(hindi) THE MILLIONAIRE NEXT DOOR- The Surprising Secrets of America’s Rich

(hindi) THE MILLIONAIRE NEXT DOOR- The Surprising Secrets of America’s Rich

इंट्रोडक्शन

क्या आप जानते हैं कि ज्यादातर करोड़पति अमीर पैदा नहीं हुए थे, बल्कि उन्होंने खुद इतनी दौलत कमाई है.
क्या आपने कभी सोचा कि आप भी दौलतमंद बन सकते हैं?

मुझे यकीन है कि आपने एक बार तो ज़रूर ये सोचा होगा, तो अच्छी खबर ये है कि अगर आप अमेरिका के कई करोड़पतियों के एग्जाम्पल को फॉलो करते हैं तो आप भी दौलत कमा सकते हैं.

इस बुक में, आप सीखेंगे कि ज़्यादातर करोड़पति अपनी ज़रूरत से ज़्यादा की लाइफस्टाइल जी कर अमीर नहीं बने.

आप जानेंगे कि किस तरह करोड़पति लोग अपने टाइम, पैसे और एनर्जी को असरदार तरीके से मैनेज करते हैं.

आप जानेंगे कि सिर्फ देखने से ही आप किसी शख्स के दौलत के लेवल का अंदाजा नहीं लगा सकते. कई करोड़पति सेकेंड हैंड कार चलाते हैं.

आप सीखेंगे कि जो माँ-बाप अपने जवान बच्चों की ज़िंदगी में अनजाने में ही पैसों की मदद करते रहते हैं, वे अक्सर इन बच्चों को कमज़ोर और खर्चीले बना देते हैं, जिससे वे खुद कभी अपने दम पर अमीर नहीं बन पाते हैं.

इस बुक में आप जानेंगे कि ज़्यादातर करोड़पति बिना हिम्मत के और रिस्क लिए बिना अमीर नहीं बने.
क्या आप दौलत के अपने सफर के लिए तैयार हैं?

अपने पड़ोस के करोड़पति से मिलिए

ये एक गलत सोच हैं कि सभी अमेरिकी करोड़पतियों को अपनी दौलत विरासत में मिली है, और ये भी कि सभी करोड़पति की तरह दिखते हैं, और करोड़पति की ज़िंदगी जीते हैं. लेकिन अमेरिका में दस में से आठ करोड़पति पहली जेनरशन के अमीर हैं. वे सेल्फ-मेड हैं यानि अपनी ज़िंदगी खुद बनाई हैं और बिना किसी विरासत के खुद ऊंचाई तक पहुंचे हैं. इनमें से ज़्यादातर अपनी हैसियत के अंदर ही रहते हैं, सस्ते कपड़े पहनते हैं और अमेरिका में ही बने कारों को चलाते हैं, जो ज़्यादातर सेकंड-हैंड होते हैं. और, उनमें से काफी अमीर सालों से एक ही घरों में रहते हैं. ज़्यादातर अमेरिकी करोड़पति बस एक आम पडोसी की तरह ही होते हैं.

हम सब करोड़पति नहीं बन सकते, लेकिन हम सब दौलत इकट्ठा बेशक कर सकते हैं. आपका नेट वर्थ (net worth) आपके इनकम के साथ कैसे मैच करता हैं? क्या आप PAW (Prodigious Accumulator of Wealth) हैं, AAW हैं (Average Accumulator of Wealth) या फ़िर UAW (Under Accumulator of Wealth) हैं?

PAW दौलत को बढ़ाते हैं और उनके पास UAW से कम से कम चार गुना नेट वर्थ होता हैं. इन दो ग्रुप की कैरेक्टरिस्टिक को देखकर, हम जान सकते हैं कि कुछ लोगों के पास अमीर बनने की काबिलियत क्यों है और कुछ के पास नहीं.

आइए, दो लोगों के मामलों की कम्पेरिज़न करते हैं जिनकी उम्र और इनकम लगभग एक समान हैं. इससे हमें PAW और UAW के बीच के फरक का कुछ अंदाजा हो जाएगा.
ज़रा wealth equation को समझिए, जो है – (expected wealth = one-tenth age x total annual income).

मिस्टर रिचर्ड्स मोबाइल-होम यानि चलता फिरता घर बेचते हैं. वेल्थ इक्वेशन के हिसाब से उनकी टोटल प्रॉपर्टी अंदाज़ से 451,000 डॉलर की है. वो एक PAW है. उनकी असली प्रॉपर्टी की कीमत 1.1 मिलियन डॉलर है.

दूसरी तरफ, मिस्टर फोर्ड एक वकील हैं. अंदाज़ से, उनकी टोटल प्रॉपर्टी 470,883 डॉलर की है, लेकिन उनकी असल टोटल प्रॉपर्टी सिर्फ 226,511 डॉलर है. ये मिस्टर फोर्ड को UAW बनाता है.

मिस्टर फोर्ड ने सात साल तक कानून की पढ़ाई की. उनके पास मोबाइल-होम डीलर मिस्टर रिचर्ड्स से कम दौलत कैसे हो सकती है? आइए कुछ बातों पर गौर करते हैं. मिस्टर फोर्ड जैसे वकील को अपनी ऊँची लाइफस्टाइल को बनाए रखने के लिए कितने पैसे की ज़रूरत होती है? और एक मीडियम क्लास लाइफस्टाइल बनाए रखने के लिए मिस्टर रिचर्ड्स जैसे मोबाइल-होम डीलर को कितना खर्च करना पड़ता हैं?

ये साफ़ बात हैं कि मिस्टर फोर्ड अपनी इनकम का एक बड़ा हिस्सा अपने फैमिली की लाइफस्टाइल को बनाए रखने पर काफी खर्च कर रहे हैं. अटॉर्नी के तौर पर उन्हें एक ख़ास स्टैण्डर्ड बनाए रखना पड़ता हैं इसलिए वो एक महंगे विदेशी गाड़ी चलाते हैं, हर दिन काम पर जाने के लिए एक अलग हाई क्वालिटी वाला सूट पहनते है, और वे एक से ज़्यादा कंट्री क्लब के मेंबर है. मिस्टर फोर्ड, जो एक UAW हैं , उन्हें मिस्टर रिचर्ड्स और दूसरे PAW के कम्पेरिज़न में ज़्यादा खर्च करना पड़ता हैं.

UAW अक्सर अपने इनकम का बड़ा हिस्सा खर्च कर देते हैं और कंसम्पशन पर अपना फोकस रखते हैं. वे दौलत बढ़ाने से जुड़ी कई ज़रूरी बातों की अनदेखी करते हैं. अगर हम अमीर बनना चाहते हैं, तो हमें एवरेज PAW की तरह होना चाहिए. हम अपनी लाइफस्टाइल को सिंपल बनाकर और ज़्यादा पैसे बचाकर इसकी शुरुआत कर सकते हैं.

टाइम, एनर्जी और पैसा

ज़्यादातर PAW की पहली प्रायोरिटी उनके इन्वेस्टमेंट और एसेट मैनेजमेंट होते है. वे UAV की कम्पेरिज़न में इस काम के लिए हर महीने ज़्यादा से ज़्यादा टाइम लगाते हैं.

PAWs बजट बनाते हैं और प्लान बनाकर ही खर्च करते हैं. उनके लिए पैसा एक ऐसा जरिया है जिसे बर्बाद नहीं करना चाहिए. वे समझते हैं कि दौलत बढ़ाने के लिए, बजट से चलना और थोड़ी कंजूसी करना बेहतर होता हैं, फिर चाहे वो हाई इनकम वाले ही क्यों न हो. अगर आप फाइनेंशियल तौर पर इंडिपेंडेंट बनना चाहते हैं, फिर चाहे आप कितना भी कमा लें, आपको अपने कमाई के अंदर ही रहना सीखना होगा.

UAW और PAW के गोल एक जैसे ही होते हैं. सब अपनी दौलत बढ़ाना चाहते हैं और इतना अमीर बनना चाहते हैं कि एक दिन आराम से रिटायर हो सकें. लेकिन इन इरादों के बावजूद, UAWs उन तक पहुंचने की पूरी तरह से कोशिश नहीं करते हैं. वे इन्वेस्टमेंट के लिए काफी वक्त निकालने की ज़रूरत को नहीं समझते हैं. हम सभी अमीर बनना चाहते हैं, लेकिन हम में से सिर्फ कुछ ही लोग अपनी कामयाबी के लिए ज़रूरी टाइम, एनर्जी या पैसा खर्च करते हैं.

डॉ. नार्थ और डॉ. साउथ एक ही उम्र के दो मेडिकल स्पेशलिस्ट हैं, जो हर साल लगभग एक ही बराबर एवरेज से ज़्यादा इनकम कमाते हैं.
लेकिन ऐसे इनकम के बावजूद, डॉ. साउथ एक UAW हैं. उन्होंने बहुत कम दौलत जमा किया हैं. वो इस चिंता में बहुत टाइम और एनर्जी खर्च करते है कि उनकी इनकम उनके फैमिली के खर्च उठाने के लिए काफी नहीं हो सकती है, या उन्हें अपने लाइफस्टाइल को कम करना पड़ सकता है.

वही दूसरे तरफ, डॉ. नॉर्थ एक PAW हैं. उनकी इनकम डॉ. साउथ से अठारह गुना ज़्यादा है. उन्हें कोई भी डर नहीं है.

ये पूछे जाने पर कि क्या उनकी फैमिली बजट से चलते हैं, डॉ नॉर्थ ने हां में जवाब दिया, जबकि डॉ साउथ ने कहा नहीं.

नार्थ फैमिली अपनी प्रीटैक्स इनकम का कम से कम एक तिहाई हिस्सा इन्वेस्ट करते हैं. उनका फैमिली हर खर्च के लिए प्लान बनाता है, अपने बजट पर टिका रहता है, और उतना ही खर्च करता है जितना उनसे एक तिहाई कमाने वाला करता है.

हालांकि, डॉ. साउथ और उनके फैमिली का खर्च उतना ही है जितना कि कोई एवरेज फैमिली की होती हैं, जिनकी कमाई तीन गुना ज्यादा हैं. वे हर साल अपनी सारी इनकम खर्च कर देते हैं.

डॉ. नॉर्थ अपने फाइनांस और इन्वेस्टमेंट की प्लान बनाने के लिए हर महीने लगभग दस घंटे बिताते हैं, जबकि डॉ. साउथ इस ज़रूरी काम के लिए महीने में सिर्फ तीन घंटे ही बिताते हैं.

ये साफ़ है कि साउथ फैमिली की फालतू लाइफस्टाइल, बजट पर टिके रहने में काबिलियत न होना और फाइनेंशियल प्लानिंग की कमी, ये सब डॉ. साउथ की चिंताओं का कारण है. आप कितना कमाते हैं , ये बात आपके दौलतमंद होने के लिए और मन की शांति तय नहीं करते. आप इस पैसे से क्या करते हैं, बात इस पर डिपेंड करता हैं.

आप वो नहीं हैं जो आप चलाते हैं

आपका पड़ोसी जो फोर्ड, मर्सिडीज या कैडिलैक चलाता है, उसे देखकर क्या आप बता सकते हैं कि वो करोड़पति है या नहीं? शायद नहीं. किसी के कार को देखकर आप ये नहीं बता सकते कि वो कितना अमीर है.

अमेरिका में ज्यादातर करोड़पति अमेरिका में बने कारें ही चलाते हैं. सबसे उम्दा लग्जरी गाड़ियां चलाने वाले कम ही हैं.

गाड़ियाँ खरीदने वाले अलग-अलग तरह के लोग हैं. कुछ को सिर्फ नई गाड़ी खरीदना हैं, जबकि कुछ पुरानी कारों को पसंद करते हैं. कुछ खरीदार डीलर के वफादार होते हैं, और जब वे पुरानी कारों को खरीद रहे होते हैं, वे हमेशा उसी डीलर के पास वापस जाते हैं. कुछ खरीदार सिर्फ खुद के लिए वफादार होते हैं, और वे जहां भी अच्छा डील देखते हैं, उसे खरीद लेते हैं.

जैसा कि अमेरिका में ज़्यादातर कार खरीदार अमीर नहीं होते हैं, तो आप सोच सकते हैं कि वे खरीदारी से पहले अच्छी डील्स ढूंढेंगे. लेकिन रीसर्च से ठीक इसका उल्टा पता चलता हैं. करोड़पति लोग ही सबसे ज़्यादा शॉपिंग करते हैं और कार की कीमतों पर मोलभाव करते हैं. ये हकीकत शायद हमें कुछ बताता है कि वे आखिर करोड़पति क्यों हैं?

कार खरीदने की आदतों को देखकर, कोई भी आसानी से समझ सकता है कि कौन से खरीदार सबसे ज़्यादा सोच समझकर शॉपिंग करते हैं. वे वही हैं जो पहले से ही इस्तेमाल किए हुए गाड़ियों को पसंद करते हैं और जो सबसे अच्छा डील मिलने तक शॉपिंग करते हैं, भले ही वो एक सेल से हो. ऐसे लोग ध्यान देने के काबिल हैं, क्योंकि अलग-अलग ग्रुप के लोगों के बीच यही लोग हैं जिनके पास अपने इनकम के हर जमा किए हुए डॉलर का सबसे ज़्यादा का नेट वर्थ हैं. एवरेज देखें तो अगर वे एक डॉलर कमाते हैं तो वे 17 डॉलर की सम्पत्ति बनाते हैं.

उन्होंने ऐसा आखिर कैसे किया? एक ख़ास तरीके से जीने से. ये करोड़पति फाइनेंशियल आज़ादी के फायदे पर भरोसा करते हैं. साथ ही, उनका मानना है कि कम खर्च करना ही इस आज़ादी को पाने का तरीका है. वे खुद को ये याद दिलाकर बहुत ज़्यादा खर्च करने से रोकते हैं कि जो लोग महंगी कारों जैसे स्टेटस सिंबल का दिखावा करते हैं, उनके पास अक्सर बहुत कम पैसे होते हैं.

डॉ. बिल एक इंजीनियरिंग प्रोफेसर हैं, जो बहुत ही एवरेज प्रोफेसर की सैलरी कमाते हैं. उन्हें कभी कुछ विरासत में नहीं मिला है, न ही उन्होंने कभी लॉटरी जीती है, फिर भी वो करोड़पति है. उन्होंने अपने इनकम के अंदर ख़र्च करके ही इसे अच्छी तरह से मैनेज किया. डॉ बिल उस ग्रुप में आते हैं जो इस्तेमाल किए गए गाड़ियाँ खरीदता है जहां उन्हें सबसे अच्छा डील मिल सकता है. भले ही उन्होंने कितनी भी कंजूसी क्यों न की हो, उन्होंने कभी भी अपने फैमिली को नज़रअंदाज़ नहीं किया. उन्होंने अपने बच्चों के कॉलेज की पढ़ाई भी पूरी कराई और उनकी फैमिली एक अच्छे मिडिल क्लास एरिया में रहता है.

जब तक आप काफी अच्छी इनकम कमा रहे हैं तब तक आप भी अमीर बन सकते हैं. बस उन पुरानी कार खरीदार जैसे ही बनिए जो सोच समझकर ही खरीदारी करते हैं. उनका मानना है कि हाई सोशल स्टेटस होने से अच्छा हैं फाइनेंशियल आज़ादी. आखिर, आप वो नहीं हैं जो आप चलाते हैं!

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