(Hindi) Marketing Management: Millennium Edition

(Hindi) Marketing Management: Millennium Edition

इंट्रोडक्शन (Introduction)


क्या आप मार्केटिंग का मोस्ट इफेक्टिव मेथड जानते है? क्या आप ये जानना चाहते है कि एक बिजनेस मार्किट में बाकियों को कैसे डोमिनेट करके कस्टमर्स की लोएलिटी जीत लेता है ? क्या आप जानना नहीं चाहते कि नाइकी, किम्बर्ली-क्लार्क, वाल मार्ट, केटरपिलर और आईकीईए(IKEA) जैसे सक्सेसफुल ब्रांड्स अपनी हाई लेवल मार्केटिंग कैसे करते है? इस बुक समरी में आप मार्केटिंग मैनेजमेंट के बारे में पढेंगे. इसमें आपको मार्केटिंग स्ट्रेटीज़ और मार्केटिंग रीसर्च के बारे में बताएँगे.

इस बुक में आपको ये भी सीखने को मिलेगा कि कैसे मार्केटर्स इन्फोर्मेशन कलेक्ट करके और एनालाइज करके बेस्ट प्रोडक्ट्स और सेर्विसेस दे सकते है. आपको हम कंज्यूमर बिहेवियर के बारे में भी बताएँगे और उसे इन्फ्लुएंश करने वाले बिहेवियर और फैक्टर्स के बारे में भी. मार्केटिंग सिर्फ पैसे कमाना नहीं है. ये आपको सिखाती है कि कैसे आप प्लानिंग और परफेक्ट एक्जीक्यूशन से बेस्ट प्रोडक्ट या सर्विस मार्किट में उतार सकते है. ये शोर्ट टर्म सोल्यूशंन के बारे में नहीं है. और एंड में हम बात करेंगे कस्टमर्स को बेस्ट वैल्यू देने की.

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डिफाइनिंग मार्केटिंग (Defining Marketing)

मार्केटिंग क्या है? हम इस ब्रॉड कांसेप्ट को 3 वर्ड्स में डिसक्राइब कर सकते है. और वो है” मीटिंग नीड्स प्रोफिटेबिलिटी”. जिसका मतलब है लोगो की नीड्स का पता करना, फिर कस्टमर्स की नीड्स के हिसाब से प्रोडक्ट क्रियेट करके ह्यूज़ प्रॉफिट कमाना. मार्केटिंग का गोल होता है कि कस्टमर्स को इतनी अच्छी तरह समझ लो कि उनके लिए परफेक्ट प्रोडक्ट बना सको.

जब कोई प्रोडक्ट पूरी तरह से कस्टमर्स की डिमांड को सेटिसफाई कर लेता है तो इसे गुड मार्केटिंग बोलते है. अगर मार्केटिंग की प्लानिंग और एक्जीक्यूशन प्रॉपर तरीके से हो तो प्रोडक्ट अपने आप बिकेगा. फिर आपको गिमिक सेल यानी किसी झूठी ट्रिक्स की कोई ज़रुरत नहीं पड़ेगी. और एक बार जब प्रोडक्ट मार्किट में अवलेबल होगा तो लोग खुद ही आकर खरीदेंगे. वो खुद उस प्रोडक्ट को यूज़ करने के लिए एक्साईटेड रहेंगे. लेकिन गुड मार्केटिंग सिर्फ प्रोडक्ट लॉन्च पे खत्म नहीं होती, इसे आगे भी कंटीन्यू करना जरूरी है.

ज्यादातर जितने भी सक्सेसफुल ब्रांड्स है वो कस्टमर्स की डिमांड्स पूरी करने के लिए नए-नए तरीके ढूढ़ते रहते है और साथ ही कॉम्पटीशन से बचने के भी. वर्ल्ड के बिगेस्ट ब्रांड्स में नाइकी एक है. और नाइकी का कोर मार्केटिंग मैसेज है कि ये हाई क्वालिटी रबर शूज़ प्रोवाइड कराता है जो स्पेशली एथलीट्स के लिए बनाये गए है. और ब्रांड्स इसी बेस्ड पर चल रहा है. नाइकी ने ”पिरामिड ऑफ़ इन्फ्लूएंश”( “pyramid of influence”) के बारे में सोचा. आईडिया ये था कि एथलीट्स का एक स्माल ग्रुप अपने शूज़ और स्पोर्ट्सवेयर से बाकि के एसपाईरिंग एथलीट्स को भी इन्फ्लूएंश करेगा.

आज नाईकी ने खुद को हाई परफोर्मिंग एथलीट्स के एक मार्केटिंग ब्रांड के रूप में एस्टेबिलिश कर लिया है. 1985 में नाईकी ने माइकल जोर्डन को ब्रांड एम्बेसडर साइन किया. वैसे तो सपोर्ट के फील्ड में ये माइकल जोर्डन की शुरुवात थी लेकिन इतने कम टाइम में ही उसने कमाल की परफोर्मेंस दी थी. और ये स्ट्रेटेज़ी काम आई क्योंकि एक ही साल में एयर जोर्डन ने $100 मिलियन का कलेक्शन किया था.

1998 में नाईकी ने अपना फर्स्ट ”जस्ट डू इट” एड कैम्पेन रीलीज़ किया. इसमें एथलीट्स को अपने गोल्स चेज़ करने के लिए क्लियर मैसेज दिया गया था. इन एड्स के थ्रू नाईकी ने स्पोर्ट्स में अपने एक सेल्फ-एमपॉवरमेट की इमेज एस्टेबिलिश कर ली थी. “जस्ट डू इट”  आज भी नाईकी का स्लोगन है. नाईकी ने जब यूरोपियन मार्किट में एक्स्पेंड किया तो कंपनी ने अपनी अप्रोच चेंज कर दी थी. उन्हें लगा कि”जस्ट डू इट” कैम्पेन योरोप के लिए थोडा एग्रेसिव हो जाएगा. इसलिए नाईकी ने फूटबाल को कैपिटलाइज किया जो योरोप का मोस्ट पोपुलर सपोर्ट है.

नाईकी ने योरोप की कई सारी लोकल और नेशनल फुटबाल टीम्स को स्पोंसर किया. और ऊपर से 2007 में नाईकी ने उम्ब्रो (Umbro) को एक्वायर कर लिया था जो फुटबाल शूज़, यूनिफोर्म्स और इक्विपमेंट का एक ब्रिटिश ब्रांड है. आज नाईकी अकेले पूरे वर्ल्ड में 100 फुटबाल टीम्स के लिए यूनिफोर्म सप्लाई करती है. 2008 के एशिया समर ओलंपिक्स में नाईकी ने अपनी एक पहचान बनाई. हालाँकि इस इवेंट का ऑफिशियल स्पोंसर एडीडास (Adidas) था लेकिन नाईकी ने ओलिंपिक एथलीट्स को अपने शूज़ पहनाकर एड्स निकाले. इसी तरह कंपनी ने एथलीट्स को स्पोंसर किया जिनमे ज़्यादातर चाइनीज़ थे और 12 में 11 अमेरिकन बास्केटबाल टीम के मेंबर थे.

इस मार्केटिंग स्ट्रेटीज़ का रिजल्ट ये निकला कि एशिया में नाईकी की सेल 15% तक इनक्रीज हो के $3.3 बिलियन तक पहुँच गयी थी. बहुत से एक्सपर्ट्स का ये मानना था की नाईकी की मार्केटिंग स्ट्रेटीज़ इस इवेंट के दौरान एडीडास से ज्यादा इफेक्टिव थी जोकि ओलंपिक्स का ऑफिशियल स्पोंसर था. नाईकी ने टाइगर वुड्स और मारिया शारापोरा जैसे फेमस एथलीट्स के साथ भी पार्टनरशिप किया.हालाँकि 2008 में जब रोजेर फेडरर और राफेल नाडेल के बीच विंबलडन मैच हुआ था तब दोनों चैंपियंस को नाईकी ने ही स्पोंसर किया था. उनके शूज़ से लेकर ड्रेस –सब नाईकी के थे. तब ऐसा लग रहा था कि ये मैच नहीं है बल्कि नाईकी का 5 घंटे का कॉमर्शियल चल रहा हो.

“डिजाइन्ड फॉर एथलीट्स बाई एथलीट्स” ये नाईकी का मंत्रा है. एक तरह से कंपनी को हाई परफोर्मिंग एथलीट्स के रूप में अपना टारगेट मार्किट मिल गया है. नाईकी ने ऐसे शूज़, एपेरल और इक्विपमेंट क्रियेट किये जो इन एथलीट्स को चाहिए थे. और इसी वजह से आज नाईकी सपोर्ट की दुनिया का लीडिंग ब्रांड बन चूका है. “जस्ट डू इट” नाईकी का ट्रेड मार्क है जो वर्ल्ड के सारे एथलीट्स को इंस्पायर कर रहा है.

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डेवलपिंग मार्केटिंग स्ट्राटीजी (Developing Marketing Strategies)

किसी भी ब्रांड की मार्केटिंग एक्टिविटीज के पीछे उसकी मार्केटिंग स्ट्राटीज़होती है जिसके लिए डिसप्लीन और फ्लेक्सीबिलिटी दोनों की ज़रूरत पड़ती है. मार्केटिंग स्ट्राटीज़ में डिसप्लीन होना बहुत इम्पोर्टेंट है क्योंकि ये बिजनेस के कोर में होना चाहिए. ये एक तरह से आपका कमिटमेंट है लेकिन ये रिजिड भी नहीं होना चाहिए. कंपनी को टाइम्स के हिसाब से फ्लेक्सिबल होना चाहिए और मार्किट की चेंजिंग डिमांड को कंसीडर करना चाहिए. दुसरे वर्ड्स में मार्केटिंग स्ट्राटीज को इम्प्रूव करते रहो लेकिन कोर वैल्यू को मत छोड़ो. पहले के टाइम में बिजनेस में ट्रेडिशनल मार्केटिंग का बोलबाला था.

प्रोडक्ट क्रियेट करने के बाद उसकी मार्केटिंग तभी होती थी जब उसे सेल करने का टाइम आता था. लेकिन आज के मॉडर्न टाइम में ये सिम्पल आईडिया अब काम नहीं आएगा. क्योंकि आज कॉम्पटीशन बहुत ज्यादा है. और इसके अलावा आज का कस्टमर ज्यादा स्मार्ट भी है. आज मार्किट में कई सारे प्रोडक्ट्स और सर्विसेस आ गयी है जो बेस्ट वैल्यू और बेस्ट प्राइस के लिए कॉम्पटीट करती है. और इंटरनेट की वजह से आज का कस्टमर ज्यादा इन्फोर्म्ड है. आज किसी भी बिजनेस के लिए अपनी मार्केटिंग स्टिक रखना और लॉयल कस्टमर्स बनाना किसी बिग चेलेंज से कम नहीं है.

तो ऐसी सिचुएशन में इफेक्टिव मार्केटिंग स्ट्राटीज़ कैसे डेवलप की जाए? किसी भी बिजनेस का गोल होता है” डिलीवर कस्टमर वैल्यू एट अ प्रॉफिट”. जितना ज्यादा वैल्यू आप दोगे उतना ज्यादा प्रॉफिट आपको मिलेगा. मार्केटिंग स्ट्राटीज़ वैल्यू ड्राइवन होनी चाहिए. इफेक्टिव मार्केटिंग का फर्स्ट फेज़ है एसटीपी यानी सेगमेंटेशंन, टारगेटिंग एंड पोजिशनिंग (STP or Segmentation, Targeting and Positioning). और ये प्रोडक्ट क्रिएट से भी पहले का स्टेज है. सेगमेंटेशन (Segmentation) का मीनिंग है मार्किट को कई हिस्सों में बाँट दीजिये. टारगेटिंग का मीनिंग है स्पेशिफिक क्लाइंट्स को टारगेट करना. और पोजिशनिंग है ये पता लगाना कि आपका प्रोडक्ट क्या वैल्यू देगा और ये बाकियों से डिफरेंट कैसे है.

आप कैसे डिसाइड करेंगे कि कौन आपका प्रोडक्ट यूज़ करेगा? आपको किस टाइप के कस्टमर्स चाहिए, ये समझना बहुत ज़रूरी है. क्योंकि उन स्पेशिफिक कस्टमर्स की डिमांड पर प्रोडक्ट क्रियेट करना ही आपका गोल् है. क्योंकि जिन कस्टमर्स को आपने टारगेट किया है, सिर्फ वही हायर वैल्यू के लिए हायर प्राइस दे सकते है. और यही कस्टमर्स आपके प्रोडक्ट को रेक्मंड (Recommend) भी करना चाहेंगे. इसलिए एसटीपी (STP ) प्रोडक्शन से पहले की जाती है. सेकंड फेज़ है वैल्यू क्रियेट करना जोकि प्रोडक्शन करते वक्त की जाती है.

इस स्टेज पर आके एक बिजनेस अपने प्रोडक्ट के स्पेशिफिक फीचर्स के बारे में और उसके डिस्ट्रीब्यूशन और प्राइसिंग के बारे में डिसाइड करता है. थर्ड फेज़ है वैल्यू कम्यूनिकेट करना. प्रोडक्ट लॉन्च के टाइम और उसके बाद कस्टमर्स को प्रोडक्ट की वैल्यू के बारे में बताया जाता है. कंपनी वेबसाईट, सोशल मिडिया, ब्लोग्स, प्रिंट्स और टीवी कमर्शियल्स जैसे प्लेटफॉर्म्स में मार्केटिंग स्ट्राटीज़ रिफ्लेक्ट होनी चाहिए. स्पोर्ट्स चैनेल ईएसपीएन(ESPN) इफेक्टिव मार्केटिंग स्ट्राटीज़ वाली एक ऐसी ही कंपनी है. ईएसपीएन (ESPN) का मीनिंग है एंटरटेनमेंट और स्पोर्ट्स प्रोग्रामिंग नेटवर्क.

ये कंपनी 1978 में एस्टेबिलिश हुई थी. उन दिनों ईएसपीएन ने कनेक्टीकट(Connecticut) में सिंगल सेटेलाईट की हेल्प से रीजनल स्पोर्ट्स न्यूज़ दिखाने स्टार्ट किये थे. 1990 के टाइम में ईएसपीएन ने एक स्पोर्ट्स अथॉरिटी के रूप में अपनी मार्केटिंग करनी शुरू कर दी थी फिर चाहे वो टेलीविजन हो या प्रिंट मिडिया. कुछ सालो में ही ईएसपीएन ने अपना बिजनेस कई कैटेगरीज में एक्सपेंड कर लिया था. आज ईएसपीएन कई सारे केबल चैनल्स, एक मैगजीन, एक वेबसाईट और कई लोकल रेडियो स्टेशन्स ओपेरट करता है. ईएसपीएन ने अपनी ओरिजिनल टीवी और मूवी सिरीज़ तो बनाई ही है, इसके साथ स्पोर्ट्स मर्चेंडाइज भी क्रियेट की है.

कंपनी एनुअली $5 बिलियन अर्न करती है. 1996 में वाल्ट डिज्नी कंपनी ने ईएसपीएन को खरीद लिया. ईएसपीएन ने अपना मार्केटिंग स्लोगन क्रियेट किया” सर्विंग स्पोर्ट्स फेंस, एनीटाइम, एनीवेयर” और तब से कंपनी इस ब्रांडिंग पर चलती आई है. ईएसपीएन का ब्रांड मैसेज इतना पॉवरफुल था कि एक बार एक स्पोर्ट्स फेन ने कहा” अगर ईएसपीएन औरत होता तो मै उससे शादी कर लेता”. फेंटेसी लीग से लेकर ऑनलाइन गेमिंग तक और सोशल मिडिया के साथ-साथ मोबाईल एप्स बनाने तक, ईएसपीएन स्पोर्ट्स फेंस को सर्व करने के अपने कमिटमेंट को निभा रहा है. ईएसपीएन ने अपना कोर मार्केटिंग हमेशा याद रखा लेकिन वो हमेशा करंट ट्रेंड्स के साथ भी फ्लेक्सीबल रहा. कंपनी ने ना सिर्फ अमेरिका में बल्कि बाकी कई दूसरी कंट्रीज में भी एक स्पोर्ट्स अथॉरिटी के रूप में अपनी पहचान बनाई है.

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