(hindi) MAXIMUM ACHIEVEMENT : STRATEGIES AND SKILLS THAT WILL UNLOCK YOUR HIDDEN POWERS TO SUCCEED

(hindi) MAXIMUM ACHIEVEMENT : STRATEGIES AND SKILLS THAT WILL UNLOCK YOUR HIDDEN POWERS TO SUCCEED

Introduction

क्या आपको लगता है आप successful बनने के लिए ही पैदा हुआ हैं? बड़े-बड़े ख़्वाब देखते हैं और अपने दम पर अपनी मंज़िल हासिल करना चाहते हैं?
अगर इनमें से किसी भी सवाल का जवाब 'हाँ' है, तो आगे बढ़ने के लिए है “Maximum Achievement”!
इस बुक से आपको अपनी मंज़िल तक पहुँचने के सभी राज़ मिलेंगे।
Brian Tracy की मदद से आप अपने सपने पूरे कर पाएँगे।
सपने चाहे शादी के हों, बड़े घर के या एक अच्छे career के, यह book उन्हें साकार करने का एक manual है।
अपनी ज़िंदगी को बनाएँ एक Masterpiece

Brian Canada में पैदा हुए थे। उनके माता-पिता मेहनती होते हुए भी पैसों की तंगी से परेशान रहते थे। उन्होंने Great Depression का भी समय देखा था।

Brian हमेशा देखते कि दूसरे बच्चे अमीर थे, अच्छे कपड़े पहनते थे। वे क्लास में डाँट भी खाते थे। सोलह साल की उम्र तक उन्हें लगने लगा कि कुछ लोग बाकी लोगों से ज़्यादा अमीर क्यों होते हैं।

आने वाले सालों में, Brian ने अपना हर सपना पूरा किया। अस्सी देशों में घूमे, एक million-dollar की company में executive बने, और-तो-और United States के President के साथ खाना भी खाया। उन्हें अहसास हुआ कि सपने पूरे करने के लिए मन में विश्वास होना चाहिए।

Brian ने “सफलता के सात मंत्र” बताए। ये सात मंत्र इंसान की ख़ुद की खुशी और सफलता के लिए ज़रूरी हैं, और उनमें सबसे पहला है 'मन की शांति'।

मन की शांति के बिना, बाकी सब बेकार है। सफलता के लिए यह सबसे ज़्यादा ज़रूरी है और इसके बिना गुस्सा, डर, अफसोस और चिंता  जैसे negative emotions मन में आते हैं।

दूसरा मंत्र है अच्छी सेहत यानि health और energy। अगर सेहत अच्छी ना हो तो सफल होने का भी कोई फायदा नहीं है।
तीसरा मंत्र है प्यार-भरे रिश्ते, जो हमारे लिए मायने रखते हैं और जिन के कारण हमें खुशी मिलती है।

Success के लिए चौथा मंत्र है financial freedom, यानि इतनी दौलत होना कि आपको अपने खर्चों की चिंता ना करनी पड़े। यह चौथा मंत्र होते हुए भी मन की शांति, अच्छी सेहत, और प्यार भरे रिश्ते बनाए रखने के लिए ज़रूरी है।

पाँचवाँ मंत्र है सही purpose और उसूल। इससे जीवन को नये मायने और नयी दिशा मिलती है।

छठा मंत्र है self-knowledge और self-awareness। इसका मतलब है ख़ुद के बारे में जानना और समझना कि किन घटनाओं का हमारे जीवन पर कैसा असर हुआ।

Success का last मंत्र है आत्म-संतुष्टि, यानि यह अहसास होना कि आप अपने goals पूरे करने के रास्ते पर हैं और बहुत जल्दी सफल होने ही वाले हैं।

TO READ OR LISTEN COMPLETE BOOK CLICK HERE

Mental Mastery के सात नियम

नियम कई तरह के होते हैं – नैचरल और artificial या इंसानों द्वारा बनाये गये। natural नियमों को आगे physical laws और mental laws में divide किया जा सकता है। Physical laws practical experiments से साबित किये जा सकते हैं लेकिन Mental laws सिर्फ अपने experience से समझे जा सकते हैं।

पहला mental law है law of control। इसका मतलब यह है कि जब किसी इंसान का अपनी ज़िंदगी पर control होता है, तो उसका आत्म-सम्मान बढ़ता जाता है। Eleanor Roosevelt का कहना है हमारी मर्ज़ी के बिना कोई हमें नीचा नहीं दिखा सकता और ज़्यादा control होने का मतलब यानि ज़्यादा आत्म-सम्मान। किसीsituation पर control करने के लिए या तो हम उसका सामना कर सकते हैं या उससे बच सकते हैं।

दूसरा नियम है cause and effect का। इसका मतलब हुआ कि हमारी ज़िंदगी में हर असर के पीछे कोई कारण होता है। तो अगर हम पर कोई बुरा असर पड़ रहा है तो हमें उसकी जड़ तक पहुँचकर उसे मिटा देना चाहिए। इसी तरह, अगर हम पर कोई अच्छा असर पड़ रहा है तो हमें उसकी जड़ तक पहुँचकर उसे दोहराना चाहिए। जैसे, गोल्फ खेलने से अगर आप खुश होते हैं, तो उसे बार-बार खेलिए ताकि आप खुश रहें।

तीसरा नियम है विश्वास का नियम, यानि हमारा विश्वास हमारी सच्चाई ज़रूर बन सकती है। अपने सपने पर ही विश्वास नहीं होगा तो आगे बढ़ने की inspiration कैसे मिलेगी?

चौथा है the law of expectations। इसका मतलब है कि ज़िंदगी में उम्मीद से ज़्यादा कभी कुछ नहीं मिलता। इस तरह हम पहले से ही अपना future जान जाते हैं। कम की उम्मीद रखेंगे तो ज़िंदगी में कम ही मिलेगा।

पाँचवाँ नियम हैattraction का नियम, यानि आप ज़िंदगी में जिन चीज़ों पर ध्यान देते हैं, वही आप तक पहुँचती हैं। music की ही बात करें तो देखिए, जैसे, अगर किसी कमरे में दो piano हों, तो जो सुर आप एक पर बजाएँगे, वही सुर दूसरे पर भी बजता सुनाई देगा। इसी तरह, आपको अपनी सोच और भावनाओं से मिलते-जुलते लोग ज़रूर मिलेंगे।

छठा नियम the law of correspondence है। यह कहता है कि बाहर की दुनिया हमारी भीतरी दुनिया का ही reflection है। आपके बाहरी रिश्ते आपके भीतरी स्वभाव के अनुरूप ही होंगे। बाहरी सेहत अंदर के thoughts के अनुसार होगी। जब हमारे मन के भाव positive होते हैं, तब हमारी पूरी दुनिया अपनी जगह सही रहती है।

आख़िरी नियम the law of mental equivalency है। इसका मतलब है कि हमारे experience हमारे thoughts के बराबर ही होते हैं। यही विचार और भावनाएँ मिलकर जीवन का सच बन जाती हैं।

TO READ OR LISTEN COMPLETE BOOK CLICK HERE

द मास्टर प्रोग्रम (The Master Program)

इक्कीस साल की उम्र में Brian के पास नौकरी नहीं थी और वे एक छोटे-से घर में रहते थे। ठंड का समय था और वे अपने घर से बहुत दूर थे। इकतीस साल की उम्र तक भी उनके पास कोई नौकरी नहीं थी और वे सबसे दूर, अकेले रहते थे। इतनी मेहनत करके भी उनकी ज़िंदगी में बहुत ज़्यादा change नहीं आया।

Brian को लगा कि वे अपनी काबलियत का सही इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। उन्होंने सुना था कि एक average इंसान सिर्फ 10% या कम तक ही पहुँच पाता है, और इस बात से वे प्रभावित हुए।

True potential को एक equation में समझाया गया है। [IA + AA] x A = IHP. IA यानि inborn attributes, जिन qualities के साथ हम पैदा हुए हैं। AA यानि acquired attributes, जो कौशल या हुनर हम सीखते हैं। फिर, A यानि attitude। Attitude होती है हमारी mental energy। और IHP का मतलब individual human performance होता है।

Brian के एक सेमिनार में एक नौजवान ने अपनी कहानी सुनायी। वह मजदूरों के परिवार का था और उसने अपने लिए वैसी ही ज़िंदगी मान ली थी तो स्कूल के बाद, वह भी मजदूरी करने लगा।

फिर एक दिन, उसे लगा कि वह अपनी ambition को दबा रहा है। उसी समय से उसने अपनी ज़िंदगी बदलने की ठान ली। उसने नौकरी छोड़ी, sales में आया और जी-तोड़ मेहनत की। शुरुआत के struggle के बाद, पाँच सालों के भीतर ही वह सालमें एक लाख डॉलर कमाने लग गया था।

यहाँ सीख मिलती है कि ख़ुद पर विश्वास होना चाहिए। इसे “master program” कहते हैं।

self-concept के तीन हिस्से होते हैं। पहला, 'हमारा “self-ideal” है। यह हमारा ऐसा आदर्श रूप है जो हम ख़ुद बनना चाहते हैं। दूसरा हिस्सा, हमारी “self-image”, यानि हम ख़ुद को कैसे देखते हैं। तीसरा हिस्सा है self-esteem यानि आत्म-सम्मान। जितना ज़्यादा हम ख़ुद को पसंद करेंगे, उतना ज़्यादा हमारा आत्म-सम्मान होगा।

बच्चों में कोई self-concept नहीं होता। वे दो ख़ूबियाँ लेकर पैदा होते हैं – पहला, उन्हें गिरने और शोर के अलावा कोई डर नहीं लगता।
दूसरी ख़ूबी यह कि वे मन के साफ़ होते हैं। वे बोलते समय यह नहीं सोचते कि कोई उनके बारे में क्या सोचेगा। डर और self-concept की बातें वे दूसरों को देखकर सीखते हैं।

TO READ OR LISTEN COMPLETE BOOK CLICK HERE

SHARE
Subscribe
Notify of
Or
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments