(hindi) Mastery: The Keys to Success and Long-Term Fulfillment

(hindi) Mastery: The Keys to Success and Long-Term Fulfillment

इंट्रोडक्शन

क्या आपने कभी ये सोचा है कि सक्सेसफुल लोगो के पास ऐसा क्या है जो हमारे पास नहीं है? ऐसे कौन से लेसन और प्रिंसिपल है जिन्हें फोलो करके लोग सक्सेसफुल बनते है ? क्या हमारे अंदर वो काबिलियत है जो हमे एक सक्सेसफुल इंसान बना सके? वेल, अच्छी खबर ये है कि हम सब स्कसेसफुल होने की काबिलियत रखते है और सक्सेसफुल बनने का तरीका क्या है , ये अब हर कोई जान सकता है.

ये बुक आपको बताएगी कि सक्सेस यूं ही बिना किसी मेहनत के रातो-रात नही मिल जाती. बल्कि सक्सेसफुल बनने का रास्ता अपने आप में किसी सक्सेस से कम नही है. और इसके लिए आपके अंदर वो क्वालिटीज़ होनी चाहिए जैसे हार्ड वर्क, कांफिडेंस, पक्के इरादे के साथ डटे रहना और खूब सारी एनर्जी. इस बुक में आप सीखोगे कि हमे किसी भी स्किल में बेस्ट बनने के लिए अनलिमिटेड प्रैक्टिस करनी पडती है क्योंकि सक्सेस का कोई शोर्ट कट नही है, ये सिर्फ और सिर्फ कड़ी मेहनत से पाई जाती है. तो क्या आप वो सीक्रेट  जानना चाहोगे जो हमे किसी भी चीज़ में सक्सेसफुल बनने के लिए चाहिए?
इस बुक को पढने के बाद दुनिया को देखने का आपका नजरिया ही बदल जाएगा. इसे पढ़कर आप खुद की और अपने काम की और भी ज्यादा वैल्यू करने लगेंगे.

मास्टरी आखिर है क्या ? What Is Mastery?

अक्सर हम सोचते है कि मास्टरी ऐसी चीज़ है जो स्पोर्ट्स या ऐसी ही किसी स्किल में सिर्फ एक्स्ट्राऑर्डिनरी  लोग ही अचीव कर सकते है क्योंकि ज्यादातर लोगो को लगता है कि मास्टरी कोई ख़ास गोल या टारगेट है जो हमे अचीव करना है. जबकि सच्चाई ये है कि मास्टरी सिर्फ एक प्रोसेस और एक जर्नी है. आप इसे लाइफ में किसी भी काम को करने की जर्नी मानकर चल सकते हो जैसे कि मान लो आपने कोई नया स्पोर्ट खेलना शुरू किया. आजकल लोगो का माइंड सेट गोल ओरिएंशन की तरफ शिफ्ट हो गया है जिसकी वजह से हम सब यही सोचते है कि हमे कम से कम मेहनत में एक फास्ट रिजल्ट मिल जाए.

मास्टरी का मलतब सिर्फ रिजल्ट अचीव करना नही है बल्कि जर्नी और प्रोसेस दोनों को एन्जॉय करना भी है और इसी को हम मास्टरी कर्व (curve) बोलते है. मान लो एक लाइन ग्राफ धीरे-धीरे ऊपर की ओर जा रही है. इसमें आपको upward curve मिलेंगे, उसके बाद एक स्ट्रेट लाइन. ये upward curve वो रफ़्तार है जो हमे नेक्स्ट लेवल की ओर ले जाती है. स्ट्रेट लाइन plateau की तरह होते है यानी वो स्टेट जो बिल्कुल फ्लैट है और जहां ग्रोथ और बदलाव की possibility कम हो जाती है. तो देखा आपने एक नौसिखए से लेकर एक्सपर्ट बनने की जर्नी इतनी तेज़ और आसान नही है. एक्सपर्ट बनने के लिए आपको रोज़ कड़ी ट्रेनिंग और प्रैक्टिस  से गुजरना होगा, तभी आप वर्ल्ड क्लास बन सकते हो.

मास्टरी की इस जर्नी में कुछ ऐसे phase होते हैं जिनसे हम सब गुजरते है. किसी स्किल को काफी प्रैक्टिस  से सीखने के बाद हमारी स्किल ग्रोथ में एक तेज़ी आती है और यही तेज़ी हमे एक नए फेज की तरफ ले जाती है. इस नए फेज को हम plateau भी कहते है जहाँ हमे बड़े रिजल्ट्स तो नही मिलते पर तेज़ी लाने के लिए हम लगातर प्रैक्टिस  और डेवलपमेंट करते रहते है. तो कुल मिलाकर मास्टरी में ज़्यादातर plateau होते है और ज़्यादातर लोग इसे एन्जॉय नही कर पाते क्योंकि वो नेक्स्ट ग्रोथ के आने का इंतज़ार कर रहे होते है. किसी भी न्यू स्किल को सीखने में आपको अलग-अलग phase से गुजरना पड़ता है.

अब जैसे मान लो, आप टेनिस सीखना चाहते हो तो आपको इसकी प्रैक्टिस  स्टार्ट करनी पड़ेगी. बेशक आपको टेनिस खेलने का बहुत कम एक्सपीरिएंस होगा फिर भी आपको शुरुवात से शुरू करना पड़ेगा ताकि आपने पहले जो गलत technique सीखी थी उन्हें करेक्ट कर सको. फिर आप किसी कोच को ढूंढोगे और हफ्ते में तीन बार टेनिस खेलने का फ़ैसला लोगे. तो यही से आपके मास्टरी की शुरुवात होती है. टेनिस के बेसिक रूल्स सीखने के बाद  आप उसके बेसिक मूवमेंट सीखना शुरू करोगे जैसे कि रैकेट को सही ढंग से पकड़ना और बॉडी मूवमेंट वगैरह.

सक्सेसफुल एक्शन के लिए आपको अपने थौट्स और मूवमेंट्स के बीच बैलेंस रखना आना चाहिए. ये plateau काफी लंबा चल सकता है जब तक कि आप ग्रोथ स्पर्ट  ना अचीव कर लो. ग्रोथ स्पर्ट अचीव करने के बाद आपको अपने थौट्स और मूवमेंट्स को कोआर्डिनेट करने में ज्यादा वक्त नही लगेगा. तो देखा आपने, जो लेसन शुरू में इतना मुश्किल लगता था, वो आपके लिए अब ऑटोमेटिक बन गया. इसका मतलब है कि आप पहले से बैटर हो गए हो पर अभी आपको और काफी कुछ सीखना है और अगर आप एक्सपर्ट भी बन जाओगे तो भी आपकी ट्रेनिंग और सीखना जारी रखना होगा.

TO READ OR LISTEN COMPLETE BOOK CLICK HERE

मीट द डेबलकर, द ओबसेसिव एंड द हैकर (Meet the Dabbler, the Obsessive, and the Hacker)

मास्टरी की जर्नी में लोग अलग-अलग तरीके से रियेक्ट करते है, और यही डिफ़रेंस ही उन्हें डिफरेंट कैटेगरी में बांटता है जैसे डेबलेर, ओबसेसिव और हैकर. डैबलर वो होता है जो किसी भी नई चीज़ को शुरुवात में एन्जॉय करता है, जैसे कोई स्पोर्ट, कोई नया रिश्ता या जॉब. फिर ग्रोथ के चारस्पर्ट के बाद डैबलर प्लैटो में वापस आ जाता है.

ये लोग ज्यादा देर टिक नही पाते, कोई ना कोई बहाना बनाकर छोड़ देते है और फिर कुछ नया शुरू कर देते है. अब बात करते है ओबसेसिव टाइप की, ये वो लोग होते है जिन्हें जल्दी और तुरंत रिजल्ट चाहिए. जब भी ये कुछ नया स्टार्ट करते है तो उसमे काफी मेहनत करते है, एक्स्ट्रा टाइम भी देते है और बहुत जल्दी काफी ग्रोथ स्पर्ट भी अचीव करते है, फिर कुछ टाइम में ये लोग इतने थक जाते है कि सब कुछ छोड़-छाड़ कर दूसरी चीज़ शुरू कर देते है.

अब बात करते है हैकर की. हैकर वो होते है जो हार्ड वर्क और प्रोग्रेस करके ग्रोथ स्पर्ट तक पहुँच जाते है पर प्लैटो तक पहुँचते ही ये कोशिश करना छोड़ देते है. हैकर सिर्फ उतनी ही मेहनत करेगा कि उस लेवल तक बना रहे. अब इन तीनो कैटेगरी का एक-एक एक्जाम्पल लेते है.

द डैबलर एक आदमी है जो पियानो सीखना शुरू करता है. उसने पहले कभी पियानो नहीं बजाया पर वो सीखने के लिए बड़ा एक्साईटेड है. वो अपने पैशन से मोटिवेट होकर पियानो बजाने की बेसिक ट्रेनिंग लेना शुरू करता है और कुछ ही टाइम में डैबलर के हाथ पियानो पर बड़े कांफिडेस के साथ चलने लगते है यानी उसने फर्स्ट ग्रोथ स्पर्ट अचीव कर लिया है.

वो बड़ा खुश होता है और एक्साईटेड होकर सबको ये बात बताता है. लेकिन कुछ ही टाइम बाद वो प्लैटो में वापस आ जाता है और वो ये बहाना बनाते हुए पियानो बजाना छोड़ देता है कि “ये चीज़ मेरे लिए नहीं बनी” या फिर” ये मुझे बड़ी बोरिंग लग रही है”. वो हार मान लेता है और कुछ और करने में लग जाता है.

अब आते है ओबसेसिव टाइप पर. मान लेते है वही पियानो बजाने वाला आदमी है और वो एक दूसरा रास्ता लेता है. शुरुवात में ही वो इंस्ट्रक्टर के पास जाकर बुक्स और अलग-अलग रीसोर्सेस के बारे में पूछेगा. पहले वो पियानो पर लिखी बहुत सी किताबे पढ़ेगा और जल्द से जल्द रिजल्ट पाने के लिए दिन-रात प्रैक्टिस  करेगा और एक बार ग्रोथ स्पर्ट अचीव करने के बाद ओबसेसिव टाइप सीखना बंद नही करेगा बल्कि और ज्यादा हार्ड वर्क करके दूसरी ग्रोथ स्पर्ट अचीव करेगा, भले ही उसका इंस्ट्रक्टर उसे धीरे चलने की एडवाइस दे.

उसके यही ग्रोथ स्पर्ट उसे एक बड़े फेलियर की तरफ ले जाते है, और इस तरह ओबसेसिव टाइप बहुत जल्दी थककर हार मान लेगा और पियानो छोडकर किसी और चीज़ की तरफ मूव हो जाएगा. अब आते है हैकर टाइप पर, जो शुरुवात में पियानो बजाना बड़ा एन्जॉय करेगा. वो ख़ूब प्रैक्टिस  करके जल्दी ही अच्छा पियानो बजाना सीख जाता है और ग्रोथस्पर्ट भी अचीव कर लेता है. पर एक बार प्लैटो में आने के बाद वो अब आगे बढना नही चाहता. उसने पियानो पर कई धुन बजाना सीख लिया है और वो इतने से ही संतुष्ट है. वो अब आगे और ग्रोथ नहीं करना चाहता इसलिए वो प्लैटो में ही रह जाता है.

तो देखा आपने ! आपका फ्यूचर इस बात पर डिपेंड करता है कि आप अपने मास्टरी पाथ को किस तरह हैंडल करते है. तो बनाते समय आपको ये पैटर्न नोट करने होंगे और लर्निंग के प्रोसेस में उन्हें चेंज करने की कोशिश भी करते रहे.

TO READ OR LISTEN COMPLETE BOOK CLICK HERE

SHARE
Subscribe
Notify of
Or
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments