(hindi) Simply Said: Communicating Better at Work and Beyond

(hindi) Simply Said: Communicating Better at Work and Beyond

इंट्रोडक्शन

क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आप अपने दोस्त के साथ बातों में मशगूल थे और तभी कुछ और लोग वहां आये और आप अचानक चुप हो गए?
हाँ, हम सबकी जिंदगी में कभी ना कभी ऐसी सिचुएशन जरूर आई है.

एक  इंसान के साथ वन टू वन बात तो सभी कर लेते है पर जब बहुत से  लोगों  के सामने अपनी बात रखनी पड़े तो अक्सर हम में से कई लोग नर्वस हो जाते है.  हमें  इतनी शर्म आती है कि घबराहट के मारे हमारे मुंह से शब्द  नहीं  निकल पाते.  हमें  लगता है जैसे लोग  हमें  ही देख रहे है. अक्सर ऐसी हालत में ज़्यादातर लोग अपना कांफिडेंस खो बैठते है.

एक नॉर्मल सेटिंग में तो ये चल जाता है पर ऑफिस और वर्क प्लेस में इस तरह की सिचुएशन काफी प्रोब्लम क्रिएट करती है.
कंपनी में कई बार  हमें  कोई प्रेजेंटेशन देनी होती है या अपनी रिपोर्ट डिलीवर करनी होती है तो ऐसे में हमारे अंदर वो कांफिडेंस होना चाहिए कि हम सबके सामने अपनी बात रख सके, पर अगर आपके अंदर कांफिडेंस की कमी है या आप पब्लिक स्पीकिंग से डरते है तो ये किताब आपको इस प्रोब्लम का सोल्यूशन देगी, और काफी हद तक आपके अंदर का डर दूर करने में मदद  करेंगी.

इस किताब में आप सीखेंगे कि किसी भी प्रेजेंटेशन से पहले अपने कंटेंट को सही फॉर्म में स्ट्रक्चर कैसे  करें .. और आपको ये भी सिखाया जाएगा कि एक इन्फोर्मेटिव और पर्सुएसिव स्टाइल में कैसे लिखते है. साथ ही इस किताब से आप ये भी सीखेंगे कि एक स्ट्रोंग स्पीच डिलीवर करने के की-एलिमेंट्स कौन-कौन से है.

अगर आपको कभी नोट्स की  ज़रुरत पड़ी तो ये किताब आपको कुछ ऐसे कूल ट्रिक्स सिखाएगी जो आपको बिना नोट्स पढ़े एक बढ़िया प्रेजेंटेशन क्रिएट करने में हेल्प करेंगे. ज़्यादातर  लोगों  को ये बिल्कुल भी अच्छा  नहीं  लगता कि कोई भी प्रेजेंटेशन देते वक़्त स्लाइड को देखे या स्लाइड को देख-देखकर प्रेजेंटेशन दे और मुझे यकीन है कि आप ऐसा बिलकुल भी नहीं चाहेंगे !

एक और इम्पोर्टेंट लेसन जो आप इस किताब से सीखेंगे, वो है एक बेहद बढिया और engaging कंटेंट लिखने का तरीका. आप इस किताब से सीखेंगे कि कैसे एक शोर्ट, पर्सनल और क्लियर   मैसेज लिखा जाये.

अब चूंकि ग्रेट लीडर्स बनने के लिए इफेक्टिव कम्यूनिकेशन का होना बहुत जरूरी है तो ये किताब आपको कुछ ऐसे ट्रिक्स भी सिखाने वाली है जो आपको एक ऐसी टीम बिल्ड करने में हेल्प  करें गी जो ना सिर्फ आपकी रिस्प्केट करती बल्कि आपके साथ कनेक्ट भी करती हो.

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A Place For Everything: Organizing Your Content

कमयूनिकेशन का सही मायनो में मतलब है अपनी ऑडियंस के सामने एक वेल स्ट्रक्चर्ड   मैसेज को सही तरीके से पेश करना. जैसे मान लो आपको ऑफिस में किसी इश्यू पर डिसक्सन करना है तो आपको उस इश्यू से जुड़ी हुई सारी जानकारी होनी जरूरी है जो आप  दूसरों  के सामने कुछ की एलिमेंट के साथ प्रेजेंट कर सके.

सबसे पहले तो आपको अपनी ऑडियंस पर फोकस करना होगा, आपको ये पता होना चाहिए कि लोग आप की बात क्यों सुन रहे है और उन्हें क्या जानकारी चाहिए. याद रखो, आपका   मैसेज खुद के लिए  नहीं  है बल्कि उन  लोगों  के लिए है जिनके सामने आप स्पीच दे रहे हो. इसलिए बजाए ये बताने के कि वो टॉपिक या प्रोजेक्ट आपके लिए कितना इम्पोर्टेंट है, आप ऑडियंस की ज़रूरतों को पहले अहमियत दे.

दूसरी बात, आपका फोकल पॉइंट लाउड और क्लियर होना चाहिए ताकि आपकी ऑडियंस को तुंरत समझ आ जाए कि किस टॉपिक पर बात हो रही है. तीसरी बात, अपना मकसद यानी पर्पज साफ शब्दों में ऑडियंस के सामने रखो. कोई भी स्पीच या प्रेजेंटेशन देते वक्त हमारा पर्पज  हमें शा यही रहता है कि हम ऑडियंस को राईट एक्शन लेने के लिए कन्विंस  करें .
अपने   मैसेज को एक सही स्ट्रक्चर देने के दो तरीके है. पहला वाला है informative format . इस फॉर्मेट की शुरुवात होती है, अपने ऑडियंस को ये बताने से कि उनके सामने किस टॉपिक पर बात होने जा रही है, फिर स्पीकर ऑडियंस को पूरा कंटेंट पॉइंट बाई पॉइंट समझाता है और फिर लास्ट में उन्हें पूरे टॉपिक की समरी देता है. साथ ही इसका एक फायदा और है कि आप अपने  रिसर्च  और आईडिया के फ्यूचर एप्लीकेशन  के बारे में भी बता सकते हो.

दूसरा तरीका है  persuasive format . कभी-कभी हम इसलिए बोलते है क्योंकि हम अपनी ऑडियंस को कोई एक्शन लेने के लिए पेर्सुएड करते है यानी उन्हें मोटिवेट करते है. यहाँ हम उन्हें कोई इन्फोर्मेशन  नहीं  सिखाते बल्कि उनसे रिस्पोंस लेने की कोशिश करते है और ऐसा करने के लिए किसी हुक या रिकमंडेशन  से स्टार्ट करके फ़ायदों की चर्चा करते है फिर अपनी ऑडियंस को कन्विंस करने की कोशिश करते है कि उन्हें आपके आईडिया या कांसेप्ट की  ज़रुरत क्यों है.

चलिए इसका एक एक्जाम्पल लेते है. आप किसी कंपनी में जॉब करते हो और आपको अपने बॉस को एक प्रोजेक्ट के बारे में अपडेट करना है. तो आप अपने बॉस को बोलते हो कि “बॉस मुझे लगता है कि इस प्रोजेक्ट के बारे में  हमें  शाम से पहले डिस्कस कर लेना चाहिए”
तो आपका बॉस आपको अपने ऑफिस में आने के लिए कहते हैं.
तो आप क्या करोगे? सबसे पहले तो आप उस प्रोजेक्ट की एक general  इन्फोर्मेशन दोगे. पर इसका ये मतलब नहीं कि आप उस प्रोजेक्ट के बारे में शुरु से लेकर आखिर तक एक कहानी सुनाना शुरू कर दे क्योंकि आपके  बॉस के पास ना तो इतना टाइम है और ना ही उसे एक-एक डिटेल में कोई इंटरेस्ट है.

अपने प्रोजेक्ट के कुछ पोजिटिव पॉइंट से शुरुवात  करें . आप अपने बॉस को ये बोल सकते हो कि फलाना प्रोजेक्ट अच्छा चल रहा है और हर चीज प्लानिंग के हिसाब से जा रही है. इससे आपको बॉस को तसल्ली भी हो जाएगी और उन्हें ये भी रियेलाईज़ हो जाएगा कि अगर कोई चैलेंजेस आते भी है तो भी फ़िक्र की बात  नहीं  क्योंकि ओवरआल प्रोजेक्ट धीरे-धीरे प्रोग्रेस कर रहा है. तो बॉस पूरी तसल्ली से बैठकर पूरे ध्यान से आपकी प्रेजेंटेशन सुनेगा.
अब जबकि आपने  conversation  का कॉन्टेक्स्ट डिसाइड कर लिया कि आप सिर्फ की पॉइंट्स पर ही फोकस करेंगे. तो अब आप अपने बॉस से उस प्रोजेक्ट की कुछ और इन्फोर्मेशन भी शेयर कर सकते हो.

जैसे आप उन्हें बता सकते हो कि आपके पास प्रोजेक्ट के बारे में बताने के लिए कुछ अच्छी खबर है और कुछ बुरी खबर भी. आप जो भी इन्फोमेशन दोगे उसके आधार पर ही आपका बॉस आगे का एक्शन decide करेगा.

अगर सब कुछ ठीक चल रहा तो बॉस आपसे फारिग होकर अपने बाकि कामो में लग जायेगा. लेकिन अगर प्रोजेक्ट से जुड़ा कोई इश्यू है तो आपका बॉस आपकी पूरी बात ध्यान से सुनेगा और फिर डिसाइड  करें गा कि उसे क्या करना है. आप जो भी उसे बताएँगे, उससे आपको बॉस को हेल्प मिलेगी कि प्रोजेक्ट को उसके गाइडडेंस की  ज़रुरत है या  नहीं .

तो देखा आपने, जब आपको पता चल जाता है कि कैसे अपनी बात रखनी है तो आप  दूसरों  की भी मदद करते है ताकि वो आपके   मैसेज पर राईट एक्शन ले सके. इसलिए बात की शुरुवात  हमेंशा क्लियर   मैसेज के साथ  करें  और इम्पोर्टेंट या की पॉइंट्स पर ज्यादा फोकस  करें  और फिर अपने   मैसेज का पर्पज बताए. ये याद रखे कि अपना   मैसेज डिलीवर करने के लिए आप informative या persuasive में से किसी भी एक स्ट्रक्चर को चुन सकते है.

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Stand Up and Stand Out Making the Most of Your Body Language

इस चैप्टर में हम आपको उन तीन एलिमेंट्स के बारे में बताएँगे जिससे आप पब्लिक के सामने एक स्ट्रोंग और convincing  स्पीच दे सकते है क्योंकि हर स्पीकर का यही मकसद होता है कि उसकी ऑडियंस उसकी बात ध्यान से सुने, उससे बोर ना हो, इसलिए आपके लिए ये तीनो एलिमेंट्स सीखना बेहद जरूरी है.

आमतौर पर जब आप किसी से वन टू वन बात करते हो तो उस वक्त आप अपनी बात आसानी से कह लेते हो, आप बिना परेशानी के कांफिडेंस के साथ किसी भी टॉपिक पर बात कर लेते हो. लेकिन पब्लिक स्पीकिंग के वक्त अक्सर हम अपना कांफिडेंस खो बैठते है, कई बार तो जो बोलना होता है उसे भी भूल जाते है. दरअसल पब्लिक स्पीकिंग हर किसी के बस की बात नहीं है.

जब कई जोड़ी आँखे एक साथ हमारी तरफ उठती है तो हमारा कांफिडेंस डगमगाने लगता है, हम conscious हो जाते है. हम चाहते है कि सबको हमारी बात अच्छी लगे, सब  हमें  ध्यान से सुने, कहीं लोग हमारी बातो से बोर ना हो जाये. ये सब सोचकर हम नर्वस होने लगते है. हालाँकि देखा जाए तो पब्लिक के सामने अपनी बात कहना या किसी एक इंसान के सामने बोलने में ज्यादा फर्क  नहीं  है.

स्टेज फ्राईट या स्टेज फोबिया को अवॉयड करने का पहला स्टेप है आई कांटेक्ट यानी सामने वाले की आँखों में आँखे देख कर बात करना. आप मन ही मन भीड़ में किसी भी एक  इंसान को चुन लीजिये और महूसस कीजिए कि जैसे आप अपनी बात उससे कह रहे है. फिर अगली बात कहने के लिए उस इंसान के बगल में बैठे इंसान  को चुनिए. इससे आपको ऐसा लगेगा जैसे आप एक टाइम में एक ही इंसान से बात कर रहे है.

अब आता है सेकंड एलिमेंट जो है आपकी आवाज़. आपको बहुत जोर से या बहुत धीमे बात  नहीं  करनी है और ना ही एकदम तेज़ या एकदम धीरे-धीरे बोलना है. अपनी आवाज़ की स्पीड और टोन कभी कम तो कभी ज्यादा रखिए ताकि ऑडियंस का ध्यान आप पर बना रहे और वो आपकी स्पीच को पूरा इंटरेस्ट लेकर सुने.

एक शानदार स्पीच डिलीवर करने का थर्ड एलिमेंट है आपकी बॉडी लेंगुएज. कांफिडेंस के साथ खड़े होकर अपनी बात कहे. आपके हाव-भाव आपकी कही बातो से  मैं च होने चाहिए, जैसे अगर आप किसी पॉइंट पर जोर देना चाहते है तो उस वक्त आपके हाव-भाव में भी एक जोश दिखना चाहिए. आपकी स्पीच और आपके चेहरे के एक्सप्रेशंस का आपस में  मैं च होना जरूरी है वर्ना आपकी ऑडियंस कंफ्यूज़ हो जायेगी.

डेविड फार्च्यून 100 हेल्थ केयर कंपनी में सीनियर लीडर था. उसे अक्सर अपने काम के सिलसिले में पब्लिक के सामने प्रेजेंटेशन देनी पडती थी इसलिए वो अपनी प्रेजेंस और प्रेजेंटेशन इम्प्रूव करना चाहता था और इसके लिए उसे किसी गाइडेंस की  ज़रुरत थी.
हाल ही में डेविड को कंपनी में एक बड़ी पोजीशन मिली थी तो उसे एक बड़ी ऑडियंस के सामने स्पीच डिलीवर करनी थी.

वैसे तो डेविड काफी स्मार्ट था और  हमें शा अपनी प्रेजेंटेशन के लिए बेस्ट कंटेंट क्रिएट करने की कोशिश करता था. पर अब क्योंकि कंपनी में उसे एक बड़ी पोस्ट मिली थी तो एहसास  हुआ कि उसे अपनी प्रेजेंटेशन में कुछ और एलिमेंट्स भी एड करने की  ज़रुरत है.

डेविड की पर्सनेलिटी काफी अच्छी थी, और अपने दोस्तों के साथ वो किसी भी टॉपिक पर पूरे कांफिडेंस से बात कर सकता था. पर प्रोफशनल फील्ड में वो काफी रिजर्व्ड और सिरियस रहता था. ऑफिस में प्रेजेंटेशन देते वक्त वो काफी कांशस हो जाता था, उस वक्त उसकी बॉडी लेंगुएज में जरा भी कांफिडेंस  नहीं  दिखता था. वो अपने हाथो को आपस में कस लेता और आई-कांटेक्ट अवॉयड करता था. और अगर स्पीच के बीच कहीं अटक जाए तो छत को घूरने लगता था.

तो डेविड को लगा उसे प्रैक्टिस की ज़रूरत है. उसने आई-कांटेक्ट और बॉडी लेंगुएज़ पर काम करना शुरू किया. प्रेक्टिस करते वक्त उसने अपनी वीडियो रिकॉर्डिंग भी की ताकि उसे अपनी कमियां पता चल सके. जैसे-जैसे डेविड की प्रैक्टिस बढती गई उसकी परफोर्मेंस बेहतर होती चली गई और उसका कांफिडेंस भी बढ़ने लगा था.

इस तरह डेविड को पता चला कि पब्लिक स्पीकिंग उतना भी मुश्किल  नहीं  है जितना वो सोचता था. जैसे वो अपने फ्रेंड से बात करता है ऐसे ही वो पब्लिक के सामने भी बड़े आराम से क्लियर वे में अपनी बात रख सकता है.

डेविड के मन से जब पब्लिक स्पीकिंग का डर दूर हुआ तो उसकी पर्सनेलिटी में एक इम्प्रूवमेंट आया और साथ साथ ही उसकी बिजनेस परफोर्मेंस भी इम्प्रूव हुई.

अगर आप भी पब्लिक के सामने एक धाँसू प्रेंजेटेशन देना चाहते हो और अपने बिजनेस में ग्रोथ लाना चाहते हो तो आपको भी इन तीन इम्पोर्टेंट एलिमेंट्स की प्रैक्टिस करनी होगी जो आपने इस चैप्टर में सीखे: आई-कांटेक्ट, वौइस् और बॉडी लेंगुएज.

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