(Hindi) The Art of Happiness
“व्हाट इज़ माई पर्पज (मेरी लाइफ का पर्पज क्या है) What is my purpose?”
क्या आपने कभी सोचा है’ मेरी लाइफ का मकसद क्या है” यानी मै इस दुनिया में किस पर्पज से आया हूँ”. तो हम बताते है कि परम पूज्य दलाई लामा के इस बारे में क्या विचार है. हमारी लाइफ का असली मकसद क्या होना चाहिए और हम इस दुनिया में क्या करने आये है, इस बारे में उन्होने अपने कुछ थौट्स इस बुक के ज़रिये शेयर किये है.
हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी में हम जो एक्स्पिरियेंश करते है, उसका हमारी लाइफ पर क्या इफेक्ट पड़ता है. हमारा यूनिवरसल पर्पज क्या है, एक ऐसा पर्पज जिसका आपके रिलिजन, सोशल स्टेट्स या वेल्थ से कोई लेना-देना नहीं है. बल्कि इसका सीधा कनेक्शन सिर्फ और सिर्फ आपकी खुशियों से है.
दलाई लामा कहते है कि हमे सच्ची और असली हैप्पीनेस तभी हासिल हो पाएगी जब हम नीचे दिए फेक्टर्स और प्रेक्टिसेस को अप्लाई करेंगे और ये फैक्टर्स है :
• अपने माइंड को ट्रांसफॉर्म करना (Transforming your mind)
• जेन्युइन यानी सच्चा कनेक्शन (Establish genuine connections)
• कम्पैशन की इम्पोर्टेंस (Importance of compassion)
• सफरिंग यानी अपनी तकलीफों के साथ डील करना (Dealing with suffering)
• अपनी लाइफ में चेंजेस लाना (Embracing change)
• पर्सपेक्टिव में बदलाव (Shift in perspective)
• उन तरीको को समझना जिनसे हमे खुशियाँ हासिल होती है (Knowing the steps on achieving happiness)
• अपनी एंज़ाइटी को कण्ट्रोल करना और सेल्फ एस्टीम बनाकर रखना (Overcoming anxiety and establishing self-esteem)
ट्रांसफोर्मिंग योर माइंड (अपने माइंड को ट्रांसफॉर्म करना) Transforming your mind
इस पूरी बुक के अंदर इस बात पे जोर दिया गया है कि लाइफ में अगर रियल हैप्पीनेस चाहिए तो आपका स्टेट ऑफ़ माइंड सही होना चाहिए. हालाँकि ये बदलाव रातो-रात नहीं आता. लाइफ में चेंजेस लाने में टाइम लगता है, सिर्फ ट्रेनिंग और प्रेक्टिस से ही आप अपने स्टेट ऑफ़ माइंड को चेंज कर सकते हो जो आपको आपकी खुशियों तक लेकर जाएगा. और अपने माइंड को ट्रेन करने के लिए हमे इसके नेगेटिव और पोजिटिव मेंटल स्टेट्स को जानने की ज़रूरत है.
गुस्सा, जलन और नफरत करने वाले को बदले में सिर्फ दर्द और तकलीफ ही मिलती है. क्योंकि ये हमारे माइंड के हार्मफुल स्टेट्स है इसलिए इन्हें नेगेटिव माना गया है. और जितना हो सके, इन्हें कम करने की कोशिश करो, फिर प्रेक्टिस के थ्रू धीरे-धीर इन फीलिंग्स को पूरी तरह अपनी लाइफ से निकाल फेंको. वही दूसरी तरफ मेंटल स्टेट्स जैसा काइंडनेस और कम्पैशन बहुत पोजिटिव स्टेट्स है जिन्हें हमे अपनी लाइफ में ज्यादा से ज्यादा अप्लाई करना है.
कम्पेरिजन और कंटेंटमेंट (Comparison and Contentment)
क्या आप भी खुद को दूसरो से कम्पेयर करते हो? चाहे आपके कलीग्स हो, या भाई-बहन या फिर फ्रेंड? कैसा फील होता है खुद को बाकियों से कम्पेयर करना? अक्सर हम लोग पैसे, सक्सेस या फिर मेरे पास क्या है और उसके पास क्या है, इन चीजों को लेकर अपनी तुलना दुसरे लोगो से करने लगते है. जिसका रिजल्ट कई बार ये होता है कि हमारे अंदर जलन, नफरत और गुस्से जैसी नेगेटिव मेंटल स्टेट्स आने लगती है. ऐसा नहीं है कि दूसरो से कॉम्पटीशन करना हमेशा बुरी चीज़ है.
कई बार जब हम अपने से कमतर लोगो को देखते है तो हमे एहसास होता है कि हम कितने लकी है. और ये चीज़ हमे एक तरह का सेटिसफेक्शन भी देती है. हम उन चीजों को कद्र करने लगते है जो हमारे पास है. और हम ऊपरवाले का शुक्रिया अदा करते है. तो ये हमारा पोजिटिव मेंटल स्टेट माना जायेगा जो हमे सेटिसफेक्शन का एहसास दिलाता है. दलाई लामा एक्सप्लेन करते है कि हम अपनी लाइफ में दो तरीको से सेटिसफेक्शन ला सकते है.
पहला तो ये कि लाइफ में वो सब कुछ हासिल करो जिसकी आपको चाहत अहि जैसे ढेर सारी दौलत, एक परफेक्ट जीवनसाथी या एक परफेक्ट बॉडी. हालाँकि ये सोच काफी अनस्टेबल और नेगेटिव टाइप की है, क्योंकि एक टाइम ऐसा भी आ सकता है कि जो आपको चाहिए वो आपको मिला नहीं तो आपके अंदर डिसअपोइन्टमेंट और फ्रस्ट्रेशन की फीलिंग आ जायेगी. दूसरा तरीका ज्यादा रिलाएबल और सिम्पल है, आप उस चीज़ के पीछे मत भागो जो आपके पास नहीं है बल्कि जो आपके पास पहले से है, उसी से खुश रहो.
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एस्टेबलिश जेनूआइन कनेक्शन (सही कनेक्शन जोड़ना) Establish genuine connections
दूसरो के साथ सही कनेक्शन जोड़ना आपकी हैप्पीनेस के लिए बहुत मायने रखता है क्योंकि इसके बिना आपकी लाइफ अधूरी है. इसके बगैर आप अकेले हो जायेंगे और कभी भी खुश नहीं रह पाएंगे. क्योंकि दलाई लामा कहते है कि दूसरो के साथ कनेक्शन बिल्ड करने के लिए हमे दूसरो को देखने के लिए अपने अंदर और भी पोजिटिव एंगल लाना होगा.
हमे अपना पर्सपेक्टिव और भी बैटर बनाना होगा. लेकिन ये तभी हो पायेगा जब आप कम्पैशन और काइंडनेस यानी रहमदिल का सही मतलब समझ पाएंगे. जब आपके दिल में दूसरो के लिए रिस्पेक्ट और प्यार होगा तो आपका एटीट्यूड उनके लिए खुद ब खुद चेंज हो जायेगा. प्यार और दया ऐसी फीलिंग्स है जो हमारे दिलो से डर या शक को दूर करके लोगो के साथ हमे एडस्ट करने में हेल्प करती है. जितना बड़ा दिल रखकर हम लोगो से बात करेंगे उतना ही हम उनके और करीब आ पाएंगे.
क्या आप प्यार में यकीन रखते है ( डू यू बिलीव इन लव? ) Do you believe in love?
क्या आपको कभी किसी से प्यार हुआ है? प्यार होता क्या है? दूसरो के साथ कनेक्ट होना आसान है. हालाँकि इसके लिए आपके दिल में उनके लिए लव और रिस्पेक्ट की फीलिंग होनी चाहिए तभी वो रिश्ता सच्चा होगा. और रिश्ता वही सच्चा होता है जिसके पीछे कोई मलतब ना हो. जो लोग किसी मतलब या अपने भले के लिए दूसरो से कनेक्ट करते है, उनके रिश्ते ज्यादा नहीं टिक पाते.
लेकिन एक सच्चा और प्यार भरा रिश्ता कायम करने के लिए आपको दुसरे इन्सान का असली नेचर समझना होगा. वो अंदर से कैसा है, उसकी सोच क्या है. ये सब जानने के बाद ही आप उनके लेवल पर उनसे रिलेट कर सकते है. नाकि फर्स्ट इम्प्रेशन या फैटेसी के बेस जैसा कि अक्सर मूवीज या किताबो में होता है. एक सच्चे और लॉन्ग टर्म रिलेशन के लिए टाइम और कंसिस्टेंसी दोनी चाहिए. जैसा कि मार्क ट्वेन कहते है” परफेक्ट लव क्या होता है, ये कोई मर्द या औरत नहीं बता सकता जब तक कि दोनों एक लम्बे टाइम तक शादी के बंधन में ना बंधे हो”.
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इम्पोर्टेंस कम्पैशन (Importance Compassion)
हमने पहले भी इस बुक में कम्पैशन की बात की है. ये हमारी लाइफ में हैप्पीनेस अचीव करने का एक की फैक्टर है. और ये हमारी लाइफ में सच्चे रिश्ते बनाने में काफी बड़ा रोल प्ले करता है. लेकिन क्या आप वाकई में जानते है कि कम्पैशन होता क्या है? सिंपल तरीके से बोले तो कम्पैशन का मतलब है दूसरो की तकलीफ का एहसास होना और उनकी तकलीफे दूर करने की कोशिश करना. मान लो आपने टैक्सी हायर की. पर टैक्सी ड्राईवर आपसे ज्यादा पैसे ले रहा है. तो आप कैसे रिएक्ट करोगे?
अब अगर आपके दिल में ड्राईवर के लिए सिम्पेथी होगी तो आप खुद को उसकी जगह पे रखके सोचोगे, आप खुद को उससे कम्प्येर करोगे कि आप दोनों में क्या कॉमन है, क्या डिफ़रेंस है. और उसकी ऐसी कौन सी मजबूरी है जो वो आपसे ज्यादा पैसे मांग रहा है. हालंकि हम ये नहीं बोल रहे कि किसी गलत बात को सपोर्ट किया जाए. लेकिन जब हम दूसरो के पर्सपेक्टिव से सिचुएशन को देखते है तो हम काफी हद तक उस गुस्से और नफरत को कण्ट्रोल कर सकते है जो हम दूसरो के लिए फील करते है. ये एक तरीका है जिससे हम नेगेटिव मेंटल स्टेट को दूर कर सकते है. और अपने माइंड को ट्रांसफॉर्म करने का ये एक की-फैक्टर है.