(Hindi) The life-changing magic of tidying up the japanese art of decluttering and organizing

(Hindi) The life-changing magic of tidying up the japanese art of decluttering and organizing

इंट्रोडक्शन

क्या आप अपने घर में फ़ैले हुए सामान से परेशान हो गए हैं? क्या आप हर दिन सफ़ाई करते हैं और अगले दिन फ़िर अपने घर को गंदा पाते हैं? क्या आप सालों से कोई क्लीनिंग सिस्टम फॉलो कर रहे हैं लेकिन आपको उसका रिजल्ट नहीं मिल रहा?

अगर आपका जवाब हाँ है तो आप एक बिलकुल नार्मल इंसान हैं. आपको लगता होगा कि सफ़ाई का आर्ट सीखने के लिए आपको किसी बुक या कोर्स की ज़रुरत नहीं है. लेकिन अगर आपके घर में सामान हमेशा फैला हुआ रहता है तो आपको एक परमानेंट solution की सख्त ज़रुरत है.

इस बुक की ऑथर मरी कोंडो ने कई सालों के रिसर्च के बाद एक ऐसा क्लीनिंग solution निकाला है जिसमें टाइम भी कम लगता है और वो बहुत इफेक्टिव भी है.अगर आप सफ़ाई के बारे में अपने सोचने के तरीके को अपडेट करने के लिए और अपने घर को हमेशा साफ़ रखने के लिए कुछ कमाल के ट्रिक्स सीखने के लिए तैयार हैं तो ये बुक आज से आपकी बेस्ट फ्रेंड है.

इस बुक में आप जानेंगे कि एक साफ़ घर मेन्टेन करने के लिए हर दिन सफ़ाई करना सही solution नहीं है.
अपने घर की सफ़ाई करने से पहले आपको अपने सोचने के तरीके को बदलने की ज़रुरत है. आप जगह यानी लोकेशन के हिसाब से नहीं बल्कि केटेगरी के हिसाब से सफ़ाई करने के इम्पोर्टेंस के बारे में भी जानेंगे.एक बार जब आप इस नए नज़रिए को अप्लाई करना सीख जाएँगे तोआपकी मेंटालिटी और स्पेस में आपको फ़र्क नज़र आने लगेगा.

एक और स्किल है जो ये बुक आपको सिखाएगी वो है सामान से छुटकारा पाने की कला. आप जानेंगे कि आपको किस तरह की चीज़ें रखनी चाहिए और कौन सी चीज़ें फ़ेंक देनी चाहिए.

इस बुक के ख़त्म होते-होते आपको लगेगा जैसे आपकी लाइफ की एक नई शुरुआत हो गई है. आप ख़ुद को बदलने और बेहतर लाइफ जीने के लिए क्लीनिंग को एक टूल के रूप में देखना शुरू कर देंगे.

सफ़ाई आपको शांति महसूस कराने और ज़रूरी चीज़ों पर फोकस करने में मदद कर सकती है. तो सक्सेस अचीव करने के लिए क्या आप अपनी लाइफ को रिसेट करने के लिए रेडी हैं?

Why Can’t I Keep My House In Order?

लोगों का मानना है कि कुकिंग और क्लीनिंग दोनों ही स्किल हैं लेकिन कुकिंग की तरह सफ़ाई करने की कला सीखी नहीं जा सकती.लोग एक्सपीरियंस और बार-बार क्लीनिंग करने की रूटीन से क्लीनिंग हैबिट डेवलप करते हैं.

आपने अक्सर देखा होगा एक माँ अपनी बेटी को कुकिंग करना सिखाती है लेकिन हम कभी नहीं सुनते कि किसी ने अपनी बेटी को क्लीनिंग करना सिखाया हो. लेकिन ऐसा है क्यों? क्योंकि सफ़ाई करने की हैबिट हम ख़ुद सीखते हैं.

क्लीनिंग की कला एक्सपीरियंस पर बेस्ड होती है.आप कभी किसी 50 की उम्र के इंसान को सफाई करना सीखते हुए नहीं देखेंगे. अगर लोग सिर्फ़ एक्सपीरियंस के बेसिस पर साफ़ करना जानते तो आपको हर घर में हर जगह सामान बिखरा हुआ नहीं मिलता.

हर इंसान को अपना घर पूरी तरह साफ़-सुथरा बनाए रखने का गोल रखना चाहिए. उन्हें सीखना चाहिए कि सही तरीके से सफ़ाई कैसे की जाती है. लेकिन ज़्यादातर औरतें अपने घर को ठीक ठाक करने के बाद फ़िर से उसके गंदा होने की शिकायत करती रहती हैं.

आप सोच रहे होंगे कि हर दिन थोड़ी-थोड़ी सफ़ाई करने से आपकी प्रॉब्लम दूर हो जाएगी.लेकिन ये सही solution नहीं है.आइए इमेजिन करते हैं कि आपने पूरा घर साफ़ कर दिया और सब चीज़ें सही जगह पर रख दी. उसके बाद आपने हर रोज़ थोड़ी-थोड़ी सफ़ाई करने की सलाह को फॉलो किया. आपने इस प्लान को अच्छे से दो हफ़्ते फॉलो किया. उसके बाद आप ऊबने लगे और इसे फॉलो करना बंद कर दिया. ज़्यादातर लोग एक ही चीज़ को बार-बार नहीं कर सकते इससे हम थक जाते हैं और आलस महसूस करते हैं.

कुछ हफ़्तों बाद इस रूटीन को छोड़ने का एक और कारण ये है कि आप अपने सोचने के तरीके को बदले बिना ही सफाई करने की आदत बनाने की कोशिश कर रहे हैं. ऑथर मरी कोंडो हाई स्कूल में थी जब उन्होंने एक बुक पढ़ी थी जिसने हमेशा के लिए उनका जीवन बदल दिया था. इस बुक का नाम था “The Art of Discarding”. इसमें उन सभी चीज़ों से छुटकारा पाने की बात कही गई थी जो आप अपने घर में इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं.

मरी बड़े चाव से इसे पढ़ती रही क्योंकि इस बुक के प्रिंसिप्ल एकदम नए और काफ़ी दिलचस्प थे. वो हमेशा सोचती थीं कि सफ़ाई का मतलब है घर साफ़-सुथरा रहना लेकिन उन्हें उस दिन एहसास हुआ कि वो गलत थीं.उन्होंने ढेर सारे garbage बैग लिए और अपने घर को साफ़ करने का फ़ैसला किया.

वो घंटों तक अपने रूम में बंद रही और हर उस चीज़ से छुटकारा पाने की कोशिश करती रही जो वो इस्तेमाल नहीं कर रही थी या पहन नहीं रही थी. अपने बचपन की कई चीज़ें देख कर मरी को बहुत आश्चर्य हुआ. उसमें कपड़े, खिलौने, किताबें ऐसी ढेरों चीज़ें थीं जो वो यूज़ नहीं करती थीं.

सब सामान इकट्ठा करने के बाद वो उस ढेर को देख कर सोचने लगी “मैंने इसे अब तक क्यों रखा हुआ था?” अगले दिन, मरी को अपना रूम ख़ाली और बड़ा सा लग रहा था. आपको भी इसी फीलिंग को एक्सपीरियंस करने की ज़रुरत है : ये है फ्रीडम की फीलिंग. एक बार जब इस फीलिंग का आप आनंद ले लेते हैं तो आप कभी दोबारा वो सामान इकट्ठा नहीं करेंगे जिसकी आपको ज़रुरत नहीं है.

जिसने भी इस क्लीनिंग के मिशन में शामिल होने की कोशिश की है वो जानता है कि हर रोज़ थोड़ी-थोड़ी सफ़ाई कोई सही solution नहीं है. ऐसा इसलिए है क्योंकि हर दिन कूड़े का एक नया ढेर तैयार हो जाता है. आपको पूरे घर की सफ़ाई करने की ज़रुरत है. उन सभी चीज़ों से छुटकारा पाएं जिनकी आपको ज़रुरत नहीं है. आपको हैरानी होगी कि ऐसा करने के बाद आप कितना फ्री महसूस करेंगे.

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The Moment You Start You Reset Your Life

क्या आपको याद है कि एक एग्जाम के लिए आपको स्टडी करना था और अचानक आपको अपने रूम की सफ़ाई करने की इच्छा हुई? मेरे साथ तो हमेशा ऐसा हुआ है. मैं पढ़ाई छोड़कर अपनी अलमारी साफ़ करने बैठ जाती थी.

इसके पीछे एक साइंटिफिक रीज़न है. जब आप पढ़ाई करने के लिए अपने रूम में जाते हैं तो आपका ब्रेन चीज़ें याद करने के लिए तैयार होता है. लेकिन जब आप अपने आस-पास गंदगी नोटिस करते हैं तो आपके ब्रेन का फोकस बदल जाता है.

अब आपका subconscious माइंड कहने लगता है कि जब तक आप रूम को साफ़ नहीं करेंगे तब तक आप पढ़ नहीं सकते. अगर आप इस फीलिंग को अनदेखा करेंगे तो आपका पढ़ने में पूरा मन नहीं लगेगा और अगर आप इसे फॉलो करेंगे तो आप बिलकुल नहीं पढ़ पाएँगे क्योंकि आप सफ़ाई करने में लग जाएँगे.

अब इमेजिन कीजिए कि एक आदमी है जो एक गंदे से रूम में रहता है. पहले हमें उस आदमी के बारे में सोचने की ज़रुरत है जो ये सामान फैलाने के लिए ज़िम्मेदार है. चीज़ें यूहीं नहीं बिखर जातीं, वो लोग ही होते हैं जो चीज़ों को यहाँ वहाँ फ़ेंक देते हैं. कई बार तो ऐसी हालत हो जाती है कि ज़मीन इतना भरा होता है कि ना तो वो दिखता है और ना कहीं पैर रखने की जगह होती है.

अब अगर आप किसी इंसान को अपना रूम साफ़ करने के लिए कहेंगे तो उसे गुस्सा आ जाएगा. वो आपसे कह सकता है कि उसे बहुत आलस महसूस हो रहा है या उसे अपना रूम वैसे ही पसंद है.कुछ लोगों का तो ये हाल है कि वो कहते हैं कि जब तक उनका रूम बिखरा हुआ ना हो तो वो ना वो पढ़ सकते हैं और ना ही कोई काम कर सकते हैं.

हमारे आस-पास का बिखरा हुआ सामान हमारा ही reflection होता है. अगर हमारे थॉट्स आर्गनाइज्ड हैं और मन शांति से भरा है तो हम एक साफ़ रूम में रहना पसंद करेंगे. अगर हमारे मन में हलचल मची हुई है और हम चिंतित हैं तो हम पूरे घर में चीज़ें बिखरा कर रखेंगे.

इसलिए घर की सफ़ाई से पहले आपको अपने अंदर गहराई तक झांकना होगा. आपको गहरी सांस लेकर आराम से अपनी प्रोब्लम्स के बारे में सोचने की ज़रुरत है.अपने आप से पूछे,“ऐसी कौन सी मुश्किलें हैं जिनसे मैं बचने की कोशिश कर रहा हूँ?” जब आपके आस पास सामान बिखरा हो तो आप clearly  सोच नहीं सकते क्योंकि वो बिखरा हुआ सामान आपका ध्यान भटका देता है.

लेकिन एक बार जब आप अपना रूम साफ़ कर देते हैं तो आपका ब्रेन इधर उधर भटकना बंद कर देता है. आप देखेंगे कि आप ज़्यादा शांत महसूस कर रहे हैं. आप अपनी लाइफ के बारे में क्लियर तरीके से सोचना शुरू कर देते हैं.

अपने रूम को साफ़ करने के बाद की वो फीलिंग आपको बदलने के लिए मोटीवेट करेगी.आपको लगेगा जैसे आपने लाइफ की बुक में एक नया पेज खोला है और आप रिसेट बटन दबाकर एक नई शुरुआत करना चाहते हैं.

इसलिए, क्लीनिंग आपका फाइनल गोल नहीं है. अपने घर की सफ़ाई एक टूल होना चाहिए जिसका इस्तेमाल आप अपने लाइफ में रियल प्रोब्लम्स का सामना करने के लिए करते हैं और उन्हें बदलने की कोशिश करते हैं.आप जितना ज़्यादा क्लीन करेंगे उतना ही ज़्यादा आपचेंज और इम्प्रूवमेंट की फीलिंग को पसंद करने लगेंगे.

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