(Hindi) THE ARTIST’S WAY- A Spiritual Path to Higher Creativity
इंट्रोडक्शन
क्या आप एक artistic इंसान हो ? क्या बचपन में आपको art पसंद थी? लेकिन आपने साइंस को अपना करियर बना लिया?
क्या आप artists या art की तरफ आकर्षित होते हो?
लेकिन आप कोई art piece बनाने से डरते हो क्योंकि आपको लगता है कि आप कभी उतने अच्छे नहीं बना पाओगे? अगर इनमें से किसी भी सवाल का जवाब हाँ है तो आपको ये बुक जरूर पड़नी चाहिए।
Author बताते है की बहुत सारे artists अपनी creativity को छोटी उम्र में ही मार देते है क्योंकि उनके आस पास का माहौल उन्हें अपने टैलेंट को निखारने ही नहीं देता और तब ये वो बनते हैं जिन्हें “Shadow Artists ” कहा जाता है।
ये बुक आपको एक –एक कर हर हफ्ते की यात्रा पर लेकर जाएगी ताकि आप अपने अंदर के आर्टिस्ट से मिल सको। हर हफ्ते की यात्रा में हम artists की जिंदगी की एक एक रूकावट के बारे में बात करेंगे और ये भी देखेंगे की कैसे हम इन रूकावटो को दूर कर सकते है।
ये बुक आपको लोगों की जिंदगी के असली example के बारे में भी बताएगी कि कैसे हम उनकी जिंदगी से सिख सकते है। हर हफ्ते का हमें टास्क दिया जाएगा ताकि हम अच्छा परफॉर्म कर सकें।
तो क्या आप तैयार है इस यात्रा के लिए जिसमें आप अपने अंदर के artist की खोज करोगे?
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Week 1: Recovering a sense of safety
ये चैप्टर “shadow artists” के बारे में बताता है।
अपने नेगेटिव विचारों को ढूँढना और पॉजिटिविटी के साथ उन्हें दूर करना।
Shadow Artists ऐसे इंसान होते है जो किसी क्रिएटिव फील्ड में अपना भविष्य बनाना चाहते है पर अपने आस पास के लोगों या माहौल की वजह से ऐसा नहीं कर पाते। shadow artists कभी भी अपने चुने हुए काम में खुश नहीं रहते क्योंकि यहां वो कोई भी creative काम नहीं कर पाते जो उन्हें पसंद है।
Shadow artists अक्सर ऐसे जॉब सिलेक्ट करते हैं जैसा उन्हें art पसंद है, जैसे कोई इंसान डायरेक्टर बनना चाहता है तो वो डायरेक्ट असिस्टेंट बन जाएगा या किसी को राइटर बनना है तो वो एडिटर बन जाएगा।
ये कभी भी अपने आप को अच्छा आर्टिस्ट नहीं मानते और इसी डर की वजह से खुद को मौका नहीं देते।
Shadow Artists खुद को बहुत सख्त तरीके से जज करते हैं और अपने मन में ये बैठा लेते हैं कि वो कभी एक अच्छे आर्टिस्ट नहीं बन सकते ।
जैसे एक छोटा बच्चा चलने से पहले कई बार गिरता है वैसे ही हर इंसान कुछ सीखते समय कई बार गिरता है।
वैसे ही आप भी शुरुआत में कई बार गिरोगे लेकिन अंत में आपको भागना आ जाएगा। इसलिए अपने बारे में बुरा सोचने की बजाए अपनी कमियों को ढूंढो और उन पर काम करो। कोशिश करते रहने से ही किसी काम में एक्सपर्ट बना जा सकता है।
अपनी कमियों को ढूंढो और उन्हें दूर करने की कोशिश करो। अक्सर इंसान एक ही बात सोचते है कि “ मैं इस काम में उतना अच्छा नहीं हूँ, मेरे आर्ट को कोई पसंद नहीं करेगा और लोग मेरा मजाक उड़ाएँगे ” लेकिन इनमें से ज़्यादातर सच नहीं होता और हमारे कल्चर, रिलिजन, परिवार और नेगेटिव इंफ्लुएंस के कारण ये बातें हमारे subconscious माइंड में बैठ जाती हैं।
नेगटिव बातों को हमेशा पॉजिटिविटी के साथ दूर करना चाहिए। खुद की तारीफ करना आसान काम नहीं होता। हमारा दिमाग़ यही कहेगा की हमारा काम तारीफ के लायक नहीं है लेकिन अगर हम इन बातों की तरफ ध्यान देंगे तो अपने अंदर की कमियों की जड़ तक पहुँच पाएंगे।
Author कहते हैं कि सुबह उठते ही अपने विचारों के बारे में तीन पेज लिखो लेकिन उन्हें दोबारा पढना मत ना ही किसी के साथ शेयर करना। खुद के साथ रहने की कोशिश करो नाचो, गाओ, पार्क में बैठ कर कोई पेंटिंग बनाओ कुछ भी करो लेकिन खुद के साथ रहकर मजा लो।
इस chapter में जो तरीके बताये गए है उन्हें आप Paul की कहानी से और अच्छे से समझ सकोगे।
Paul एक shadow artist था जो हमेशा से राइटर बनना चाहता था। वो काफ़ी अच्छा लिखता था। उन्होंने कई जर्नल भी लिखे। लेकिन कभी भी अपने काम को परिवार, दोस्त किसी के साथ शेयर नहीं किया।
ज़ब Paul ने अपने अंदर के artist को बाहर निकलने की कोशिश की तो उसके सामने बहुत सारी चुनौती आई। वो वैसे ही काम कर रहा था जैसा उन्होंने सोचा था लेकिन फिर भी उसे खुद पर शक होने लगा और वो गलत बातों से परेशान रहने लगा। बहुत सोचने पर उसकी समझ में आया कि वो अपना काम लोगों को दिखाने से डरता है क्योंकि उसे दूसरों की पॉजिटिव फ़ीडबैक और तारीफ़ पर विश्वास नहीं है।
Paul ने अपनी अंदर की नेगेटिव बिलीफ का पता लगाया और पाया की उसके कॉलेज का एक टीचर उसकी हमेशा तारीफ करता था जिसने बाद में उसे सेक्सुअली एब्यूज किया। Paul को इस बात से गहरा धक्का लगा था और वो खुद को दोषी मानने लगा की उन्होंने टीचर का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। तब से Paul के दिमाग़ में एक बात बैठ गयी की जो उसके काम की तारीफ करता है उनका मकसद कुछ गलत होता है और उसका काम सच में अच्छा नहीं है।
एक बार असली कारण का पता लगा तो Paul ने इस पर पॉजिटिविटी के साथ काम किया। हालाँकि पहली बार में वो comfortable नहीं था लेकिन धीरे धीरे उसे अपने की तारीफ सुनने की आदत हो गयी। Paul के example से साबित होता है की एक बार हम अपनी अंदर की नेगेटिविटी के कारण का पता लगा ले तो हम इस पर काम कर सकते है और परेशानी को हल कर सकते है।
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Week 2 : Recovering a sense of identity
ये चैप्टर बताता है कि ज़ब आप अपने अंदर के आर्टिस्ट की खोज करना शुरू करते है तो हम धीरे धीरे अपने अंदर आये बदलाव को पहचानना शुरू करते है और नेगेटिव लोगों से दूर रहने और जिंदगी की छोटी छोटी खुशियों पर ध्यान देने के लिए भी इस चैप्टर में बताया गया है।
अपने क्रिएटिव साइड को अनलॉक करने के सफर की शुरुआत में आपको खुद पर शक होगा। आपके मन में आयेगा की “मेरी पेंटिंग बस इस बार अच्छी बन गयी है और हमेंशा अच्छी नहीं बनेगी”। ऐसे नेगेटिव ख्याल आपको परेशान करेंगे आपको अंदर से तोड़ देंगे इसलिए आपको पॉजिटिव रहकर इनका सामना करके खत्म करने की कोशिश करनी चाहिए।
साथ ही ऐसे लोगों से दूर रहो जो आपकी बुराई करे। अपने अंदर के नन्हें artist पर दूसरों की बुराई का असर मत होने दो। हो सकता है ये लोग बाद में आपकी क्रिएटिविटी में आपके काम आये लेकिन शुरुआत में इनसे दूर रहो। आपकी पहली ड्यूटी खुद के लिए है, उस कला के लिए है जो भगवान न आपको तोहफ़े में दी है। किसी चीज के रिजल्ट से दुखी मत हो बल्कि उसकी पूरी process का मजा लो।
Crazymakers ऐसे लोग होते है जिन्हे सिर्फ आपका ध्यान खींचना होता है और इसके लिए वो कुछ भी कर सकते है। उनकी गलत बातों का असर दूसरों पर भी होता है। वो आपको अपने फायदे के लिए इस्तमाल करते है और ध्यान भटकाते है। ऐसे लोगों को पहचानो और उनसे हमेशा दूर रहो.
अपने अंदर के शक को खत्म करो और अपने आप को विश्वास दिलाओ की पूरी दुनिया आपकी मदद करना चाहती है। आपकी art देखना चाहती है। अगर कोई ऐसा मौका आता है तो उसे जाने मत दो, उसका सही ढंग से इस्तमाल करो।
आज पर ध्यान दो, क्या नहीं था और आगे क्या होगा उस पर नहीं ।
ऐसी छोटी छोटी बातों पर ध्यान देने से जो हमें खुशी देती है, पुराने दुखो को भूलने में काफ़ी मदद करती है।
ऑथर अपनी जिंदगी का एक किस्सा example के लिए बताती है। ज़ब Julia Cameron अपने तलाक़ के दर्द से लड़ रही थी तो उन्होंने फैसला किया कि वो थोड़े समय के लिए अपने हॉलीवुड वाले घर में अकेले रहेगी, बिना किसी से मिले।
Julia अकेले अपने खायलो में खोई रहती और लम्बी यात्रा पर निकल जाती, धीरे धीरे उनकी दोस्ती अपने पड़ोसी की बिल्ली से हो गयी। अब वो हर समय अपने तलाक़ के दर्द में खोई नहीं रहती थी बल्कि उस बिल्ली के साथ खुश रहती थी।
वो एक दूसरे की पसंद के बारे में जानने लगे। धीरे धीरे शाम को घूमते समय उनकी दोस्ती कई जानवरो के साथ हो गयी।
ये सारे अनुभव Julia को उसके दर्द से बाहर ले आये और उन्हें अहसास हुआ की जो छोटी – छोटी चीजे अभी हो रही है उनपर ध्यान देना कितना जरूरी है। उन्हें समझ आया की जो भी हुआ या आगे जो होगा वो उनके कंट्रोल में नहीं है। जो शादी कल खत्म हो गयी या हो सकता है ये बिल्ली कल मर जाये, जो कुछ भी होगा वो उनके हाथ में नहीं है और ना ही में वो उसे रोक सकती हैं । लेकिन हाँ, वो अभी इस समय का मजा ज़रूर ले सकती है। उस बिल्ली या दूसरे जानवरो के साथ रहकर खुश हो सकती है। ये सब उनके दुख को भुलाने में मदद करेंगे।
ज़ब आप अपनी जिंदगी में होने वाली छोटी से छोटी बात पर ध्यान देना शुरू करते है तो ये आपके लिए खुशियाँ लेकर आती है।