(Hindi) The Conscious Parent: Transforming Ourselves, Empowering Our Children

(Hindi) The Conscious Parent: Transforming Ourselves, Empowering Our Children

परिचय (Introduction)

डॉक्टर शेफाली को एक दिन सुबह उनकी बेटी ने उठाया. उनकी बेटी बड़ी खुश लग रही थी और स्माइल कर रही थी. उसने अपनी मोम से बोला कि टूथ फेयरी ने उनके पिलो के नीचे एक गिफ्ट रखा है. जब डॉक्टर शेफाली ने चेक किया तो उन्हें पिलो के नीचे एक आधा फटा हुआ वन डॉलर का बिल मिला. उनकी बेटी ने बोला कि टूथ फेयरी ने हाफ डॉलर उनके पिलो के नीचे और हाफ उनके हसबैंड के पिलो के नीचे रखा है. उस छोटी लड़की को लगा कि उसे अपने मोम और डैड को एक डॉलर बिल बराबर बांटना चाहिए. डॉक्टर शेफाली एकदम स्पीचलैस थी.
अगर आप डॉक्टर शेफाली की जगह होते तो क्या करते? कैसे रिएक्ट करते? दरअसल हर दिन हमारे लिए अपोरच्यूनिटी लेके आता है कि हम एक कांशस पेरेंट बने. क्या आप जानना चान्हेंगे कि आप अपने बच्चो के साथ एक बैटर रिलेशनशिप कैसे बिल्ड करे? क्या आप भी अपने बच्चो सक्सेसफुल बनाने के लिए उन्हें लीड करना चाहते है? इस बुक में आप सिखेगे कि ऐसे पेरेंट्स कैसे बने जो आपके बच्चो को चाहिए. इस बुक में आप ना सिर्फ पेरेंटिंग के बारे में पढ़ेंगे बल्कि ओवरआल लाइफ को जेर्नल वे में कैसे जीया जाए ये सीखेंगे. आप एक बैटर पेरेंट तो बनेगे ही साथ ही एक बैटर पर्सन भी बनेंगे.

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अ रियल पर्सन लाइक माईसेल्फ (A Real Person Like Myself)

ये सिचुएशन ऐसी है जहाँ या तो पेरेंट्स बच्चे को मेंटेलिटी समझ कर उसे सही ढंग से हैंडल करेंगे या उसे डांट फटकार देंगे. डॉक्टर शेफाली ने डीपली सोचा कि वो इस इंसिडेंट को यूज़ करके अपनी बेटी को पैसे की वैल्यू सिखाये या अपनी बेटी को स्माइल करते हुए एक बड़ा सा थैंक यू बोले. लेकिन उन्होंने इस टोपिक को बाद के लिए रख दिया और अपनी बेटी को एक टाईट हग दिया. उन्होंने अपनी बेटी बोला कि वो टूथ फेयरी की ग्रेटफुल है कि उन्हें ये गिफ्ट मिला. डॉक्टर शेफाली की बेटी इतनी खुश हुई कि पूछो मत. वो खुद पर बड़ा प्राउड फील कर रही थी.

बच्चे ऐसे ही होते है. जो रूल्स हम बड़े लोग फोलो करते है उन्हें उससे कोई लेना-देना नहीं होता. वो बस वही अपनी उम्र के हिसाब से बिहेव करते है. उन्हें हर चीज़ एक्सप्लोर करनी होती है, उनके अंदर एक क्यूरियोसिटी होती है. वो नहीं जानते कि लाइफ के रिस्क क्या है और लिमिट्स क्या है. ये एक पेरेंट की जिम्मेदारी होती है कि वो अपने बच्चो के लिए लिमिट्स सेट करे. उन्हें रियेलाईज कराए कि वो सुपरहीरो बन सकते है लेकिन वो विंडो से जंप नहीं मार सकते. उस दिन मोर्निंग में डॉक्टर शेफाली की छोटी सी बेटी अपने पेरेंट्स को दिल से गिफ्ट देना चाहती थी.

लेकिन नोट को फाड़ना पैसे का वेस्ट है या पेरेंट्स को इतनी जल्दी सुबह नहीं उठाना है, इन सब बातो की समझ उसे नहीं थी. एक पेरेंट्स होने के नाते हम हमेशा अपने बच्चो को लेसन देना चाहते है लेकिन अक्सर हम भूल जाते है कि वो भी हम बडो की तरह इंसान है. उनके अंदर भी ख़ुशी, उदासी, एक्साईटमेंट और डिसअपोइन्टमेंट जैसी फीलिंग्स होती है. इसलिए उन्हें लाइफ के अप्स एंड डाउन खुद फील करने दो. जो पेरेंट्स हमेशा अपने बच्चो के पीछे-पीछे रहते है उनके बच्चे लाइफ में कभी कुछ नहीं सीख पाते. आपका बच्चा आपसे सेपरेट एक अलग पर्सनेलिटी है. उन्हें उनके रियेल सेल्फ में रहने दो, चेंज करने की कोशिश मत करो क्योंकि ऊपरवाले ने हम सबको यूनिक बनाया है. और डॉक्टर शेफाली की तरह आप भी अपने बच्चे को अपना रास्ता खुद चूज़ करने दो.

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बच्चो के पैदा होने के पीछे स्प्रिचुअल रीजन्स (The Spiritual Reason We Birth Our Children)

हम सब अनकांशस पेरेंट्स होते है. दरअसल हम अपने बच्चो को वैसे ही पालते है जैसी परवरिश हमे मिली होती है. एक तरह से बोले तो हम अपने बच्चो के थ्रू अपने सपने जीना चाहते है. अगर आप अपने बच्चे को लेकर कोई प्रोब्लम फेस कर रहे है तो प्रोब्लम बच्चे में नहीं है बल्कि आपको खुद अपने अंदर झाँकने की जरूरत है. कहीं आप भी कांशस पेरेंट् तो नहीं बन रहे? कहीं आप अपने बच्चे की नीड्स के हिसाब से नहीं बल्कि अपनी नीड्स के हिसाब से तो एक्ट नहीं कर रहे? जो लोग डॉक्टर शेफाली की हेल्प लेते है उन्हें ये बात थोड़ी अजीब लगती है. लेकिन असल में यही फर्स्ट स्टेप है. इससे पहले कि आप अपने बच्चे का बिहेवियर चेंज करने की सोचो, ये देखो कि कहीं आप को तो बदलने की ज़रूरत नहीं ?

इसे अपनी खुशकिस्मती समझो कि आपकी लाइफ में एक बच्चा है जिसके लिए आप रोज़ खुद में बदलाव ला सकते है. कई लोग अपने बचपन की यादो का बर्डन लेकर पूरी लाइफ घूमते है जो उनके बच्चे और उनका रिलेशन भी अफेक्ट करता है. शायद आपको जेसिका और आन्या की स्टोरी से कुछ हिंट्स मिले. टीनएजर जेसिका के बिहेवियर से आन्या को लगता है जैसे वो खुद का चाइल्डहुड उसमे देख रही है. और इसी वजह से आन्या को जेसिका के साथ अपने रिश्ते इम्प्रूव करने का मौका मिला. आन्या की बेटी जेसिका एक वेल-बिहेव्ड बच्ची है. वो हमेशा स्कूल में अच्छे ग्रेड्स लाती है.

एक तरह से वो एक आईडियल बेटी थी लेकिन फिर जब वो 14 की हुई तो उसके बिहेवियर में चेंजेस आने लगे. टीनएजर होते ही जेसिका रेबेल बन गयी थी. पता नहीं कहाँ से उसे बुरी आदते लग गयी थी. वो चोरी करने लगी थी, झूठ बोलती थी और तो और स्मोकिंग भी करने लगती थी और उसने क्लब वगैरह जाना शुरू कर दिया था. आन्या के साथ भी वो काफी रूड बिहेव करती थी और कभी-कभी तो वायोलेंट भी हो जाती थी. उसकी बेड हैबिट्स से आन्या परेशान हो चुकी थी. वो अपने इमोशंस कण्ट्रोल नहीं कर पा रही थी, उसे जेसिका पर बहुत गुस्सा आता था. वो उस पर चिल्लाती, उसे बेइज्ज़त करती थी. इनकी मामूली बातचीत भी लड़ाई पे आके खत्म होती थी.

माँ-बेटी के रिश्ते में इतनी कडवाहट आ चुकी थी कि एक दिन जेसिका ने हाथ की नस काटकर सुसाइड करने की कोशिश की और ये बात उसने स्कूल काउंसलर के सामने कन्फेस कर ली. उसके लिए अब बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था. आन्या को जब इस बारे में पता चला तो वो शोक्ड रह गयी. उसने डॉक्टर शेफाली को कंसल्ट किया. उसने बोला कि” ऐसा लग रहा है जैसे मै फिर से 6 साल की बच्ची बन गयी हूँ”. उसे याद था कि उसकी माँ भी बचपन में उस पर ऐसे ही चिल्लाती थी और उसके मुंह पे दरवाजा बंद कर देती थी.

और उसके फादर बहुत कोल्ड नेचर के थे. उन्हें आन्या से ज़रा भी अटैचमेंट नहीं थी. उसकी माँ फिजिकली तो उसके पास थी मगर इमोशनली कहीं दूर थी. आन्या जब आठ साल की हुई तो उसकी लाइफ में बहुत अकेलापन था. प्यार और अटेंशन की चाहत में उसने खुद को चेंज करने के बारे में सोचा. वो अपनी माँ की कॉपी करने लगी, उसने सोचा शायद अब उसके फादर उसे प्यार करे. आन्या की माँ हमेशा अपदूडेट और प्रॉपर रहती थी. इसलिए आन्या भी अब प्रॉपरली ड्रेस्ड रहने लगी और तमीज से पेश आती थी. स्कूल में भी उसकी परफोर्मेंस अच्छी थी. लेकिन इतना करने के बाद भी उसके पेरेंट्स नहीं बदले. एक रात आन्या के फादर उस पर बहुत गुस्सा हुए. उसकी गलती सिर्फ इतनी थी की वो होमवर्क करते टाइम बोले जा रही थी.

उसके फादर उससे ज्यादा बात नहीं करते थे. वो बस उसे खींचते हुए रूम के कार्नर में ले गए और उसे दिवार की तरफ मुंह करके घुटनों के बल बिठा दिया. उन्होंने उसे हाथ उपर करके खड़े रहने को भी बोला. आन्या दो घंटे तो इसी पोजीशन में रही. ना तो उसके फादर कुछ बोले और ना ही उसकी मदर ने इंटरफेयर किया. दोनों ने उसकी तरफ पलट कर भी नहीं देखा. आन्या रोती रही, सॉरी बोलती रही लेकिन वो लोग जैसे सुन ही नहीं रहे थे. जब दो घंटे पूरे हुए तो उसके फादर ने उसे जाकर फिर से स्टडी करने को बोला. इस के बाद आन्या ने कभी फिर ऐसी हरकत नहीं की. ये सारे नेगेटिव इमोशंश और कडवी यादे उसने अपने दिल में छुपा ली थी. वो एक परफेक्ट चाइल्ड का रोल प्ले करती रही.

सेम यही चीज़ जेसिका के साथ भी हो रही थी. जेसिका के बिहेवियर ने आन्या के अंदर के उन सारे नेगेटिव इमोशंस को ट्रिगर कर दिया था जो उसने इतने सालो अपने दिल दबा कर रखे थे. और यही वजह थी जो उसे अपने बेटी के साथ बुरी तरह पेश आने के लिए मजबूर कर रही थी. दिल के अंदर दबी हुई भावनाए जो कभी ज़ाहिर नही हुई थी. इतने सालो बाद आज आन्या अपने जख्मो से छुटकारा पा सकती थी. उसे समझ आ रहां था कि क्यों वो अपनी नेगेटिव फीलिंग्स अपनी बेटी को पास कर रही है. उसने और जेसिका ने एक दुसरे को माफ़ कर दिया था. उनका रिश्ता सुधर रहा था क्योंकि अब आन्या समझ चुकी थी कि जेसिका उसका रिफ्लेक्शन नहीं है बल्कि एक अलग पर्सनेलिटी है. उसका अपना वजूद है. दोनों ही इस बात से रिलेक्स फील कर रहे थे. उनके रिश्ते इम्र्पूव हो रहे थे और दोनों अपनी लाइफ में खुश थे.

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