(hindi) The Last Leaf

(hindi) The Last Leaf

वाशिंगटन स्क्वायर के बाईं ओर एक छोटे से डिस्ट्रिक्ट की बड़ी गलियां आगे जाकर आपस में गुंथी हुई और छोटी-छोटी गलियों में बंट जाती थी जिन्हें प्लेसेस कहा जाता था. ये प्लेसेस अजीब से एंगल्स और मोड़ बनाते थे. जैसे कि एक ही गली खुद को एक या दो बार क्रोस करती थी. इन गलियों की खास बात ये थी कि कोई बाहर का आदमी यहाँ आकर सही ठिकाने पर पहुँच ही नहीं सकता था.

इसलिए कई सारे खस्ताहाल आर्टिस्ट यहाँ रहते थे जो उधार मांग कर कैनवास, ब्रश, रंग वगैरह खरीदते थे और अगर कोई उधारी मांगने आये तो वो बेचारा भूल-भुल्लैया में भटक कर वापस चला जाता था. और इसी वजह से इस बेहद पुराने ग्रीनविच विलेज में आर्टिस्ट आकर बसने लगे थे. एक तो यहाँ किराया सस्ता था और दुसरे उन्हें अपनी तस्वीरे बनाने के लिए यहाँ कई पुरानी और अनोखी ईमारते मिल जाती थी. पास ही के मार्किट में बेहद सस्ते बर्तन और कपड़े वगैरह भी मिल जाते थे, इस तरह धीरे-धीरे यहाँ आर्टिस्टो की एक कॉलोनी बस गई थी.

एक Square shape की तीन मंजिला ईमारत के टॉप फ्लोर पर स्यू और जोह्न्स्य (Sue and Johnsy ) का अपना स्टूडियो था. जोह्न्सी (“Johnsy”) का पूरा नाम था जोआना  (Joanna). दोनों लडकियों में से एक मैन सिटी की रहने वाली थी तो दूसरी कैलिफोर्निया की. वो लोग फर्स्ट टाइम एट स्ट्रीट के डेलमोनिको कॉफ़ी हाउस की टेबल मिले थे. दोनों की  जब बातचीत हुई तो उन्हें पता चला कि उनके काफी कुछ कॉमन है जैसे आर्ट, चिकोरी सलाद और बिशप स्लीव्स और इस तरह दोनों की दोस्ती हुई और दोनों ने मिलकर एक आर्ट स्टूडियो खोला. ये मई महीने की बात थी. पर नवंबर की ठंड आते-आते अजनबी बिमारी जिसे डॉक्टर्स न्यूमोनिया बोल रहे थे, पूरी कॉलोनी में फैलने लगा था. उन दिनों काफी लोग इस बिमारी की चपेट में आ रहे थे.

शुरू-शरू में बीमारी शहर के ईस्ट साइड तक फैली थी पर धीरे-धीरे तंग गलियों वाले प्लेसेस का इलाका भी इसकी चपेट में आ गया था. उन दिनों न्यूमोनिया कोई मामूली बिमारी नहीं थी जो आसानी से काबू में आ जाए. शहर के डॉक्टरों को एक मिनट की भी फुर्सत नही मिल पा रही थी. एक के बाद एक न्यूमोनिया के केस आ रहे थे.

न्यूमोनिया ने जोह्न्सी को जो हाल किया था उससे तो यही लगता था कि ये बिमारी अंदर ही अंदर इंसान को घुन की तरह चाट जाती है. सेहतमंद और खुशमिज़ाज़ जोह्न्सी दिनों-दिन कमज़ोर पड़ती जा रही थी. वो एक पुरानी जंग लगी चारपाई पर लेटी रहती और दिनभर खिड़की के बाहर देखती जहाँ अगली बिल्डिंग के पीछे की ईंटो की दीवार दिखती थी. एक दिन बिज़ी डॉक्टर ने सूए को बुलाया. Grey Color की घनी-घनी आईब्रो वालले डॉक्टर ने अपने हाथो में पकड़ा क्लिनिक थर्मोमीटर झटकते हुए कहा: ”

“ उसके बचने के चांसेस बहुत कम है, दस में से एक मान के चलो. और वो एक चांस भी तब है जब वो खुद जीना चाहे. ऐसे लोगो ने पूरे मेडिकल साइंस का मजाक बना के रखा है, तुम्हारी दोस्त ने मन बना लिया है कि उसे जीना ही नहीं है. क्या चल रहा है उसके दिमाग में?’
“वो- दरअसल वो काफी टाइम से बे ऑफ़ नेपल्स पेंट करना चाहती थी” सूए बोली.

“पेंटिंग? हूँह! उसके मन में कोई और बात तो नहीं जो सोचने लायक हो जैसे किसी लड़के का चक्कर ”
“लड़का ? सुए काँपती आवाज़ में बोली” —क्या बस आदमी ही सोचने लायक चीज़ है, नो, नो उसका कोई चक्कर-वक्कर नही है”
“अच्छा, फिर हो सकता है कि ये कमजोरी की वजह से हो. डॉक्टर बोला” जितना मेरे हाथ में है, मै उसे बचाने की हंड्रेड परसेंट कोशिश कर सकता हूँ पर एक बार पेशेंट खुद जीने की उम्मीद छोड़ दे तो चांसेस फिफ्टी परसेंट कम हो जाते है. फिर दवाई भी असर नही करती. अगर तुम किसी तरह उसके अंदर जीने की ईच्छा फिर से जगा दो तो मै प्रोमिस करता हूँ कि उसके चांसेस दस में एक से पांच में एक हो सकते है.

TO READ OR LISTEN COMPLETE BOOK CLICK HERE

वाशिंगटन स्क्वायर के बाईं ओर एक छोटे से डिस्ट्रिक्ट की बड़ी गलियां आगे जाकर आपस में गुंथी हुई और छोटी-छोटी गलियों में बंट जाती थी जिन्हें प्लेसेस कहा जाता था. ये प्लेसेस अजीब से एंगल्स और मोड़ बनाते थे. जैसे कि एक ही गली खुद को एक या दो बार क्रोस करती थी. इन गलियों की खास बात ये थी कि कोई बाहर का आदमी यहाँ आकर सही ठिकाने पर पहुँच ही नहीं सकता था.

इसलिए कई सारे खस्ताहाल आर्टिस्ट यहाँ रहते थे जो उधार मांग कर कैनवास, ब्रश, रंग वगैरह खरीदते थे और अगर कोई उधारी मांगने आये तो वो बेचारा भूल-भुल्लैया में भटक कर वापस चला जाता था. और इसी वजह से इस बेहद पुराने ग्रीनविच विलेज में आर्टिस्ट आकर बसने लगे थे. एक तो यहाँ किराया सस्ता था और दुसरे उन्हें अपनी तस्वीरे बनाने के लिए यहाँ कई पुरानी और अनोखी ईमारते मिल जाती थी. पास ही के मार्किट में बेहद सस्ते बर्तन और कपड़े वगैरह भी मिल जाते थे, इस तरह धीरे-धीरे यहाँ आर्टिस्टो की एक कॉलोनी बस गई थी.

एक Square shape की तीन मंजिला ईमारत के टॉप फ्लोर पर स्यू और जोह्न्स्य (Sue and Johnsy ) का अपना स्टूडियो था. जोह्न्सी (“Johnsy”) का पूरा नाम था जोआना  (Joanna). दोनों लडकियों में से एक मैन सिटी की रहने वाली थी तो दूसरी कैलिफोर्निया की. वो लोग फर्स्ट टाइम एट स्ट्रीट के डेलमोनिको कॉफ़ी हाउस की टेबल मिले थे. दोनों की  जब बातचीत हुई तो उन्हें पता चला कि उनके काफी कुछ कॉमन है जैसे आर्ट, चिकोरी सलाद और बिशप स्लीव्स और इस तरह दोनों की दोस्ती हुई और दोनों ने मिलकर एक आर्ट स्टूडियो खोला. ये मई महीने की बात थी. पर नवंबर की ठंड आते-आते अजनबी बिमारी जिसे डॉक्टर्स न्यूमोनिया बोल रहे थे, पूरी कॉलोनी में फैलने लगा था. उन दिनों काफी लोग इस बिमारी की चपेट में आ रहे थे.

शुरू-शरू में बीमारी शहर के ईस्ट साइड तक फैली थी पर धीरे-धीरे तंग गलियों वाले प्लेसेस का इलाका भी इसकी चपेट में आ गया था. उन दिनों न्यूमोनिया कोई मामूली बिमारी नहीं थी जो आसानी से काबू में आ जाए. शहर के डॉक्टरों को एक मिनट की भी फुर्सत नही मिल पा रही थी. एक के बाद एक न्यूमोनिया के केस आ रहे थे.

न्यूमोनिया ने जोह्न्सी को जो हाल किया था उससे तो यही लगता था कि ये बिमारी अंदर ही अंदर इंसान को घुन की तरह चाट जाती है. सेहतमंद और खुशमिज़ाज़ जोह्न्सी दिनों-दिन कमज़ोर पड़ती जा रही थी. वो एक पुरानी जंग लगी चारपाई पर लेटी रहती और दिनभर खिड़की के बाहर देखती जहाँ अगली बिल्डिंग के पीछे की ईंटो की दीवार दिखती थी. एक दिन बिज़ी डॉक्टर ने सूए को बुलाया. Grey Color की घनी-घनी आईब्रो वालले डॉक्टर ने अपने हाथो में पकड़ा क्लिनिक थर्मोमीटर झटकते हुए कहा: ”

“ उसके बचने के चांसेस बहुत कम है, दस में से एक मान के चलो. और वो एक चांस भी तब है जब वो खुद जीना चाहे. ऐसे लोगो ने पूरे मेडिकल साइंस का मजाक बना के रखा है, तुम्हारी दोस्त ने मन बना लिया है कि उसे जीना ही नहीं है. क्या चल रहा है उसके दिमाग में?’
“वो- दरअसल वो काफी टाइम से बे ऑफ़ नेपल्स पेंट करना चाहती थी” सूए बोली.

“पेंटिंग? हूँह! उसके मन में कोई और बात तो नहीं जो सोचने लायक हो जैसे किसी लड़के का चक्कर ”
“लड़का ? सुए काँपती आवाज़ में बोली” —क्या बस आदमी ही सोचने लायक चीज़ है, नो, नो उसका कोई चक्कर-वक्कर नही है”
“अच्छा, फिर हो सकता है कि ये कमजोरी की वजह से हो. डॉक्टर बोला” जितना मेरे हाथ में है, मै उसे बचाने की हंड्रेड परसेंट कोशिश कर सकता हूँ पर एक बार पेशेंट खुद जीने की उम्मीद छोड़ दे तो चांसेस फिफ्टी परसेंट कम हो जाते है. फिर दवाई भी असर नही करती. अगर तुम किसी तरह उसके अंदर जीने की ईच्छा फिर से जगा दो तो मै प्रोमिस करता हूँ कि उसके चांसेस दस में एक से पांच में एक हो सकते है.

TO READ OR LISTEN COMPLETE BOOK CLICK HERE

SHARE
Subscribe
Notify of
Or
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments