(Hindi) THE DIAMOND NECKLACE
वो उन लड़कीयों में से थी जो बेहद हसीन और ख़ूबसूरत होती है और ऊपरवाला जिन्हें फुर्सत में बनाता है पर बुरी-किस्मत से वो एक क्लर्क की फेमिली में पैदा हुई थी. उसके पास ना तो दहेज देने का पैसा था ना ही कोई एक्स्पेक्टेशन थी, ना कोई समझने वाला, प्यार और दुलार करने वाला था और ना ही किसी रिच फेमिली में उसकी शादी हो सकती थी. उसने किस्मत से समझौता करते हुए एक क्लर्क से शादी की थी जो मिनिस्ट्री ऑफ़ पब्लिक इंस्ट्रक्शन में काम करता था.
वो ज़्यादातर प्लेन कपड़े पहनती थी क्योंकि महंगे कपड़े वो अफोर्ड नहीं कर सकती थी. अपनी हालत से वो ज़रा भी खुश नहीं थी जैसे किसी हाई पोजीशन से नीचे गिर गयी हो. क्योंकि जिस सोसाइटी में वो थी वहां औरतो को कास्ट और रैंक से नहीं देखा जाता था. फेमिली लाइफ और बच्चे पैदा करने के लिए उनकी ब्यूटी, ग्रेस और चार्म देखा जाता था. उनकी नैचुरल सिंपलीसिटी, एलीगेंट, भोलापन, उनका कोमल मन ही उनका सबसे बड़ा खजाना होता है जो उन्हें समाज की नजरों में एक ग्रेट लेडी बनाता है.
माथिल्डे (Mathilde) जिंदगी में आज तक समझौते ही करती आई थी. उसे हमेशा यही लगता था कि वो दुनिया की हर लक्ज़री, हर डेलिकेसीज और हर सुख-सुविधा एन्जॉय करने के लिए पैदा हुई है. उसने अपने घर में हमेशा गरीबी का माहौल देखा था. घर की खाली दीवारे, टूटी-फूटी कुर्सियां, फटे-पुराने पर्दे देख-देख कर वो बड़ी हुई थी. इस गरीबी के माहौल से उसे सख्त नफरत थी. जिन चीजों को लेकर उसके जैसी कंडीशन वाली बाकि औरतों को फर्क नहीं पड़ता था, वही चीज़े उसका खून खौला देती थी. उसे अपनी इस गरीबी पर बेहद गुस्सा आता था.
बेचारी गरीब ब्रेटन को हर वक्त घर के कामो में उलझा देखकर उसके अंदर एक अजीब सी बैचेनी भर जाती थी. ब्रोंज़ कैंडलस्टैंड में लगे कैंडल्स की रौशनी में उसके घर का हॉल जहाँ चाईनीज हैण्डीक्राफ्ट की बनी तस्वीरे टंगी थी और भी पुराना लगता था. उसने मन में सोचा” काश, उसके घर में खूब बड़े-बड़े रिसेप्शन हॉल्स होते जहाँ सिल्क की बनी पेंटिंग्स टंगी रहती, महंगे हाई क्लास फर्नीचर्स, कैबिनेट्स पर सजे महंगे डेकोरेटिव आर्टपीस और एक छोटा सा चैटिंग रूम जो परफ्यूम की खुशबू से महकता रहता, जहाँ वो शाम के वक्त दोस्तों के साथ मजे से बैठकर गप्पे मारती. और वो दोस्त भी कोई ऐसे-वैसे नही बल्कि शहर के सबसे हैण्डसम यंगमेन जिन पर औरते मरती थी.
एक पुराने टेबलक्लोथ से ढके राउंड डिनर टेबल पर वो डिनर करने बैठी. उसके सामने उसका हजबैंड बैठा था, उसके पति ने जब सूप के बर्तन से ढक्कन उठाया तो ख़ुशी से चहका” वाह, टेस्टी सूप! इससे बढ़िया और क्या होगा? लेकिन वो तो कुछ और ही सोच रही थी.. चमचमाते चांदी के बर्तन, दीवारों पर सजी महान लोगो की तस्वीरे और खूबसूरत पेंटिंग्स. और फिर उसने सोचा कि काश खाने के लिए टेस्टी डिशेस होती जिन्हें नौकर महंगी प्लेटों में सर्व करते, और वो मुर्गे का लाज़वाब गोश्त या मछली खाते-खाते बड़ी अदा और नजाकत से बाते करती.
बेचारी के पास ना तो महंगे गाउंस थे और ना ही कीमती गहने जिनका उसे बेहद शौक था. उसे हमेशा यही लगता था कि वो ऐशो-आराम की जिंदगी जीने के लिए ही बनी है. काश वो एक ऐसी जिंदगी जी पाती जिसे देखकर दुनिया जलती. काश के लोग उसे सर आँखों पे बिठाने के लिए तरसते, उसे इतना चाहते.
उसकी एक अमीर फ्रेंड थी जो उसके साथ स्कूल में पढ़ी थी. वो जब भी उससे मिलती थी और भी उदास हो जाती थी इसलिए उसने उसके घर जाना ही छोड़ दिया था. पर एक शाम उसका पति जब काम से घर लौटा तो बड़ा खुश लग रहा था. उसके हाथ में एक बड़ा सा एनवलप था.
“ये लो, तुम्हारे लिए एक सरप्राईज है.
उसने लपककर अपने पति के हाथ से एनवलप लिया और जल्दी से खोलकर देखा. अंदर एक प्रिंटेड कार्ड था जिस पर लिखा था:
द मिनिस्टर ऑफ़ पब्लिक इंस्ट्रक्शन एंड मैडम जॉर्जस रम्पोन्नेऔ (The Minister of Public Instruction and Madame Georges Ramponneau)
रिक्वेस्ट द हॉनर ऑफ़ एम. एंड मैडम लोइसेल’स कंपनी एट द पैलेस ऑफ़ (request the honor of M. and Madame Loisel’s company at the palace of
द मिनिस्ट्री ओन मंडे ईवनिंग, जनवरी 18थ ( the Ministry on Monday evening, January 18th)
उसके पति को लगा पार्टी का इनविटेशन पाकर वो ख़ुशी से नाचने लगेगी, पर उसने तो इनविटेशन कार्ड टेबल पर फेंक दिया और रोने लगी.
“ये मेरे किस काम का है?’
क्यों, क्या हुआ ? माई डियर, मुझे तो लगा था तुम खुश हो जाओगी. वैसे भी तुम कहीं आती-जाती नहीं हो और ये तो एक बढ़िया मौका है. ऐसी हाई क्लास पार्टी में भला कौन नही जाना चाहेगा? उन्होंने बहुत सेलेक्टेड लोगो को ही इनवाईट किया है. हमारा पूरा ऑफिसियल स्टाफ वहां पर होगा.”
उसने चिढ़कर अपने पति की तरफ देखा जो एकदम अनाड़ीयों जैसी बात कर रहा था, और बोली”
“अच्छा! और तुम्हे क्या लगता है की मै क्या पहन कर जाउंगी?” गुस्से से अपने पति को घूरते हुए वो बोली.
ये बात तो उसके दिमाग में आई ही नहीं थी. वो चकरा गया फिर हकलाते हुए बोला.
“क्यों? तुम्हारे पास है तो एक गाउन जिसे पहनकर तुम थिएटर जाती हो तुम उस गाउन में बड़ी अच्छी दिखती हो और…..” पर वो कहते-कहते रुक गया जब उसने देखा कि वो रो रही है. बड़े-बड़े आंसूओं की बूंदे उसकी आँखों से टपक कर उसके गालों पर बह रही थी.
“अरे! क्या हुआ? तुम रो क्यों रही हो ? उसने पुछा.
उसने अपने आंसू पोछे और बड़ी मुश्किल से खुद को शांत रखते हुए बोली:
“कुछ नहीं. मेरे पास गाउन नहीं है इसलिए मै पार्टी में नहीं जा सकती. ये इनविटेशन कार्ड अपने किसी कलीग को दे दो जिसकी बीवी के पास मुझसे ज्यादा अच्छे कपड़े और गहने हो.
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उसके पति का मुंह लटक गया. उसने एक बार फिर उसे मनाने की कोशिश की.
“चलो, देखते है माथिल्डे. कितने का आएगा एक बढ़िया सा गाउन, जिसे तुम कहीं और जाने के लिए भी पहन सको. लेकिन थोडा सिंपल हो तो अच्छा रहेगा?
वो कुछ पल सोचती रही, दिमाग में केलकुलेशन करती रही कि एक अच्छा सा पार्टीवेयर गाउन कितने का आएगा जो उसका गरीब क्लर्क पति अफोर्ड कर सके.
“मुझे नहीं पता एक्जेक्टली कितने का आएगा, तुम मुझे चार हजार रुपये दे दो.. मै उसमे मैनेज कर लुंगी”
गाउन का प्राइस सुनकर उसके पति चेहरा उतर गया. वो काफी दिनों से एक गन लेने की सोच रहा था, इतने पैसे में तो एक अच्छी-खासी गन आ जायेगी जिसे लेकर वो जंगलो में अपने दोस्तों के साथ शिकार करने जा सकता है.
मगर उसने कहा
“चलो ठीक है. मै तुम्हे चार हजार रुपये देता हूँ, एक सुंदर सा गाउन ले लेना”
जैसे-जैसे पार्टी का दिन नज़दीक आ रहा था, मैडम लोइसेल की उदासी और बैचेनी बढती जा रही थी. हालाँकि उसका गाउन सिलकर रेडी हो गया था. एक शाम उसके पति ने उससे कहा:
“अब क्या बात है? पार्टी को सिर्फ तीन दिन रह गए है पर तुम अभी भी उदास लग रही हो.
तो वो बोली:
“मुझे इस बात की टेंशन है कि मेरे पास पहनने के लिए एक भी ज्वेलरी नहीं है. मै तो एकदम गरीब लगूंगी. इससे तो अच्छा है कि मै जाऊं ही नहीं”
“तुम नैचुरल फ्लावर्स के गहने पहन सकती हो. आजकल ये बड़े ट्रेंड में है. 100 रूपये में तो तुम्हे दो या तीन खूबसूरत से गुलाब के फूल मिल जायेंगे”.
पर वो ये आईडिया कुछ पसंद नही आया.
“नहीं, इससे ज्यादा शर्म की बात और क्या होगी? उन अमीर औरतों के बीच मै बहुत गरीब लगूँगी”
“तुम कितनी स्टुपिड हो! उसका पति चिल्लाया. “एक काम करो, अपनी फ्रेंड मैडम फोरेस्तिएर के पास जाकर कुछ गहने उधार मांग लो. वो तो तुम्हारी बेस्ट फ्रेंड है ना”
वो ख़ुशी से उछल पड़ी.
“वाह! मैंने तो ये सोचा ही नहीं”
और फिर अगले दिन वो अपनी बेस्ट फ्रेंड के घर चली गयी और उसे अपनी प्रोब्लम बताई.
मैडम फोरेस्तिएर अपनी शीशे वाली आलमारी से एक बड़ा सा ज्वेलरी बॉक्स निकाल कर लाई. उसने बॉक्स खोला और मैडम लोइसेल से बोली:
“जो पसंद हो, उठा लो”
उसने पहले ब्रेसलेट ट्राई किये फिर एक पर्ल नेकलेस. उसके बाद उसे एक प्रिसियस स्टोन से जड़ा एक गोल्ड क्रोस सेट भी ट्राई किया. उसने सारे गहने एक-एक कर पहने और शीशे में खुद को देखा. उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो इनमे से कौन सा गहना ले.
“तुम्हारे पास कुछ और नही है क्या? उसने पुछा
“क्यों? और देखो, मुझे नहीं पता तुम्हे कौन सा अच्छा लगेगा.
और अचानक उसके हाथ ब्लैक बॉक्स लगा जिसमे एक बेहद खूबसूरत कीमती डायमंड नेकलेस रखा हुआ था. उसे देखते ही उसके दिल की धडकन बढ़ गयी. उसे पकड़ते हुए उसके हाथ कापं रहे थे. उतने वो नेकलेस पहनकर शीशे में देखा और अपनी ही खूबसूरती पर फ़िदा हो गयी.
फिर उसने हिचकिचाते हुए पुछा:
“क्या तुम मुझे ये उधार दे सकती हो?
“अरे! हाँ, हाँ क्यों नहीं”
ख़ुशी के मारे उसने अपनी बेस्ट फ्रेंड को गले लगा लिया और उसे दिवानो की तरह चूमने लगी. और फिर वो उस डायमंड नेकलेस को लेकर अपने घर आ गयी.
आखिरकार पार्टी का दिन आ ही गया. मैडम लोइसेल उस दिन बेहद हसीन लग रही थी. उनका नया गाउन और गले में पहना हुआ डायमंड नेकलेस उनकी खूबसूरती में चार चाँद लगा रहे थे. वो उन सारी औरतों से ज्यादा सुंदर लग रही थी जो उस पार्टी में आई थी. वो ख़ुशी से मुस्कुराए जा रही थी और पार्टी में हर मर्द उन्हें देख रहा था, उनका नाम पूछ रहा था और उनसे इंट्रोडक्शन करने के लिए बेताब था. हर कोई मैडम लोइसेल के साथ डांस करना चाहता था. यहाँ तक कि खुद मिनिस्टर भी उन्हें नोटिस कर रहे थे. पार्टी में वो झूमकर-झूमकर नाच रही थी और सबकी नजरे उन पर टिकी हुई थी. अपनी खूबसूरती के नशे में चूर आज वो खुद को दुनिया की सबसे खुशकिस्मत औरत महसूस कर रही थी.
सुबह के करीब चार बजे पार्टी खत्म हुई. उसका पति एक छोटे रूम में तीन और लोगो के साथ सो रहा था जिनकी पत्नियाँ भी पार्टी के मजे ले रही थी. उसने अपने पति को घर जाने के लिए उठाया. उसके पति ने एक सस्ती सी शॉल उसके कंधो पर डाली ताकि उसे ठंड ना लगे. वो सस्ती सी शॉल उसके बॉल गाउन और डायमंड नेकलेस के साथ ज़रा भी मैच नहीं कर रही थी और ये बात वो भी अच्छे से जानती थी इसलिए वो चुपके से पार्टी से निकल आई ताकि बाकि औरतो की नज़र उस पर ना पड़े जो अपने महंगे फर कोट पहन रही थी.