(hindi) The Gift of Fear

(hindi) The Gift of Fear

इंट्रोडक्शन

क्या आपको पहली बार किसी शख्स से मिलने पर शक महसूस हुआ है? क्या आपने कभी महसूस किया है कि रात को अकेले सड़क पर चलता देखकर कोई आपको घूर रहा हो? कई बार हम इन भावनाओं को वहम समझकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं लेकिन यकीन मानिए अक्सर ये महज़ एक वहम नहीं होता शायद आप सच में ख़तरे में हो सकते हैं.

गैविन डी बैकर मॉडर्न डे शरलॉक होम्स और रियल लाइफ एक्शन हीरो का ज़बरदस्त combibation हैं. वो क्राइम के रहस्यों को सुलझाकर किसी को भी ख़तरे से बचा सकते हैं. लेकिन गैविन का कहना है कि इसे समझना rocket साइंस नहीं है और इसे कोई भी कर सकता है. कोई भी वार्निंग साइन देखकर अपने डर के प्रति respond कर सकता है और ये कैसे करना है ये बुक आपको सिखाएगी.

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In the Presence of Danger

एक दिन दोपहर के वक़्त केली ग्रोसरी शॉपिंग करके लौट रही थी. उसके दोनों हाथों में भारी भरकम बैग थे. अपने अपार्टमेंट के पास जाकर उसने नोटिस किया कि उसके पड़ोसी फ़िर से गेट लॉक करना भूल गए थे. केली अंदर गई और उसने दरवाज़ा बंद कर दिया.

केली का फ्लैट 4th फ्लोर पर था, उसे दोबारा नीचे ना आना पड़े इसलिए वो सारा सामान एक साथ ऊपर ले जाना चाहती थी. वो 2nd फ्लोर तक पहुंची ही थी कि बैग सामान के भार से फ़टने लगा और उसमें से बिल्ली के खाने का कैन निकलकर बाहर बिखर गया. अचानक नीचे से एक आदमी ने कहा, “चिंता मत कीजिए मैंने कैन को पकड़ लिया है. मैं अभी आपको ऊपर दे देता हूँ ”, ये सुनकर केली एकदम चौंक गई. केली को उस आदमी पर थोड़ा शक हुआ क्योंकि वो जाना पहचाना या कोई पड़ोसी नहीं था.

वो आदमी सीढ़ियों से ऊपर आया , कैन लौटाकर वो केली का बैग उठाने लगा और कहा, “लाइए, मैं आपकी मदद कर देता हूँ.”

“नहीं, शुक्रिया, मैं ख़ुद मैनेज कर लूंगी,” केली ने जवाब दिया.

“अभी का हाल देखकर तो ऐसा नहीं लगता. आप कौन से फ्लोर पर रहती हैं?”, उसने पूछा.

“4th, लेकिन यकीन मानिए मैं अपने आप सामान ले जाउंगी,” केली ने कहा.

“अरे वाह, मैं भी 4th फ्लोर पर जा रहा हूँ और देखिए ना मुझे देर हो गई, क्या है ना मेरी घड़ी जो बंद पड़ गई है. चलिए साथ में चलते हैं ,” उसने कहा.

लेकिन केली ने कहा, “शुक्रिया, लेकिन आपको तकलीफ़ उठाने की ज़रुरत नहीं है. मैं सामान ले जाउंगी.”

“मदद लेने में हिचकिचाना नहीं चाहिए”, उस आदमी ने  ज़ोर देकर कहा.

केली एक पल के लिए झिझकी लेकिन फ़िर उसने उस आदमी को अपना बैग उठाने दिया.

केली बहुत अजीब सा और uncomfortable महसूस कर रही थी आखिर वो एक जो अजनबी था. लेकिन वो मिलनसार और मददगार लग रहा था और केली बदतमीज़ी या रूखा व्यवहार नहीं करना चाहती थी इसलिए अंत में वो मान गई.

जब वो 4th फ्लोर तक पहुंचें तो उस आदमी ने कहा, “मुझे याद है एक बार जब मेरी दोस्त शहर से बाहर गई थी तो उसने मुझे अपनी बिल्ली को खाना खिलाने के लिए कहा था लेकिन वो बात मेरे दिमाग से निकल गई और आप जानती हैं वो बिल्ली तीन हफ़्तों तक बिना कुछ खाए भी जिंदा थी.”

अब तक केली अपने फ्लैट का दरवाज़ा खोल रही थी. उसने कहा, “आपका शुक्रिया, इसे अंदर मैं ले जाउंगी.” केली ने सोचा था कि वो आदमी उसे बैग थमाकर अपने रास्ते चला जाएगा लेकिन उसने कहा, “अरे नहीं, आप तकलुफ्फ़ क्यों करेंगीं, मैं ख़ुद इसे टेबल पर रख देता हूँ. ये काफ़ी भारी हैं ना. अगर आप चाहें तो हम दरवाज़ा खुला रख सकते हैं. मैं वादा करता हूँ कि बैग रखते ही बाहर आ जाऊंगा.”

केली मान गई पर सामान रखने के बाद वो आदमी गया नहीं. उसने ज़ोर से दरवाज़ा बंद किया और केली का रेप किया. उसने केली के सिर पर बंदूक रखी और उसके साथ बदसलूकी करता रहा. केली तीन घंटे तक इस भयानक स्थिति में रही.

अपनी दरिंदगी ख़त्म करने के बाद वो उठा और लिविंग रूम की खिड़की बंद करने लगा. उसने अपनी घड़ी देखी और बोला, “अब मुझे जाना है. डरो मत, मैं वादा करता हूँ तुम्हें चोट नहीं पहुंचाऊंगा. बस यहाँ से हिलना मत. मैं किचन से कुछ पीने के लिए लाने जा रहा हूँ. उसके बाद मैं पक्का यहाँ से चला जाऊंगा मगर तब तक चुपचाप यहीं बैठी रहना.”

केली बहुत सहमी हुई थी. ना जाने क्यों उसे ऐसा लग रहा था कि अगर वो अभी यहाँ से नहीं निकली तो वो आदमी उसे मार देगा. जब वो आदमी मुड़ा तो केली बिना आवाज़ किए सावधानी से उसके पीछे चलने लगी. उसने पास पड़ा कंबल उठाया और उसे अपने शरीर के चारों ओर लपेट लिया और फ़िर धीरे-धीरे पीछे होने लगी.
जैसे ही वो आदमी किचन में गया, केली अपने लिविंग रूम में गई और main दरवाज़े से बाहर निकल गई.

उसे किचन में drawer खोलने की आवाज़ आ रही थी. उस आदमी ने रेडियो भी चालू कर दिया था. केली सीधे अपने पड़ोसियों के पास गई. उनका दरवाज़ा खुला हुआ था. केली ने उनके सामने जाकर उन्हें चुप रहने का इशारा किया. वो लोग केली की हालत देखकर हक्के बक्के खड़े थे.

महीनों बाद केली को पता चला कि वो उस आदमी की पहली शिकार नहीं थी. वो आदमी एक सीरियल रेपिस्ट था और एक बार उसने एक औरत का रेप करने के बाद उसे जान से मार दिया था. लेकिन शुक्र था कि केली उसके चंगुल से बच निकली थी.

केली ये भयानक और दर्दनाक हादसा गैविन को बता रही थी. उसने कहा कि ना जाने कैसे वो ख़ुद को उस सिचुएशन से बचा पाई. अब एक सवाल था कि केली को क्यों लगा कि जब वो आदमी वापस आएगा तो उसे जान से मार देगा?

केली ने जवाब दिया कि उसे शक तब हुआ जब उस आदमी ने खिड़की बंद की. उसने केली से कहा था कि वो उसे चोट नहीं पहुंचाएगा लेकिन केली का मन उसकी बात पर यकीन करने को तैयार नहीं था. उसके पास बंदूक थी लेकिन अगर वो बंदूक चलाता तो उससे ज़ोरों की आवाज़ होती और वो पकड़ा जाता. इसलिए वो किचन में चाकू लेने के लिए गया था. जब केली ने drawer खोलने की आवाज़ सुनी तो उसका शक यकीन में बदल गया और उसने भागने का फ़ैसला किया.

गौर करने वाली बात ये है कि केली ने खतरे के साइन को ख़ुद पहचाना. शायद डर अपने साथ intuition का तोहफ़ा लेकर आता है. हमारा ब्रेन हमें जिंदा रखने के लिए फ़टाफ़ट डॉट्स को कनेक्ट करना शुरू कर देता है. ख़ुद को बचाने की कोशिश में शायद ये हिम्मत हम में ख़ुद ब ख़ुद पैदा हो जाती है क्योंकि इसी पर हमारी जिंदगी टिकी हुई होती है.
जब भी आपको शक होता है, गहरा डर महसूस होता है तो अक्सर उसके पीछे एक कारण होता है. आपको इन भावनाओं को अनदेखा नहीं करना है बल्कि इसे गौर से सुनें ताकि आप ख़ुद को किसी अनहोनी से बचा सकें.

गैविन अक्सर अपने प्राइवेट सिक्यूरिटी फर्म में अपने क्लाइंट से पूछते हैं, “क्या आपको ज़रा सा भी अंदाज़ा था कि ऐसा कुछ हो सकता था?” या “क्या आपके मन में कभी आया कि ऐसा करने के पीछे किसी का क्या मकसद हो सकता है?” ज़्यादातर लोगों का जवाब होता था, “नहीं, मुझे कोई अंदाज़ा नहीं था, ये ना जाने कैसे हुआ.”

लेकिन कुछ पल सोचकर अक्सर क्लाइंट कहते कि, “अब जब मैं उसके बारे में सोच रहा हूँ तो मुझे याद आ रहा है कि जब मैंने उस आदमी को पहली बार देखा था तो मुझे बहुत बेचैनी सी महसूस हुई थी, मुझे बड़ा uncomfortable फील हुआ था.” या “ मैंने उस दिन उस गाड़ी को पहले भी देखा था.”

केली का भी कुछ इसी तरह का जवाब था, “मुझे नहीं पता कैसे लेकिन मुझे एहसास हो रहा था कि वो मुझे मारने की सोच रहा है. “ ये एहसास intuition की वजह से जन्म लेता है. केली ने हर साइन को देखा, तब उसके ब्रेन ने डॉट्स को कनेक्ट करना शुरू किया और फ़िर केली भागने का फ़ैसला ले पाई.

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The Technology of Intuition

एक दिन रॉबर्ट Thompson नाम का आदमी मैगज़ीन खरीदने एक स्टोर में गया. जैसे ही वो अंदर गया उसे अचानक बहुत डर लगा. उसके पैर दरवाज़े पर ही ठिठक गए. उसने तुरंत वहाँ से लौटने का फैसला किया. लेकिन उसे ठीक-ठीक नहीं पता कि उसने ऐसा क्यों किया.

अगले दिन जब रॉबर्ट ने न्यूज़ देखि तो वो ये जानकार हैरान रह गया कि उस दिन उस स्टोर में डकैती हुई थी, गोलियां भी चली थीं और कुछ लोग ज़ख़्मी हो गए थे.

जब उसने ये किस्सा गैविन को सुनाया तो उन्होंने पूछा, “तुमने वहाँ ऐसा क्या देखा कि लौटने का मन बनाया?”

“कुछ नहीं,” रॉबर्ट ने कहा “पर ना जाने क्यों मेरा मन कह रहा था कि लौट जाओ.”

रॉबर्ट कुछ पलों के लिए सोचने लगा और फ़िर उसने कहा, “अब जब मैं गौर से सोच रहा हूँ तो मुझे याद आ रहा है कि जब मैंने दरवाज़ा खोला तो केशियर ने मेरी ओर देखकर धीरे से सिर हिलाया था, उसके बाद वो तुरंत उस कस्टमर की ओर देखने लगा जो इतनी भयंकर गर्मी में भी leather की जैकेट पहने खड़ा था. शायद मैंने केशियर का घबराया हुआ चेहरा नोटिस किया था इसलिए मैं जल्दी से वहाँ से निकल गया. “

असल में उस जैकेट पहने आदमी के हाथ में बंदूक थी. उसके दो साथी बाहर खड़ी एक गाड़ी में उसका इंतज़ार कर रहे थे. न्यूज़ देखने के बाद रॉबर्ट को याद आया कि जब वो बाहर निकला था तो उसने दो लोगों को देखा था जो गाड़ी का इंजन स्टार्ट किए हुए बैठे थे.

रॉबर्ट को समझ नहीं आया कि आखिर माजरा क्या था लेकिन उसने अपने intuition की सुनी. उसे स्टोर में जाते समय डर लगा, थोड़ा शक भी हुआ. उसने अपनी भावनाओ को अनदेखा नहीं किया. उसने बस अपने मन की आवाज़ को सुना और उसे फॉलो किया.

लॉजिक और intuition में फ़र्क होता है. लॉजिक स्टेप by स्टेप एक प्रोसेस को फॉलो करता है लेकिन intuition एक झटके में स्टेप A से स्टेप Z पर जा सकता है, ख़ासकर जब कोई आदमी ख़तरे में होता है तब. क्या आप जानते हैं कि intuition शब्द “tuere” शब्द से बना है जिसका मतलब होता है बचाव करना या बचाना.
रॉबर्ट के जेहन में कहीं ना कहीं ये बात थी कि उस स्टोर में पहले भी चोरी हो चुकी थी. उसने न्यूज़ में इस बारे में सुना था और पुलिस की वैन को उस एरिया पर तैनात भी देखा था. इस इनफार्मेशन ने भी उसे तुरंत फ़ैसला लेने में मदद की थी.

रॉबर्ट की तरह, आप भी अपने intuition को सुनना और संकेतों को देखना सीख सकते हैं. क्राइम अचानक या इत्तेफ़ाक से नहीं होते और ना ही कोई क्रिमिनल अचानक से लोगों को मारता है या चोट पहुंचाता है.

गैविन के अनुसार, कोई भी हादसा होने से पहले कोई ना कोई शुरुआती साइन या इंडिकेटर ज़रूर होते हैं बस हमें उन्हें पहचानने की ज़रुरत है. इंसान बहुत ही unpredictable होता है और क्राइम करने वाला कोई भी हो सकता है जैसे कोई अजनबी, एक नाराज एम्प्लोयी , अपमान करने वाला controlling पति या हाथ धो कर पीछे पड़ने वाला stalker.

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The Academy of Prediction

गैविन कहते हैं कि हम सभी, इंसान के बर्ताव को observe करके उससे जुड़े रहस्य को सुलझा सकते हैं. असल में हम सभी एक नेचुरल साइकोलोजिस्ट हैं. पहले इस बात को समझना ज़रूरी है कि दुनिया में कोई भी इंसान पैदाइशी क्रिमिनल नहीं होता. किसी के साथ बीता हुआ कोई दर्दनाक हादसा या उसकी परिस्थिति उसे क्रिमिनल बनाती है.

हमें इस ग़लतफ़हमी को भी दूर करने की ज़रुरत है कि “हमारे पड़ोस में तो ऐसा क्राइम या हादसा नहीं हो सकता.” देखा जाए तो क्रिमिनल माइंड जैसी कोई चीज़ नहीं होती.

अच्छा अब ज़रा गौर से सोचिए कि जब आपको किसी पर हद से ज़्यादा गुस्सा आता है तो क्या आपके मन में ख़याल आता है कि “मन करता है इसे जान से मार दूं या इसे ऐसा सबक सिखाऊं कि जिंदगी भर याद रखे?” मुझे यकीन है कि आपको ऐसा ख़याल ज़रूर आया होगा. मर्डर, रेप, डकैती जैसी वारदातें दुनिया के हर देश में रोज़ घटती हैं इसलिए हम ये नहीं कह सकते कि ये एक जगह तक सीमित है.

क्या आपके मन में ये थॉट आया है कि , “मैं कभी किसी के साथ बुरा करने के बारे में सोच भी नहीं सकता, किसी को मारना तो बहुत दूर की बात है लेकिन अगर किसी ने मेरे किसी अपने को तकलीफ़ पहुंचाई तो मैं उसे छोडूंगा नहीं?” अगर आपका जवाब हाँ है तो मैं आपको बता दूं कि ज़्यादातर लोग ऐसा ही सोचते हैं.

आप भी मिस्ट्री को सुलझा सकते हैं, किसी क्राइम या एक क्रिमिनल के दिमाग को समझ सकते हैं अगर आप सिर्फ़ इस बात को एक्सेप्ट कर लें कि क्रिमिनल भी हम लोगों से बहुत ज़्यादा अलग नहीं होते.  इससे आप intuition के ज़रिए ख़ुद को कई ख़तरों से बचा सकते हैं.

Intuition का सबसे बड़ा दुश्मन है इनकार करना या नकारने की आदत जिसे denial कहते हैं. जो लोग वार्निंग साइन को देखकर भी अनदेखा कर देते हैं, आँखें मूँद लेते हैं अंत में वही उसका शिकार बन जाते हैं.

जब आप घर से बाहर होते हैं तो किसी को देखकर ये नहीं कह सकते कि वो एक हत्यारे  या रेपिस्ट की तरह नहीं लगता. असल में हमने अपने दिमाग में एक क्रिमिनल की जो घिसी पिटी इमेज बना रखी है पहले तो उसे बदलना ज़रूरी है.

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