(hindi) The Dream of Swarajya

(hindi) The Dream of Swarajya

इंट्रोडक्शन

जब भारत गुलामी की ज़ंजीरों में जकड़ा हुआ था तब एक ऐसे बच्चे का जन्म हुआ जिसने आज़ादी पाने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. वो जाँबाज़ सिपाही और कोई नहीं बल्कि शूरवीर और महान छत्रपति शिवाजी महाराज थे. उनके जीवन का बस एक ही लक्ष्य था “स्वराज्य” हासिल करना. शिवाजी महाराज, महाराष्ट्र के सबसे महान योद्धा होने के साथ-साथ रणनीति बनाने में बेहद माहिर थे. आज भी वो महाराष्ट्र के गौरव के रूप में जाने जाते हैं. विदेशी हुकूमत के खिलाफ स्वतंत्रता पाने का संग्राम असल में छत्रपति शिवाजी महाराज के साथ शुरू हुआ था.

ये मध्ययुगीन काल की कहानी है. करीब चार सौ साल से भी  ज़्यादा  समय तक भारत गुलामी की जंजीरों में जकड़ा रहा. बाहर से आए अत्याचारीयों ने हमारे देश पर कब्ज़ा करके हमारी आज़ादी हमसे छीन कर  हमें  अपना गुलाम बना कर रखा था. भारत में राजशाही की प्रथा रही थी. यानी राजा के बाद उसकी आने वाली पीढियां राज किया करती थी. ये उस समय की बात है जब आज की तरह प्रजातंत्र की व्यवस्था  नहीं  थी जिसे हम आज डेमोक्रेसी कहते है. राजा जो बात बोल से, वो जनता के लिए पत्थर की लकीर होती थी. राजा का दिया आदेश ही कानून था. उस जमाने में जनता तो राजा को भगवान मान कर चलती थी पर राजा को जनता की भलाई की रत्ती भर भी परवाह  नहीं  होती थी.

उन्हें तो बस ऐशो-आराम की जिंदगी जीने और अपना खजाना भरने से मतलब था. राजा और राज परिवार के  लोगों  को हर तरह की सुख-सुविधाएं हासिल थी और हर राजा का एक ही मकसद होता था कि उसके पास बड़ी से बड़ी सेना हो जिसमे दम पर वो अपने दुश्मनों को हराकर उनकी जमीन पर कब्जा करके और भी  ज़्यादा  शक्तिशाली बन सके. उनके अंदर सत्ता और शक्ति की ऐसी भूख थी जो कभी खत्म होने का नाम नहीं लेती थी. जिन राज्यों को वो अपने कब्जे में लेते थे, फिर उस राज्य के  लोगों  के सुख-दुःख से उन्हें कोई वास्ता  नहीं  रहता था. दरअसल दौलत के लालची इन हुक्मरानों के लिए भूखी-नंगी जनता  पैरों  की जूती के बराबर थी.

आम आदमी दिन-रात हाड़-तोड़ मेहनत करने के बाद जो कुछ कमाता, उसका ज़्यादातर हिस्सा राजा के  खज़ाने में जाता था. जी-तोड़ मेहनत के बाद भी गरीब की गरीबी मिटने का नाम नहीं लेती थी और ना ही उन्हें अपनी मेहनत की सही कीमत मिल पाती थी. ऐशो-आराम की जिंदगी गुज़ारने वाले इन क्रूर   शासकों  के  अत्याचारों  से जनता का जीवन बेहाल था जिनके लिए तीन वक्त का खाना जुटाना भी किसी चुनौती से कम  नहीं  होता था. उस जमाने में हमारे देश के  लोगों  का जीवन सचमुच बहुत दयनीय था. खैर, तब से अब तक ना जाने कितने ही विदेशी हमलावरों के अत्याचार झेलता हमारा देश आज इस मुकाम तक आ पहुंचा है तो अब वक्त आ गया है कि हम अपने देश की तरक्की और खुशहाली में अपना योगदान दे.

पर भारत में एक जगह ऐसी भी थी जहाँ की जनता इन अत्याचारों से तंग आकर बगावत पर उतर आई थी, और ये जगह थी महाराष्ट्र. जनता को जल्द ही एक ऐसा बहादुर सिपाही और राजा मिलने वाला था जिसने कसम खाई थी कि वो अपने  लोगों  की हिफाजत करेगा और इन विदेशी ताकतों से देश को आज़ादी दिलाकर रहेगा. लेकिन इस बहादुर सिपाही की दास्ताँ सुनाने से पहले हम ये समझने की कोशिश करेंगे कि उस वक्त महाराष्ट्र में किस तरह के हालत थे. सोलहवीं शताब्दी के महाराष्ट्र में दो बादशाहों का  शासन  था, अहमदनगर में निज़ामशाह और बिजापुर में आदिलशाह राज किया करता था. ये दोनों आपस में  हमेशा लड़ते रहते थे, जनता के दुःख-दर्द से मानो उन्हें कोई लेना-देना ही नहीं था. जनता मरे या जिये उन्हें क्या, उन्हें तो अपना खज़ाना भरना था.

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Hugging till Relaxed

अगर आप दिल से करे तो हगिंग यानी गले लगाना भी इंटी में सी है जो जाकर सेक्स पर खत्म होती है. अगर आप जानना चाहते है कि इंटी में ट हग कैसे दिया जाए तो इसका जवाब है हगिंग टिल रिलैक्स्ड, जो आपको सीखना होगा. फिर से यहाँ डॉक्टर डेविड इस बात पर फोकस करते है कि पहले हम खुद को जान ले और समझ ले.

खुद के साथ कनेक्शन बनाना सबसे जरूरी स्टेप है. जो दूसरे  लोगों  के साथ आपके रिश्ते को काफी हद तक प्रभावित करता है. ज़रा याद कीजिये कि कैसे  कैरेन अपने बारे में नेगेटिव सोचती थी और क्योंकि उसने अपनी इनस्कियोरीटी को समझने की कोशिश  नहीं  की जिसका असर ये हुआ कि अपने पति के साथ उसकी सेक्स लाइफ खत्म होने की कगार पर थी. हगिंग टिल रिलैक्स्ड कपल्स के बीच इंटी में सी इम्प्रूव करने का सबसे सिंपल तरीका है.

ऑथर ने हगिंग टिल रिलैक्स्ड के चार स्टेप्स बताये है. सबसे पहले अपनों दोनों पैरो पर खड़े हो जाओ, फिर अपनी बांहे अपने पार्टनर के गले में डालो, खुद पर फोकस करो और लास्ट में एकदम शांत होकर अपने पार्टनर की बाहों में रहो.

जब हम किसी रिश्ते में होते है तो अपने पार्टनर पर काफी हद तक डिपेंड रहते है. लेकिन यही चीज़  हमें  प्रोब्लम में डाल देती है क्योंकि हम खुद की पहचान खोने लगते है. पर  हमें  अपने पैरो पर खड़े रहने की आदत डालनी होगी फिजिकली और इमोशनली दोनो तरह से.

हग करते वक्त हम अक्सर अपने पार्टनर पर झुक जाते है. इस हालत में अगर कोई भी जरा सा हिला तो आपका बेलेंस बिगड़ जाता है, जब दोनों ही गिर रहे है तो एक दूसरे को सम्भालेंगा कौन. यही बात प्रोब्लम पर भी लागू होती है. अगर आपका पार्टनर किसी प्रोब्लम में है तो आप उसकी कोई मदद  नहीं  कर सकते. आप जानते है क्यों? क्योंकि आप भी खुद प्रोब्लम में है.

इसलिए बेलेंस बनाना सीखो. अपने पार्टनर को हग करते वक्त भी अपने पैरो पर मजबूती से खड़े रहो और खुद को शांत रखना भी आपको सीखना होगा. पर क्या हगिंग सामने वाले के लिए भी उतनी ही रिलेक्सिंग  नहीं  है? तो क्यों आपका सारा फोकस सिर्फ खुद पर है?

जब आपका पार्टनर परेशान होता है तो आप भी नर्वस हो जाते हो. ऐसी सूरत में आपके लिए अपनी पैरो पर खड़े रहना जरूरी है. अपने पार्टनर को खुद पर झुकने दो. खुद को शांत रखो ताकि आप उन्हें हौसला दे सको. इसे differentiation बोलते है. अगर दोनों ही घबरा गए तो एक दूसरे को सपोर्ट कैसे करोगे?

हगिंग टिल रिलैक्स्ड एक टूल है. अपने पार्टनर से कनेक्टेड होते हुए भी ये आपको इंडिपेंडेंट होना सिखाती है. इसे हम interdependence बोलते है. आप इसे इस स्टोरी से समझ सकते है.

कैरल  अपने हजबैंड  वॉरेन  से उम्मीद करती थी कि वो उसे हग किया करे. क्योंकि  कैरल  के लिए गले लगने का मतलब था कि उसका हजबैंड उसे चाहता है, उसे प्यार करता है पर  वॉरेन  उसे खुद से कभी हग  नहीं  करता था.  उसे ये अनकम्फर्टबल लगता था. डॉक्टर डेविड को फील हुआ कि उन्हें  कैरल  की अपने पति पर डिपेंड रहने की आदत छुडवानी होगी.

डॉक्टर डेविड ने  कैरल  को सुझाव दिया कि उसे  वॉरेन  को हग करने के लिए फ़ोर्स  नहीं  करना चाहिए बल्कि  वॉरेन  खुद उसे गले लगाये तो ज्यादा बेहतर होगा. क्योंकि जबर्दस्ती के प्यार और हग से  कैरल  को वो इंटी में सी फील नहीं होगी जो होनी चाहिए.

जब वो लोग हगिंग की इम्पोर्टेंस पर बात कर रहे थे तो  कैरल  अचानक रोने लगी. उसने बताया कि बचपन में उसे प्यार  नहीं  मिला था. जब वो छोटी थी तो कोई उसे गले  नहीं  लगाता था. और अब  वॉरेन  भी जब उसे हग  नहीं  करता तो उसे बड़ा बुरा लगता है, उसे लगता है जैसे कि उसे नेगलेक्ट किया जा रहा है.

वॉरेन  को अब समझ आया कि उसकी वाइफ हगिंग को लेकर इतनी सेंसटिव क्यों है. हालाँकि खुद पहले गले लगना अभी भी उसकी आदत  नहीं  बन पाई, उसे हग करना पसंद  नहीं  है पर उसे ये भी रिएलाइज हुआ कि  कैरल  की खातिर उसे ये करना होगा.

तो डॉक्टर डेविड ने  वॉरेन  से कहा कि जिसे जो पसंद हो वही करना चाहिए,  वॉरेन  को कोई भी फ़ोर्स  नहीं  कर सकता कि वो अपनी वाइफ को हग करे. हालाँकि जब डॉक्टर डेविड ने  वॉरेन  को हगिंग टिल रिलैक्स्ड के बारे में समझाया तो  वॉरेन  के लिए भी हग करना कम्फ़र्टेबल हो गया था.

डॉक्टर डेविड ने  वॉरेन  को सेल्फ सूथिंग टेक्नीक्स भी बताई. उन्होंने  वॉरेन  से कहा कि  कैरल  को हग करने से उसे खुद भी बड़ा रिलेक्स फील होगा. और साथ ही  वॉरेन  को खुद से फ्रेंडली मैनर में बात करनी चाहिए. जैसे कि  वॉरेन  खुद को समझा सकता है कि सिर्फ एक हग ही तो है और उसे डिवोर्स के डर से अपनी पत्नी को गले लगाने की जरूरत नहीं है बल्कि वो इसलिए उसे गले लगा रहा है क्योंकि वो उसे बहुत प्यार करता है. हगिंग जबर्दस्ती नहीं होनी चाहिए बल्कि रिलेक्सिंग होनी चाहिए.

अगले दिन डॉक्टर डेविड ने  कैरल  से कहा कि वो  वॉरेन  को खुद आगे बढ़कर हग करे. क्योंकि  वॉरेन  हगिंग को लेकर नर्वस था. डॉक्टर डेविड ने उन्हें याद दिलाया कि पहले दोनों को अपने पैरो पर खड़े होना है, खुद को एकदम शांत रखना है. जब  कैरल  पूरी तरह शांत हो जाए तो उसे  वॉरेन  की नर्वसनेस दूर करनी है.

कैरल  और  वॉरेन  ने एक दूसरे को हग किया और इस बार  वॉरेन  ने बड़ी देर तक  कैरल  को हग किया, और इतना ही नहीं, इस बार पहले वो नहीं बल्कि  कैरल  उससे अलग हुई.

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