(Hindi) The Intelligent Investor
परिचय इंट्रोडक्शन (Introduction)
इंटेलीजेंट इन्वेस्टर्स का मतलब क्या है? क्या हाई रिटर्न्स के लिए आपके अंदर हाई आईक्यू होना चाहिए? जी नहीं बेंजामिन ग्राहम ऐसा बिलकुल नहीं मानते. एक इंटेलीजेंट इन्वेस्टर वो होता है जिसमे डिसप्लीन हो, पेशंस हो और जिसके अंदर लर्निंग का पैशन हो. यानी कि आपको अपने इमोशंस पर कण्ट्रोल करना आता हो और आपके अंदर इंडीपेंडेटली सोचने की एबिलिटी हो. ग्राहम का मानना है कि इंसान के अंदर इस टाइप की इंटेलीजेन्स उसके ब्रेन से ज्यादा केरेक्टर पर फोकस करती है.
क्या आपको पता है सर आइजेक न्यूटन ने एक बार स्टॉक्स में पैसे इन्वेस्ट किये थे? उस टाइम पर साउथ सी कंपनी के स्टॉक्स यू.के. में सबसे ज्यादा डिमांड में थे. न्यूटन को लगा कि स्टॉक मार्किट में पेनिक फैला हुआ है इसीलिए उन्होंने अपने सारे स्टॉक बेच दिए. और उन्हें 7000यूरो का 100% प्रॉफिट हुआ था. हालाँकि कुछ मंथ्स बाद ही न्यूटन ने भी लोगो के इन्फ्लुयेंश में आकर साउथ सी कंपनी में दुबारा इन्वेस्ट किया और वो भी पहले से ज्यादा अमाउंट.
लेकिन इस बार उन्हें 20,000 यूरो का लोस उठाना पड़ा. बाद में उन्होंने कहा भी कि वो आसमान के सितारों की अच्छी केलकुलेशन कर सकते है लेकिन लोगो के emotions ko nhi samajh sakte. और उन्होंने अपने फ्रेंड्स को कहा कि आज के बाद मेरे सामने “साउथ सी” का नाम भी मत लेना. तो क्या न्यूटन पेशेंट, डिसप्लीन्ड और सीखने के उत्सुक थे? बेशक वो (Physics) फिजिक्स्त के जीनियस थे लेकिन इन्वेस्टमेंट में उनकी नॉलेज उतनी भी कमाल की नहीं थी. उनका खुद के इमोशंस पर कण्ट्रोल नही था इसलिए उन्होंने दूसरो की बातो में आकर अपना नुकसान करवा लिया था. न्यूटन एक इंटेलीजेंट साइंटिस्ट तो थे लेकिन इंटेलीजेंट इन्वेस्टर नहीं थे.
स्टॉक ट्रेडिंग की दुनिया पहले मेडीएवल गिल्ड (medieval guild) की तरह होती थी जब लोग गेसवर्क और सुपरस्टीशंस पर (guesswork and superstition) पर ज्यादा भरोसा करते थे.लेकिन बेंजामिन ग्राहम के आने से काफी कुछ चेंजेस आये. अपनी बुक्स के थ्रू उन्होंने इन्वेस्टिंग में इस तरह क्लेरिएटी और स्ट्रक्चर सेट करी कि ये एक मॉडर्न प्रोफेशन बन गया. अब सवाल ये आता है कि बेंजामिन ग्राहम कैसे इन्वेस्टमेंट के फील्ड में एक itna bada naam bane|कैसे उन्होंने स्टॉक मार्किट में इतनी नॉलेज अचीव की? बेंजामिन ग्राहम 1894 में लंदन की एक रिच फेमिली में पैदा हुए थे. उनके फादर चाइनीज पोर्सिलेन के डीलर थे. बेंजामिन जब एक साल के हुए तो उनकी फेमिली न्यू यॉर्क शिफ्ट हो गयी.
उनकी फेमिली न्यू यॉर्क के Fifth एवेन्यू में रहती थी. उनके पास एक बहुत बड़ा घर था जिसमे कई सारे सर्वेन्ट्स थे. फिर कुछ सालो बाद ही बेंजामिन के फादर की डेथ हो गयी. पोर्सिलेन का फेमिली बिजनेस घाटे में चलने लगा और वो लोग गरीब हो गए. बेंजामिन की मदर ने घर में कुछ किराएदार रख लिए और साथ ही कुछ पैसा स्टॉक में भी इन्वेस्ट कर दिया. लेकिन बदकिस्मती से स्टॉक मार्किट क्रेश हुआ तो उनका सारा पैसा डूब गया.
बेंजामिन को एक बार बड़ी एम्बेरेशमेंट फील करनी पड़ी जब वो अपनी मदर का दिया चेक कैश करने बैंक में गए. बैंक ke employee ने उनसे कहा कि क्या उनकी मां के अकाउंट में $5 भी है? और यही वो मोमेंट था जिसने उन्हें हार्ड वर्क करके अपनी सिचुएशन इम्प्रूव करने के लिए मोटीवेट किया. बड़े होकर उन्होंने कॉलेज की स्कोलरशिप ली. बेंजामिन ने अपनी क्लास में टॉप किया था. उस टाइम वो सिर्फ 20 साल के थे लेकिन उन्हें तीन डिफरेंट डिपार्टमेंट से टीचिंग का ऑफर मिल रहा था.
लेकिन बेंजामिन को मना करना पड़ा. उस वक्त उनका पूरा फोकस सिर्फ वाल स्ट्रीट पर था. उन्होंने एक क्लर्क की जॉब से अपने फाइनेशियल करियर की शुरुवात की. बाद में वो ऐनालिस्ट बने और उसके बाद पार्टनर. फिर जल्दी ही बेंजामिन ने अपनी खुद की इन्वेस्टमेंट कंपनी खोल ली जिसका नाम था ग्राहम-न्यूमेन कोर्प. 20 सालो तक उनकी इन्वेस्टमेंट फर्म सालाना का 14.7% रिटर्न्स कमाती रही.
साल 1929 से 1932 तक ग्रेट क्रेश रहा लेकिन ग्राहम की कंपनी ने ये क्रेश ना सिर्फ सर्वाइव किया बल्कि उसके बाद और भी ज्यादा प्रॉफिट कमाया. उनकी फर्म वाल स्ट्रीट की सबसे सक्सेसफुल फर्म थी. लेकिन ये सब उन्होंने किया कैसे? कैसे ग्राहम ने इतना लंबा और सक्सेसफुल इन्वेस्टमेंट करियर मेंटेन किया? इस बुक में आपको ऐसे ही कुछ प्रेक्टिकल टिप्स पढने को मिलेंगे जो आपको एक इंटेलीजेंट इन्वेस्टर बनने में हेल्प करेंगे.
आप सीखेंगे कि कैसे रिस्क को मिनीमाइज करके आप स्मार्टली अपने स्टॉक चूज़ कर सकते हो. इंटेलीजेंट इन्वेस्टर नाक की ये बुक फर्स्ट टाइम 1973 में पब्लिश हुई थी. लेकिन बेंजामिन की टीचिंग इतनी एशेंशिय्ल और इनसाईटफुल है कि आज के टाइम में पूरी तरह से रेलीवेंट है. बिजनेस मेग्नेट वारेन बफे (Warren Buffet) कहते है कि इंटेलीजेंट इन्वेस्टमेंट इन्वेस्टमेंट पर लिखी गयी अब तक की बेस्ट बुक है.
TO READ OR LISTEN COMPLETE BOOK CLICK HERE
इन्वेस्टमेंट वेर्सुस स्पेक्यूलेशन (Investment versus Speculation)
क्या आपको पता है दिन खत्म होने पर जब बेल बजती है तो न्यू यॉर्क स्टॉक एक्सचेंज के ब्रोकर्स खुश हो जाते है? वो इसलिए कि चाहे आपको लोस हुआ या प्रॉफिट लेकिन उन्होंने तो अपने पैसे कमा लिए. आपको एक इन्वेस्टर और एक स्पेक्यूलेटर के बीच का फिर्क पता होना चाहिए. स्टॉक मार्किट में बहुत से स्पेक्यूलेटर्स होते है. लेकिन आप ये मिस्टेक मत करना. स्पेक्यूलेटर्स गैम्बेर्स yaani jue baazo की तरह होते है जैसे गैम्बेर्स हाई रिस्क पर काफी सारा पैसा लगा लेते है तो कभी-कभी उनको बाई चांस प्रॉफिट भी हो जाता है लेकिन ज्यादातर उनको लोस ही होता है.
लेकिन वो जीते या हारे सबसे ज्यादा फायदा तो कैसिनो को होता है. तो आप ये कैसे श्योर करोगे कि आप इन्वेस्ट कर रहे हो या सिर्फ स्पेक्यूलेशन लगा रहे हो? सबसे पहले तो जब आप किसी कंपनी को स्टडी करते हो, तो स्टोक लेने से पहले उस कंपनी की कमी या खूबियों के बारे में पता कर लो. दूसरी चीज़, हाई रिस्क अवॉयड करो. और थर्ड,adequate रिटर्न्स एक्स्पेक्ट करो ना कि ओवरली हाई रिटर्न्स.
अगर आप ये तीन रूल्स माइंड में रखोगे तो इन्वेस्टमेंट में लोस अवॉयड कर सकते हो. तब आप खुद के लिए पैसा अर्न करोगे ना कि ब्रोकर के लिए. स्पेक्यूलेटर्स रोंग डिसीजन लेते है. जबकि इन्वेस्टर्स हमेशा केयरफुल रहते है. इसीलिए उनकी सक्सेस भी लॉन्ग टर्म तक सस्टेन रह पाती है. ग्राहम की गाइडलाइन्स फोलो करके आप भी अपनी सक्सेस लॉन्ग टर्म के लिए सिक्योर कर सकते है. आजकल ज्यादा से ज्यादा लोग ऑनलाइन और डे ट्रेडिंग में इंटरेस्ट ले रहे है. लोगो को ये किसी फाइनेशियल वीडियो गेम प्ले करने जैसा ही thrilling (थिलिंग) लगता है.
बार में, रेस्त्रोरेंट्स मे, या कैफेटेरिया, आजकर हर जगह से लोगो को इन्फोर्मेशन मिलती है. आजकल टीवी और इंटरनेट में फाईनेंशिय्ल एडवरटीज़मेंट से रिलेटेड हर इन्फोर्मेंशन अवलेबल है. लेकिन असल में देखा जाए तो प्रोब्लम की जड़ भी यही है. लोग मिसइन्फॉर्म हो रहे है. हर जगह से उन्हें इतनी इन्फोर्मेशन मिल रही है कि वो कन्फ्यूज़ हो रहे है. उनके पास प्लेंटी ऑफ़ इन्फोर्मेशन तो है लेकिन इंटेलीजेंट इन्फोर्मेंशन की कमी है. लोग सिर्फ टीवी स्क्रीन में स्टॉकस के नम्बर पढ़ते है और इनमे से ज्यादातर लोग स्पेक्यूलेटर्स ही होते है.
वो जिस कंपनी में पैसा इन्वेस्ट कर रहे उसके बारे में उनके पास जीरो नॉलेज होती है. और उन्हें इस बात से कोई फर्क भी नहीं पड़ता. उन्हें तो बस टिकर सिंबल से मतलब है ताकि वो स्टॉक्स ले सके. 1998, मेंएक छोटी सी बिल्डिंग मेंटेनेस कंपनी के स्टॉक प्राइस देखते ही देखते ट्रिपल हो गए थे. कंपनी का नाम था टेम्को सर्विसेस. दरअसल हुआ ये कि लोग इसके टिकर सिंबल से कन्फ्यूज़ हो गए थे, उन्होंने टीएमसीओ को टीएमसीएस समझ लिया था जो किसी दूसरी कंपनी का टिकर सिम्बल था. टिकेट मास्टर ऑनलाइन एक पोपुलर वेबसाईट है जिसका खुद का आईपीओ था. और लोगो ने टेम्को सर्विसेस को टिकेट मास्टर ऑनलाइन कंपनी समझ कर स्टॉक लेने शुरू कर दिए थे.
किसी ने भी ये नहीं सोचा कि 2 मिनट उस कंपनी की जांच पड़ताल कर ली जाए जिसमे वो अपना पैसा इन्वेस्ट कर रहे है. अगर आप डेली स्टॉक प्राइस चेक नहीं करेंगे तो क्या आपको सही लगेगा? ग्राहम के हिसाब से कोई भी स्मार्ट इन्वेस्टर ऐसा बिलकुल नहीं करेगा. आपको हमेशा लॉन्ग टर्म के बारे में सोचना चाहिए, और स्टॉक के डेली फ्लक्चुएशन के बजाये कंपनी की वैल्यू देखो. क्योंकि तभी आप दूसरो के इन्फ्लुएंश में आने से खुद को बचा पाओगे.
एक बार सीआईबीसी में एक ऐसा ही ऐनालिस्ट था जिसने kaha ki अमेज़न.कॉम का प्राइस टारगेट $150 से $400 badh jayega. रिजल्ट ये हुआ कि अमेज़न के स्टॉक्स 14% बढ़ गए. ये बात 1998 की है. hua ye ki logo on is statement ko itna serious le liya ki अमेज़न के स्टॉक्स लगातार बढ़ते चले गए और कुछ वीक्स बाद ye $400 se bhi zaada badh gaye.