(Hindi) The Lean Startup

(Hindi) The Lean Startup

परिचय

आपके दिमाग में क्या आता है जब आप स्टार्टअप सुनते है ? आप शायद किसी गैराज के बैठे हुए चार-पांच दोस्तों के बारे में सोचे जो कोई नया प्रोडक्ट बना रहे हो। एक बड़ा ही एक्साईटिंग वेनचर जिससे खूब प्रॉफिट कमाने की उम्मीद हो। कुछ इसी तरह सिलिकोन वेली में बहुत सी डोट कोम कंपनीज शुरू हुई थी। शायद आपको पता हो या नहीं मगर एप्पल कम्पनी तो ऐसे ही स्टार्ट हुई थी। पर क्या आपको पता है कि किसी जानी मानी कंपनी के अन्दर भी एक स्टार्ट अप खोला जा सकता है। ये इन्फोर्मेशन और ऐसी कई इंट्रेस्टिंग बाते आपको इस किताब से पता चलेंगी। आज बिजनेस की दुनिया बदलती जा रही है। इसलिए इसको लेकर जो ट्रेडिशनल अपरोच है वो भी बदलनी चाहिए। लीन स्टार्ट अप यही है जो बिजनेस में एक मॉडर्न अप्रोच पेश करता है।

कुछ ऐसे स्टार्ट अप है जिनके बारे में अच्छी प्लानिंग की गयी है।खूब सोच समझ कर प्रोडक्ट चुनकर और मार्केटिंग स्ट्रेटेजी के साथ। उनके पीछे इन्टलीजेन्ट मेम्बरस की टीम भी मौजूद है। मगर इतना टाइम, पैसा और एफर्ट लगाने के बावजूद क्यों ये स्टार्ट अप फेल हो जाते है ? कहाँ कमी रह जाती है? क्या प्लानिंग ठीक नहीं होती?  आप में से कई लोग ऐसे होंगे जो खुद का बिजनेस शुरू करना चाहते होंगे। या फिर आप एक ऐसे बिजनेसमेन है जो कोई नया वेंचर शुरू करना चाहते है ? खैर, आप जो भी हो, ये किताब आपके काम आएगी। अगर आप भी जानना चाहते है कि कैसे स्टार्ट अप से शुरू करके मल्टी मिलियन कंपनी खड़ी की जाए तो आईये यहाँ से शुरू करते है।

बड़ा सोचे, लेकिन शुरुवात छोटे से करें
साल 2000 के शुरू में इस किताब के आथर ईरिक राईज( Eric Ries) ने अपने कालेज के दोस्तों के साथ मिलकर एक स्टार्ट अप शुरू किया था। उनका प्रोडक्ट  था एक आँनलाईन साईट जहाँ लोग अपना प्रोफाईल पोटेनशियल इम्पलोयरस के सामने रख सकते थे। उनका ये आईडिया कमाल का था, टीम भी बहुत बढ़िया थी और उन्होंने लेटेस्ट टेक्नोलोजी भी इस्तेमाल की थी फिर भी उनका ये स्टार्टअप फेल हो गया। उनके साथ ही कितने ही और स्टार्ट अप भी डूब गए जब डोट कोम कम्पनी का बबल फूटा। ईरिक राईज (Eric Ries) सदमे में थे।

उन्हें लगा जो कुछ भी उन्होंने सक्सेस स्टोरीज़ के बारे में मेग्जींस में पढ़ा था सब झूठ है। आप चाहे कितना भी हार्ड वर्क कर लो और कभी हार ना मानो फिर भी हम फेल हो सकते है। कुछ सालो बाद एरिक ने सोचा कि शायद् यही पर ज़्यादातर स्टार्ट अप डूब जाते है क्योंकि बहुत से नए प्रोडक्ट चल नहीं पाते है । मगर अपने एक्सपीरिएंस से एरिक को एक ऐसा गारेन्टड प्रोसेस पता चला जिससे कोई भी स्टार्ट अप फेल नहीं हो सकता। इसका एक सही तरीका है जिसे समझकर अगर फॉलो किया जाए तो सक्सेस अचीव की जा सकती है। 2004 में ईरिक ने एक और स्टार्ट अप को को-फाउन्ड किया था। उनका नया प्रोडक्ट था एक ऑनलाइन प्लेटफार्म जहाँ मेम्बर अपने नए अवतार के साथ अपने दोस्तों से कनेक्ट कर सकते थे।

इस स्टार्ट अप के बारे में जो एक्साइटिंग चीज़ थी वो ये कि इसमें कस्टमर सब कुछ क्रियेट कर सकते थे। कपडे, एसेसरीज से लेकर अपने अवतार के लिए फर्नीचर भी। हालांकि ये काम एरिक की टीम के लिए बड़ा चेलेंज था। एक वर्चुएल वर्ल्ड बनाना, अवतार के लिए थ्री डी टेक्नोलोजी का इस्तेमाल करना ये सब बहुत ज्यादा मेहनत का काम था। उन्हें इसमें पेमन्ट औऱ कस्टमर के लिय बायिंग फीचर डिवाईस भी क्रियेट करना था। एरिक की इस नयी कंपनी का नाम I.M.V.U. था। अपने इस नए वेंचर के लिए उन्होंने अपने को-फाऊडर के साथ मिलकर एक एक्सपेरिमेंट किया और सब कुछ गलत तरीके से किया। उन्होंने प्रोडक्ट का अरली वर्जन निकाल कर जिसमें बहुत कमिया थी,

इसे रिलीज़ कर लिया और हाथो हाथ कस्टमर को बेच दिया। वर्च्युअल वर्ल्ड को परफेक्ट बनाने में इतनी मेहनत करने के बजाये उन्होंने कस्टमर को इसका फीडबैक सेंड  करने की छूट दे दी। उनकी ये अप्रोच बिजनेस के ट्रेडिशनल तरीको के हिसाब से एक बड़ी गलती मानी गयी। हर चीज़ रिलीज़ होने से पहले तैयार होनी चाहिए थी स्टेट्रजी, प्रोडक्ट, मार्केट प्रडीकशन हर चीज़। मगर एरिक का बिजनेस लांच का ये तरीका मोर्डेन बिजनेस की दुनिया में एक नया ट्रेंड बन गया। बिजनेस की दुनिया के नए प्रिंसिपल के लिए ये तरीका एक बेसिस बन गया है जिसे लीन स्टार्ट अप कहते है।

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लीन स्टार्ट क्या है ?

लीन स्टार्ट अप दरअसल एक एक्सपेरिमेंट पर बेस है। इसका मेन आइडिया है कि गलतियों से सीखा जाए। इस तरीके में आप सालो साल प्रोडक्ट को परफेक्ट बनाने में नहीं गुजारते, आपका प्रोडक्ट बिकेगा कि नहीं या कस्टमर कैसा रेपोंसे देंगे ये सोचने में बरसो नहीं लगा देते। लीन स्टार्ट अप मेथड इस्तेमाल करके कम अमाउंट में भी आप प्रोडक्ट का अर्ली वर्जन निकाल सकते है। फिर आगे ज़रुरत के हिसाब से इसमें चेंज ला सकते है। ये आइडीया है कि इनोवेशन चलती रहे जिससे नया प्रोडक्ट वेस्ट ना हो और मार्किट से बाहर ना हो जाए।

सच कहे तो आज लीन स्टार्ट अप ग्लोबल मूवमेंट बन चूका है। दुनिया भर की कई ओर्गेनाईजेशन ने इसे एडाप्ट किया है। इसने बिजनेस की दुनिया में एक नया दौर पैदा कर दिया है। इसे ना सिर्फ नयी कंपनीयों ने ही नहीं बल्कि कई सारी जाने माने एलीट बिजनेसमेन और फोर्च्यून 500 ने भी अप्लाई किया है। मज़ेदार बात है कि एरिक रीज की कंपनी आईएमवीयू ने इससे 2011 में पूरे 50 मिलियन डोलर कमाए।

क्या है लीन स्टार्ट अप के प्रिंसिपल ?

लीन स्टार्ट अप मेथड में पांच इम्पोर्टेंट की आईडियाज है। नंबर एक है कि ये ज़रूरी नहीं है कि कोई भी नया बिजनेस आप गैराज से ही शुरू करे। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कहाँ से शुरू करते है जब आपने इन्टरप्रीनयर बनने की ठान ही ली है। एक स्टार्ट अप में पहले से आप कुछ भी प्रडीक्ट नही कर पाते कोई भी ओर्गेनाइजेशन जो नया सर्विस या प्रोडक्ट शुरू करता है वो उसका स्टार्ट अप होता है जब उसे उसके चलने या ना चलने का कोई पक्का भरोसा नहीं होता। लीन स्टार्टअप हर इंडस्ट्री, हर सेक्टर और साइज़ की कंपनी पर अप्लाई हो सकता है।

दुसरे नंबर पर मेनेजमेंट आता है। जब आप स्टार्ट अप की बात करते है तो इसका मतलब सिर्फ प्रोडक्ट से नहीं है। उस प्रोडक्ट को बनाने वाले लोग भी स्टार्ट अप में शामिल होते है। और उन लोगो या उस इंस्टिट्यूट को एक स्पेशल तरीके से मैनेज करने की ज़रुरत पडती है क्योंकि वे उस स्टार्ट अप के बारे में बेहद अन सर्टेन है।
नंबर तीसरा है वेलिडेट लर्निंग जिसका मतलब है ऐसे एक्सपेरिमेंट जो बिजनेस में किये जाते है ये जानने के लिए कि उन एक्सपेरिमेंट का नतीजा बिजनेस के ऊपर कैसा पड़ेगा। ये उसी तरह है जैसे कोई साईनीटि फिक हयपोथेसिस होती है और ये एक तरह से ज़रूरी भी है क्योंकि बिजनेस लम्बा टिके यही स्टार्ट अप का गोल होता है। ये सिर्फ कुछ टाइम के लिए प्रॉफिट कमाना नहीं है।

चौथे नंबर पर है बिल्ट- मेज्योर- लर्न किसी भी स्टार्ट अप के प्राइमरी टास्क होते है आइडीयाज़ से नए प्रोडक्ट बनाना, कस्टमर का फीडबैक measure करना और उस फीडबैक से सीखना कि ये चीज़ आगे चलेगी कि नहीं। यानी टू पिवट आर प्रिजर्व…। पिवट( PIVOT) से मतलब है कि मुड़े और कोई दूसरा तरीका सोचे और प्रजीरव (PERSEVERE) का मतलब कि अपने आइडिया को लेकर आगे बड़े और चलते रहे। अगर फीडबैक अच्छा नहीं मिलता तो फिर आपको कोई दूसरा रास्ता लेना पड़ेगा और अगर फीडबैक अच्छा मिलता है तो फिर आगे चलते रहिये। नंबर पांच है प्रोग्रेस( PROGRESS) आपका स्टार्ट अप को बिल्ड-मेज़र-लर्न साइकिल के हिसाब से चलने की आदत होनी चाहिए। फीडबैक मिलते ही इसे अपनी कमीयों पर काम कर लेना चाहिए। एक सस्टेनेबल बिजनेस अचीव करने के लिए अपने किस प्रोसेस पर आगे बढना है करना है ये स्टार्ट अप को पता होना चाहिए।

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