(Hindi) MEGALIVING! 30 Days to a Perfect Life
इंट्रोडक्शन
क्या आप एक परफेक्ट लाइफ जीना चाहते हैं? अगर हाँ, तो आप अपने परफेक्ट लाइफ को जीने से बस एक कदम दूर हैं और इस लाइफ को मेगालिविंग कहते हैं ! अपने सारे सपनों को पूरा करने और अपनी लाइफ को पूरी तरह से बदलने के लिए जिन चीज़ों की ज़रूरत हैं, वो हैं आपका माइंड, बॉडी, कैरेक्टर, और ये बुक.
कामयाब होने के लिए आपने जो भी रास्ता अपनाया है, ये बुक आपको उसे एन्जॉय करना सिखाएगी. आप अपने माइंड, बॉडी और कैरेक्टर को ऐसी ट्रेनिंग दे पाएंगे जिससे ये इस तरह काम करने लगेंगे जिनकी कोई सीमा नहीं होगी. फिर, आप पॉजिटिव सोचेंगे और असरदार ढंग से काम कर पाएंगे. अपने सपनों को पूरा करने के लिए आपका हौसला बढ़ेगा और आखिर में आप और भी बड़े गोल्स को हासिल करना सीखेंगे.
इस बुक में आप ऐसी आदतें सीखेंगे जो आपको मेगालिविंग तक पहुंचाएगी. एक परफेक्ट लाइफ जीने के लिए जो भी पावरफुल सीक्रेट हैं, आप उन सीक्रेट्स के बारे में जानेंगे. इन सीक्रेट्स को दुनिया के कई बड़े लीडर्स, एथलीट और अरबपतियों से लिया गया है.
क्या आप जानते हैं कि ज़्यादातर कामयाब लोगों की स्ट्रैटजी लगभग एक जैसी ही होती है, फिर चाहे वो किसी भी फील्ड या प्रोफेशन से क्यों न हों? आप इस बुक में, इन्हीं सीक्रेट स्ट्रैटेजिज़ के बारे में जानेंगे.
इस बुक में एक मेगालिविंग प्रोग्राम है जो आपको परफेक्ट लाइफ बनाने और उसे जीने में हेल्प करेगा. इन प्रिंसिपल्स को अपने लाइफ में शामिल करने और रेगुलरली प्रैक्टिस करने से आपको ढेर सारे फायदे मिलेंगे. तो, अपनी लाइफ को बदलने के लिए तैयार हो जाइए और अपने सपनों को जीना शुरू कर कीजिए, आज से ही!
TO READ OR LISTEN COMPLETE BOOK CLICK HERE
मेगालिविंग! माइंड, बॉडी और कैरेक्टर का मास्टर बनना
हममें से ज्यादातर लोग अपने दिमाग का सिर्फ 25% ही यूज़ करते हैं. हमें जिन चीजों से प्यार हैं और जिनको करना चाहते हैं, उन्हें टालते रहते हैं क्योकिं हम पैसा कमाने और बिलों को भरने में ही बिज़ी रहते हैं. लेकिन क्या आपको एहसास हैं कि आपके और दुनिया के सबसे अमीर लोगों के बीच में क्या फरक हैं? वो हैं आपका यूँ अपने सपनों को टालते रहना.
मेगालिविंग के लिए, ऑथर रॉबिन शर्मा आपको आराम से बैठकर अपनी आँखें बंद करने के लिए कहते हैं. फिर इमेजिन कीजिए कि आप एक हॉल में हैं जहाँ आपके अपने लोग और बहुत से दूसरे लोग भी हैं. अब, ज़रा सोचिए कि इन लोगों को अगर आपके बारे में कुछ कहना हो तो वे क्या कहेंगे? क्या आप हमेशा अपने फ्यूचर की चिंता करते रहते हैं लेकिन कभी अपने सपनों को पूरा नहीं करते? या फिर आप ऐसे हैं जिसके पास बढ़िया हुनर हैं और आप बड़ी ऊंचाइयों को छू रहे हैं ?
टाइम निकालकर डेली इस तरह इमेजिन करना, आपको मोटीवेट करता है और आपको अपने सपने को पूरा करने के करीब ले जाता है. यहीं से मेगालिविंग के कांसेप्ट की शुरुआत हुई हैं. इसका मतलब हैं अपनी लाइफ को भरपूर जीना और हर सेकंड को अपने काम में लाना. मेगालिविंग हैं लिमिटलेस होना और लिमिटलेस सोचना, ऐसे सोचना जिसकी कोई सीमा न हो.
रॉबिन शर्मा कहते हैं कि जब आप पॉजिटिव सोचते हैं और अपने दिमाग को लिमिटलेस होने की ट्रेनिंग देते हैं, तो आप बड़ी ऊंचाइयां चढ़ सकते हैं. सिर्फ लिमिटलेस सोच से ही आप अपने बॉडी और करैक्टर को लिमिट से ज़्यादा काम करने के लिए तैयार कर सकते हैं.
क्या आप दो दिनों तक खाना खाए बिना रह सकते हैं? अगर इसका जवाब 'ना' हैं, तो इसका मतलब हैं कि आप लिमिट में सोचते हैं और आपकी बॉडी रोज़ खाना खाने की ही कोशिश करेगा. लेकिन, हिमालय की चोटियों पर रहने वाले इंडियन योगियों ने खुद को इन लिमिट को तोड़ने के लिए ट्रेन किया हैं और वे अक्सर कई दिनों तक खाए-पीए बिना रह सकते हैं! ये योगी दर्द और तकलीफ को बिना शिकायत सहन कर लेते हैं. इसका कारण ये हैं कि उन्होंने अपने दिमाग, अपने बॉडी और अपने कैरेक्टर को ट्रेनिंग दी हैं ताकि वे मेगालिविंग को जी सकें.
यहां तक कि सक्सेसफुल खिलाड़ी भी अपने दिमाग को ट्रेन करते हैं ताकि उनका फोकस जीतने और कामयाब होने पर ही रहे, इधर-उधर न भटके. टॉप के क्रिकेट खिलाड़ी जैसे विराट कोहली, स्टीव स्मिथ और एम.एस. धोनी ने टेक्निक पर ध्यान देने पर ज़ोर दिया हैं, न कि फेलियर पर.
पॉजिटिव सोच से आप मुश्किल से मुश्किल क्रिकेट पिच पर भी सौ रन बना सकते हैं. ये खिलाड़ी बार-बार अपने दिमाग में पॉजिटिव सोच लेकर आते थे जब भी उन्हें लगता था कि उनका क्रिकेटिंग करियर खत्म होने वाला हैं. ऐसा भी वक्त था जब ये एथलीट किसी क्रिकेट सीरीज़ के मैच में एक रन बनाए बिना ही आउट हो जाते थे. लेकिन,जब वे पॉजिटिव सोचते थे, अपनी बॉडी पर ज़ोर लगाते और बेहतरीन शॉट मारते थे तो वे अपनी टीमों को जीत की ओर ले जाते थे.
हम में से हर एक अपने लाइफ को मेगालिविंग बना सकता हैं.
फिर ऐसा क्या हैं जो हमें लिमिट में रखता हैं, हमारी हद तय करता हैं? कुछ आम बहाने जैसे “मेरे पास पैसा नहीं हैं,” “मैं बहुत यंग हूं,” ऐसी बातें हमारे दिमाग में नेगेटिव सोच लाता हैं, जो हमारी सोच को बाँध देता हैं. फिर, हमारे दिमाग में एक साइकल बन जाती हैं जो बार-बार एक ही बात सोचता हैं और हमारी सोच बहुत लिमिटेड हो जाती हैं. इससे हम कुछ नया सोचना ही भूल जाते हैं. जो भी हमारे पास हैं उससे ही हम संतुष्ट हो जाते हैं और अपने सपनों को जीना भूल जाते हैं.
आप भी, मेगालिविंग प्रोग्राम को सख्ती से फॉलो करके लिमिटलेस बन सकते हैं. ये प्रोग्राम आपको पॉजिटिविटी देता हैं और आपके सोचने की ताकत को बढ़ाता हैं. अगर आप इस 30-दिन के प्रोग्राम से बंधे रहे तो आप उस साइकल को भी तोड़ सकते हैं जो हमारे सोच को बाँध कर रखती हैं. इस प्रोग्राम को शुरू करना मुश्किल हो सकता हैं, लेकिन एक पॉजिटिव माइंडसेट से आप आखिर में मेगालिविंग का फायदा उठा सकेंगे.
TO READ OR LISTEN COMPLETE BOOK CLICK HERE
हमारा माइंड और वो क्या-क्या कर सकता है
पिछले चैप्टर में, आपने सीखा कि आपका माइंडसेट पॉजिटिव हो तो आपका माइंड लिमिटलेस बन जाता हैं. उसकी कोई सीमा नहीं रहती. अब, अपने सपनों को हासिल करने के लिए इस लिमिटलेस माइंड को आखिर यूज कैसे करेंगे? सबसे पहले, मेगालिविंग को शुरू करने के लिए हमें अपने माइंड को पॉजिटिव करना होगा. ऐसा करने के लिए आपको कमिटमेंट करना होगा और रोज़ छोटे-छोटे स्टेप्स लेने होंगे ताकि आप अपने बड़े सपनों को हासिल कर सकें.
आपको काइज़न (Kaizen) को फॉलो करना चाहिए, जो एक जापानी फिलॉसोफी हैं जो कहता हैं कि इम्प्रूवमेंट या सुधार कभी खत्म नहीं होती. अगर आपने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली हैं, तो भी आपको नई बातें को पढ़ना और सीखना ज़ारी रखना चाहिए. काइज़न ये मानता हैं कि हर स्टेप ज़रूरी होता हैं और पॉजिटिव रहकर ही आप आखिर में अपने सपनों को हासिल कर पाते हैं.
ऑथर रॉबिन शर्मा ने काइज़न पर जोर दिया हैं और साथ ही इस बात पर भी जोर दिया हैं कि आपको बिना रुके लगातार कोशिश करनी पड़ेगी. लगातार इम्प्रूवमेंट करते रहे तो इससे हमारा माइंड बहुत ज़्यादा एफ्फिसिएंट बन जाता हैं, उसकी काबिलियत पहले से बहुत ज़्यादा बढ़ जाता हैं. अब ये आपको किसी भी हालात में ढाल सकता हैं.
आइए, 80 साल के एक बुज़ुर्ग वॉल्ट स्टैक के एग्जाम्पल को देखते हैं जो हर दिन कैलिफोर्निया के गोल्डन गेट ब्रिज की पूरी लंबाई पर दौड़ लगाते हैं. बारिश, बर्फ, ठंडी सुबह से वे कभी परेशान नहीं हुए.
जब उनसे पूछा गया कि क्या ठंड के मौसम में उनके दांत किटकिटाते हैं, तो वॉल्ट ने बताया कि अगर उनके दांत हिलेंगे तो वो उन्हें फिट होने से रोकेंगे इसलिए उन्होंने अपने नकली दांत को अपने घर के लॉकर में ही रख दिया था. उनका ऐसा जवाब हज़ारों लाखों लोगों के लिए इंस्पिरेशन साबित हुआ. बड़ी सफलताओं को हासिल करने के लिए, आपको अपने धुन का पक्का और मज़बूत विल पावर वाला होना चाहिए.
हमारी पूरी ज़िंदगी में हमारे ब्रेन का कम से कम 75% इस्तेमाल नहीं होता है यानी हम अपने ब्रेन का फुल पोटेंशियल इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं. बड़े खिलाड़ियों और एथलीटों का कहना हैं कि क्रिएटिव सोचने, विज़ुअलाइज़ (visualize) करने और अपने गोल को तैयार रखने के कारण ही वे कामयाब हो पाए.
एग्जाम्पल के लिए, ओलंपिक में भाग लेने वाले एथलीट अक्सर विज़ुअलाइज़ करते हैं, वे खुद को अपने ख्यालों में गोल्ड मैडल लेते हुए देखते हैं. फिर ख्यालों में, खुद को दौड़ लगाकर फर्स्ट आते हुए देखते हैं. फिर वे पूरे प्रोसीजर और टेक्निक के बारे में सोचते हैं जिसके इस्तेमाल से वे कामयाब हो पाएंगे. एक बार जब उनके दिमाग में ये क्लियर पिक्चर बन जाता हैं, तो एथलीट main इवेंट की तैयारी शुरू कर देते हैं. फिजिकल तैयारी से ज़्यादा ये एक मेन्टल तैयारी हैं जो इन खिलाड़ियों को नामुमकिन को मुमकिन बनाने में हेल्प करती हैं.
आप अपने सपने को विज़ुअलाइज़ करके, ख्यालों में खुद को इसके लिए तैयार कर के भी इसे हासिल कर सकते हैं. इसके लिए जो भी स्टेप्स हैं, उन्हें छोटे-छोटे गोल्स में बाँट लें. इन छोटे गोल्स को हासिल करने के लिए टाइम लिमिट रखिए,और आपको पता ही नहीं चलेगा कब आपने इन सपनो को जीना शुरू कर दिया हैं. इस तरह, आपका माइंड मेगालिविंग के लिए एक मैन पावर हैं.