(Hindi) My life in advertising
परिचय
क्या आपको इफेक्टिव एडवरटाईजिंग के सीक्रेट्स जानने है? क्या आप जानना चाहते कि क्लोड होपकिंस ने अपने 35 साल के एडवरटाईजिंग करियर में कैसे प्रोस्पर किया? ऑथर इन सालो में एक फेमस और रिच एड राइटर बना. लेकिन उनके साथ स्टार्टिंग से ऐसा नहीं था. क्लोड ने खुद अपनी सक्सेस स्टोरी लिखी जो अभी आपने हाथो में पकड़ी है. उन्होंने नाइन की एज से काम करना स्टार्ट कर दिया था. और तब से उन्होंने सेलिंग और एडवरटाईजिंग के कई लेसंस लर्न किये.
और यही सब वो अपनी इस बुक के थ्रू आपसे शेयर करना चाहते है. इसमें आपको ऐसी टेक्नीक्स और स्ट्रेटीज मिलेंगी जो अप्लाई करके आपका एक मोस्ट इफेक्टिव एड केम्पेन बना सकते है. पामोलिव, क्वेकर ओट्स, और पेप्सोडेंट अपनी इंडस्ट्रीज के बड़े ब्रांड बने है. इन ब्रांड को फेमस बनाने के पीछे क्लोड होपकिंस का काफी हार्ड वर्क है तो उन्होंने कैसे इन थ्री प्रोडक्ट्स को मार्किट में इतना बड़ा ब्रांड बना दिया? ये सब और बहुत कुछ आप इस बुक में सीखेंगे.
TO READ OR LISTEN COMPLETE BOOK CLICK HERE
अर्ली इन्फ्लुयेंश
मैंने अपने पेरेंट्स से दो इम्पोर्टेन्ट चीज़े सीखी थी जिसने एडवरटाईजिंग करियर में मेरी काफी हेल्प की. अपनी माँ से मैंने अपने काम से प्यार करना सीखा और अपने पिता से कॉमन लोगो को. जब मेरी एज 10 साल थी, मेरे पापा चल बसे थे और तब से मेरी माँ ही पूरी फेमिली को सपोर्ट करती आई थी. वो बड़ी हार्ड वर्किंग थी मुझे ऐसा कोई टाइम याद नहीं आता जब वो काम ना कर रही हो. मेरी मोम के पास कॉलेज की डिग्री थी. मोर्निंग में वो छोटे बच्चो को पढाती थी. पूरा घर क्लीन करने के बाद वो अपने स्कूल जाया करती थी. और जब लौटती थी तो फिर से घर के कामो में लग जाती थी.
रात में मेरी माँ किंडरगार्टनर के लिए बुक्स लिखा करती थी. फिर जब वेकेशन होते तो उन बुक्स को साईकल में रखकर हर स्कूल तक पहुंचाया करती थी. एक ही टाइम में मेरी माँ एक टीचर बनी, राइटर बनी, पब्लिशर बनी और एक स्लेसपर्सन भी बनी. मैंने भी उसके फूटस्टेप फोलो किये. मैंने भी 9 साल की एज से काम करना शुरू कर दिया था. अपने स्कूल जाने से पहले मुझे दो स्कूल हाउसेस ओपन करने पड़ते थे, मै फायर प्लेस में फायर जला कर रूम्स गर्म रखता और डेस्क की सफाई करता था. स्कूल के बाद मै फ्लोर्स साफ़ करता था और रात को करीब 65 घरो में जाकर डेटरोयेट इनविंग न्यूज़ डिलीवर किया करता था.
हर सेटरडे को मेरा काम था 2 स्कूल हाउसेस को क्लीन करना और मैं घरो में बिल्स भी डिलीवर करता था. संडे को मै अपनी कम्यूनिटी के चर्च में जेनिटर का काम करता था. जहाँ मै अर्ली मोर्निंग से लेकर रात के 10 बजे तक क्लीनिंग करता था. और जब स्कूल के वेकेशन होते थे तो मै एक फार्म बॉय बनता था. मुझे हार्ड वर्क की आदत सी हो गयी थी. और इसी क्वालिटी के साथ मै बिजनेस के फील्ड में में आया. हर घंटा मेरे लिए वर्किंग आवर था. मिडनाईट में घर आने पर ही मै रेस्ट करता था. लेकिन मै अक्सर रात 2 बजे तक काम करता रहता था. और संडे तो मेरा फेवरेट था क्योंकि इस दिन मै बिना किसी इंटरपश्न के सारा दिन काम कर सकता था.
मेरे फादर एक चर्च मिनिस्टर के बेटे थे. उनके कई पुरखे भी पहले चर्च मिनिस्टर रह चुके थे. लेकिन सब गरीबी में ही जिए. मै भी उसी गरीबी में पैदा हुआ और पला बड़ा था. पर मैने इसे अपने लिए एक ब्लेसिंग की तरह ही समझा क्योंकि मै कॉमन लोगो के साथ रहता था, उन्हें अच्छे से जानता था. मुझे उनकी डिजायर्स मालूम थी, उनका स्ट्रगल पता था और उनकी नीड्स मालूम थी. मुझे ये पता था कि उनके लिए क्या काम करेगा. और यही चीज़ एडवरटाईजिंग में मेरे लिए एडवांटेज बनी. कस्टमर्स में से 95% कॉमन पीपल होते है. इसलिए उनकी मेजोरिटी है.
जितने भी एड्स मैंने क्रियेट किये है, मुझे पता है कैसे इन कॉमन पीपल को अपील करना है क्योंकि मै भी उनमे से ही एक था. जैसे अगर रोल्स रॉयस वाले मुझे अपनी कार की एड्स के लिए हायर करते तो शायद में उतना सक्सेसफुल नहीं हो पाता. क्योंकि मै तो रिच लोगो को जानता ही नहीं हूँ, क्योंकि मुझे लक्जरी और शानो-शौकत कभी मिली ही नहीं. मै खुद को लेबर लोगो के ज्यादा करीब पाता हूँ. मुझे हाउसवाइव्स का स्ट्रगल पता है जिन्हें छोटे से बजट में पूरे मंथ का गुज़ारा करना पड़ता है. मुझे उन बोयज़ और गर्ल्स का स्ट्रगल अच्छे से पता है जिन्हें हार्ड वर्क किये बगैर नेक्स्ट मील नहीं मिलता है.
अगर आप मुझे कोई प्रोडक्ट देगे तो मुझे पता है कि कैसे उसे एक बिग रिजल्ट पाने के लिए एडवरटीज़ करना है. मै सिंपल वर्ड्स यूज़ करता हूँ. मेरे लिखे सेंटेंस शोर्ट होते है. स्कोलर्स और अमीर लोग शायद मुझ पर हँसे लेकिन कॉमन पीपल ज़रूर मेरी बात समझेंगे , ये मै जानता हूँ. मुझे मालूम है कि मेरे एड्स पढ़ते हुए वो मेरे और मेरे प्रोडक्ट के साथ एक कनेक्शन फील करते होंगे.
TO READ OR LISTEN COMPLETE BOOK CLICK HERE
लेसंस इन एडवरटाईजिंग एंड सेलिंग
मै, एक स्माल टाउन में रहने वाल यंग बॉय था जहाँ मैंने एडवरटाईजिंग और सेलिंग के फर्स्ट लेसंस सीखे. मैंने देखा कि फ्री सेम्प्ल्स प्रोवाइड करके आप अपनी एडवरटाईजिंग काफी इफेक्टिव बना सकते है. और मैंने ये चीज़ भी समझी कि वही एड केपेंस सेल करते है जो ट्रायल्स और एक्सपेरिमेंट्स करते है.
एक दिन मेरी मोम ने होममेड सिल्वर पोलिश प्रीपेयर की. मैंने उन्हें स्माल केक के साइज़ में शेप किया और हर एक केक को एक अच्छे से पेपर में पैक कर दिया. उसके बाद मैं अपनी साईकिल से उन्हें डोर टू डोर बेचने निकला.
अपना वो प्रोडक्ट जब मैंने किसी के डोर पे जाकर बेचने की कोशिश की तो देखा कि 10 में से सिर्फ 1 ही बिका. लेकिन उसी सिल्वर पोलिश को मुझे जब होम ओनर के किचेन में यूज़ करने का चांस मिला तो मेरे 10 के 10 डब्बे बिक गए थे. जब आप लोगो को फ्री सैंपल देते है तो आपका प्रोडक्ट 10 गुना ज्यादा बिकता है. लेकिन बाकी एडवरटाईजर्स को ये आईडिया कुछ हज़म नहीं होता.
वे अपने प्रोस्पेक्ट्स यानी फ्यूचर कस्टमर्स को कोई सैंपल या ट्रायल प्रोडक्ट नहीं देते. भले ही उन्हें बड़े बड़े एडवरटीज़ में पैसा खर्च करना पड़े तो करेंगे. कुछ बिजनेसेस को लगता है कि फ्री सैंपलस उन्हें कॉस्टली पड़ेगे और कुछ सोचते है कि लोग और ज्यादा फ्री ट्रायल्स डिमांड करेगे. लेकिन मैंने अपने सिल्वर पोलिश वाले एक्सपेरिमेंट से कुछ और ही सीखा.
इन फैक्ट मै तो बहुत से न्यूज़पेपर्स और मैगेजींस में कूपंस देकर ही एक वेल नोन एडवरटाईजर बना हूँ. सेम्पलिंग एक सिंपल मगर बड़ी इफेक्टिव स्ट्रेटेजी है. लोग फ्री में आपके प्रोडक्ट को ट्राई करना चाहते है. और अगर उन्हें आपका प्रोडक्ट सैंपल पसंद आया तो वो फिर आपके पास आकर इसे पैसे देकर खरीदना चाहेंगे. एक और लेसन मैंने बुक्स सेलिंग से सीखा. एलेन पिंकरटन एक सक्सेस फुल डिटेक्टिव है. वो मेरा हीरो और मेरा आइडल था. उसने अपनी बायोग्राफी लिखी है.
मैंने अपनी माँ को इसमें इन्वेस्ट करने के लिए बोला क्योंकि मुझे ये बुक बहुत पंसद आई थी और मुझे लगा कि औरो को भी ये पसंद आएगी. फिर बुक्स जब हमारे घर में डिलीवर हुई तो मैंने उन्हें फ्लोर पर फैला कर रख दिया. मै वो सारी बुक्स बेचना चाहता था. मेरी माँ ने मुझसे कहा” पहले लीडिंग मेन को लाओ फिर वो बाकीयों को ले आयेंगे.” इसलिए मै अर्ली मोर्निंग मेयर से मिलने गया. मिस्टर मेयर ने मुझे अपने घर में इनवाईट किया. वो हमेशा ऐसे हार्ड वर्किंग नौजवान लड़के या लड़की की हेल्प करने में आगे रहते थे.
मैं बड़ा एन्थूयास्टिक था पर जब मैंने उन्हें बुक प्रेजेंट की उन्होंने बड़े रफ वे में मना कर दिया. मेयर ने कहा” यू आर वेलकम इन माई होम बट नोट योर बुक….. इस एलेन पिंकरटोन को सपोर्ट करना मेरे आइडियल्स के लिए एक शर्मनाक बात होगी…” एक डिटेक्टिव की सोसाइटी में कोई रिस्पेक्ट नहीं होती है, क्योंकि पिंकरटोन जैसे लोग हमेशा क्रिमिनल्स के साथ काम करते है” उन्होंने कहा. उनकी ये बात मेरे लिए एक वेक अप कॉल थी. कोई प्रोडक्ट आपको पसंद है तो इसका मतलब ये नहीं कि वो दूसरो को भी अच्छा लगेगा.
मैंने कई सारे बोर्ड्स ऑफ़ डाईरेक्टर्स को यही कहा कि वे कुछ ट्रायल्स लौंच करे ताकि पहले उन्हें पब्लिक की फीलिंग्स तो पता चले. लेकिन उन्हें हमेशा यही लगता है कि ये दुनिया उनके हिसाब से चलती है. असली बात ये है कि जब तक आप रियल फ्यूचर कस्टमर्स से नहीं मिलते आपको उनकी पसंद-नापसंद कभी पता ही नहीं चलेगी. आपकी डिजायर्स और नीड्स कुछ लोगो को अपीलिंग लग सकती है, मेजोरिटी को नहीं. एडवरटाईजिंग 100% पब्लिक की ओपिनियन पर डिपेंड करता है. जो लोग आपका प्रोडक्ट खरीदते है, कॉमन पीपल होते है इसलिए आपको उनकी बात सुननी चाहिए.
TO READ OR LISTEN COMPLETE BOOK CLICK HERE
माई स्टार्ट इन बिजनेस
“सो लॉन्ग एज वी आर गोइंग अपवार्ड, नथिंग इज़ अ हार्डशिप”. पहले मैंने एक फार्म बॉय का काम किया फिर बाद में कई सारे ओड जॉब्स भी किये. मुझे अपनी $4.50 सेलेरी एक सक्सेस लगती थी. मै रोड साइड में घास के गठ्ठरो पे सो जाता था. मैं एक कम्पनी के लिए छोटे-मोटे काम करता था फिर मैंने एक अपार्टमेंट रेंट पे लिया जिसमे ना के बराबर जगह थी. वहां एक छोटा सा बेड लगाकर मै अकेला उसपर सोता था. लेकिन मेरे लिए तो ये एक बड़ी इम्प्रूवमेंट थी जिसके लिए मै ऊपर वाले का शुक्रगुज़ार था. हाई स्कूल के बाद ही मै अपनी माँ से अलग रहने लगा था.
मैंने हमेशा यही सोचा कि मै चर्च मिनिस्टर बनूँगा क्योंकि जब मै छोटा था तो मुझे बाइबल पढना अच्छा लगता था. लेकिन जल्दी ही मेरे सामने असलियत खुल गयी. क्योंकि मैंने देखा कि कैसे ये मिनिस्टर्स हमेशा हमें एविल डीड्स के बारे में सरमन करते रहते थे. वे हमें सिखाते थे कि डांसिंग, प्लेइंग कार्ड्स, और थियेटर जाना वगैरह सब डेविल का काम है जो हमें नहीं करने चाहिए. उनकी बातो से ऐसा लगता था कि जैसे लाइफ में एन्जॉयमेंट की हर चीज़ पाप है. इसलिए एक दिन मैंने अपन होम टाउन ही छोड़ दिया. उस दिन मेरे पॉकेट में बस $3 थे.
मुझे अपने एक अंकल का ख्याल आया जिनका स्प्रिंग लेक में एक फ्रूट फ़ार्म था. ये हार्वेस्टिंग का सीजन चल रहा था. मैंने डिसाइड किया कि मै उनके पास जाकर उनकी फ्रूट पीकिंग में हेल्प करूँगा. मैंने स्प्रिंग लेक जाने के लिए कुछ पैसे अर्न किये. अंकल ने मुझे एक दिन के काम के $ 1.25 दिए. मै रोजाना फार्म में 16 घंटे काम करता था. मेरी सेविंग $ 100 हो गयी थी. लेकिन मेरे कॉलेज की फीस भरने के लिए ये रकम काफी नहीं थी.
मेरी किस्मत अच्छी थी कि मेरे ग्रांडफादर ने मुझे इतना हार्ड वर्क करते देखा. वो मुझे पसंद करने लगे थे. उन्होंने मुझे $100 और दे दिए जिसकी मुझे ज़रूरत थी. मैंने 6 मंथ्स की बुककीपिंग कोर्स के लिए स्वेंसबर्ग के बिजनेस कॉलेज में एडमिशन ले लिया. वैसे ये कोई उतनी अच्छी भी पढ़ाई नहीं थी लेकिन इसने मुझे एक अपोरच्यूनिटी दी. एक दिन प्रोफेसर स्वेंसबर्ग एक लैटर लेकर हमारे पास आये.
ग्रेंड रेपिड्स फेल्ट बूट कम्पनी में बुककीपिंग की एक पोजीशन वेकेंट थी. और सेलरी थी $4.50 पर वीक. मैं क्लास के बाद सीधे प्रोफेसर स्वेंसबर्ग के पास गया. मुझे वो जॉब मिल गयी. वहां मुझे थोड़ी बहुत बुककीपिंग करनी होती थी लेकिन असल में मुझे ऑफिस के ओड जॉब्स करने होते थे जैसे फ्लोर और विंडो क्लीन करना वगैरह. फिर भी मैं पूरी मेहनत करता था क्योंकि मुझे एक छोटे से बजट में अपने रहने और खाने का इंतजाम करना पड़ता था. कुछ मील्स तो मैं स्किप कर देता था.
मेरे फेल्ट बूट कम्पनी में काम के दौरान, मिस्टर एम्. आर बिस्सेल से मेरी जान पहचान हुई जो बिस्सेल कारपेट स्वीपर कम्पनी के ओनर थे. मिस्टर बिस्सेल ने ही मेरे एडवरटाईजिंग करियर की शुरुवात के लिए रास्ता तैयार किया था. एक दिन मै मिस्टर बिस्सेल के साथ चल रहा था जब वो लंच के लिए जा रहे थे. मैंने उन्हें अपनी स्टोरी सुनाई. उन्हें अपने $4.50 वीकली बजट और स्किप मील्स के बारे में बताया.
और सबसे बड़ी बात जो मैंने उन्हें शेयर की वो थी पाई खाने का मेरा ड्रीम. मिस्टर बिसेल को भी पाई पसंद थी. उन्होंने मुझे अपने घर पे पाई खाने के लिए इनवाईट किया. उन्होंने मेरी सेलरी $6 पर वीक करने का भी अरेंज कर दिया था. अब मै डिनर में पाई अफोर्ड कर सकता था.