(Hindi) Switch: How to Change Things When Change Is Hard
परिचय इंट्रोडक्शन (Introduction)
चेंज आसान नहीं है बल्कि बड़ा मुश्किल है. कभी-कभी तो इतना मुश्किल होता है कि आपको लगेगा ये सारी दुनिया ही उलट-पुलट हो रही है. लेकिन बाकी लोगो के तरह आपको भी अपनी लाइफ में आने वाले चेंजेस के लिए रेडी रहना होगा. और कुछ स्विचेस (“switches”) शायद आपको इतना परेशान कर दे कि आप एकदम सर पकड़ कर बैठ जाओगे. लेकिन हम आपको इसके लिए ब्लेम नहीं कर रहे क्योंकि लाइफ ऐसी ही है, कभी ईजी तो कभी हार्ड. लेकिन हाँ अगर आप पहले से प्रीपेयर रहेंगे तो चीजों को ईजिली हैंडल कर सकते है. हीथ ब्रदर्स यहाँ आपकी हेल्प कर सकते है, अपनी इस बुक के थ्रू वे आपको बतायेगे कि चेंजेस को कैसे खुले दिल से एक्स्पेट किया जाये. अगर आप ये सोच के यहाँ आये है कि चेंजेस को कैसे अवॉयड किया जाए तो अभी इसी टाइम ये समरी पढना छोड़ दो, क्योंकि आप बिग, इमोशनल चेंजेस को अवॉयड कर ही नहीं सकते, आपको उन्हें एक्सेप्ट(accept ) करना ही पड़ेगा.
इस प्रॉब्लम को हीथ ब्रदर्स एक बड़े ही इंट्रेस्टिंग तरीके से अप्रोच करते है, एक ओल्ड बुद्धिस्ट मेटाफोर (old Buddhist metaphor) के थ्रू –जिसके हिसाब से इंसान दो पार्ट्स से मिलकर बना है. फर्स्ट वाला पार्ट रेशनल, कोल्ड और केल्क्यूलेटिव(calculative) है जिसे राइडर कहते है जबकि सेकंड पार्ट इमोशनल है, ऑटोमेटिक और क्विक रिस्पोंस देता है जिसे एलिफेंट बोलते है. हर इंसान इन दो एलिमेंट्स से मिलकर बना है. और ऑथर्स एक थर्ड एलिमेंट के बारे में बताते है –जिसे पाथ कहते है,जो आपकी लाइफ की सिचुएशन एस्पेक्ट है – आपका एनवायरमेंट, सराउंडिंग, वे लोग जो आपके आस-पास रहते है. अगर आप हमारे साथ यूँ ही बने रहेंगे तो हम आपको बताएँगे कि इन तीनो पार्ट्स को कैसे बेलेंस किया जाए. हालांकि ये उतना ईजी नहीं है लेकिन फिर पॉइंट की बात ये है कि अगर ये ईजी होता तो हर कोई इसे कर ना लेता.
चैप्टर 1
द थ्री सरप्राइजेस (The Three Surprises)
इस बुक के फर्स्ट स्टेप है चेंज के थ्री एशेंशियल कम्पोनेन्ट्स (essential components) को डिस्क्राइब करना – द एलिफेंट (The Elephant इमोशन (emotions), द राइडर (The Rider रेशनल साइड (rational side), और द पाथ (The Path सिचुएशन (situation). जैसा कि अब तक आप समझ चुके होंगे कि राइडर का काम है एलिफेंट को एक गोल की तरह गाइड करना. राइडर ही है जो पाथ चूज़ करता है –अब ये पाथ स्मूद हो सकता है, या फिर रॉकी और खतरों से भरा हुआ भी. ये सब एंड में राइडर पर डिपेंड करता है. यहाँ एक बात इम्पोर्टेंट है कि ये राइडर बिना एलिफेंट के कुछ नहीं कर सकता क्योंकि एलिफेंट उसका ड्राइविंग फ़ोर्स है.
ठीक ऐसे ही अगर राइडर ना हो तो एलिफेंट अकेला कुछ नहीं कर सकता, वो खुद अपने इमोशन्स और फीलिंग्स में भटक कर रह जाएगा. और सेम चीज़ आपकी लाइफ के साथ भी है –आपके इमोशंस ही वो ड्राइविंग फ़ोर्स है जो आपको एक्शन लेने पर मजबूर करते है. आप कुछ भी इंट्रेस्टिंग सोच ले लेकिन आपके इस रेशनल इंटरेस्ट को इमोशंस ही बैक अप करते है. हीथ ब्रदर्स अपने एक रिसर्च से शो कराते है कि ये एलिफेंट कितना पॉवरफुल है. इस स्टडी में शो किया गया था कि लोगो को अगर बड़ा कंटेनर दिया जाए तो वो नॉर्मली जितना खाते है उससे डबल अमाउंट का पॉपकॉर्न खा सकते है. ज़ाहिर है कि यहाँ इमोशनल और इररेशनल साइड (irrational side) काम कर रही थी.
स्पेसिफिक तरीके से बोले तो सारे थ्री कोम्पोनेंट्स (components) इस ओवरईटिंग बिहेवियर के लिए जिम्मेदार है. जैसे इस सिचुएशन में राइडर का रीएक्शन होगा: “लगता है खूब सारे पॉपकॉर्न है” फिर एलिफेंट खूब सारा खा लेगा लेकिन फिर भी काफी पॉपकॉर्न बचते है” तो एलिफेंट बोलेगा” मै जितना हो सके उतने पॉपकॉर्न खाना चाहता हूँ” अब क्योंकि राइडर को पॉपकॉर्न से भरा कंटेनर (द पाथ) थमा दिया गया था तो उसे कोई वजह नहीं दिखती कि वो सारे पॉपकॉर्न क्यों ना खाए. और इसलिए एलिफेंट को भी छूट मिल गयी कि जितना मर्जी हो उतना पॉपकॉर्न खा ले. अब बोलने की ज़रूरत नहीं कि इसका इररेशनल साइड सिर्फ प्लेज़र है यानी इसको पॉपकॉर्न खाने में मज़ा आ रहा है –और जब तक रेशनल साइड इसे रोकेगी नहीं ये प्लेज़र के लिए खाता ही जाएगा.
फर्स्ट चैप्टर का कनक्ल्यूजन (conclusion) है कि आपको अपनी लाइफ के थ्री एस्पेक्ट्स (three aspects ) बेलेंस करने है –रेशनल rational, इररेशनल (irrational )और सिचुएशनल एस्पेक्ट्स( situational aspects)तभी आप लाइफ के बिग चेंजेस को वेलकम कर पायेंगे या जैसे हीथ ब्रदर्स समझाते हैt: “राइडर को डायरेक्शन चहिये और एलिफेंट को मोटिवेशन. और दोनों को अपनी डेस्टिनेशन तक पहुँचने के लिए पाथ में कम से कम फ्रिक्शन चाहिए जिससे वो जल्द से जल्द मंजिल तक पहुंचे”.
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चैप्टर 2 Chapter 2
ब्राइट स्पॉट्स Bright Spots
सेकंड चैप्टर में ऑथर्स राइडर की साईंकोलोजी(psychology) को थोडा और बैटर ढंग से एक्प्लेन करने को कोशिश करते है. जैसा कि हम बता चुके है कि ये इमोशन के मामले में बड़ा कोल्ड, रेशनल और केलकुलेटिव टाइप का है और इसकी वजह से ये कभी-कभी कुछ ज्यादा ही सोचने लगता है. ये तो हम सबने एक्स्पिरियेंश किया है- आप बेड पे लेटे हो, एक बढ़िया सी नींद का वेट कर रहे हो कि तभी आपके माइंड में ख्याल आने लगते है, आप कितना भी ट्राई कर लो आप सोचते ही चले जाते हो. लेकिन अपने लिए सो- काल्ड ब्राइट स्पॉट्स ढूंढ कर इस ओवरथिंकिंग(Over thinking ) और ओवरएनालिसिस(overanalyzes) की हैबिट से छुटकारा पाया जा सकता है.
ये वो चीज़े होती है जिनमे कि आप बैटर करते हो और ये ज़रूरी नहीं कि आप लाइफ की हर चीज़ में एक्सपर्ट हो, बशर्ते कि आप कोई सुपरमेन या वंडरवुमन हो. और इसीलिए आपको बस एक या दो ही ब्राइट स्पॉट्स चूज़ करने है जिन पर आप पूरा फोकस कर सको. अक्सर लोगो की आदत होती है कि वे नेगेटिव स्टफ को ही देखते है जिसकी वजह वे उन्हें अपनी लाइफ की कुछ अच्छी बाते भी दिखाई नहीं देती. इसे पोजिटिव-नेगेटिव असिमेटट्री (positive-negative asymmetry) या नेगेटिव बायेस(negativity bias) भी बोलते है.हम ह्यूम्न्स के एवोल्यूशन(evolution ) के दौरान नेगेटिव बायेस(negativity) सरवाईवल(survival) के लिए बहुत ज़रूरी था –क्योंकि नेगेटिव स्टफ पर फोकस करने से हमारे सरवाईवल के चांसेस बड गए थे. वही दूसरी तरफ आज के टाइम में पोजिटिव-नेगेटिव असिमेटट्री (positive-negative asymmetry) नहीं चलेगी क्योंकि इससे नए एन्वायरमेंट को एडाप्ट करने में आपको मुश्किल होगी.
यही रीजन है कि चिप और डान हीथ आपको ब्राइट स्पॉट्स पर फोकस करने की एडवाईस देते है और ऐसा करने के कई तरीके है. आप चाहे तो डेली एक टू-डू लिस्ट लिखकर स्टार्ट कर सकते है. इस लिस्ट के टॉप में उन चीजों को रखो जो आपको करना पसंद है, और जो कम पंसद है उन्हें बोटम(bottom) में, फिर इसके अकोर्डिंग अपना हर डे प्रीपेयर करो.
चैप्टर 3 Chapter 3
लर्न क्रिटिकल मूव्स बाई हार्ट (Learn Critical Moves by Heart)
इस चैप्टर में हीथ ब्रदर्स डिसीज़न पैरालिसिस के बारे में बता रहे है. हम सब के साथ ये हुआ है –जैसे कभी आपके सामने कोई डिफिकल्ट सिचुएशन आई हो, आपको पब्लिक के सामने बोलना है, कोई ऐसी ही बड़ी प्रॉब्लम या कोई स्ट्रेसफुल एक्टीविटी, आपने शायद नोटिस किया हो कि ऐसी मुश्किल सिचुएशन में आप डर से पीले पड़ जाते है, आपके हाथ-पांव फूलने लगते है. आपको समझ ही नही आता कि करना क्या है. और हम यहाँ आपको बेवकूफ बनाने की कोशिश भी नहीं करेंगे –इस सिचुएशन में स्ट्रेस के सिम्प्टमस (symptoms ) कम्प्लीटली एलिमिनेट करना पोसिबल होगा भी नहीं, तो ऐसे में आपको क्रिटिकल मूव्स स्क्रिप्ट करने चाहिए.
यानी कि ऐसी स्ट्रेसफुल सिचुएशन आने से पहले ही आप उसे फेस करने को तैयार हो जाओ. एक एक्जाम्पल लेते है, जैसे कि आपको एक लार्ज क्राउड के सामने स्पीच देनी है, तो आप क्या करे कि लोगो के ग्रुप्स के सामने एक मोक(Mock) स्पीच दो जिससे आप डर खुल जाए. इस तरह बड़े और बड़े ग्रुप्स के सामने बोलने की प्रैक्टिस करते रहे जब तक कि आप पूरा कांफिडेंस ना आ जाये. ये बात माइंड में रखे कि हर किसी को पब्लिक स्पीच में थोडा बहुत अनकम्फर्टबल (uncomfortable ) फील होता है.