(hindi) THE DIP-A Little Book That Teaches You When to Quit and When to Stick

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इंट्रोडक्शन

क्या आपने कभी सोचा है कि अगर आपने किसी चीज़ को छोड़ा नहीं होता तो क्या होता?  जब आप उन चीज़ों के बारे में सोचते हैं जिन्हें पूरा करने का इरादा आपने छोड़ दिया है तो क्या आप रात को चैन से सो नहीं पाते?

इस बुक में हम quit करने यानी चीज़ों को छोड़ने के बारे में बात करेंगे और ये भी कि ये इतना भी बुरा नहीं है जितना कि लोग जताते हैं.
quit करने का ये मतलब नहीं है कि आप फेल हो गए हैं. आपको पता चलेगा कि strategic quitting नाम की भी एक चीज़ होती है.

आप ये जानेंगे कि नंबर 1 होना इतनी बड़ी बात क्यों है. लोगों को टॉप पर रहना इतना क्यों पसंद है? आप ये भी समझेंगे कि quit करना कैसे नंबर 1 होने से जुड़ा हुआ है. आपको ये जानकार आश्चर्य होगा कि ज़रूरी नहीं कि आपने कभी कुछ छोड़ा नहीं तो आप सक्सेसफुल हो जाएँगे.

इसमें आपको पता चलेगा कि कब quit करना है. इन तीन कर्व पर ध्यान दें : the Dip, the Cul-de-Sac और the Cliff. इनमें से The Dip वो इकलौता कर्व है जिसे असल में पाने की कोशिश की जानी चाहिए. The Cul-de-Sac और the Cliff आपको फेलियर की ओर ले जा सकता है. आप जानकार चकित हो जाएँगे कि अभी आप ना जाने कितने The Cul-de-Sac और the Cliff पर खड़े हैं.

हमें हमेशा पता नहीं होता कि हमें कब quit करना चाहिए. जब लोग हार मान लेते हैं तो हम उनका मज़ाक उड़ाते हैं, उनकी बेईज्ज़ती कर उन्हें शर्मिंदा महसूस कराते हैं. हमारे दिमाग में ये फ़ितूर बैठ गया है कि हार मान लेना या quit कर देना सिर्फ़ और सिर्फ़ बुरा होता है और ये एक हारे हुए आदमी की निशानी होती है. ये माइंडसेट वो main कारण है कि इतने सारे लोग फेल हो जाते हैं. ये बुक आपको सिखाएगी कि आप अपने सोचने के तरीके को कैसे बदलें.

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Being the Best in the World is Seriously Underrated

इस दुनिया में हार मान लेने की इच्छा हर जगह मौजूद है. जब आप बाइक चलाना सीखते हैं तब आप हार मान लेना चाहते हैं, जब आपको जॉब में प्रमोशन नहीं मिलता तब आप हार मान लेना चाहते हैं. कई फेमस quote हमें आगे बढ़ने के लिए encourage करते हैं. आपको बस मुश्किल दौर में डट कर लगे रहना है और अंत में आपकी मेहनत ज़रूर रंग लाएगी.
ये एक बुरी सलाह है. ज़्यादातर समय विनर्स quit कर देते हैं. वो लूज़र इसलिए नहीं हैं क्योंकि उन्हें पता है कि सही समय पर कब quit करना है. हाँ, बेशक कुछ लोगों को कामयाबी तब मिलती है जब वो लंबे समय तक संघर्ष का डटकर सामना करते हैं. लेकिन जो लोग किसी नई चीज़ पर फोकस करने के लिए शुरुआत में quit कर देते हैं उन्हें इसके अलग फ़ायदे मिलते हैं. आइए एक कहानी से इसे समझते हैं.

हैना सुप्रीम कोर्ट में लॉ क्लर्क है. ना जाने कितने लॉ ग्रेजुएट उनकी तरह बनने की तमन्ना करते हैं. यूनाइटेड स्टेट्स में 42,000 लॉ ग्रेजुएट्स में से सिर्फ़ 37 को क्लर्कशिप दी गई, हैना उनमें से एक थी. क्लर्कशिप ग्रेजुएट्स को लॉ फर्म पार्टनर, जज यहाँ तक कि सीनेटर बनने में भी मदद करती है.

हैना कोई भाग्यशाली नहीं थी बल्कि वो बुद्धिमान और मेहनती थी. उसे क्लर्कशिप उसकी अटलता और धुन की वजह से मिली थी किसी लक की वजह से नहीं. एक और बात जो हैना को उन 36 क्लेर्क्स से अलग बनाती थी वो थी कि उन्होंने quit नहीं किया था. वो 42,000 ग्रेजुएट्स क्लर्कशिप को quit कर दूसरी जॉब की तलाश में जुट गए थे.

लेकिन देखा जाए तो हैना भी एक quitter है. आज वो जिस मुक़ाम पर थी वहाँ तक पहुँचने के लिए उसे कई दूसरे काम छोड़ने पड़े थे. क्लर्क की पोजीशन मिलने का मतलब था कि वो कोई और जॉब मैनेज नहीं कर सकती थी. हैना लॉ की दुनिया में बेस्ट ऑफ़ द बेस्ट बनने की कोशिश कर रही थी. यही कारण है कि वो जानती थी कि कब quit करना है और कब नहीं.
क्या आपने कभी गौर किया है कि कौन या क्या नंबर 1 है हम उसे कितनी तवज्जो देते हैं. टॉप पर होने का इनाम कभी एक समान नहीं होता. एग्ज़ाम्पल के लिए, जब इसे क्रीम के टॉप 10 flavours की बात आती है तो वैनिला नंबर 1 है और प्रलिन नंबर 10. इंटरनेशनल आइसक्रीम एसोसिएशन के अनुसार, वैनिला की दुनिया भर में 30% आइसक्रीम की सेल होती है जबकि प्रलिन सिर्फ़ 2 या 3% ही बिकता है. ये है Zipf’s Law. तो टॉप पर होते हैं उन्हें सबसे ज़्यादा फ़ायदे और इनाम मिलते हैं. इसका कारण ये है कि आमतौर पर लोग और मार्केट विनर को ही पसंद करते हैं.

आख़िर हम नंबर 1 से प्यार क्यों करते हैं? क्योंकि हमारे पास आप्शन तलाशने के लिए लिमिटेड रिसोर्सेज हैं. क्या आप किसी ऐसे रेस्टोरेंट में डेट पर जाने का रिस्क लेंगे जिसके बारे में आपने कभी नहीं सुना हो? हमारे पास बहुत ज़्यादा टाइम, एनर्जी और पैसा नहीं है. इसलिए हमें इन रिसोर्सेज को उन लोगों और कंपनियों में लगाना होगा जो सबसे बेस्ट हैं.

नंबर 1 होने का एक और फ़ायदा ये भी है कि आप स्पॉटलाइट में बने रहते हैं यानी आप लोगों की नज़र में आते हैं. नंबर 1 होने का मतलब है कि सिर्फ़ आप टॉप पर हैं और आपके competitor सब नीचे हैं. ये यूनिक क्वालिटी ये कमी मार्केट के लिए बहुत ज़रूरी है.

जब आप कहीं पढ़ते हैं “दुनिया में सबसे बेस्ट” तो एक बार के लिए आपकी भी भौहें चढ़ जाती होंगी. हैना को describe करने के लिए ये सबसे सटीक लाइन है. लेकिन क्या दुनिया में बेस्ट होना असल में मुमकिन भी है? क्या 7 बिलियन लोगों से भरी इस दुनिया में सबसे बेस्ट होना पॉसिबल है?

इसका जवाब है, बिलकुल पॉसिबल है क्योनी “बेस्ट” और “दुनिया” दोनों ही शब्द का मतलब फिक्स्ड नहीं है, ये हर एक के लिए अलग-अलग होता है यानी ये अपनी – अपनी राय पर बेस्ड होता है. इमेजिन करें कि आप एक विडियो एडिटर के जॉब के लिए अप्लाई कर रहे हैं. अगर कोई आपके लिए कहता है कि आप इस काम के लिए सबसे “बेस्ट” है तो इंटरव्यू लेने वाला भी आपको “बेस्ट” ही समझेगा क्योंकि यही वो मानते हैं. उस समय, जब वो आपसे बात कर रहे होंगे तो वो आपको सबसे बेस्ट कैंडिडेट का लेबल दे देंगे. जहां तक “दुनिया” शब्द की बात आती है तो इंटरव्यू लेने वाला अपनी दुनिया से मतलब रखेगा यानी विडियो एडिटिंग की दुनिया जिसे वो जानता है और समझता है. बाकी चीज़ें उसके लिए मायने नहीं रखेंगीं.

आज की दुनिया में अब सिर्फ़ एक बेस्ट गाना या कॉफ़ी नहीं रह गए हैं. आज बहुत सारे मिनी मार्केट बन गए हैं जो अपनी अपनी दुनिया में बेस्ट बनने की कोशिश कर रहे हैं. जैसे अगर आप तुलसी के आर्गेनिक मार्केट का हिस्सा हैं तो आप उस दुनिया और मार्केट में बेस्ट बनने की कोशिश कर रहे हैं.

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The Magic of Thinking Quit

हार मान लेना या quit कर देना सुनने में कितना बुरा लगता है, है ना? हमारी जिंदगी में लोग हमेशा हमें याद दिलाते रहते हैं कि हमें कोशिश करते रहना चाहिए, कड़ी मेहनत करते रहना चाहिए. लेकिन आपके साथ भी कुछ वाक्ये ऐसे ज़रूर हुए होंगे जब आपने वो सब कुछ किया जो आप कर सकते थे लेकिन फ़िर भी अंत में आपको हार ही मिली, आपके हाथ कुछ नहीं लगा. अगर सक्सेस पाने का मतलब है कि डट कर लगे रहना और हार ना मानना तब भी आप सक्सेसफुल क्यों नहीं हैं? क्यों वो लोग जीत जाते हैं जो आपसे कम टैलेंटेड हैं.

इसका जवाब जानने के लिए आपको strategic quitting को समझना होगा. ये आपको ऐसी सिचुएशन की पहचान करने में मदद करेगा जो आपके quit करने का कारण बन सकती है. ये अलग-अलग curve के माध्यम से समझाया गया है. एक बार जब आप ये जान लेंगे तो सच में जो आप चाहते हैं उसे पाने के रास्ते पर होंगे.
Curve 1: The Dip – जब आप कुछ नया शुरू करते हैं तो ये मजेदार और exciting हो सकता है. आप देखेंगे कि आप जितनी ज़्यादा कोशिश करेंगे, आपको रिजल्ट भी उतने ही ज़्यादा मिलेंगे. इसे समझने के लिए एक लाइन को ऊपर जाते हुए इमेजिन करें.

मान लीजिए कि आप पहली बार केक बेक कर रहे हैं या सिलाई करना सीख रहे हैं, ये आपके लिए नया और दिलचस्प है. आप इसमें बहुत सारी एनर्जी और टाइम लगाते हैं. लेकिन उसके बाद उसमें एक डिप आता है यानी झुकाव या गिरावट. डिप वो टाइम पीरियड है जिसमें आप एक beginner से एक्सपर्ट में बदलते हैं. अब यहाँ पर एफर्ट पूरा लग रहा है लेकिन रिजल्ट कम मिल रहा है. ये बिलकुल वैसा है जैसे आपने सिलाई और बुनाई तो सीख ली लेकिन आपके फिनिश्ड प्रोडक्ट में वो सफ़ाई या परफेक्शन अब तक नहीं आई है. डिप वो लंबा रास्ता है जो आपको beginner’s luck और असल अचीवमेंट से अलग करता है या रोकता है.

डिप का एक एग्ज़ाम्पल कॉलेज में आर्गेनिक केमिस्ट्री है. बहुत सारे मेडिकल स्कूल इस सब्जेक्ट का इस्तेमाल उन स्टूडेंट्स को फ़िल्टर करने के लिए करते हैं जिनमें इंटरेस्ट या मोटिवेशन की कमी होती है. आर्गेनिक केमिस्ट्री बेहद मुश्किल सब्जेक्ट है, अगर आप उसे हैंडल नहीं कर सकते तो मेडिकल स्कूल आपके लिए नहीं है.
शुरुआत में लोग मेडिकल स्कूल में एंट्री के लिए आपकी पीठ थपथपाते हैं और बधाई देते हैं. इसके साथ-साथ वो आपको पॉजिटिव फ़ीडबैक भी देते हैं. लेकिन मेडिकल स्कूल में कुछ महीनों के बाद आपको एहसास होता है कि आर्गेनिक केमिस्ट्री कितना मुश्किल है. आपको ऐसा लगता है जैसे आप बर्बाद हो चुके हैं.

ध्यान देने वाली सबसे ज़रूरी बात ये है कि डिप से निकलने वाले लोगों ने सिर्फ़ इसे सहन नहीं किया बल्कि इससे बाहर निकलने के लिए कड़ी मेहनत भी की. एक बार जब आप इससे बाहर निकल जाते हैं तो आपके एफर्ट और रिजल्ट फ़िर से ऊपर चले जाते हैं.

Curve 2: The Cul-de-Sac – ये एक फ्रेंच शब्द है जिसका मतलब है डेड एंड. जब आप काम करते जाते हैं, करते जाते हैं लेकिन फ़िर भी कुछ नहीं होता तो आप cul-de-sac में होते हैं. हालांकि, ये और ख़राब नहीं होता लेकिन ये बेहतर भी नहीं होता. जब भी आप ख़ुद को cul-de-sac में पाएं तो इससे तेज़ी से बाहर निकलने की हिम्मत करें. एक डेड एंड आपको कुछ और ट्राय करने से रोक देगा, कुछ ऐसा आपको कामयाबी दिला सकता था.

Curve 3: The Cliff – क्लिफ का परफेक्ट एग्ज़ाम्पल सिगरेट है. उसे नशे की लत के लिए बनाया गया था. आप जितना ज़्यादा स्मोक करते हैं ये उतना ही ज़्यादा आपको बहाने लगता है, आपको मज़ा आने लगता है. इसका चार्ट एक चट्टान के जैसा होगा. आप सिगरेट पीने के आदी हो जाते हैं और बाद में इसे छोड़ना बेहद मुश्किल हो जाता है. आप इसे तभी छोड़ते हैं जब आप चट्टान से गिर जाते हैं यानी आप सिगरेट पीना तभी छोड़ते हैं जब आपको इसके साइड इफ़ेक्ट से तकलीफ़ होने लगती है.
Cul-de-Sac और Cliff दोनों एक ही दिशा की ओर ले जाते हैं – फेलियर. Cul-de-Sac आपको कहीं लेकर नहीं जाएगा. जहां तक Cliff का सवाल है तो ये है तो बहुत exciting लेकिन ये भी आपको कहीं लेकर नहीं जाएगा. आप जान जाएँगे कि जो आप कर रहे हैं वो करने के लायक है क्योंकि वहाँ डिप है.

डिप आपके सक्सेस के चांस को बढ़ाता है. किसी चीज़ में कामयाब होने का मतलब है कि आपको उस समय से आगे बढ़ना होगा जब हार मान लेना सबसे आसान आप्शन लग रहा था. अगर डिप होता ही नहीं तो हर कोई बेस्ट टेनिस प्लेयर, डायरेक्टर वगैरह बन जाता. डिप का प्रोसेस इस बात का ध्यान रखता है कि सिर्फ़ सबसे बेस्ट ही टॉप पर जाएगा. एलिमिनेशन का ये प्रोसेस वैल्यू क्रिएट करता है.

जो लोग डिप से बाहर निकलने के लिए अपना टाइम, एनर्जी और एफर्ट लगाते हैं वो दुनिया में बेस्ट बन जाते हैं. वो quit करने से या एवरेज बने रहने को स्वीकार नहीं करते. टॉप पर पहुंचना ही उनका इकलौता मिशन होता है. क्योंकि डिप से सिर्फ़ गिने चुने लोग ही बाहर निकल पाते हैं इसलिए आप यूनिक और एक्स्ट्राऑर्डिनरी बन जाते हैं.

आइए snowboarding का एग्ज़ाम्पल लें. ये बहुत ही exciting एक्टिविटी है. इसे करते वक़्त आप बहुत कूल लगते हैं. लेकिन फ़िर भी इतने कम snowboarder क्यों हैं? इसका कारण ये है कि उसे ठीक तरह से सीखना बेहद मुश्किल है. अपना बैलेंस बनाए रखने और snowboard को चलाने में काफ़ी दिन लग जाते हैं. इसके अलावा, ना जाने आप कितनी बार गिरेंगे भी, आपको चोट भी लगेगी. इससे आदमी की हिम्मत टूटने लगती है और अक्सर लोग इसे बीच में छोड़ देते हैं. ऐसी सिचुएशन में सबसे बहादुरी का काम होता है, क़दम पीछे हटाने के बजाय एक क़दम और आगे बढ़ना और ये एक-एक क़दम आपको डिप से बाहर ले आता है.

देखिए समझदारी तो इसी में है कि आप snowboarding करें ही ना जब आप अच्छे से जानते हैं कि आप इसे बीच में ही छोड़ने वाले हैं. और सबसे बेवकूफ़ी की बात तब होती है जब आप इसकी शुरुआत कर देते हैं इसमें बहुत सारा टाइम, एफर्ट और पैसा लगा देता है लेकिन डिप महसूस करते ही आप हार मान लेते हैं. आपको ऐसी बेवकूफ़ी करने से बचना चाहिए क्योंकि इससे सिर्फ़ फेलियर ही हाथ लगेगा. वहीँ दूसरी ओर, हिम्मत और समझदारी से की गई चीज़ें कई फ़ायदे लेकर आती है फेलियर नहीं.

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