(hindi) Nonviolent Communication: A Language of Life

(hindi) Nonviolent Communication: A Language of Life

इंट्रोडक्शन

आप लोगों को चोट पहुँचाए बिना उनसे कैसे बात कर सकते हैं? क्या इस बेरहम दुनिया में लोगों के लिए एक दूसरे की ओर दयालु होना पॉसिबल है?

आप अपनी फीलिंग्स और ज़रूरतों को दूसरों को कैसे बताते हैं? आप खुद से प्यार और अपना ख्याल कैसे रखते हैं?

ध्यान दें कि ये सवाल कैसे दूसरों के साथ आपको इंवॉल्व करते हैं। इस दुनिया में, क्रिटिसिज़म और मार धाड़ आम हो गई है। अभी भी हमारे लिए एक दूसरे की ओर दयालु और काइंड होना पॉसिबल है।

यह बुक आपको नॉनवायलेंट कम्युनिकेशन (NVC) और इसे अपने जीवन के अलग अलग पहलू पर कैसे अप्लाई करना है ये सिखाएगी, ताकि आप दूसरों पर दया कर सकें।

इस बुक के ज़रीये, आप दूसरों को बिना सख्ती से जज किए देखना शुरू कर देंगे और जैसे वो हैं वैसे ही उन्हें एक्सेप्ट कर लेंगे। आप उन्हें सुनना शुरू करेंगे और उनकी असली फीलिंग्स और ज़रूरतों को समझेंगे। आप दूसरों में अच्छाइयाँ देखने लगेंगे और उनकी तारीफ़ करेंगे। NVC की प्रैक्टिस करना आपकी ज़िन्दगी बदल देगा। दया से हम दुनिया को बदल सकते हैं।

गिविंग फ्रॉम द हार्ट

आजकल यह दुनिया रहने के लिए एक अच्छी जगह नहीं रह गई है। लोगों का व्यवहार खराब होता जा रहा है, लोग एक दूसरे को जज करते हैं, और एक दूसरे की सोच और फीलिंग्स को नज़रंदाज़ करते हैं। क्या आपको लगता है कि इस निर्दयी दुनिया को बदलने का कोई रास्ता है? फॉर्चूनेटली, दूसरों की ओर दयालु बनने की शुरुआत करने का एक रास्ता है। इस रास्ते को नॉन वायलेंट कम्युनिकेशन(NVC) कहा जाता है।

NVC कम्युनिकेशन का एक तरीका है जो हमें उस समय में भी इंसान बने रहने के लायक बनाता है, जब हम चैलेंजिंग सिचुएशन का सामना कर रहें हों। यह लोगों को दूसरों के नज़रिए को सुनने और खुद को साफ़-साफ़ और इमानदारी से एक्सप्रेस करने में मदद करता है।

दुनिया भर में कई लोग अपने करीबी रिश्तों को गहरा करने के लिए, काम पर इफेक्टिव रिश्ते बनाने के लिए या पॉलिटिकल फील्ड में नेगोशिएट करने के लिए NVC को यूज़ कर चुके है। NVC के सफल होने के लिए, इसके 4 कॉम्पोनेंट्स, ऑब्जरवेशन, फिलिंग्स, नीड्स और रिक्वेस्ट्स, की ज़रूरत है।

पेरेंट्स अपने बच्चों को उनकी गलतियों के लिए, घर पर, स्कूल में या और किसी जगह, डांट सकते हैं। बच्चे भी उनकी गलती बताए जाने पर, पलट कर कुछ बोल सकते हैं। अक्सर, पेरेंट्स और बच्चे बहस करते हुए कहे गए शब्दों का इंपैक्ट नोटिस नहीं करते हैं।

जैसे कि एक माँ ने 2 गंदे मोज़े कॉफी टेबल के नीचे और 3 गंदे मोज़े TV के बगल में देखे। उन्होंने इस बारे मे अपने बेटे फेलिक्स से, NVC के चारों कॉम्पोनेंट्स, ऑब्जरवेशन, फिलिंग, नीड्स और रिक्वेस्ट, को यूज़ कर के बात की।

माँ ने फेलिक्स को मोज़े कहाँ है ये बता कर अपने ऑब्जरवेशन को पॉइंट आउट किया। उन्होंने बताया कि वह गुस्से में है और समझाया कि उन्हें रूम में, जिसे सब शेयर करते हैं, साफ़ सुथरा चाहिए। आखिर में, माँ ने अपनी बात, फेलिक्स को यह रिक्वेस्ट कर के खत्म की कि, उसे अपने मोज़े अपने रूम में या वाशिंग मशीन में रखने चाहिए।

अपने बेटे पर चिल्लाने के बजाय, माँ ने हमें दिखाया कि NVC किसी के विचारों को एक्सप्रेस करने और आपसी समझौते को अचीव करने में कितना इफेक्टिव हो सकता है।

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कम्युनिकेशन डैट ब्लॉक्स कंपैशन

लोग नैचुरली लेन देन करने के लिए बने हैं। शुरू से ही दया हमारे अंदर रही है। हालांकि, कम्युनिकेशन के कुछ तरीकों ने लोगों को उनके अंदर नेचुरल दया और सहानुभूति से दूर कर दिया है।

आपको कैसे पता चलेगा कि कोई काम सही है या गलत। लोग जिन चीजों को सबसे ज्यादा वेल्यू देते हैं, वो उसके आधार पर दूसरों को जज करते हैं। जैसे कि, आप समय को बहुत ज़्यादा वेल्यू देते हैं, और आप अपने ऑफिस के साथी को ज्यादातर समय ऑफिस में देर से आते देखते हैं। आप अपने साथी की समय की ओर लापरवाही को नापसंद करना शुरू करते हैं और उसे आलसी और सुस्त इंसान के रूप में देखने लगते हैं।

तुलना करना भी एक तरह से जजमेंट होता है। आप अपनी ख़ामियों के बारे में जानकर दुखी महसूस करते हैं। जैसे, हम कैसे अक्सर खुद को सेलिब्रिटीस या उन लोगों से compare करते हैं जिनके पास ऐसे फिजिकल फीचर्स होते हैं जिसे हम पाना चाहते हैं। ऐसा करने से हमारे अन्दर जलन और बुरी भावनाएं आती हैं जो हमें दूसरों को चोट पहुंचाने के लिए उकसा सकती हैं।

जब हम अपनी इच्छाओं को डिमांड की तरह कम्युनिकेट करते हैं तब हम कम दयालु बन जाते हैं। यह उन लोगों पर लागू होता है जिनके पास दूसरों के ऊपर कुछ हद तक अथॉरिटी होती है। ज्यादातर लोग ये नहीं समझ पाते कि हम कभी भी दूसरों से कुछ नहीं करा सकते हैं।

आपके ज़िन्दगी में एक समय ऐसा ज़रूर होगा जब आपने कुछ ऐसा किया जो आप नहीं चाहते थे, लेकिन आपको करना पड़ा। एक टीचर ने इसी एक्सपीरियंस को शेयर किया, जब उन्हें अपनी जॉब के हिस्से के रूप में ग्रेड्स देने की शिकायत की। उनकी राय में, ग्रेड देना सिर्फ समय और एफर्ट को वेस्ट करना है, क्योंकि इससे स्टूडेंट्स मे चिंता पैदा करते हैं। उनकी राय के बावजूद, टीचर ने कहा कि उन्हें ग्रेड देना ही पड़ा क्योंकि यह डिस्ट्रिक्ट पॉलिसी है।

डिस्ट्रिक्ट पॉलिसी को दोष देने के बदले टीचर ने यह महसूस किया कि उन्होंने ग्रेड देना चुना क्योंकि उन्हें अपनी जॉब पसंद है। यह कहने के बजाय कि उन्होंने सिर्फ इसलिए ग्रेड्स दिए क्योंकि उन्हें ग्रेड्स देने थे, वो अपनी पर्सनल रिस्पॉन्सिबिलिटी का भार फील करने लगीं।

रिस्पॉन्सिबिलिटी से मुकरना एक तरह से कम्युनिकेशन को दूर करने जैसा है। यह लोगों को उनके द्वारा की गई चीजों की पर्सनल रिस्पॉन्सिबिलिटी की भावना को खोकर, हर चीज के लिए बहाने ढूंढने का कारण बनता है। आपको एक पर्सनल कारण ढूंढना चाहिए कि आपने जो किया वो क्यों किया और उसकी ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए।

ऑब्जर्विंग विदाउट एजुकेटिंग

क्या कभी ऐसा हुआ है कि आपने दूसरों के एक्शन पर कमेंट किया हो? जिंदगी में कभी ना कभी  आपने किसी को अजीब, बेवकूफ या गुस्सा दिलाने वाला कहकर डिस्क्राइब किया होगा। बहुत से लोग अपने ऑब्जर्वेशन के साथ अपनी जजमेंट को मिलाने की गलती करते हैं। जैसे हम किसी को ऐसे शब्दों का लेबल दे देते हैं, ये बताता है कि कैसे हमने दूसरों के लिए अपनी दया को खो दिया है।

NVC को ठीक से प्रैक्टिस करने के लिए और अपने दया को वापस पाने के लिए, हम दूसरों से जो सुनते और देखते हैं, उसे बिना जज किए, साफ़ साफ़ समझना पड़ेगा। उस ऑब्जरवेशन को याद करना NVC का पहला कॉम्पोनेंट है। अगर आप अपने ऑब्जरवेशन के साथ जजमेंट को मिला देते हैं, तो ये हो सकता है कि वह इंसान आपके असली मैसेज को याद ना रख कर, सिर्फ आपके क्रिटिसिज्म को याद रखे।

लेकिन, इसका यह मतलब नहीं कि हमारे पास जज करने का हक नहीं है। NVC भेदभाव को रोकने की कोशिश कर रहा है। इसलिए, इवैल्यूएशन सिर्फ तभी किया जाना चाहिए जब यह किसी ख़ास समय या कॉन्टेक्स्ट में स्पेसिफिक ऑब्जरवेशन पर बेस्ड हो।

एक एलिमेंट्री स्कूल में टीचर्स और प्रिंसिपल के बीच में ग़लतफ़हमी का केस हो गया। जब टीचर्स से पूछा गया कि वह प्रिंसिपल के बारे में क्या सोचते हैं, तो उनमें से कुछ ने कहा, “प्रिंसिपल की ज़बान बहुत लंबी है!” “प्रिंसिपल बहुत ज्यादा बोलते हैं!” “वो हर समय सेंट्रर ऑफ अटेंशन बने रहना चाहते हैं!”

आपको क्या लगता है कि ये बातें ऑब्जरवेशन हैं या इवैल्यूएशन?

टीचर्स ने ये बताया कि प्रिंसिपल हमेशा अपने बचपन की या अपने जंग के समय के एक्सपीरियंस की स्टोरी शेयर करते रहते हैं जिससे उनकी स्टाफ मीटिंग 20 मिनट ज्यादा लम्बी हो जाती है। टीचर्स ने प्रिंसिपल के सामने कभी भी इस व्यवहार के बारे में नहीं बताया। उन्होंने फ़ैसला किया कि अगली मीटिंग में वो ज़रूर इस बात को बोलेंगे।

जब समय आया, प्रिंसिपल फिर से अपनी एक और स्टोरी शेयर करने में लगे। टीचर्स ने फिर से कुछ नहीं कहा। इसके बदले, उन्होंने ऐसा बिहेव किया जिससे बिना कुछ कहे ही यह दिख गया कि वो प्रिंसिपल की बुराई करते हैं, जैसे आँखें घूमाना और अपनी घड़ी चेक करना। जब टीचर्स को कुछ कहने के लिए कहा गया, तो उनमें से एक ने प्रिंसिपल से कहा कि वो बातूनी हैं और अपनी पर्सनल बातें सबको बताते हैं।

इससे, आप सीखेंगे कि अपने ऑब्जरवेशन से अपनी जजमेंट को अलग करना कितना मुश्किल है। किसी को जज करने में, आपको उन बातों को बताना चाहिए जहाँ उस इंसान ने ऐसा व्यवहार दिखाया था। इस तरह, वह इंसान ज्यादा अच्छे से समझ पाएगा। ये उस इंसान को न बताने और उसकी पीठ के पीछे उससे नफरत करने से बेहतर होता है।

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