(Hindi) The Innovators

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परिचय Introduction

क्या आपको पता है कंप्यूटर किसने इन्वेंट किया था ? इंटरनेट का इन्वेंशन कैसे हुआ? इंटेल और माइक्रोसॉफ्ट कैसे स्टार्ट हुए थे ? सिलिकोन वैली की हिस्ट्री क्या है ? अगर आपको ये सब नहीं पता तो इस बुक से आपको सब पता चल जाएगा. ये जो डिजिटल रेवोल्यूशन आज आप देख रहे है, कई सारे जीनियस, हैकर्स और गीक्स के कोलाब्रेशन का रिजल्ट है. और उनके इनोवेशंस इसलिए सक्सीड हो पाए क्योंकि उन्होंने मिलकर काम किया. उन्हें ऐसा नरचरिंग एनवायरमेंट (nurturing environment)मिला जहाँ वो फ्री होक अपने आईडिया शेयर कर सके और उन्हें रियेलिटी में बदल सके.

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द कंप्यूटर The Computer

कंप्यूटर किसी एक आदमी ने नहीं बनाया. ये एक ऐसा इनोवेशन है जो कई सारे इनोवेशन्स पर बेस्ड है. चार्ल्स बाबेज(Charles Babbage)अपने टाइम से कहीं आगे की सोचता था. वो एक जेर्नल पर्पज का ऐनालिटिकल इंजिन (Analytical Engine) बनाना चाहता था जिसे किसी भी टाइप के टास्क के लिए प्रोग्राम किया जा सके लेकिन ये 100 साल पहले की बात है. 1837 में तब तक वैक्यूम ट्यूब्स नहीं होती थी, और ना ही कोई ट्रांजिस्टर या माइक्रोचिप्स. चार्ल्स बाबेज (Charles Babbages) का ऐनालिटिकल इंजिन ड्रीम कभी रियेलिटी नहीं बन पाया और वो बेचारा गरीबी में ही मर गया. लाईट बल्ब या टेलीफोन की तरह कंप्यूटर बनाने का क्रेडिट कोई भी एक सिंगल पर्सन नहीं ले सकता है. डिजिटल रेवोल्यूशन टीम वर्क से ही आया. ये इनोवेटर्स जीनियस, गीक्स और हैकर्स लोग थे जिन्होंने मिलकर साथ काम किया. “ “इनोवेशंस तब हुई जब इसके सीड्स सही जगह पे पड़े” 1940 में टाइमिंग एकदम सही थी. वर्ल्ड वार छिड़ी हुई थी, मिलिट्री ने कोर्पोरेश्न्स और यूनिवरसिटीज़ को कुछ नए टेक्नोलोजिकल आईडियाज़ के लिए फंड दिया जो वार में काम आ सके.

जॉन मौच्ली (John Mauchly) और प्रेसपर एच्केर्ट (Presper Eckert) को एक ऐसा इलेक्ट्रोनिक कंप्यूटर बनाने के लिए रीक्रूट किया गया जो मिसाइल ट्रेजक्टट्रीज (missile trajectories) डिटरमाइन कर सके.  मौच्ली(Mauchly ) बड़ा गज़ब का विजेनरी था जबकि एच्केर्ट (Eckert) एक प्रेक्टिकल इंजीनियर था. दोनों की पार्टनरशिप बढ़िया थी. डिजिटल रेवोल्यूशन के दौरान उनके जैसी कई जोड़ीयों ने कई सारे अमेजिंग इनोवेशंस किये जैसे कि एचपी (HP) के बिल हेवलेट (Bill Hewlett) और डेव पैकर्ड (Dave Packard), माइक्रोसॉफ्ट के बिल गेट्स और पॉल एलेन और एप्पल के स्टीव जॉब्स और स्टीव वोज्निअक (Steve Wozniak) एनिअक(ENIAC ) 1945 में जाकर कम्प्लीट हुआ. ये एक सेकंड में 5000 एडिशन और सबट्रेकशन कर सकता था. और पॉवर सोर्स के लिए इसको 17,468 वैक्यूम ट्यूब्स की ज़रूरत पड़ती थी. ये एक 3 बेडरूम अपार्टमेंट जितना बड़ा था. एनिअक (ENIAC) को ओपरेट करने के लिए एक पूरी टीम चाहिए होती थी. लेकिन जो भी हो ये उस टाइम का सबसे बेस्ट कंप्यूटर था. 

कई इनोवेटर्स के सक्सेसफुल ना होने का रीजन उनका लैक ऑफ़ कोलाब्रेशन भी था. कई जीनियस लोगो के पास ग्रेट आईडियाज थे लेकिन उनकी कोई टीम नहीं थी इसलिए वे अकेले रह गए. और इस वजह से उन्हें पता ही नहीं चल पाता था कि उनके काम में क्या मिसिंग है. सक्सेसफुल इनोवेशंस हमेशा क्रिएटिव एनवायरमेंट से ही आये जैसे बेल लैब्स, इंटेल और मिट (MIT.) मॉडर्न कंप्यूटिंग में 4 डिसटीनक्ट केरेक्टरस्टिक (4 distinct characteristics.) है. फर्स्ट डिजिटल है सेकंड बाएनरी, थर्ड इलेक्ट्रोनिक और फोर्थ है जेर्नल पर्पज. मशीन चार्ल्स बाबेज (Charles Babbage) ने क्रियेट की थी. हरमन होल्लेरिथ( Herman Hollerith ) और होवार्ड ऐकेन(Howard Aiken) को मॉडर्न कंसीडर नहीं किया जा सकता. एनिअक(ENIAC) फर्स्ट मॉडर्न कंप्यूटर है जो पूरी तरह से इलेक्ट्रिक और डिजिटल है. इसे कनेक्टिंग केबल्स के थ्रू किसी भी टास्क के लिए प्रोग्राम्ड किया जा सकता है. पूरे 10 सालो तक एनिअक (ENIAC) ने बढियां परफोर्मेंस दी थी.

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द ट्रांजिस्टर The Transistor

एनिअक और इसके इम्प्रूव्ड वर्जन्स एड्वाक (EDVAC) और यूनिवाक (UNIVAC)काफी बड़े थे और काफी बड़ी डेलिकेट और एक्सपेंसिव वैक्यूम ट्यूब्स पर चलते थे. ये इतने कोस्टली थे कि बस कंपनीज़ यूनिवरसिटीज़ और मिलिट्री ही उन मशीनों को यूज कर सकते थे. डिजिटल एज की शुरुवात 1947 में तब हुई जब बेल लैब्स के दो साइंटिस्ट ने मिलकर एक ट्रांजिस्टर बनाया. वाल्टर ब्रत्तैन (Walter Brattain ) एक इंजिनियर थे और जॉन बार्डीन (John Bardeen) एक क्वांटम थ्योरिस्ट थे. इन दोनों ने मिलकर काम किया और कंप्यूटर के सोर्स ऑफ़ पॉवर के लिए वैक्यूम ट्यूब्स को रिप्लेस करने में सक्सेसफुल रहे. एक बेंट पेपर क्लिप, गोल्ड फ़ॉयल की स्ट्रिप्स और एक सेमीकंडक्टर की हेल्प से वे इलेक्ट्रिक करंट को एम्पलीफाई करने में कामयाब रहे. इस सेटअप को अगर सही तरीके से मेनीप्यूलेट किया जाये तो ये इलेक्ट्रीसिटी बढ़ा सकता था और इससे स्विच ओन एंड ऑफ भी किया जा सकता था. और इस तरह उन्होंने ट्रांजिस्टर बनाया था.सिर्फ टीम वर्क ही नहीं बल्कि राईट एनवायरमेंट भी एम् इम्पोर्टेंट फैक्टर था जिससे कि अमेजिंग इनोवेशन्स पोसिबल हुए.

उन्होंने मिलकर बेल ,लैब्स में काम किया जहाँ उन्हें एक नरचरिंग एनवायरमेंट मिला और जहाँ डिफरेंट फील्ड्स के लोग आपस में मिलकर एक टीम की तरह काम करते थे. बेल लैब्स में थ्योरिस्ट, केमिस्ट, फीजिसिस्ट और इंजीनियर्स ने साथ में कई अमेजिंग इन्वेशन्स किये. डिजिटल रेवोल्यूशन का यही ट्रेंड है कि इनोवेशंस कभी भी अकेले नहीं किये जाते. इसके पीछे हमेशा एक टीम का हाथ होता है जो एक दुसरे से अपने आईडियाज़ शेयर करते है बेल लैब्स भी जीरोक्स पार्क (Xerox PARC) इंटेल या एप्पल जैसा ही है जहाँ अलग-अलग फील्ड के टेलेंटेड लोग साथ में जुड़ते है और उनका ऑफिस भी कुछ ऐसे ओर्गेनाइज्ड होता है जिससे एम्प्लोयीज़ को ईजिली कोलाब्रेट होने का चांस मिलता है. कॉपर इलेक्ट्रिसिटी का स्ट्रोंग कंडक्टर है और सल्फर वीक कंडक्टर. सिलिकोन सेमीकंडक्टर है जिसे मेनीपुलेट करना आसान है. अगर सिलिकोन को थोड़े से बोरोन के साथ मिला दिया जाए तो इससे सिलिकोन के इलेक्ट्रोन ज्यादा फ्री होकर मूव करने लगते है. इसीलिए सिलिकोन इलेक्ट्रीसिटी के लिए बेस्ट कंडक्टर माना जाता है.

बेल लैब्स ने ट्रांज़िस्टर को पेटेंट किया जिससे कि वो बाकी कंपनीज को लाइसेंस दे सके. इनमे से टैक्सास इंस्ट्रूमेंट भी एक कम्पनी थी. इसके वाइस प्रेजिडेंट पैट हग्गेर्टी (Pat Haggerty) ट्राजिंस्टर को लेकर बड़े एन्थूयास्टिक (enthusiastic)थे. 1952 में उन्होंने केमिकल रिसर्चेर गॉर्डोन टील (Gordon Teal ) को इसका बैटर वेर्जन बनाने के लिए हायर किया. पैट हग्गेर्टी(Pat Haggerty) स्टीव जॉब्स की तरह ही एक ब्रिलिएंट एंटप्रेन्योर थे. 1954 में मिलिट्री ने $16 पर पीस के हिसाब से ट्रांजिस्टर खरीदे. हग्गेर्टी (Haggerty) ने टील और उसकी टीम को ऐसे ट्राजिंस्टर बनाने को बोला जिसे $3 प्राइस के हिसाब से बेच सके. ये रेट में कम थे लेकिन इनकी परफोर्मेंस काफी बढ़िया थी. हग्गेर्टी (Haggerty) को ट्राजिंस्टर की हेल्प से छोटे पॉकेट रेडियो बनाने का आईडिया भी आया. स्टीव जॉब्स की तरह ही हग्गेर्टी (Haggerty ) भी अपने इंजीनियर्स से इम्पोसिबल काम करवा लेते थे. और जॉब्स की तरह ही उनमे ये एबिलिटी भी थी कि उन्हें पहले ही पता चल जाता था कि लोगो को क्या चाहिए. और इस तरह टैक्सास इंस्ट्रूमेंट ने एक पॉकेट साइज़ रेडियो रीजेंसी आरटी-1 (Regency TR-1) निकाला.

और जिसका प्राइस था $49.95. ये 4 ट्रांजिस्टर पर चलता था और रेड, ब्लैक, व्हाइट और ग्रे चार कलर्स में अवलेबल था. रीजेंसी आरटी-1 की वजह से सारी कंट्री को पता चल गया कि ट्रांजिस्टर क्या चीज़ है. एक ही साल के अंदर 100,000 पॉकेट रेडियो बिके. और इसकी रिलीज़ के साथ ही एल्विस प्रीस्ले का सिंगल एल्बम “देट्स आल राईट” भी रिलीज़ हुआ था. अब यंग जेनेरेशन अपने पेरेंट्स से छुपकर बेसमेंट में ये रेबेलिय्स म्यूजिक एन्जॉय कर सकती थी. इनोवेटर् वाल्टर ब्रत्तैन (Walter Brattain) ने मज़ाक में बोला भी था कि” मुझे ट्रांजिस्टर बनाके सिर्फ एक ही बात का रिग्रेट है और वो ये कि इसका यूज़ रॉक एंड रोल में हो रहा है”

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