(hindi) The 33 Strategies of War

(hindi) The 33 Strategies of War

इंट्रोडक्शन

एक छुपे हुए दुश्मन से लड़ने से ज़्यादा बुरा क्या हो सकता है? इससे बुरा होता है जब आप दुश्मन को सामने देख तो पाते हैं लेकिन जान नहीं पाते कि वो असल में आपका दुश्मन है.
अफ़सोस और दुःख को पकड़ कर रखने से भी बदतर क्या होता है? इससे भी बुरा होता है जब आप अपने अतीत की जीत को पकड़कर रखते हैं और ये सोच लेते हैं कि आप हमेशा जीतने वाले हैं, लेकिन असल में ऐसा नहीं होता.
एक कूल और इजी गोइंग बॉस से भी बुरा क्या हो सकता है? इससे बुरा वो बॉस होता है जिसे इम्प्रेस करना लगभग नामुमकिन सा है.

इन सबको अगर मिला दिया जाए तो इससे भी बुरा क्या हो सकता है? इससे भी बुरा होगा इस समरी को ना पढ़ना क्योंकि इस समरी से आप कई बातें सीखेंगे जैसे कि अपने दुश्मनों को कैसे पहचानना है और उनपर हमला कैसे करना है, कैसे अपनी पिछली जीत और गलतियों में अटके रहने के बजाय उन्हें छोड़ देना है. इसके साथ-साथ आप ये भी सीखेंगे कि एक अच्छा लीडर कैसे बनें और अपनी टीम को कामयाबी की ओर कैसे आगे लेकर जाएं.

ग्रीक से लेकर पर्शियन तक, अंग्रेज़ों से लेकर भारतीयों तक, आप जानेंगे कि दुश्मन से कैसे लड़ना है और जंग कैसे जीतना है. तो चलिए इस दिलचस्प सफ़र को शुरू करते हैं.

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Declare War on Your Enemies: The Polarity Strategy

401 B.C. का दौर था, एथेंस में ज़ेनोफोन नाम का एक आदमी रहता था. एक दिन, साइरस की ओर से उसे इनविटेशन मिला जिसने उसे हैरान कर दिया. साइरस पर्शियन राजा का भाई था जो ज़ेनोफोन को एक सिपाही के रूप में सेना में भर्ती करना चाहता था. लेकिन ये चौंकाने वाली बात क्यों थी? क्योंकि इन दोनों देशों के बीच बहुत लंबे समय से जंग छिड़ी हुई थी और ये बात बहुत अजीबोगरीब थी कि पर्शियन राजा अपने दूसरे दुश्मनों से लड़ने के लिए ग्रीक सैनिकों को सेना में भर्ती करना चाहते थे.
ज़ेनोफोन ने इनविटेशन स्वीकार करने का फ़ैसला किया, एक सैनिक के तौर पर नहीं बल्कि एक फिलोसोफर के तौर पर. उसने सोचा कि इसी बहाने कुछ एडवेंचर और रोमांच ही हो जाएगा. बाद में ज़ेनोफोन को पता चला कि साइरस का मकसद कभी ग्रीस को जीतना था ही नहीं. वो तो बस अपने भाई को गद्दी से उतारकर ख़ुद राजा बनना चाहता था.

लेकिन जंग के शुरुआत में ही साइरस मारा गया जिससे जंग का अंत हो गया. उसके बाद पर्शियन राजा ने ग्रीक सैनिकों से कहा कि उन्हें उनसे कुछ नहीं चाहिए, ना जंग , ना कुछ और. वो बस चाहते थे कि वो वापस लौट जाएं. पर्शियन राजा ने ग्रीक सैनिकों को भेजने के लिए अपने दूत के साथ एक पूरी सेना भेजी. लेकिन आधे रास्ते में ग्रीक सैनिकों ने देखा कि उनके पास खाने पीने का सामान बहुत कम था और आगे रास्ता और भी मुश्किल होने वाला था.
इसलिए ग्रीक सैनिकों ने पर्शियन राजा को एक ख़त भेजा कि उन्हें एक ऐसी जगह मिलना चाहिए जिस पर उनमें से किसी का भी अधिकार ना हो ताकि वो अपनी परेशानियों को राजा के सामने रख सकें. लेकिन ये क्या, पर्शियन राजा ने एक और सेना भेजी जिसने ग्रीक सैनिकों को चारों ओर से घेर लिया, फ़िर उन्हें गिरफ्तार कर उनका सिर धड़ से अलग कर दिया.

उनमें से एक सैनिक किसी तरह बचकर अपने कैंप पहुंचा और बाकियों को बताया कि उनके साथ क्या हुआ था. लेकिन उनमें से कुछ ने तो उस पर विश्वास नहीं किया और कुछ ने इतनी शराब पी रखी थी कि वो उसकी बात समझ नहीं पाए.

ग्रीक सैनिकों की समस्या ये थी कि वो अपने दोस्तों और दुश्मनों के बीच फ़र्क को पहचान नहीं पाए. दूसरा उनका कोई मकसद नहीं था. मकसद की कमी ही उनकी सबसे बड़ी दुश्मन थी. जब ये ख़बर ज़ेनोफोन तक पहुंची तो उसने मामला अपने हाथों में लिया. उसने बचे हुए ग्रीक सैनिकों को लीड करने और पर्शियन राजा के ख़िलाफ़ जंग का एलान करने का फ़ैसला किया. एक दूसरे से बहस करने और लड़ने के बजाय ज़ेनोफोन ने अपने सैनिकों से कहा कि वो अपनी एनर्जी और जोश को जंग के लिए बचाकर रखें. ग्रीक सैनिक बस घर जाना चाहते थे, लेकिन अगर उन्हें रास्ते में पर्शिया से लड़ना पड़ा, तो इसके लिए वो तैयार थे. अंत में, लगभग सभी ग्रीक सैनिक जिंदा घर लौटे. गौर करने की बात ये है कि उन्हें बस ये पता लगना था कि उनके दुश्मन कौन थे और उनसे लड़ना था.

तो इससे हम क्या सबक सीख सकते हैं – हमारा सबसे ख़तरनाक, बेरहम और तबाह करने वाला दुश्मन हम ख़ुद हैं. लेकिन हमें अपने बाहरी दुश्मन को भी भूलना नहीं है. अक्सर, हमें साफ़-साफ़ दिखाई नहीं देता कि वो कौन हैं लेकिन अगर हम फोकस करेंगे तो उन्हें पहचान लेंगे.

Polarity strategy एक मैग्नेटिक पोल के दो छोर की तरह हैं. वो एक दूसरे का विरोध करते हैं यानी resist करते हैं लेकिन एक दूसरे को बढ़ने के लिए पॉवर भी देते हैं. अपने दुश्मनों के साथ भी ऐसा ही होना चाहिए. अगर आप थोड़ी सी बुद्धि का इस्तेमाल करते हैं तो जो एनर्जी आपके दुश्मन आपको दे रहे हैं, आप उसका फ़ायदा उठा सकते हैं.

अगर आपको पता ही नहीं होगा कि आपके दुश्मन कौन हैं तो आपका लड़ाई जीतना नामुमकिन है. इसलिए इस स्ट्रेटेजी को सबसे पहले बताया गया है. बहुत सारे लोग जिन्हें हम अपना “दोस्त” कहते हैं असल में वो हमारे “दुश्मन” निकलते हैं. इसलिए आपको बहुत स्मार्टली ये पता लगाना होगा कि कौन आपकी तरफ़ हैं और कौन नहीं.

इस बात को याद रखें कि घटनाओं की उथल-पुथल के बीच अपने presence ऑफ़ माइंड को नहीं खोना है.

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The Counterbalance Strategy and Creating a Sense of Urgency and Desperation: The Death-Ground Strategy

वाईस एडमिरल लॉर्ड होरेशियो नेल्सन ब्रिटिश नेवी में अपने ख़ुद के दोस्तों द्वारा खड़ी की गई प्रोब्लम्स के लिए तैयार नहीं थे. हालांकि, वो पहले भी बहुत सी भयानक चीज़ों का सामना कर चुके थे जैसे उन्होंने नेपोलियन के egyptian कैम्पेन को हराया, जंग में अपना राईट हाथ और आँख खो दिया और स्पेनिश सेना को भी हराया. फ़िर भी वो इसके लिए तैयार नहीं थे.

डेनमार्क के खिलाफ इंग्लैंड की लड़ाई के दौरान, अंग्रेजी लीडर्स ने वाईस-एडमिरल नेल्सन के बजाय जंग को लीड करने के लिए सर हाइड पार्कर को चुना, भले ही नेल्सन सबसे बेस्ट चॉइस थे. उन्होंने नेल्सन को नहीं चुनने का फ़ैसला किया क्योंकि उनका दिमाग हमेशा गर्म रहता था और उन्हें डर था कि कहीं वो अपना आपा ना खो बैठें. अब नेल्सन को पार्कर ने नीचे काम करना था. किसी तरह उन्होंने अपने सम्मान को निगला और आगे की प्लानिंग करने लगे. नेल्सन की स्ट्रेटेजी थी कि उन्हें जितना तेज़ और जल्दी हो सके हमला कर देना चाहिए ताकि डेनमार्क को तैयारी करने का मौक़ा ना मिले. लेकिन पार्कर की स्ट्रेटेजी बिना हड़बड़ी किए सब कुछ organize करने की थी. नेल्सन ने सब कुछ तैयार कर लिया था और बार-बार आगे बढ़ने के लिए कह रहे थे लेकिन पार्कर ने उनकी बातों को नज़रंदाज़ कर दिया.

आखिरकार ब्रिटिश की एक बड़ी सेना आगे बढ़ने लगी. लेकिन वो सीधे कोपेनहेगन जाने के बजाय शहर के नार्थ में जो बंदरगाह (harbor) था वहाँ की ओर मुड़ने लगे और एक मीटिंग बुलाई क्योंकि डेनमार्क अब अपने बचाव के लिए तैयारी कर चुका था. अब नेल्सन ख़ुद को कंट्रोल नहीं कर सके और उन्होंने तेज़ी के साथ उन पर हमला करने की योजना बताई. “कोई भी जंग इंतज़ार कर के नहीं जीता जा सकता”, उन्होंने कहा. आखिरकार पार्कर ने नेल्सन के प्लान को मंज़ूरी दी और आगे बढ़े.

ब्रिटिश सेना की हार लगभग तय थी. पार्कर नेल्सन के प्लान से सहमत होने के लिए अफ़सोस कर रहे थे और उन्होंने पीछे हटने का फ़ैसला किया. लेकिन नेल्सन ने वापसी के सिग्नल को नज़रंदाज़ किया और लड़ना जारी रखा. सेना के captain ने पार्कर के बजाय नेल्सन के प्लान को फॉलो किया और अपने पूरे करियर को जोखिम में डाल दिया.

पार्कर के लौटने के सिग्नल देने के एक घंटे से भी कम समय में दुश्मन ने हार मान ली. अगले दिन पार्कर ने नेल्सन को बधाई दी, उन्होंने उनकी  ज़िद को अनदेखा कर दिया था. पार्कर ये उम्मीद कर रहे थे कि उनकी हिम्मत की कमी को लोग भुला देंगे.

इससे हम क्या सीख सकते हैं – जब इंग्लैंड ने सेना को लीड करने के लिए पार्कर में अपना विश्वास दिखाया तो उन्होंने एक गलत डिसिशन लिया था. उन्होंने एक सावधान और आर्गनाइज्ड लीडर को चुना था जो शायद रिस्क लेने से डरता था. नार्मल सिचुएशन में पार्कर बहुत शांत और स्ट्रोंग रहते थे. लेकिन जंग की स्थिती में वो अपना सेल्फ-कंट्रोल खो देते थे. जंग के दौरान उनकी कमज़ोरी आखिरकार सामने आई.

अगर आप जीतना चाहते हैं तो आपको नेल्सन जैसा होना चाहिए. जंग के माहौल में जब मामला बहुत नाज़ुक हो तो हम अपने सोचने समझने की शक्ति खो देते हैं. इसलिए जब दूसरे घबराए हुए हों तो अपना प्रेसेंस ऑफ़ माइंड बनाए रखना बेहद ज़रूरी होता है.

जो समय बर्बाद हो गया वो कभी वापस नहीं लाया जा सकता. जब आप फ्यूचर के सपने देखने में समय बर्बाद करते हैं तो आप आज एक्शन लेने का मौक़ा खो देते हैं. फ्यूचर पर ध्यान देने से अभी आपके सामने जो है आप उसे देख ही नहीं पाते और उसे आधे अधूरे मन से करते हैं. जब भी सिचुएशन आपके खिलाफ़ हो तो आपको अपने प्रेसेंस ऑफ़ माइंड का इस्तेमाल कर ख़ुद को जिंदा रखने के लिए अपनी जंग जारी रखनी चाहिए.

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