(hindi) So Good They Can’t Ignore You: Why Skills Trump Passion in the Quest for Work You Love
इंट्रोडक्शन
आपने कितनी बार लोगों को यह कहते हुए सुना है की , “ अपने पैशन को फॉलो करें ” ? यह एक पॉप्यूलर ऐडवाइज़ है कि अगर आप ऐसी जॉब करते हैं जो आपकी पसंद से मैच होती है, तो आपके पास एक शानदार करियर होगा और आप खुश रहेंगे। पर , क्या यह सच है?
क्या आपमें पहले से कोई पैशन होने की ज़रूरत है? क्या आपके लिए कहीं कोई ड्रीम जॉब इंतज़ार कर रहा है जो आपको सबसे ज्यादा सैटीस्फैकशन दे सके ? यह पैशन की एक थ्योरी है। इसमें कहा गया है कि आप पहले यह पता लगाएं कि आप क्या चाहते हैं और फिर उस करियर पाथ को फॉलो करें।
यह पता लगाने के लिए कि क्या यह थ्योरी सच में काम करती है या नहीं , आइए दुनिया के सबसे सफल इंसान की कहानी पर बातचीत करें। वह इंसान और कोई नहीं बल्कि स्टीव जॉब्स हैं।
अपने पैशन को फॉलो न करें ।
आप ये एक्सपेक्ट कर रहे होंगे कि जब स्टीव जॉब्स ने अपना करियर शुरू किया तब वो कंप्यूटर में दिलचस्पी रखने वाले या एक बिजनेसमैन बनने की इच्छा रखने वाले इंसान होंगे । उन्होंने रीड कॉलेज में लिबरल आर्ट्स कि पढाई की । जॉब्स ने नंगे पैर चलने पर जोर देते थे, उन्होंने अपने बाल लंबे कर रखे थे। उन्होंने वेस्टर्न हिस्ट्री और ईस्टर्न रिलिजन पर क्लासेस लीं।
एक साल के बाद जॉब्स ने कॉलेज छोड़ दिया, लेकिन वह कुछ समय के लिए कैंपस में रहे। वह फर्श पर सोते थे और वही पास के हरे कृष्ण मंदिर से जो फ़्री खाना मिलता था उसका इंतज़ार करते थे । जॉब्स के अजीब तरीकों की वजह से, वह एक कैंपस सेलिब्रिटी बन गए। कई स्टूडेंट्स ने तो उन्हें सनकी इंसान तक कहना शुरू कर दिया था ।
फिर , जॉब्स अपनी रूटीन से थक गए। वह कैलिफोर्निया, अपने घर वापस चले गए और अपने माता-पिता के साथ रहने लगे। उन्होंने स्पिरिचुअल जर्नी के लिए भारत में कई महीने बिताए। फिर, जॉब्स ने लॉस अल्टोस ज़ेन सेंटर में फॉर्मल ट्रेनिंग शुरू किया।
इस बीच, स्टीव वोज़्निएक को एक टर्मिनल डिवाइस डिजाइन करने के लिए काम पर रखा गया था, जिसे लोग कंप्यूटर टाइम-शेयरिंग के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। वोज़्निएक इलेक्ट्रॉनिक जीनियस है। टेक्नोलॉजी ही उनका पैशन है। उन्होंने कॉलेज में कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की थी ।
वोज़्निएक बेशक एक टर्मिनल डिवाइस बना सकते हैं। लेकिन , वह बिज़नेस निगोसियेशन में अच्छे नहीं है। इसिलिए उन्होंने अपने बहुत पुराने दोस्त, स्टीव जॉब्स की मदद मांगी।
जब स्टीव अपने स्पिरिचुअल ग्रुप साथ समय बिताने के लिए कुछ कहे बिना ही चले गए , तब उन्होंने अपना काम खो दिया था । इसलिए , एप्पल शुरू करने के महीनों पहले, स्टीव जॉब्स एक सनकी आदमी थे , जो कभी-कभी पैसो के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स का काम भी आज़मा लिया करते थे ।
उस समय मॉडल किट पॉप्युलर थे। ये सर्किट बोर्ड होते हैं जो कंप्यूटर में दिलचस्पी रखने वाले अपने घर पर असेम्बल कर सकते हैं। जॉब्स ने वोज़्निएक को प्रपोजल दिया कि वे अपना सर्किट बोर्ड डिजाइन कर सकते हैं . वे 25 $ मे एक यूनिट बनाकर इसे $50 के लिए बेच सकते हैं। जॉब्स ने कहा कि इस तरह वे प्रॉफिट में $ 1000 कमा सकते हैं।
उन्हें बड़ा ब्रेक तब मिला जब जॉब्स नंगे पैर बाइट शॉप गए। वह एक कंप्यूटर स्टोर था जिसके मालिक पॉल टेरल थे। जॉब्स ने सर्किट बोर्ड्स को टेरेल को दिखाकर उसे खरीदने का प्रपोजल दिया । लेकिन टेरेल ने कहा कि उन्हे पूरी तरह से असेंबल किये हुए कंप्यूटर्स चाहिए और वह हर कंप्यूटर के लिये $500 देने के लिये तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि वह जल्द से जल्द पचास यूनिट बनाना चाहते थे। इस तरह से एप्पल की शुरुआत हुई थी।
क्या उस समय स्टीव जॉब्स ने उनके अपने पैशन को फॉलो किया था? अगर जॉब्स वही करते जो उन्हे अच्छा लगता है, तो वह लॉस अल्टोस ज़ेन सेंटर में एक स्पिरिचुअल गुरु होते ।उनका सपना दुनिया को बदलना नहीं था । यह सब एक अच्छी बिज़नेस opportunity के साथ शुरू हुआ।
TO READ OR LISTEN COMPLETE BOOK CLICK HERE
पैशन रेअर है ।
स्टूडेंट्स के एक ग्रुप ने अपने पैशन को फॉलो करने के बारे मे अलग-अलग फील्ड के सक्सेसफुल लोगों का इंटरव्यू लिया। लेकिन, उन्हें जो जवाब मिले, उसकी उन्होंने उम्मीद नहीं की थी। स्टूडेंट्स ने पूछा, “आपने यह कैसे पता लगाया कि आप क्या चाहते हैं?” आपको कैसे पता चला कि आप किसमे अच्छे होंगे? ”
इरा ग्लास एक फेमस रेडियो होस्ट है। उन्होंने कहा कि फिल्मों में, कैरेक्टर बस अपने सपने की और आगे बढता है, और सब चीजे अपने-आप उसके हिसाब से हो जाती है । ऐसा रियल लाईफ में नहीं होता है। ग्लास का मानना है कि चीजें एक-एक कर के होती हैं।
किसी भी चीज में अच्छा होने के लिए समय की जरुरत होती है। ग्लासको रेडियो में मास्टरी हासिल करने में कई साल मेहनत करनी पड़ी और बड़ी -बड़ी ओप्पोर्चुनिटी मिलने से पहले उन्होंने कई सालो तक काम किया। उन्होंने कहा कि ऐसा कर पाने के लिये हमे , काम करने के लिये और अपने आप को ज़्यादा स्किल्फुल बनाने क लिये ख़ुद को पुश करना होगा ।
स्टूडेंट्स ने एंड्रयू स्टील नामके एक एस्ट्रोनॉमर का भी इंटरव्यू लिया। स्टील ने कहा कि उन्हें कोई आइडिया नहीं था कि वह क्या करना चाहते थे। वह उन लोगों से बिल्कुल भी सहमत नही हैं जो कहते हैं कि यंग बच्चो को यह पता होना चाहिए कि वे किस फील्ड में कैरियर बनाना चाहते हैं।
स्टील ने पीएचडी नहीं की क्योंकि उन्हें किसी दिन दुनिया बदलने की उम्मीद थी। वह सिर्फ और ज्यादा ऑपशन ढूंढना चाहते थे। कई सफल लोगों ने इस तरह जवाब दिया। वे सभी सहमत हैं कि महान करियर की शुरुआत अचानक हो सकती है । यह केवल एक पैशन होने और फॉलो करने के बारे में नहीं है।
दुनिया भर के साइकोलॉजिस्ट ने इस टॉपिक पर कई रिसर्च किए हैं “लोगों को काम पर क्या मोटीवेटेड रखता है ? “कुछ कॉमन वजह हैं कि लोग अपने जॉब में सैटीसफाईड हैं। हैरानी की बात है की, अपने पैशन को फॉलो करना उनमें से एक नहीं है ।
पहली बात, पैशन समय लेता है। Amy Wrzesniewski येल यूनिवर्सिटी की एक साइकोलोजीस्ट है। उसने एक जॉब, कैरियर और एक कॉलिंग के बीच के फर्क पर स्टडी की है । जॉब कुछ ऐसी चीज़ है जो आप अपने बिल्स को भरने के लिए करते हैं। एक कैरियर का मतलब है ज्यादा सैटीस्फेक्शन देने वाला काम। एक कॉलिंग आपकी आयडेंटिटी का एक बड़ा हिस्सा है, जो आपके जीवन का एक इम्पोर्टेन्ट पार्ट है।
एमी ने अलग – अलग प्रोफेशन जैसे डॉक्टर,टीचर , सेक्रेटरी , प्रोग्रामर , इन लोगों का सर्वे किया। आपको लग रहा होगा कि ज्यादातर टीचर और डॉक्टर ने कहा होगा कि उन्होंने अपने कालिंग या दिल की सुनी लेकिन ऐसा नहीं है।
पैशन एक सैटीसफाईंग करियर का फैक्टर नहीं है। एमी ने कॉलेज के एडमिनिस्ट्रेटिव असिस्टेंट्स का भी इंटरव्यू लिया। आपको लग रहा होगा कि इस तरह का काम बोरिंग और एक जैसा ही काम है । लेकिन कुछ असिस्टेंट्स ने जवाब दिया कि यह उनकी कॉलिंग है।
असिस्टेंट्स के सबसे मजबूत फैक्टर जो अपने काम को कॉलिंग मानते हैं वो है कि वे कितने सालों से वह काम करते आ रहे हैं। उनके पास जितना ज्यादा एक्सपीरियंस होता है, उतना ही ज्यादा वे काम से प्यार करते हैं।
तीन बेसिक साइकोलॉजिकल फैक्टर हैं जो हमारे काम के लिये मोटीवेशन डिसाइड करते हैं। उनमे से पहले ऑटोनॉमी है। यह एक एम्प्लोई की फीलिंग है कि उसके दिन की रूटीन पर उसका कंट्रोल है और ऑर्गेनाइजेशन पर उसके काम का असर पड़ता है।
दूसरा है योग्यता । यह एक कॉन्फिडेन्स की फीलिंग है जो हमें हम जो करते हैं उसमे अच्छा होने से मिलती है। तीसरा है रिलेटेड़नेस । इसका मतलब अपने कोलिग्स के साथ दोस्ती का रिश्ता बनाना है।
एग्ज़ाम्पल के लिए, कॉलेज एडमिनिस्ट्रेटिव असिस्टेंट को लें। जिनके पास ज्यादा साल का एक्सपीरियंस है वे कहते हैं कि उन्होंने अपनी कॉलिंग को पाया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्होंने अपने स्किल्स में मास्टरी हासिल कर ली है, वे ज्यादा कॉन्फिडेंट फील करते हैं और उन्होंने अपने डेली रूटीन पर और ज्यादा कंट्रोल हासिल किया है ।
यह एक chain रिएक्शन है। अगर आप लंबे समय तक बने रहते हैं, अगर आप और ज्यादा स्किल्स सीखते हैं, तो आप एक्सपर्ट बन जाएंगे। आपके स्किल्स के ऊंची लेवल की वजह से आप जो करना चाहते हैं उसके लिए आपको और फ्रीडम मिलेगा ।
लेकिन अगर आप जल्दी हार मान लेते हैं, और कहते हैं कि यह आपका पैशन नहीं है, तो आप हमेशा दूसरा काम ढूंढने में लगे रहेंगे। आप हारा हुआ फील करेंगे और अपनी एबिलिटीज पर डाउट करेंगे। बेहतर होने के , कॉम्पिटंस और ऑटोनॉमी पाने के बजाय , आप एक जॉब से दूसरी जॉब बदलते रहेंगे । इसलिए अपने पैशन को फॉलो करना खतरनाक है।