया, उसे लग रहा था कि जिन मैनेजर्स से वो अब तक मिला है, वे लोग बस आधा काम ही कर रहे है. वो इतना फ्रस्ट्रेट हो गया कि उसने गिव अप कर दिया. लेकिन फिर एक दिन उसने पास के एक टाउन में रहने वाले एक स्पेशल मैनजेर के बारे में सुना. लोग इस मैनेजर् को बड़ा लाइक करते थे और ख़ुशी-ख़ुशी उसके लिए काम करने को तैयार रहते थे. उसके अंडर काम करने वाली टीम का रिजल्ट हमेशा बेस्ट रहता था. ये सब सुनकर यंग मेन थोडा क्यूरियस हो गया, उसने स्पेशल मैनेजर के ऑफिस में कॉल करके मिलने के लिए अपोइन्टमेंट माँगा.

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द वन मिनट मैनेजर (The One Minute Manager)

जब उस यंग मेन ने स्पेशल मैनेजर के ऑफिस में एंट्री की तो उसने स्पेशल मैनेजर को विंडो के पास खड़ा देखा. वो उसकी तरफ घूमा और मुस्कुराते हुए बोला “मैं आपके लिये क्या कर सकता हूँ? “ मैं सीखना चाहता हू कि हम लोगो मैनेज कैसे करें” यंग मेन ने जवाब दिया. वो स्पेशल मैनेजर खुद को पार्टीसिपेटिव (participative) नहीं मानता था इन्फेक्ट वो किसी भी डिसीजन में पार्टीसिपेट नहीं करता था- जो उसके सब सबआर्डिनेट बताते थे. और वो खुद को रिजल्ट ओरिएंटेड भी नहीं मानता था. बल्कि वो रिजल्ट के साथ-साथ लोगो की भी  केयर करता था.

उसके लिये दोनों ही इक्वलि इम्पोर्टेंट थे. उसकी डेस्क में एक नोट लिखा था” पीपल व्हू फील गुड अबाउट देमसेल्व्स प्रोड्यूस गुड रिजल्ट्स” यानि जो लोग खुद के बारे में अच्छा फील करते है वही बेस्ट रिजल्ट देते है। यंग मेन को रियेलाईज़ हुआ कि ये बात 100% सही है. स्पेशल मैनेजर अपने ग्रुप को हमेशा गुड फील कराता था. इससे होता ये था कि उन लोगो में ज्यादा काम करने की फीलिंग आती थी. लेकिन वो लोग क्वालिटी वर्क भी करते थे. वो मैनेजर उस यंग मेन को विंडो के पास लेकर गया. उन्होंने विंडो से देखा कि बहुत से अमेरिकन फॉरेन गाड़ीयां ले रहे थे, ऐसा नहीं था कि लोकल मेक गाड़ियों की सप्लाई कम हो रही थी.

लेकिन लोग फॉरेन गाड़ियाँ इसलिए चूज़ कर रहे थे क्योंकि वो ज्यादा अफोर्डेबल और एफिशिएंट थी. इसीलिए प्रोडक्टिविटी में क्वांटिटी और क्वालिटी दोनों होनी चाहिए. मैनेजर ने बताया कि अगर दोनों अचीव करना हो तो लोगो में इन्वेस्ट करो. यंग मेन ने पुछा “अगर आप ज्यादा पार्टिसिपेट नही करते ना ही आप प्रोटिट माईडंड हो तो आप अपने को किस तरीके का मैनेजर मानते हो” ” ये बहुत आसान सवाल है मैं वन मिनट मैनेजर हूँ”मैनेजर ने जवाब दिया.

और उसका कहना सही था क्योंकि वन मिनट मैनेजर कम टाइम में भी लोगो से बिग रिजल्ट ले सकता है. यंग मेन ने आज तक उस स्पेशल मैनेजर जैसा कोई नहीं देखा था, उसे यकीन नहीं हुआ.” सुनो, अगर तुम्हे यकीन नहीं होता तो तुम मेरे लोगो से पूछ सकते हो कि मै कैसा मैनेजर हूँ” मैनेजर ने कहा. उसने यंग मेन को एक पेपर दिया.

इसमें उन लोगो के नाम लिखे थे जो उसे डायरेक्टली रिपोर्ट करते थे. “किससे स्टार्ट करूँ? “ यंग मेन ने पुछा. इस पर मैनेजर ने कहा” मैं तुम्हे पहले ही बता चूका हूँ कि मै दुसरे लोगो के लिए डिसीज़न नहीं लेता”. उनके बीच कुछ देर खामोशी बनी रही. यंग मेन बहुत अनकम्फर्टबल फील करने लगा. तो मैनेजर ने उसकी आँखों में देखा और बोला “तुम लोगो को मैनेज करना सीखना चाहते हो और ये मुझे अच्छा लगा” “मेरे लोगो से मिलने के बाद अगर तुम्हारे माइंड में कोई सवाल हो तो मेरे पास आना” मै तुम्हे वन मिनट मैनेजर कांसेप्ट गिफ्ट करना चाहूँगा जो कभी मुझे किसी ने गिफ्ट किया था और इसने मेरी लाइफ चेंज कर दी. अगर तुम्हे ये पंसद आए तो शायद तुम भी किसी दिन वन मिनट मैनेजर बनना चाहो”

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द फर्स्ट सीक्रेट: वन मिनट गोल्स (The First Secret: One Minute Goals)

यंग मेन ने लिस्ट में से तीन नेम चूज़ किया. वो सबसे पहले जाकर मिस्टर ट्रेनेल से उनके ऑफिस में मिला. मिस्टर ट्रेनेल मिडल एज इंसान थे, वो उसे देखकर मुस्कुराए. “वेल,तो तुम ओल्ड मेन से मिलके आये हो, कमाल के इंसान है वो, है ना? उन्होंने तुम्हे वन मिनट मैनेजर के बारे में बताया क्या ? “(Well, you’ve been to see the ‘ole man.’ He’s quite a guy, isn’t he?”) Did he tell you about being a One Minute Manager?”
“हाँ बिलकुल, लेकिन ये सब सच नहीं है, है ना? यंग मेन ने पुछा

“एकदम सच है! और तुन्हें भी इस बात पे बिलीव करना चाहिए, हालांकि मै उनसे खुद ही बहुत कम मिल पाता हूँ. मिस्टर ट्रेनेल बोले. अब यंग मेन और पजल्ड (puzzled) हो गया. उसे पता लगा कि वन मिनट मैनेजर, मिस्टर ट्रेनेल से तभी मिलते थे जब उन्हें कोई नया टास्क या रिस्पोंसेबिलीटी देनी होती थी. वन मिनट मैनेजर मिस्टर ट्रेनेल को वन मिनट गोल सेटिंग देते थे. बहुत सी कंपनीज में सबओर्डीनेट्स अपने गोल्स को लेकर कन्फ्यूज़ रहते है,

उन्हें पता ही नहीं होता कि उन्हें करना क्या है. लेकिन वन मिनट मैंनेजर अपने स्टाफ को क्लियर कर देते है कि उनकी रिस्पोंसेबिलिटीज क्या होंगी और उनसे कंपनी क्या एक्स्पेक्ट करती है. वो अपने स्टाफ को वन मिनट गोल सेटिंग में भी असिस्ट करते है. सबओर्डीनेट्स अपने गोल्स एक पेपर शीट में लिख लेते है. हर एक गोल को लिखने में 250 से ज्यादा वर्ड्स यूज़ नहीं होने चाहिए.सबओर्डीनेट्स और वन मिनट मैनेजर दोनों इस गोल की कॉपीज अपने पास रखते है. फिर टाइम टू टाइम इस पेपर को चेक किया जाता है कि कितनी प्रोग्रेस हुई. वन मिनट गोल सेटिंग की वजह से टीम का हर मेंबर जानता है कि उसे क्या करना है. जैसे एक्जाम्पल के लिए मिस्टर ट्रेनेल का एक गोल है

“प्रोबल्मस का पता लगाओ और फिर वो सालयूशन ढूडो जिस से वो प्रोबल्म खत्म हो जाये “जब मिस्टर ट्रेनेल इस कंपनी में नए-नए आये थे तो एक बार वो अपने वन मिनट मैनेजर के पास एक प्रोब्लम कंसल्ट करने आये थे, इस पर  मैनेजर ने बोला “मुझे बस ये बाताओ कि तुमने क्या आब्जर्व किया, और क्या तुम गलती को मेज्योर कर सकते हो। फिलिंग और इमोशन के बारे में मुझे नही सुनना”.

ये सुनकर मिस्टर ट्रेनेल कंफ्यूज्ड हो गए, उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या बोले? मैनेजर ने मिस्टर ट्रेनेल को बोला”मेरा टाइम वेस्ट मत करो, अगर तुम्हे खुद नहीं पता कि तुम्हे क्या करना है तो इसका मतलब कि कोई प्रोब्लम है ही नहीं. तुम बस कम्प्लेंट कर रहे हो” तो इस तरह मैनेजर ने मिस्टर ट्रेनेल को तब तक गाइड किया जब तक कि वो एक बेस्ट सोल्यूशंन लेकर उनके पास नहीं आ गए. “अब तुम सही हो ट्रेनेल, मैनेजर बोले” याद रखना नेक्स्ट टाइम तुम कोई रियल प्रॉब्लम के साथ  ही आओ”

यानी वन मिनट गोलस इस तरीके से सेट करें

1. मैनेजर और एम्प्लोयीज दोनों गोल्स पर एग्री होने चाहिए
2. गुड बिहेवियर का ख्याल रखे.
3. हर एक गोल एक पेपर पे लिख ले लेकिन 250 से कम वर्ड्स में
4. बीच-बीच में एक मिनट रुककर अपने परफोर्मेंस की प्रोग्रेस चेक करे.
6. आपका बिहेवियर आपके गोल से मैच करता है या नहीं ये चेक करे

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द सेकंड सीक्रेट: वन मिनट प्रेजिंग (The Second Secret: One Minute Praising)

मिस्टर ट्रेनेल से मिलने के बाद यंग मेन अब मिस्टर लेवी के ऑफिस में गया. मिस्टर लेवी उससे स्लाईटली ओल्डर लग रहे थे. उन्होंने बड़ी ख़ुशी से यंग मेन का वेलकम किया और बोले” वेल, मुझे लगता है कि तुम ओल्ड मेन से मिल चुके हो, कमाल के इंसान है ना? क्या उन्होंने तुम्हे वन मिनट मैनेजर के बारे में कुछ बताया?” “हाँ,बिलकुल बताया. लेकिन ये सब सच नहीं है ना?” उसे लगा कि मिस्टर लेवी अलग ज़वाब देंगे लेकिन उन्होंने वही कहा जो मिस्टर ट्रेनेल ने बोला था. “ तुम्हे एक्चवल में इस बात पर बिलीव कर लेना चाहिये की मैं अपने मैनेजर से बहुत कम मिलता हूँ”. यंग मेन को पता चला कि मिस्टर लेवी भी वन मिनट मैनेजर से ज्यादा नही मिल पाते है. वो तभी मिलते है जब उन्हें एक मिनट प्रेजिंग देनी होती है.

मिस्टर लेवी जब ऑफिस में नए थे तो वन मिनट मैनेजर ने उनसे कहा कि” अगर तुम्हे अपने परफोर्मेंस के उपर क्लियर फीडबैक मिलती रहे तो तुम्हारे लिए इम्प्रूव करना ज्यादा ईजी रहेगा”. मैनेजर मिस्टर लेवी को कंपनी में एक सस्केसफुल पोजीशन पर देखना चाहते थे जो कंपनी के लिए एक एसेट की तरह हो और अपनी जॉब एन्जॉय कर सके.इसीलिए मैनेजर क्लियरली बता देते थे कि मिस्टर लेवी अपना काम ठीक से कर रहे है या नहीं. हालाँकि शुरू-शुरू में ये सब बड़ा अनकम्फर्टबल (uncomfortable)लगता था. क्योंकि ज़्यादातर मैनेजर नॉर्मली ऐसा नही करते है. लेकिन वन मिनट मैनेजर का मानना था कि क्लियर फीडबैक मिस्टर लेवी के लिए बहुत ज़रूरी है. मिस्टर लेवी को वन मिनट गोल देने के बाद मैनेजर उनके टच में रहते थे ताकि वो उनके हर एक्शन को क्लोजली देख सके.

शुरू-शुरू में मिस्टर लेवी को लगा कि शायद मैनेजर उन पर ट्रस्ट नहीं करते है. लेकिन फिर मिस्टर लेवी को रियेलाईज़ हुआ कि मैनजर उन्हें कुछ राईट डिसीजन लेते हुए रंगे हाथो पकड़ना चाहते है. ये एकदम उल्टा था क्योंकि ज्यादातर ओर्गेनाइजेशन्स में मैंनेजर अपने सबओर्डीनेट्स को कुछ गलत करते हुए पकड़ने की फिराक में रहते है. लेकिन वन मिनट मैंनेजर तो सबसे डिफरेंट थे. उन्होंने मिस्टर लेवी के पास आकर उनकी पीठ थपथपाई.
“क्या तुम्हे अजीब नहीं लगता जब वो तुम्हे टच करते है?

यंग मेन ने पुछा. मिस्टर लेवी ने कहा” नहीं, ये उनका एक सिम्पल जेस्चर (gesture)है तारीफ करने का”. वन मिनट मैनेजर रियली चाहते थे कि मिस्टर लेवी आगे बढे और सक्सेस हासिल करे. वन मिनट मैनेजर, मिस्टर लेवी की आँखों में देखकर बोले” जो तुमने किया एकदम राइट डिसीज़न था’. मैनेजर की वन मिनट प्रेजिंग इस बात का प्रूफ थी कि मैनेजर मिस्टर लेवी की प्रोग्रेस से अवेयर थे.

इसके अलावा वन मिनट मैनेजर का लोजिक एकदम राइट था, अगर कोई डिजर्व करता है तो उसे प्रेजिंग ज़रूर मिलेगी. हो सकता है कि मैनेजर को कभी कोई बात राइट ना लगे या कुछ गलत हो रहा हो लेकिन फिर भी वो आपको ही आके बतायेगा. ““तुम्हे नहीं लगता कि हर एक को प्रेज करने में मैनेजर का टाइम वेस्ट होता है”? यंग मेन का सवाल था. मिस्टर लेवी ने जवाब दिया “नहीं बिलकुल भी नहीं”, याद रखो कि किसी के काम को नोटिस करने और उसकी तारीफ करने के लिए कोई लंबा टाइम नहीं लगता, इसके लिए तो बस एक मिनट ही काफी है”

यानि वन मिनट प्रेजिंग हमें इस तरीके से करनी है।
1. लोगो को डायरेक्ट बोलो कि आप उन्हें फीडबैक दोगे.
2. जो डिजर्व करता है उसकी तारीफ करने में देर मत करो.
3. लोगो को बताओ कि वो क्या राईट कर रहे है
4. लोगो को बताओ कि उन्हें राईट डिसीजन से आपको कितनी ख़ुशी हो रही है और बाकी एम्प्लोयीज़ पर भी इसका क्या इम्पेक्ट पड़ेगा.

5. कुछ देर के लिए साइलेंट हो जाओ ताकि उन्हें पता चल सके कि आप कितने खुश हो
6. उस इंसान को एंकरेज करे अच्छा काम करते रहने के लिए
7. हाथ मिलाओ या उन्हें ऐसे टच करो जिससे उन्हें लगे कि आप रियली में उन्हें सक्सेसफुल देखना चाहते हो.

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