(Hindi) The Last Lecture

(Hindi) The Last Lecture

1: एन इंजर्ड लायन स्टिल वांट्स टू रोर (An Injured Lion Still Wants to Roar)

बहुत से प्रोफेसर “द लास्ट लेक्चर” के बारे में बात करते है. शायद आपने भी ऐसा कोई लेक्चर अटेंड किया हो. जब तक ओर्गेनाइजेर्स मुझसे पूछने के लिए आये, उन्होंने अपनी सीरिज़ का नाम चेंज करके” जर्नीज़” रख लिया था जिसमे प्रोफ़ेसर्स को उनकी पर्सनल और प्रोफेशनल जर्नीज का रिफ्लेक्शन ऑफर करने को बोला गया. उस टाइम तक मेरा पेनक्रिएटिक कैंसर (pancreatic cancer) कनफर्म्ड हो चूका था और अपने ट्रीटमेंट पीरियड के दौरान मै पूरी तरह ऑप्टीमिस्टिक था लेकिन फिर मुझे एक न्यूज़ मिली: मेरी मोस्ट रीसेंट ट्रीटमेंट फेल हो गयी थी, अब मेरे पास कुछ ही मंथ्स बचे थे. मुझे लगा कि अब मुझे लेक्चर कैंसल करना पड़ेगा कि अचानक मुझे कई चीज़े याद आ गयी थी. लेकिन मैंने अपनी वाइफ जय (Jai) से कहा कि मै ये लेक्चर करना चाहता हूँ.

लेकिन वो maan nhi rhi thi, वो चाहती थी कि मै अपना लास्ट टाइम उसके और बच्चो के साथ स्पेंड करूँ. एक और चीज़ जय को अपसेट कर रही थी कि ये लेक्चर उसके 41वे बर्थडे के ठीक एक दिन पहले था. और मुझे जय को उसके बर्थडे वाले दिन छोडकर जाना काफी पेनफुल लग रहा था, फिर भी इस लेक्चर को अटेंड करने का ख्याल मेरे दिल से गया नहीं. फाइनली मैंने उसे कन्विंस किया कि ये लेक्चर मेरे लिए काफी इम्पोर्टेंट है, मैं न सिर्फ लोगो को इंस्पायर कर सकता हूँ बल्कि मै कूछ ऐसा करने जा रहा था जो मेरे जाने के बाद मेरे बच्चे याद कर सके. फाइनली जय (Jai) ने ग्रीन लाईट दे दी और मै आने वाले चैलेंजेस के बारे में सोचने लगा. मुझे इस बात पे तो पूरा यकीन था कि इस लेक्चर में अपने कैसंर पर फोकस नहीं करूँगा.

हो सकता है कि कई लोग यंग age में मरने के बारे में सवाल पूछे लेकिन मै लाइफ के बारे में बात करना चाहता था. एक सवाल मेरे मन में था”व्हट डू आई ट्रूली हेव टू ऑफर? और जब मै वेटिंग रूम में था तो अचानक जैसे मुझे मेरे सवाल का जवाब मिल गया था. मुझे रियेलाईज़ हुआ कि मेरी यूनिकनेस मेरे ड्रीम्स में छुपी है जो मैंने अपने 46 साल की एज तक देखे. और मैंने अपने लेक्चर का ये टाईटल भी सोच लिया था: रियली अचीविंग योर चाइल्डहुड ड्रीम्स”.

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2: द एलीफेंट इन द रूम (The Elephant in the Room)

लेक्चर वाले दिन जय (Jai) मुझसे पहले ही हाल में पहुँच चुकी थी. टॉक शुरू होने में अभी कुछ मिनट्स बाकी थे, मैं पोडियम में आराम से कुछ स्लाइड्स रीअरेंज कर रहा था तो कुछ डिलीट कर रहा था. और फिर मुझे सिग्नल मिला कि शो स्टार्ट हो चूका है. लेक्चर के लिए मै अपने चाइल्डहुड ड्रीम वाले कपडे पहन के आया था. मेरी पोलो शर्ट के शोर्ट स्लीव पर एक लोगो बना था जिसे वाल्ट डिज्नी के इमेजीनर्स ने पहना था – द आर्टिस्ट, राईटर्स एंड इंजीनियर्स जिन्होंने थीम पार्क फेंटेसीज़ क्रियेट की थी. मैंने खुद एज ए इमेजीनेटर सिक्स मंथ्स ki holidays स्पेंड ki thi जो मेरी लाइफ का हाईलाईट था. मै अपने उस लाइफ एक्स्पिरियेंश को और खुद वाल्ट डिज्नी को एक ट्रीब्यूट पे कर रहा था.

मैंने ऑडियंस का शुक्रिया अदा करते हुए कहा” मेरे डैड मुझे बोलते थे कि रूम में अगर कोई एलीफेंट आ जाए तो उसे छुपाओ मत, इंट्रोड्यूस करो. अगर आप मेरा सीटी स्कैन देखोगे तो मेरे लीवर में कम से कम 10 ट्यूमर मिलेंगे. ये एक सच है और मै इसे चेंज नहीं कर सकता. तो हमे डिसाइड करना है कि हम किस सिचुएशन me कैसे रिस्पोंड करे” उस टाइम मै हेल्दी फील कर रहा था, और मुझे पता था कि मै हेल्थी दिख भी रहा हूँ “ आई ऍम सॉरी टू डिसअपोइन्ट यू लेकिन शायद मै उतना डिपप्रेस्ड या टायर्ड नहीं लग रहा हूँ’
मै उन्हें ये नहीं जताना चाहता था कि मै मरता हुआ आदमी हूँ, मै तो बस मै हूँ.

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II. Really Achieving Your Childhood Dreams
3: द पेरेंट लाटरी (The Parent Lottery)

मैंने पेरेंट लाटरी जीती है, मै विनिंग टिकेट के साथ बोर्न हुआ था, जिसकी वजह से मै अपने चाइल्डहुड ड्रीम्स पूरे कर पाया. मेरी माँ एक टफ ओल्ड स्कूल इंग्लिश टीचर थी. उसे बच्चो से कुछ ज्यादा ही एक्सपेक्टेशन थी. और मेरे डैड वर्ल्ड वार टु के मेडिक थे जिन्होंने बैटल ऑफ़ बुल्ग (Battle of the Bulge) में अपनी सर्विसेस दी थी. उन्होंने एक नॉन प्रॉफिट ग्रुप बनाया था ताकि वो इमिग्रान्ट्स किड्स को इंग्लिश सिखा सके, इनर सिटी बाल्टीमोर में उनका ऑटो इंस्योरेंश का एक छोटा सा बिजनेस था. मोस्टली उनके क्लाइंट्स bad क्रेडिट हिस्ट्री वाले गरीब लोग थे जिनके पास रीसोर्सेस कम थे. तो मेरे डैड ने उन्हें रोड पे इंस्योरेंश देने के लिए ये बिजनेस खोला. एक तरह से मेरे डैड मेरे हीरो थे. मै मैरीलैंड, कोलम्बिया के एक मिडल क्लास फॅमिली में बड़ी कम्फर्ट लाइफ जी रहा था.

घर में पैसे की कोई कमी नहीं थी. क्योंकि हमारे खर्चे लिमिटेड थे. जब मै 2 साल का था और मेरी सिस्टर 4 साल की तो एक दिन मोम हमें सर्कस ले गयी. फिर 9 साल की एज में मैंने फिर से सर्कस जाने की जिद की तो मोम ने कहा “तुम्हे जाने की ज़रुरत नहीं है, तुम वहां पहले जा चुके हो”, आज कोई माँ अगर ऐसे बोले तो ये बात थोड़ी ओप्रेसिव लगेगी लेकिन उस टाइम ये चलता था. कुल मिलकर मेरा चाइल्डहुड बड़ा मेजिकल था. हम ज्यादा नहीं खरीदते थे लेकिन ज़रूरत की हर चीज़ घर पे मौजूद थी. हमारे घर में कोई बेकार नहीं बैठता था बल्कि हमे सिखाया गया था कि अगर खाली बैठे हो तो kuch क्रिएटिव करो, डिक्शनरी खोलो, माइंड ओपन करो. 83 की एज में मेरे डैड को ल्यूकोमिया हो गया.

उन्हें पता था कि उनके पास अब ज्यादा टाइम नहीं है इसलिए उन्होंने अपनी बॉडी मेडिकल साइंस को डोनेट कर दी. हालाँकि मुझे पता है कि मेरे बाद मेरे बच्चो के पास एक लविंग मदर होगी जो उन्हें जिंदगी भर गाइड करती रहेगी. मैं इस चीज़ को एक्सेप्ट कर चूका हूँ हालाँकि ये मेरे लिए इतना ईजी नहीं है, बहुत पेन होता है सोच कर. और मुझे लगता है कि मेरे डैड भी khush hote जैसे मै अपनी लाइफ के ये लास्ट मंथ्स स्पेंड कर रहा हूँ. वो होते तो मुझे ये चीज़ भी रिमाइंड कराते कि सबसे ज़रूरी बात ये है कि बच्चो को मालूम हो कि उनके पेरेंट्स उन्हें कितना प्यार करते है चाहे वो इस दुनिया में रहे या ना रहे.

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4: द एलीवेटर इन द रांच हाउस (The Elevator in the Ranch House)

मेरी इमेजीनेशन हमेशा ही मेरे माइंड से ओवरफ्लो करती रही है, अपने हाई स्कूल के दिनों में मेरे अंदर स्ट्रोंग फीलिंग्स आती थी कि मै अपने थौट्स बेडरूम की वाल्स पर उड़ेल दूँ. मैंने अपने पेरेंट्स से इसकी परमिशन मांगी तो उन्होंने पुछा कि तुम क्या ड्रा करना चाहते हो, मैंने कहा”जो चीज मुझे अच्छी लगती है”. और बस मेरे फादर समझ गए. यही तो उनकी ख़ास बात थी, उन्हें क्रियेटिविटी अच्छी लगती थी. वैसे मेरी मोम इस चीज़ को लेकर उतनी एक्साइटेड नहीं थी फिर भी उन्होंने मुझे मना नहीं किया. और मेरे बेडरूम की वाल्स को उन्होंने कभी भी पेंट नहीं करवाया, मेरे उस घर से चले जाने के बाद भी. मेरी माँ को रियेलाइज होने लगा था: कि लोगो को ये चीज़ बड़ी कूल लगती है और उन्हें लगेगा कि मेरी मोम कितनी कूल है जो उन्होंने मुझे ये सब करने दिया.

तो जो भी पेरेंट्स है उनसे मै बोलना चाहता हूँ कि अगर आपके बच्चे अपने बेडरूम की वाल्स पे ड्राइंग करना चाहते है तो करने दे. उन्हें रोके नहीं. मै नहीं जानता कि मै कितनी बार अपने चाइल्डहुड होम जा पाउँगा लेकिन जितनी बार मै उन दीवारों को देखता हूँ मै अपने पेरेंट्स के बारे में सोचने लगता हूँ जिन्होंने मुझे पेंट करने की परमिशन दी. और मै इसी तरह खुद को लकी फील करते और ख़ुशी-ख़ुशी सो जाता हूँ.
5: गेटिंग टू जीरो जी (Getting to Zero G)

मै जब ग्रेड स्कूल में था तो मेरे स्कूल के कई बच्चे एस्ट्रोनौट्स (astronauts) बनना चाहते थे.  मुझे छोटी एज से ही पता चल गया था कि नासा (NASA ) मुझे नहीं लेगा क्योंकि मुझे ग्लासेस लगे थे. वैसे मुझे एस्ट्रोनॉट बनने का कोई खास शौक नहीं था, मुझे तो बस फ्लोटिंग अच्छी लगती थी. नासा (NASA) के पास एक प्लेन था जिसके अंदर जाकर एस्ट्रोनॉट्स को जीरो ग्रेविटी की प्रैक्टिस करवाई जाती थी. ये (parabolic) परबोलिक आर्क करता था और हर arc के टॉप में आपको वेटलेसनेस का एक्स्पिरियेंश होता था. मुझे अपना ड्रीम सच होता लगा जब मुझे पता चला कि नासा (NASA) ने एक प्रोग्राम लॉन्च किया है जहाँ कॉलेज स्टूडेंट्स प्लेन में एक्सपेरिमेंट के लिए अपने प्रोपोजल्स सबमिट कर सकते थे.

2001 में कार्नेगी मेलोन (Carnegie Mellon) से हम स्टूडेंट्स की एक टीम ने वर्चुअल रियेलिटी पर अपना एक प्रोजेक्ट पर्पोज किया. पूरी टीम में सबसे ज्यादा एक्साइटेड अगर कोई था तो वो मै था. लेकिन प्रोसेस के लास्ट टाइम में एक बेड न्यूज़ मिली. नासा (NASA) ने क्लियरकर दिया था कि किसी भी हालत में फेकल्टी एडवाईजर स्टूडेंट्स के साथ नहीं आयेंगे. लेकिन मैंने भी हार नहीं मानी. और इसलिए मैंने पूरे प्रोग्राम के बारे में काफी केयरफूली पढ़ा ताकि कोई लूपहोल मुझे मिल जाए. और मुझे मिल गया! नासा हमेशा गुड पब्लिसिटी के चक्कर में रहता था तो इसलिए वो स्टूडेंट्स के साथ एक जर्नलिस्ट को (allow) अलो कर सकता है. मैंने नासा (NASA ) के एक ऑफिशियल को फ़ोन करके उसका फैक्स नंबर माँगा और उससे बोला कि मैं सारी इन्फोर्मेशन न्यूज़ वेबसाइट पर डाल दूंगा

और वर्चुअल रियेलिटी की फिल्म शूट करके बाकी जर्नलिस्ट्स को भी भेज दूंगा. मेरी बात सुनकर उस ऑफिशियल ने मुझे अपना फैक्स नंबर दे दिया. यहाँ मैंने एक लेसन सिखा:  आपके पास ऑफर करने के लिए कुछ न कुछ होना चाहिए ताकि लोग आपको ज्यादा वेलकम करे. इस एक्सपेरीमेंट से प्रूव हो गया था कि अगर इरादे स्ट्रोंग हो तो रास्ता कहीं से भी निकल सकता है.

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