(hindi) The Charisma Myth: How Anyone Can Master the Art and Science of Personal Magnetism
इंट्रोडक्शन
क्या कभी आपको ऐसे लोगों से जलन होती है जो बड़ी आसानी से किसी का भी ध्यान अपनी ओर खींच लेते हैं? क्या आपने कभी किसी कॉंफिडेंट इंसान को देखकर सोचा है कि काश आप भी उनकी तरह होते? क्या आप जानना चाहेंगे कि ऐसा क्या किया जाए कि लोग आपकी बात सुनने के लिए ख़ुद-ब-ख़ुद खींचें चले आएं?
तो क्या हम charismatic पर्सनालिटी के साथ पैदा होते हैं? इस बुक का कहना है कि नहीं, बिलकुल नहीं, ये कोई पैदाइशी क्वालिटी नहीं है बल्कि इसे कोई भी डेवलप कर सकता है. तो करिज़्मा का मतलब आखिर होता क्या है?
जब हम किसी ऐसे इंसान से मिलते हैं जो बड़ा ही दिलकश, कॉंफिडेंट और फ्रेंडली हो, जिसकी पर्सनालिटी में एक चार्म हो जो बड़ी आसानी से लोगों को अपनी ओर attract कर लेता है, तो ऐसे शख्स को charismatic कहा जाता है. क्या सोच रहे हैं, आपको भी ऐसा बनना है? तो बिलकुल बन सकते हैं. इसे डेवलप करने के लिए 3 फैक्टर्स की ज़रुरत होती है presence, power, and warmth.
इसके साथ-साथ आप इस बुक में आप अलग-अलग charismatic style के बारे में भी जानेंगे. आप इनमें से कोई भी स्टाइल आपकी पर्सनालिटी, गोल्स और सिचुएशन के हिसाब से चुन सकते हैं जो आपकी बहुत मदद करेंगे.
इसके अलावा, आप कई ट्रिक्स भी सीखेंगे जो आपको ज़्यादा कॉंफिडेंट बनने में मदद करेगी. आप क्या कहते हैं वो ज़्यादा मायने नहीं रखता लेकिन उसे कैसे कहते हैं वो आपके करिज़्मा के पोटेंशियल को बढ़ाता है. अंत में आपको पता चलेगा कि charismatic लोग successfully प्रेजेंटेशन कैसे देते हैं. ये बुक आपको सिखाएगी कि जिस तरह मैगनेट मेटल को अपनी ओर attract करता है ठीक उसी तरह आप भी लोगों को अपनी ओर खींचने लगेंगे.
The Charismatic Behaviors: Presence, Power, and Warmth
जैसा कि ज़्यादातर लोग मानते हैं, करिज़्मा कोई पैदाइशी क्वालिटी नहीं है. असल में, जब लेबोरेटरी में कंट्रोल्ड एक्सपेरिमेंट की बात आती है तो researchers ने देखा कि वो participants के करिज़्मा के लेवल को एडजस्ट कर पा रहे थे. अब आप पूछेंगे “इसका क्या मतलब हुआ”? इसका मतलब है कि इस चरम को आप कभी भी ख़ुद में डेवलप कर सकते हैं.
इस बुक की ऑथर ओलिविया के अनुसार Presence, Power और Warmth हमें charismatic होने में मदद करती है. ऐसे लोगों का सिर्फ़ बात करने का तरीका ही नहीं बल्कि जिस तरह वो ख़ुद को carry करते हैं वो लोगों को attract करता है. उनकी बॉडी लैंग्वेज और नॉन वर्बल एक्सप्रेशन भी इसमें एक इम्पोर्टेन्ट रोल निभाते हैं.
आइए पहले presence की बात करते हैं. क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आप किसी सेमीनार या क्लास में बैठे थे लेकिन आपका ध्यान कहीं और ही था? या आपकी दोस्त आपसे कुछ कह रही थी लेकिन आप उस पर अधूरा ध्यान ही दे रहे थे? किसी भी इंसान के लिए पॉसिबल नहीं है कि वो हर वक़्त अपना पूरा ध्यान किसी चीज़ पर दे, कभी ना कभी तो मन भटक ही जाता है.
हर समय हर चीज़ पर पूरा अटेंशन देना हमें थका देता है लेकिन आपके हावभाव से ये छुप नहीं सकता कि आप ध्यान दे रहे थे या नहीं. जैसे आपकी दोस्त को समझ आ जाएगा कि आप उसकी बातों को ध्यान से नहीं सुन रहे थे. इमेजिन कीजिए कि कोई आपके साथ ऐसा करे तो ? आपको कितनी insult फील होगी और साथ में दुःख भी होगा कि सामने वाले ने आपकी बातों को तवज्जो ही नहीं दी. जब आप किसी की बातों पर ध्यान नहीं देते तो आपको दिखावा करने वाला एक फ़ेक इंसान समझा जाता है क्योंकि आप सामने वाले की बात में इंटरेस्ट ही नहीं ले रहे हैं.
जब लोगों को लगने लगता है कि आप फ़ेक हैं तो वो आप पर विश्वास नहीं करेंगे और आपके प्रति वफ़ादार नहीं होंगे और अगर आप एक charismatic इंसान बनना चाहते हैं तो आप ऐसा बिलकुल भी नहीं चाहेंगे, है ना? तो प्रेजेंट मोमेंट में अपना ध्यान बनाए रखने के लिए क्या करना चाहिए? इसे mindfulnes टेकनिक द्वारा किया जा सकता है.
ये एक मेंटल स्टेट है जिसमें अपनी फीलिंग और इमोशंस को एक्सेप्ट करते हुए हम अपने प्रेजेंट मोमेंट में अपना ध्यान फोकस करते हैं. इसके लिए एक शांत जगह ढूँढें और अपने आस पास की आवाज़ों पर, जिस तरह आप सांस ले रहे हैं और आपके पैर की उँगलियों में क्या महसूस कर रहे हैं, इन सभी बातों पर ध्यान दें.
अगली बार जब आप किसी से बात कर रहे हों तो अपने आप को चेक करें कि क्या आपका ध्यान पूरी तरह वहाँ था या नहीं. अगर आपका मन इधर उधर भटक रहा था तो आप अपनी breathing या पैरों में होने वाली सेंसेशन पर फोकस कर सकते हैं और उसके बाद सामने वाले इंसान की बातों पर दोबारा ध्यान देने की कोशिश करें.
पॉवर और warmth – ओलिविया का कहना है कि जब कोई हमें किसी भी तरह से एफेक्ट करने की ताकत रखता है, फ़िर चाहे वो इन्फ्लुएंस हो या अथॉरिटी, तो उसे पावरफुल इंसान कहा जाता है. कोई अपने पैसे, स्मार्टनेस और फिजिकल ताकत के कारण भी पावरफुल हो सकता है. Warmth का मतलब है दिल से, सच्चाई और फ्रेंडली तरीके से लोगों के साथ पेश आना. ये आपको लोगों के साथ इमोशनली कनेक्ट करता है.
अब इसे आप माप कैसे सकते हैं? जब आप किसी नए इंसान से मिलते हैं तो आप उसकी बॉडी लैंग्वेज या वो जिस तरह ख़ुद को प्रेजेंट करता है, उससे अनुमान लगाने की कोशिश करते हैं. जैसे अगर उसने काफ़ी महँगी घड़ी पहनी है तो आपको लगता है कि वो अमीर है या उसके चेहरे पर सच्ची मुस्कान है तो आपको लगता है कि वो मिलनसार और पोलाइट है. आप ख़ुद को जिस तरह पेश करेंगे सामने वाले शख्स को वो तुरंत महसूस होने लगेगा.
अगर आप पॉवर और warmth दोनों को प्रोजेक्ट करते हैं तो आपके करिज़्मा का लेवल बढ़ जाएगा. इतना ही नहीं, ये हमारा माइंडसेट होता है कि हम उन लोगों की तरफ़ attract होने लगते हैं जो हमारी मदद करने के लिए तैयार होते हैं. अब यहाँ अगर आप पावरफुल हैं लेकिन आपमें warmth नहीं है तो आपको एक घमंडी इंसान समझा जाएगा. दूसरी ओर, अगर आपमें warmth है लेकिन आप पावरफुल नहीं हैं तो आपको एक ऐसा इंसान समझा जाएगा जो बस दूसरों को ख़ुश करने में लगा हुआ है.
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Creating Charismatic Mental States
आपको अपने पूरे charismatic पोटेंशियल तक पहुँचने के लिए charismatic मेंटल स्टेट भी बनानी होगी. आप अपने माइंड को जहां सेट कर लेंगे, आपकी बॉडी उसे फॉलो करने लगेगी. एग्ज़ाम्पल के लिए, जब आप एक पावरफुल मेंटल स्टेट में होते हैं तो आपकी चाल में वो कांफिडेंस और गर्व दिखाई देने लगता है. ऐसे चार मेंटल स्टेट हैं जिन्हें आप रोज़ प्रैक्टिस कर ख़ुद को एक charismatic इंसान बना सकते हैं, वो हैं visualization, gratitude, goodwill और compassion.
Visualization – जब आप किसी चीज़ को इमेजिन करते हैं तो ये आपके माइंड को बताने का तरीका होता है कि आप क्या चाहते हैं. स्टैनफोर्ड के Center for Behavioral Sciences के प्रोफेसर स्टीफेन कॉसलिन का कहना है कि इस बात के स्ट्रोंग सबूत हैं कि visualization का बहुत गहरा असर होता है. जब आप ख़ुद को कोई एक्टिविटी करते हुए इमेजिन करते हैं तो ये ब्रेन के उस हिस्से को एक्टिवेट कर देता है जब आप सच में उस एक्टिविटी को करते हैं. कुछ athletes तब भी बहुत थक जाते हैं जब वो स्ट्रोंग visualization सेशन करते हैं. हमारे ब्रेन में लाखों न्यूरल कनेक्शन हैं जो इसे बहुत पावरफुल बनाते हैं. आप जितना ज़्यादा इन कनेक्शन्स को यूज़ करेंगे ये उतना ही स्ट्रोंग होता जाएगा.
जब आप बार-बार किसी चीज़ को रिपीट करते हैं तो वो आपके ब्रेन के लिए एक एक्सरसाइज की तरह होता है जो आपके कनेक्शन को स्ट्रोंग बनाता जाता है. इसका मतलब ये हुआ कि असल में कोई एक्टिविटी करने के अलावा भी अगर आप visualize करते हैं या ख़ुद को उस एक्टिविटी को करते हुए इमेजिन करते हैं तो उसका भी आपके ब्रेन पर बिलकुल सेम इफ़ेक्ट होता है.
जब आप सही तरीके से visualize करते हैं तो आप अपने अंदर कांफिडेंस की फीलिंग को बढ़ा पाएँगे और ये आपके बॉडी लैंग्वेज में दिखने लगेगा. तो अब visualization को प्रैक्टिस कैसे करना है? एक मिनट के लिए अपनी आँखें बंद करें और रिलैक्स करें. अब कोई भी पिछली घटना जिसमें आपने जीत हासिल की थी जैसे कोई रेस या कोई कांटेस्ट या जिसने आपको बहुत ख़ुशी दी थी उसे याद करें. उस पल में आपने क्या सुना था, आपके नाम की अनाउंसमेंट, तालियों की गड़गड़ाहट वो सब याद करें.
उसके बाद, आपके चारों ओर मुस्कुराते चेहरे और जब आप अवार्ड लेने स्टेज पर जा रहे थे तब आप क्या महसूस कर रहे थे, आपकी चाल कैसी थी, वो सब याद करें. अंत में, उस गर्व को महसूस करें जिसने आपके कांफिडेंस को बढ़ा दिया था. पहले-पहले ये सब बड़ा अजीब लगेगा लेकिन इसे सिर्फ़ प्रैक्टिस से ही अचीव किया जा सकता है.
Visualization सिर्फ़ आपका कांफिडेंस बढ़ाने में मदद नहीं करेगा बल्कि जब भी आप किसी चीज़ से घबराएंगे तो ये आपको शांत और कंट्रोल में रहने में भी बहुत मदद करेगा.
Gratitude, goodwill और compassion – Warmth एक ऐसा फैक्टर है जो आपको charismatic बना सकता है. लेकिन बहुत से लोग ये कहते हैं कि वो नहीं जानते कि उन्हें दूसरों के साथ फ्रेंडली तरीके से कैसे पेश आना चाहिए. ये 3 स्टेप का प्रोसेस है जो सबसे कम पर्सनल से ज़्यादा पर्सनल की ओर जाती है.
1. ग्रेटफुल होना और तारीफ़ करना – हम अक्सर जिंदगी में उन चीज़ों की कदर नहीं करते जो हमारे पास होते हैं. देखा जाए तो शुक्रगुज़ार होना बहुत आसान है क्योंकि ये आपको उन चीज़ों पर फोकस करने देता है जो आपके पास हैं जैसे कि आपके रिश्ते या पैसे और आपकी जिंदगी आसान बनाने वाली अनगिनत चीज़ें. शुरुआत के लिए, आप छोटी छोटी चीज़ों के लिए शुक्रिया कह सकते हैं जैसे आपको रात को अच्छी और गहरी नींद आई तो उसके लिए शुक्रिया कहें या जिस वेटर ने आपको खाना सर्व किया उसे शुक्रिया कहें.
ओलिविया की दोस्त मैरी अपनी जिंदगी में इस फैक्टर को एक तीसरे इंसान के नज़रिए से देखने की कोशिश करती है यानी वो अपने जर्नल में लिखती है “मैरी एक अच्छी जिंदगी जी रही है, उसके पास अच्छी ख़ासी जॉब है जहां का माहौल बहुत अच्छा है. मैरी की लाइफ में एक स्ट्रोंग सपोर्ट सिस्टम है और उसे इस बात पर गर्व है कि वो भी किसी के दुःख का सहारा बनने के लिए मौजूद रहती है. मैरी की लाइफ में सब अच्छा चल रहा है और आज तो वो सुबह जिम भी गई थी.”
अपने दिन की शुरुआत छोटी-छोटी चीज़ों को appreciate कर के करें, उसके लिए ग्रेटफुल होना सीखें. मैरी ने जो किया उसे फॉलो करें और अपनी जिंदगी के बारे में एक तीसरे शख्स के पॉजिटिव नज़रिए से लिखें. इसे लिखने से ये ज़्यादा इफेक्टिव हो जाता है क्योंकि ये इन छोटी छोटी चीज़ों को ज़्यादा रियल बनाता है.
Step 2: Goodwill और कम्पैशन यानी सहानुभूति – गुडविल वो स्टेट है जब आप दूसरों के साथ फ्रेंडली तरीके से पेश आते हैं, जब आप सच में उनके साथ कनेक्ट करते हैं. इस स्टेट में आप दूसरों की भलाई चाहते हैं जो सच में उन तक पहुँचती है. ये उनके साथ आपकी बातचीत को आसान बना देता है. क्या आपने कभी ऐसा पल एक्सपीरियंस किया है जब कोई सच में दिल से आपकी बातें सुनने में इंटरेस्ट दिखा रहा था? क्या वो एहसास आपको अच्छा लगा था? यकीनन अच्छा लगा हो. ठीक उसी तरह, जब आप लोगों के साथ ऐसा करेंगे तो आपको भी वो warmth, काइंडनेस और सच्ची care महसूस होगी. ये सभी एक charismatic शख्स की क्वालिटी हैं. अब आप गुडविल को कैसे एक्सप्रेस कर सकते हैं? तो इसके लिए आप visualization को यूज़ कर सकते हैं.
न्यूरोसाइंटिस्ट डॉ. प्रवहिनी ब्रैडू सुझाव देती हैं कि जब भी आप किसी के साथ बातचीत करते हैं तो इमेजिन करें कि एक फ़रिश्ते की तरह उस इंसान के भी पंख लगे हुए हैं जो हमें दिखाई नहीं देते. माना जाता है कि फ़रिश्ते दिल के अच्छे और मासूम होते हैं इसलिए जब आप किसी को फ़रिश्त समझते हैं तो उनके साथ अच्छे से पेश आने लगते हैं. जब आप इस visualization का इस्तेमाल करेंगे तो आपकी बॉडी लैंग्वेज भी बदलने लगेगी.
लेकिन अगर किसी को फ़रिश्ता समझना मुश्किल हो तब क्या करें? आपके हिसाब से तो वो दुष्ट है जिसके सिर पर शैतान के सींग ज़्यादा suit करते हैं. अब यहाँ आपको गुडविल से आगे बढ़कर सहानुभूति और अंडरस्टैंडिंग की ओर जाना होगा. ये तब होता है जब आप ये समझने की कोशिश करते हैं कि सामने वाला जैसा है वैसा क्यों है और फ़िर भी आप उसका भला चाहते हैं.
आप उस इंसान के बीते हुए कल को समझकर इसे प्रैक्टिस कर सकते हैं. उसकी परवरिश में या उसके साथ ज़रूर कोई ऐसी घटना हुई होगी जिसके एक्सपीरियंस ने उसे वैसा बना दिया है जैसा वो है. शायद अब भी उनके ज़ख्म भरे नहीं हैं या वो उसे ठीक करने की कोशिश में अब भी लगे हुए हैं. ये सोच आपको हमदर्दी जगाने में मदद करती है.
Step 3: Self-compassion – अब तक हम उस फ्रेंडली व्यवहार की बात कर रहे थे जो हमें दूसरों के साथ दिखानी चाहिए लेकिन अब हम उस warmth या गर्मजोशी की बात करेंगे जो आपको ख़ुद के साथ दिखानी चाहिए. जब आप ख़ुद के साथ अच्छा बर्ताव नहीं करते हैं तो दूसरे लोग भी इसे महसूस कर सकते हैं. हो सकता है कि आप पूरी तरह से कॉंफिडेंट हों लेकिन फ़िर भी लोग आपको पसंद नहीं करेंगे. हो सकता है कि आपकी पर्सनालिटी का जादू उन पर हो जाए लेकिन अगर आपमें warmth नहीं होगी तो वो आपको पसंद नहीं करेंगे.
सेल्फ़-कम्पैशन की ज़रुरत आपको ये याद दिलाने के लिए है कि आपकी गलतियां आपकी पर्सनालिटी का सिर्फ़ एक हिस्सा है, पूरी पर्सनालिटी नहीं. तो आप ख़ुद के प्रति दयालु होने की प्रैक्टिस कैसे कर सकते हैं? एक लिस्ट में उन पांच चीज़ों को लिखें जो आप करते हैं जब भी आप किसी मुश्किल दौर से गुज़र रहे होते हैं. ये आपको याद दिलाने में मदद करेगा कि आप अपने साथ अच्छा व्यवहार कर रहे हैं या नहीं. ये एक रिमाइंडर के रूप में काम करेगा कि ख़ुद के साथ नरमी से पेश आना भी कितना ज़रूरी होता है.