(Hindi) Sapiens : A Brief History of Humankind
इंट्रोडक्शन (Introduction)
फैक्ट 1: करीब 2 मिलियन साल पहले धरती पर इंसान की कम से कम 6 प्रजातियाँ थी. इन्हें ह्यूमन स्पीशीज भी बोलते है. फैक्ट 2: होमो सेपियन्स ने बाकी जातियों का खात्मा कर दिया था. फैक्ट3: सेपियन्स के पास एक ऐसी ताकत थी जिससे वो इस दुनिया में राज कर सके. फैक्ट4: इंसानों से पहले धरती पर कई तरह के बड़े-बड़े जानवर रहते थे. और अब उनमे से एक भी नहीं बचा. इस बुक समरी में ऐसे ही कई और अमेजिंग फैक्ट्स है जो आप पढेंगे और सुनेगें. ये बुक इस धरती पर हम इंसानों की हिस्ट्री के बारे में है जिसे ऑथर ने काफी डीप स्टडी करने के बाद लिखा है. और इस बुक में आपको कई ऐसी बाते भी सीखने को मिलेंगी जो शायद आपने स्कूल में भी नहीं पढ़ी होंगी. इससे आपको पता चलेगा कि हम इन्सान जो इस दुनिया में राज करते है, हमारे कंधो पर एक बड़ी रिस्पोंसेबिलिटी है.
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एन एनिमल ऑफ़ नो सिग्निफिकेंस (An Animal of No Significance)
इमेजिन करके देखो कि आप आज से दो मिलियन साल पहले के ईस्ट अफ्रीका के जंगलो में हो. आपके सामने एक जानी-पहचानी तस्वीर आती है. माएं अपने बच्चो की देख-भाल कर रही है. छोटे बच्चे इधर-उधर भाग रहे है. मर्द अपने मसल्स दिखा रहे है. बूढ़े लोग एक तरफ बैठकर सब कुछ देख रहे है. इंसान एक सोशल एनिमल है. वो ग्रुप में रहना पसंद करता है, सब लोग साथ उठते-बैठते है, साथ खेलते है. हमारे अंदर दोस्ती और प्यार जैसी फीलिंग्स भी होती है और आपस में कॉम्पटीशन भी खूब होता है. मगर सिर्फ इन्सान नहीं बल्कि हाथी, बंदर, चिम्पांज़ी जैसे जानवर भी इसी तरह रहते है. तो हम इंसानों में ऐसा स्पेशल क्या है? हम भी तो जंगल के बाकी जानवरों जैसे ही तो है. बाकी जानवरों के मुकाबले हम साइज़ में छोटे है और अर्ली ह्यूम्न्स यानी आदिमानव की आबादी पहले काफी कम थी.
बायोलोजिस्ट ने ओर्गेनिज्म को स्पीशीज के बेस पर ग्रुप में बाँट रखा है. जो जानवर आपस में सेक्स करके फर्टाइल बच्चे पैदा करते है, वो एक ही जाति के माने जाते है. जैसे कि एक गधे और घोड़े का एक्जाम्पल लेते है. सब जानते है कि गधे और घोड़े अलग-अलग जानवर है. पर अगर दोनों की क्रोस ब्रीडिंग कराई जाए तो म्यूल (mule) पैदा होगा यानी आधा गधा और आधा घोडा. मगर वो म्यूल इनफर्टाइल होगा यानी कि वो बच्चे पैदा नहीं कर पायेगा. इसीलिए गधे और घोडे की क्रोसब्रीड कभी आगे नहीं बढ़ पाएगी. अब एक और एक्जाम्पल लेते है, बुल डॉग और स्पैनियल ब्रीड डॉग्स है. दोनों अलग ब्रीड है पर एक ही जाति के है. दोनों नैचुरली एक दुसरे से मेट करके बच्चे पैदा कर सकते है.
उनके जो पपीज़ होंगे वो भी बड़े होकर बच्चे पैदा करेंगे. जिन स्पीशीज के सेम एन्सेस्टर्स यानी एक ही पूर्वज होते है उनका “जीनस” यानी ग्रुप एक होता है. अब जैसे टाइगर्स, जैगुवार्स, लीपोर्ड्स और लायंस पैंथरा जीनस में आते है. बायोलिजिस्ट ओर्गेनिज्म्स को दो पार्ट में लैटिन नामो से बुलाते है जोकि एक जीनस है और उसके बाद आता है स्पीशीज. लायंस का एक स्पेशिफिक नाम है” पेंथरा लियो” यानी कि लायंस जीनस पैंथरा से आते है और उनकी स्पीशीज है लियो. इसी तरह होमो सेपियन्स “होमो” जीनस से आते है जिसका मतलब होता है मेन और स्पीशीज ”सेपियन्स” का मतलब है बुद्धिमान.
होमो निएंडरथेलेंसिस (The Homo neanderthalensis) और होमो एरेक्टुस (Homo erectus) डिफरेंट स्पीशीज है. हाँ लेकिन ये दोनों भी ह्यूमंस में आती है. लायंस, चीता और हॉउस कैट्स कैट फेमिली से बिलोंग करते है जिसका सीधा मतलब है कि इन सारे एनिमल्स के पूर्वज एक ही थे. इसी तरह जैकाल्स, फोक्सेस और वूल्व्स डॉग फेमिली में आते है. मैमथ, एलिफेंट्स और मस्टोडोंस (Mammoths, elephants and mastodons ) तीनो एलिफेंट फेमिली से आते है. आप माने ना माने लेकिन सच तो ये है कि हम इंसानों के जीनस गोरिल्लास, ओरेंगउटान्स, और चिम्पैंजी की तरह एप फेमिली से बिलोंग करते है. बल्कि कहना चाहिए कि चिंपांज़ी हमारे सबसे क्लोज कज़न है.
करीब 6 मिलियन पहले एक एप ने दो फीमेल्स को जन्म दिया था उनमे से एक चिंपांज़ीयों की ग्रैंडमदर बनी और दूसरी हमारी ग्रैंडमदर. है ना इंट्रेस्टिंग फैक्ट? जो फर्स्ट ह्यूमन था वो ऑस्ट्रालोपिथेकुस (Australopithecus) नाम के जीनस वाले एक एप से ही इवोल्व हुआ था. ये प्रजाति ईस्ट अफ्रीका में रहती थी. और फिर 2 मिलियन साल पहले इनमे से कुछ ह्यूमंस कहीं और चले गए. ये लोग नॉर्थ अफ्रीका की तरफ गए फिर वहां से यूरोप और एशिया चले गए.
इन्सानों के अंदर जो डिफरेंट एबिलिटीज आई है वो उनके डिफरेंट एनवायरमेंट में सर्वाइव करने की वजह से है. यानी जो आदिमानव यूरोप और वेस्टर्न एशिया गया उसने वहां के सर्द मौसम के हिसाब रहना सीख लिया था. बाद में ये होमो नेंडरथेलेनसिसबने जिसे नेंडरथल्स भी बोलते है. जो आदिमानव ईस्ट एशिया आए उन्हें होमो एरेक्टुस या “अपराईट मेन” के नाम से जाने गए. जो ह्यूमन इंडोनेशिया के जावा आईलैंड में बसे वो “होमो सोलोनसिस”(“Homo soloensis”) के नाम से जाने जाते है. ये लोग ट्रोपिकल क्लाइमेट के हिसाब से एडजस्ट हो गए थे.
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इंडोनेशिया के फ्लोरेस आईलैंड में एक और ह्यूमन स्पीशीज की डेवलपमेंट हुई जिन्हें होमो फ्लोरेसइएंसिस बोलते है. कहा जाता है कि होमो फ्लोरेसिएंश (Homo floresiensis)इस आईलैंड में तब आए जब समुंद्र का पानी लो लेवल पर था. फिर कुछ टाइम जब पानी इनक्रीज हुआ तो ये लोग आईलैंड के अंदर ट्रेप हो गए और बाहर नही निकल पाए. इस आईलैंड में ज्यादा रिसोर्सेस नहीं थे. जिन आदिमानवो का बड़ा शरीर था उन्हें भरपेट खाना नहीं मिल पाया तो इनमे से ज्यादातर मर गए और जो छोटे शरीर वाले थे उन्होंने किसी तरह सर्वाइव कर लिया. फिर कई सेंचुरी बाद होमो फ्लोरेसिएंसिस की जेनरेशन में बौने पैदा होने लगे. जिनकी हाईट सिर्फ एक मीटर के करीब थी और वेट 25 किलो के बराबर था. वैसे तो ये देखने में छोटे थे मगर इनकी प्रजाति खूब फली-फूली. इन्होने शिकार करने के लिए पत्थरों से टूल्स बनाए.
ये लोग हाथियों का शिकार भी करते थे जो उनकी तरह ही बौने साइज़ के थे. जहाँ एक तरफ बाकि ह्यूमन रेस अफ्रीका से बाहर चली गयी थी वही ईस्ट अफ्रीका के आदिमानवों का भी लगातार विकास होता रहा. इन्हें होमो रुडोल्फफेंसिस ( Homo rudolfensis) या “मेन फ्रॉम लेक रुडोल्फ” और होमो इरगेस्टर (“Man from Lake Rudolf” and the Homo ergaster ) या वर्किंग मेन भी कहा जाता है. फिर धीरे-धीरे में हमारी अपनी स्पीशीज भी इवोल्व हुई जिसे हम होमो सेपियन्स यानि वाइज़ मेन के नाम से जानते है. ये सारी आदिमानव प्रजातियाँ धरती में एक ही टाइम पर रहती थी यानि कि आज से करीब 2 मिलियन से 10,000 साल पहले. इंसानों की ये प्रजातियां है निएंडरथल्स, होमो सोलोएँसिस, होमो फ्लोरेसिएंसिस, होमो एरेक्टुस, होमो एर्गेस्टर और होमो सेपियन्स.
जब पिग्स, बीयर्स, फोक्सेस और बाकि जानवरों की इतनी प्रजातियाँ होती है तो इंसानों की क्यों नहीं हो सकती ? लेकिन सिर्फ होमो सेपियन्स ही इतने लम्बे टाइम तक क्यों टिके रहे इसकी भी एक इंट्रेस्टिंग स्टोरी है. करीब 150, 000 साल पहले ईस्ट अफ्रीका में रहने वाले होमो सेपियन्स को बाकि दुनिया से कोई मतलब नहीं था. ये लोग हंटर गेदरर थे. फिर आग की खोज़ हुई. ये लोग खाना पकाने और जंगली जानवरों को डराने के लिए आग का इस्तेमाल करने लगे. साइंटिस्ट मानते है कि इस युग का होमो सेपियन्स हमारे जैसा ही लगता था.
अब इन्होने खाना पकाना सीख लिया था तो पका हुआ खाना खाने की वजह से जबड़ो को कम मेहनत करनी पड़ती थी. इसलिए होमो सेपियन्स के अपने पूर्वजो के मुकाबले छोटे जबड़े और टीथ थे. और इनके ब्रेन का साइज़ भी हमारे जितना ही था. थ्योरीटकली बोले तो अगर आज कोई होमो सेपियन्स किसी मुर्दाघर में पड़ा होता तो शायद पैथोलोजिस्ट को उसमे कोई अजीब बात नजर नहीं आती. 70,000 साल पहले होमो सेपियन्स ईस्ट अफ्रीका से बाहर निकला. उसने अरेबियन पेनिसुला को क्रोस किया और वहां से योरोप और एशिया चला गया. उन्होंने देखा कि यहाँ तो निएंडरथल्स और दूसरो ह्यूमन स्पीशीज पहले से ही बसी थी. अब आगे क्या हुआ होगा, इस बारे में साइंटिस्ट के पास दो थ्योरीज है.
पहली थ्योरी है इंटरब्रीडिंग थ्योरी. यानि कि होमो सेपियन्स ने यूरेशिया में निएंडरथल्स के साथ मेटिंग करके अपनी जेनरेशन को आगे बढाया होगा. जो लोग ईस्ट एशिया पहुंचे थे उन्होंने होमो एरेक्टुस के साथ कपलिंग की होगी. इसलिए इन जगहों में इन स्पीशीज के मिक्सचर लोग मिलते है. हालाँकि रीप्लेसमेंट थ्योरी इसे स्ट्रोंगली डिसमिस करती है. क्योंकि होमो सेपिएन्स डिफरेंट जाति के लोग थे तो उनका निएंडरथल्स के साथ ज़रूर टकराव हुआ होगा. और दोनों ने एक दुसरे को खत्म करने की कोशिश भी की होगी.
लेकिन अगर वो मिल भी जाते तो उनके बच्चे इनफर्टाइल होते यानी आगे की जेनरेशन पैदा नही होती. तो ये मुमकिन नहीं है कि इन दोनों जातियों ने मिलकर बच्चे पैदा किये होंगे. ऐसा माना जाता है कि होमो सेपियन्स ने निएंडरथल्स को खत्म होने की कगार पर पहुंचा दिया था. बेशक सेपियन्स ज्यादा स्मार्ट थे, ये लोग कुकिंग जानते थे, और इनके ब्रेन भी ज्यादा डेवलप थे. बाकि जातियों के मुकाबले होमो सेपियन्स स्किल्ड हन्टर्स और गेदरर्स थे. इन्होने ज्यादा से ज्यादा नैचुरल रीसोर्सेस यूज़ किये. इनकी पोपुलेशन बढती गयी. इसी बीच निएंडरथल्स ना तो डियर जैसे जानवरों का शिकार कर पाते थे और ना ही ज्यादा फ्रूट्स इकठ्टे कर पाते थे. उनके पास खाने-पीने की भारी कमी होने लगी. एक-एक कर उनके झुण्ड के मेंबर मरने लगे थे.
एक थ्योरी ये भी है कि आपसी लड़ाई-झगड़े में इन लोगो की जाने गई. सेपियन्स जो यूरेशिया आए थे उन्होंने निएंडरथल्स की पोपुलेशन का पूरी तरह खात्मा कर दिया था. अगर ये थ्योरी सच है तो ये ह्यूमन हिस्ट्री की फर्स्ट जेनोसाइड या एथनिक क्लींजिंग मानी जाएगी. ज्यादातर साइंटिस्ट रीप्लेसमेंट थ्य्रोरी के फेवर में थे मगर 2010 में एज जेनेटिक डिस्कवरी ने इस थ्योरी की धज्जियां उड़ा के रख दी. जेनेटिक्सिट (Geneticists) ने जमीन के अंदर से मिली निएंडरथल्स के फोस्सिल्स का डीएनए निकाला.
उन्होंने इसे मॉडर्न ह्यूमन के डीएनए से कम्पेयर किया तो पाया कि मॉडर्न योरोपियंस और अरब्स के डीएनए में 4% निएंडरथल्स का डीएनए है. बायोलोजी की स्टडी में कोई भी चीज़ स्ट्रिक्टली ब्लैक या व्हाइट नहीं होती. बीच में कुछ ग्रे एरियाज़ भी होते है, यानी हर चीज़ के कई पहलू हो सकते है. इसी तरह इंटरब्रीडिंग और रीप्लेसमेंट की दोनों थ्योरीज़ भी सही हो सकती है. ये मुमकिन है कि सेपियन्स ने ही निएंडरथल्स प्रजाति को खत्म किया हो मगर हो सकता है कि इनमे से कुछ ने मिलकर फर्टाइल बच्चे पैदा किये होंगे. जो डीएनए मिले है वो शायद इसीलिए मिक्स्ड है.