(hindi) The Black Cat
जो मै लिखने जा रहा हूँ, अजीब सी पर थोड़ी घरेलू कहानी है और ये जिस बारे में है, उन चीजों पर ना तो मुझे बिलीव है और ना ही उनके होने की उम्मीद. बल्कि इसे मै पागलपन ही करार दूंगा अगर मै इन सब पर यकीन करूँ तो जहाँ मेरा दिमाग मेरा साथ छोड़ने लगे. लेकिन मै आपको बता दूँ कि मै पागल नही हूँ.—और ना ही सपना देख रहा हूँ. कल मै मरने वाला हूँ, और आज मै अपने दिल का बोझ हल्का कर लेना चाहता हूँ. अभी मेरा बस एक ही फोकस है, दुनिया के सामने बिना किसी कमेन्ट के एकदम क्लियर तरीके से उन सारी इवेंट्स की डिटेल्स रखूं जो एक नॉर्मल हाउसहोल्ड में होती है. लेकिन अगर इन इवेंट्स को एक-एक करके देखा जाए तो मै कहूँगा कि इन्होने मुझे काफी डरा दिया है. मै इन्हें बढ़ा-चढ़ा कर बिलकुल नही कहूँगा बल्कि जो जैसा है वही बताऊंगा. क्योंकि सच कहूँ जो मेरे लिए डरवाना हो सकता है वो किसी और को बेहद मामूली बात लगे.
तो मै बताना शुरू करता हूँ. बचपन से ही मै थोडा दब्बू और शरीफ टाइप का इंसान रहा हूँ. अक्सर मेरे दोस्त मेरे इस सीधेपन का मजाक भी उड़ाते थे. मुझे शुरू से ही जानवरों से लगाव था इसलिए मेरे पेरेंट्स मुझे तरह-तरह के पालतू जानवर गिफ्ट करते थे और मेरा ज्यादातर वक्त अपने इन्ही पालतू जानवरों के साथ गुजरता था, उन्हें खिलाने-पिलाने में और उनकी देखभाल करना मुझे बड़ा अच्छा लगता था. और मेरा ये शौक हमेशा कायम रहा. बड़े होने पर भी मुझे सबसे ज्यादा मज़ा अपने पालतू जानवरों के साथ ही आता था, वैसे मै बता दूं कि जानवर इंसान से ज्यादा अच्छे और वफादार होते है. और ये बात वही लोग समझ सकते है जिनके पास कोई पालतू कुत्ता या बिल्ली है. बेजुबान जानवर सिर्फ आपके प्यार के भूखे होते है. कभी-कभी इन्सान धोखा दे जाता है पर आपका पालतू जानवर कभी धोखा नहीं देगा.
मेरी शादी कम उम्र में हुई थी. शादी के बाद मुझे ये देखकर और भी ख़ुशी हुई कि मेरी वाइफ को भी जानवर उतने ही पसंद थे जितने कि मुझे. हम दोनों उनकी मिलकर देखभाल करने लगे. हमारे पास हर टाइप के एनिमल थे, गोल्ड फिश, बढ़िया नस्ल के कुत्ते, रैबिट्स, एक छोटा सा बदंर और एक बिल्ली भी.
अब ये जो हमारी बिल्ली है, कुछ ज्यादा ही बड़ी और खूबसूरत है और रंग एकदम काला. है तो जानवर पर एक हद तक काफी इंटेलिजेंट भी है. वैसे तो मेरी वाइफ भूत-प्रेतों पर ज़रा भी यकीन नहीं करती पर इस बिल्ली की चालाकी देखकर वो भी इस कहावत पर यकीन करने लगी है कि काली बिल्लियाँ चुड़ैल का रूप होती है. वैसे वो इस बात को सिरियसली नहीं लेती.
मैंने अपनी बिल्ली का नाम प्लूटो रखा है, प्लूटो मेरी फेवरेट है. उसके साथ खेलने में मुझे बहुत मजा आता है. और उसे खाना भी मै ही खिलाता हूँ. जब मै अपने घर में इधर-उधर घूम रहा होता हूँ तो वो मेरे पीछे-पीछे होती है. यहाँ तक कि जब मै बाहर निकलता हूँ तो भी वो मेरे पीछे आती है.
प्लूटो और मेरी फ्रेंडशिप कई साल तक रही. इस दौरान मेरी पर्सनेलिटी में काफी चेंजेस भी आए. जैसे-जैसे मेरी उम्र बढती जा रही थी, मै ज्यादा मूडी और सेल्फिश होता जा रहा था. कई बार तो गुस्से में अपनी वाइफ को भी उल्टा-सीधा बोल देता था. यहाँ तक कि एक-आध बार उस पर हाथ भी उठा दिया था. मेरी वाइफ ही नहीं बल्कि मेरे पेट्स भी फील कर रहे थे कि अब मै पहले जैसा लविंग और केयरिंग नही रहा. उनकी देखभाल करना तो दूर उल्टा मैं उन्हें तकलीफ देने लगा था. थी. पर प्लूटो ये सब मैंने प्लूटो के साथ नही किया. उसे मै पहले जैसा ही चाहता था. मैंने खरगोश, बंदर, यहाँ तक कि कुत्ते को भी पीटा था, जब वो जाने-अनजाने मेरे रास्ते आते थे. मेरी शराब पीने की बिमारी बढती जा रही थी. शराब के नशे में मुझ पर जैसे पागलपन का दौरा पड़ जाता था, और मेरी फेवरेट प्लूटो भी ये बात फील करती थी, वो खुद अब थोड़ी बड़ी एज की और चिढचिढ़ी होती जा रही थी.
एक रात, शराब के नशे में चूर जब मै घर पहुंचा तो प्लूटो मुझे देखकर दुबकने लगी. मैंने उसे जबरदस्ती पकड़ लिया. उसने मुझ पर गुर्राते हुए मेरे हाथ पर काट लिया. बस, फिर क्या था? मेरे अंदर का शैतान जाग उठा. ऐसा लगा जैसे मेरे शरीर पर किसी राक्षस ने कब्जा कर लिया हो. मैंने अपने कोट की जेब से एक चाकू निकाला, बेचारी प्लूटो को गर्दन से पकड़ा और बेरहमी से उसकी एक आंख निकाल ली. उस वक्त मै किसी हैवान की तरह ही चिल्ला रहा था. सुबह जब मै नींद से उठा तो मेरे होशो-हवास दुरुस्त थे—पर अचानक मुझे रात की सारी बाते याद आई. मैंने रात को प्लूटो के साथ क्या कर दिया था! मेरी आत्मा मुझे धिक्कार रही थी, मुझे खुद से ही नफरत होने लगी. उस वक्त मै क्या फील कर रहा था, बता नही सकता बस यूं समझ लो कि अपने डर और पछतावे के गम में मैंने एक और बोतल गटक ली.
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कुछ टाइम बाद प्लूटो के घाव धीरे-धीरे भरने लगे थे. उसकी आँख की जगह खाली गोला सा रह गया था जो देखने में बड़ा डरावना लगता था. उसे अब और दर्द नहीं होता था. वो पहले जैसी ही घर में चक्कर काटती रहती थी पर जैसे ही मै उसके समाने आता, वो डर के मारे भाग जाती. जिस प्लूटो को मै कभी इतना प्यार करता था आज वो मेरे पास आने से भी कतराती थी, इससे बड़ा दुःख मेरे लिए क्या हो सकता था. लेकिन फिर जल्दी ही दुःख की जगह इरिटेशन ने ले ली. और फिर वो स्टेज आया जब मुझे किसी को टॉर्चर करने में मजा आने लगा. वो स्टेज जहाँ इंसान इन्सान नही रह जाता. मुझे नहीं पता कि मेरे आत्मा जिंदा है या मर चुकी. दुनिया में ऐसा कोई नहीं होगा जिसने कभी कोई ऐसा गुनाह या गलती नही की, जोकि उसे पता है कि उसे नहीं करना चाहिए? क्या हमे नियम तोड़ने में मज़ा नही आता, भले ही उसका सज़ा मिल जाए?
तो मै आपको बता रहा हूँ कि मेरी आत्मा इतनी गिर चुकी थी कि अब मै सुधर नही सकता था. पता नहीं क्यों मगर इन्सान अपनी आत्मा का गला घोंट कर जब गुनाह करता है तो उसे पछतावा नही बल्कि मजा आता है. यही हाल मेरा भी था, प्लूटो मुझे इग्नोर कर रही थी, मुझे उसका घमंड बर्दाश्त नही हो रहा था, अब किसी भी तरह उसे सबक सिखाना मेरे लिए जरूरी हो गया था, एक दिन मोर्निंग में एकदम होशो-हवास में रहते हुए मैंने उस जानवर के गले पर फंदा डाल कर उसे एक पेड़ की डाल से लटका दिया.;—मेरी आँखों से आंसू बह रहे थे पर दिल में उसके लिए नफरत जोर मार रही थी. आप पूछोगे मैंने उसे क्यों लटकाया? क्यों न लटकाता, आखिर वो मेरा पालतू जानवर है, मै जो चाहे करूँ उसके साथ.
और उसी रात आग-आग के शोर से मेरी आँख खुली. मेरे रूम के परदे जल रहे थे. पूरा घर जल रहा था. बड़ी मुश्किल से मै, मेरी बीवी, हमारा एक नौकर आग से बच कर बाहर निकले थे. मेरा सारा पैसा, सारी जमा-पूँजी आग में जल में स्वाहा हो गयी थी. जिस दिन मेरे घर में आग लगी थी उसके अगले दिन मैं फिर से वहां गया. एक चीज़ छोडकर मेरे घर की सारी दीवारे गिर गई थी. और वो मुझे एक कम्पार्टमेंट वाल में मिली. जोकि ज्यादा मोटी तो नहीं थी, जो घर के बीचो-बीच खड़ी थी और जो मेरा बेड के सिरहाने की तरफ हुआ करता था, उस हिस्से में प्लास्टर था जो पूरी तरह जला नही था— और इस दीवार के पास लोगो की भीड़ जमा थी जो उस ख़ास हिस्से को बड़े गौर से देख रहे थे. मेरी क्यूरियोसिटी बढ़ गयी थी. मैने भी आगे बढकर देखा कि क्या हो रहा है. जैसे किसी व्हाईट सर्फेस पर कोई डिजाईन खोद के बनाया गया हो ठीक ऐसे ही एक बड़ी सी बिल्ली की इमेज दीवार पर थी और उसके गले में एक फंदा पड़ा था.
इस देखते ही मेरे होश उड़ गए. मुझे सब कुछ याद आ गया. मेरी बिल्ली जिसे मैंने घर के साथ लगे गार्डन में एक पेड़ से लटकाया था. जब आग का शोर मचा था तो इस गार्डन में लोगो की भीड़ जमा हो गयी थी.शायद उनमे से ही किसी ने बिल्ली के गले से फंदा काट कर उसे फेंक दिया होगा —शायद खुली खिड़की से वो मेरे रूम के अंदर गिरी होगी. बिल्ली की बॉडी दूसरी दिवार के गिरने से उसके बीच में दब गयी होगी. और दीवार के प्लास्टर पर बिल्ली की जली हुई हड्डियों से उसकी तस्वीर छप गयी.
हालाँकि ये सिर्फ मेरा अंदाजा था. फिर कई महीनो तक मेरे दिमाग में वही सीन बार-बार आता रहा. मै चाहकर भी उसे भूल नही पा रहा था.और साथ ही एक पछतावे की फीलिंग भी. मेरे हाथो एक जानवर मर गया था,ये बात मुझे खाए जा रही थी और इस कमी को पूरा करने के लिए उसी नस्ल और उसी रंग की एक और बिल्ली पालने की मेरी ख्वाहिश भी बढती जा रही थी. एक रात मै अचानक नींद से उठा. अचानक मेरी नजर किसी काली चीज़ पर पड़ी.
मै कुछ देर यूं ही उस चीज़ पर नजरे गडाए उसे घूरता रहा. मै हैरान था कि आखिर ये है क्या, फिर मै धीरे से उसकी तरफ बढ़ा और हाथ बढ़ाकर उस चीज़ को छुआ. मै जिसे छू रहा था वो एक काली बिल्ली थी, बहुत बड़ी सी, इतनी बड़ी जितनी प्लूटो थी. इसमें कोई शक नही था कि मै प्लूटो को छू रहा था पर उसकी बॉडी पर एक भी सफेद बाल नहीं था जबकि इस बिल्ली के सीने पर एक बड़ा सा व्हाईट स्पॉट था. जैसे ही मैंने इसे छुआ तो वो एकदम से उठ गयी, मुझे देखकर जोर से म्याऊं-म्याऊं करने लगी और मेरे हाथ के साथ अपनी बॉडी को रगड़ने लगी जैसे बिल्लियाँ करती है. बिल्ली मेरे छूने से खुश लग रही थी. मुझे बिल्कुल ऐसी ही बिल्ली चाहिए थी जो प्लूटो जैसी हो.
दुसरे दिन मैंने अपने लैंडलोर्ड से कहा कि मै इसे खरीदना चाहता हूँ तो उसने कोई रीप्सोंस नही दिया. बल्कि उसने इस बात से भी इंकार कर दिया था कि उसके घर में ऐसी कोई बिल्ली भी है. पर मैंने सोच लिया था कि मै उस बिल्ली को पालूंगा इसलिए मै उसे घर ले आया. जल्दी ही बिल्ली हम लोगो से घुलमिल गयी थी, मेरी पत्नी तो उसे देखते ही उसकी दीवानी हो गई थी.