(hindi) Man: King of Mind, Body, and Circumstance
इंट्रोडक्शन
ऐसा क्या है जो हमें एक बेहतर जिंदगी देता है? हमारा काम, हमारे विचार या फिर दूसरों पर हमारा प्रभाव? क्या आप ऐसी लाइफ जीना चाहते है जहाँ आपको ये तसल्ली हो कि आपने अब तक जो भी किया बेस्ट किया?
इस किताब में आप पढ़ेंगे कि कभी-कभी जीना इतना मुश्किल क्यों लगता है. कौन से ऐसे फैक्टर्स है जो हमारी लाइफ को इतना स्ट्रेसफुल बनाते है. इस किताब से आप ये भी सीखोगे कि हमें एक खुशहाल और पीसफुल जिंदगी जीने के लिए क्या करना चाहिए.
हमारे हर सवाल का जवाब हमारे थॉट्स यानी जिंदगी को देखने के हमारे नजरिये पर डिपेंड करता है. तो आइए इस किताब को पढ़ते है और जानते है कि क्यों हमारे थॉट्स हमें इतना इन्फ्लुएंस करते है.
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1 The Inner World of Thoughts
इंसान को कैसी जिंदगी जीनी चाहिए, ये सवाल अक्सर लोगों के मन में उठता है. क्योंकि हम में से ज्यादातर लोग नही जानते कि हम कैसी जिंदगी जी रहे है? बहुत से लोगों को तो ये भी नही पता होता कि वो सही मायनो में एक मीनिंगफुल लाइफ जी भी रहे है या नहीं. जिंदगी को लेकर हमारी अप्रोच कैसी होनी चाहिए, ये एक बड़ा सवाल है. इस किताब के ऑथर जेम्स एलेन कहते है” अगर आप अपनी लाइफ पर कंट्रोल करना सीख गए तो समझ लो आपकी सारी प्रॉब्लम छूमंतर हो जायेगीं. लेकिन अभी भी हम में से बहुत से लोग ऐसे है जिन्हें ये भी नहीं पता कि ढंग से जीना किसे कहते है.
तो इसकी वजह ये है कि हम में से ज्यादातर लोग इग्नोरेंट होते है, हमारी इग्नोरेंस ने हमारी आँखों पर पट्टी बाँध रखी है. हालाँकि सभी लोग एक जैसे नही होते. पर कुछ लोग ऐसे भी है जो लाइफ की प्रॉब्लम से डरते नही है, वो इसलिए क्योंकि उनकी लाइफ में कोई प्रॉब्लम होती ही नही है. ये लोग बुद्धिमान होते है.
सच तो ये है कि हर इंसान की खुशियाँ और दुःख उसके अपने हाथ में है. गम और ख़ुशी हमारी जिंदगी में यूं ही नही चले आते बल्कि ये हमारे ही दिमाग की उपज है, हमारे इनर वर्ल्ड की पैदाइश है. तो ये माइंडसेट चेंज कर लो कि आपके दोस्त, परिवार या आपकी जॉब आपके सुख या दुःख की वजह है, ऐसा बिल्कुल भी नही है बल्कि हम खुद अपनी वजह से रोते या हंसते है. अगर आप ठान लो कि आपको नहीं रोना तो कोई आपको नहीं रुला सकता. अगर आप लाइफ में बैटर आउटलुक चाहते हो तो आपको अपना एटीट्यूड भी चेंज करना होगा. आप सोच भी नही सकते कि एक गलत माइंडसेट कैसे हमारी पूरी जिंदगी बर्बाद कर सकता है.
एक एक्जाम्पल लेते हैं, मान लो जॉन एक दुखी इंसान है. वो सिर्फ अपने बारे में सोचता है और वही करता है जो उसे ठीक लगता है. जॉन के इसी गलत एटीट्यूड के नेगेटिव साइड इफेक्ट्स भी है. हालाँकि जॉन चाहे तो अपना नेचर बदल सकता है. उसके पास अभी भी मौका है एक बेहतर इंसान बनने का अगर वो बनना चाहे तो.
दरअसल आप अपने ख्यालो के बबल में बंद है और अगर आप चाहे तो ये बबल और बड़ा हो सकता है, ना सिर्फ बड़ा हो सकता है बल्कि चमकीला और हल्का भी हो सकता है. जो हम सोचते है, उसका पूरा असर हमारी पर्सनेलिटी पर पड़ता है. अब क्योंकि जॉन का लाइफ को लेकर एक नेगेटिव आउटलुक है तो उसे हमेंशा हर चीज़ में नेगेटिविटी ही दिखेगी. यहाँ तक कि अगर कोई उसकी हेल्प भी करता है तो वो उसे शक की नजर से देखता है. उसे लगता है लोग उसके साथ अच्छा बिहेव कर रहे है तो जरूर इसके पीछे उनका कोई मतलब होगा. यही नहीं जॉन उन लोगों से भी जलता है जो उससे ज्यादा सक्सेसफुल है. तो भला जॉन अपनी लाइफ कैसे एन्जॉय कर सकता है जब वो इतना दुखी रहता है? जॉन के अंदर कडवाहट भरी है जिसकी वजह से उसे अपनी जिंदगी में सिर्फ बुराई ही बुराई नजर आती है.
अब जॉन के पड़ोसी कीथ का एक्जाम्पल लेते है. कीथ एक बहुत ही अच्छा इंसान है. उसका दिल बड़ा है और वो काफी हेल्पफुल भी है. उसका बबल ऑफ़ थॉट्स काफी खूबसूरत और शानदार है. कीथ खुद भी खुश रहता है और अपने आस-पास वालो को भी खुश रखने की कोशिश करता है, वो लोगों की बुराई से ज्यादा उनकी अच्छाई देखता है. जिंदगी को लेकर उसकी अप्रोच पोजिटिव है इसलिए उसे हर चीज़ में अच्छाई नजर आती है.
जॉन और कीथ के अंदर की दुनिया अलग- अलग है. तो देखा आपने, हमारे विचारों का हमारी जिंदगी पर कितना असर पड़ता है? उनके इनर वर्ल्ड उनके आउटर वर्ल्ड को रिफ्लेक्ट करते है. जॉन हमेशा रात को गन लेकर सोता है. वो लोगों से मिलता-जुलता नही, उसका कोई दोस्त या करीबी नही है इसलिए वो एक तन्हा और उदास जिंदगी जी रहा है जबकि कीथ ने अपने घर के दरवाजे सबके लिए खुले रखे है. उसका अच्छा व्यवहार लोगों को उसके करीब खींच लाता है. और उसके बहुत से दोस्त है जो उसके हर सुख-दुःख में उसके काम आते है.
इसलिए अपनी सोच पर हमेंशा लगाम रखिये. कही ऐसा ना हो कि आप अपनी गलत सोच के गुलाम बन जाए. जैसे कि अगर आपको तुरंत ये ख्याल आ जाये कि ये दुनिया रहने लायक नही है तो आपको सिर्फ बुरी-बुरी बाते ही याद आएँगी. आप उन पलों को भूल ही जाओगे जब आप खुश थे. इसलिए आपको आगे बढने के लिए खुद को पुश करना ही पड़ेगा. आपको सीखना होगा कि कैसे अपने इनर वर्ल्ड को चेंज करें ताकि हम एक खूबसूरत आउटर वर्ल्ड को एन्जॉय कर सके.
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2. The Outer World of Things
जो भी हमारे साथ होता है, हमारे इनर वर्ल्ड के कारण होता है. आप अभी जैसे भी हालात में जी रहे हो, उसके पीछे आपकी सोच है. इसलिए बात जब जिंदगी के प्रति अप्रोच की हो तो आपको अपनी सोच को बदलना ही होगा.
मान लो आपको अपनी जॉब पसंद नही है तो कम से कम आप इसे देखने का नजरिया तो बदल सकते है. आप खुद से बोल सकते है कि इस जॉब की वजह से आपका घर चल रहा है. जरूरी नही कि आप अपनी जॉब से प्यार करें पर कम से कम आप उसके प्रति टोलरेंस का एटीट्यूड तो रख ही सकते है. आपकी ये सोच आपको उस जॉब में कुछ वक्त और टिके रहने के लिए मोटिवेट करें गी. हालाँकि ये भी मुमकिन है कि कोई दूसरी प्रॉब्लम आकर खड़ी हो जाये जैसे कि: आप और आपके कलीग में बिल्कुल नही बनती. वो आपके पीठ पीछे आपकी बुराई करता है. आप शायद तब खुद को और भी ज्यादा फंसा हुआ महसूस करें .
आप शायद एकदम हेल्पलेस फील करने लगे. क्योंकि आप खुद का बिहेवियर तो बदल सकते है पर दूसरे का कैसे बदलेंगे? नही, आप बदल ही नही सकते. लेकिन हाँ आप ये जरूर कण्ट्रोल कर सकते हो कि आप इस सिचुएशन में रिएक्ट कैसे करोगे. अपने कलीग के बारे में नेगेटिव सोचने से अच्छा है कि आप उसकी बातो को इग्नोर करें . सिर्फ उस काम पर ध्यान दो जिसकी आपको सेलरी मिलती है यानी आपकी जॉब. क्योंकि हम इस दुनिया में हर किसी को नही बदल सकते बल्कि हमें ये सीखना है कि खुद को हर सिचुएशन में रिएक्ट करने से कैसे बचाए. प्रॉब्लम को देखने का अपना नजरिया चेंज करें और फ़िर देखिएगा ये आपकी लाइफ को किस तरह बदल देता है.
सिर्फ यही नही बल्कि हमारे एक्शन भी दूसरों को अफेक्ट करते है. इंसानियत अभी तक जिंदा है क्योंकि इंसान इंसान से जुडा हुआ है.अगर आपको अपने व्यूज़ चेंज करना मुश्किल लग रहा है तो शायद ये थॉट आपके काम आयेगा.
हो सकता है कि आपका अपने पड़ोसी से कोई लेन-देन नही है, या शायद उन लोगों से भी नही जिनके साथ आप ट्रेन में सफर करते है. पर इसके बावजूद आपके action का उन पर असर पड़ सकता है. मान लो आपने किसी राह चलते आदमी को धक्का दिया क्योंकि उसे ध्यान से चलने के लिए बोलना चाहते थे पर बोलने के बजाये आपने उसे धक्का दे दिया. आप तो आगे निकल गए और अगले ही पल उस आदमी को भूल भी गए.
पर उस आदमी को सारा दिन वो धक्का याद रहा. वो काम पर जाने के लिए देरी हो रही थी क्योंकि उसकी माँ बीमार थी और कोई उसकी देखभाल करने वाला नही था. और वो आदमी बेचारा अपनी माँ के ईलाज के लिए पैसे जुटाने की चिंता में डूबा हुआ था. और जब वो इसी चिंता और उधेड़-बुन में जा रहा था तो तभी आपने उसे धक्का दिया और उस आदमी का पूरा दिन बर्बाद हो गया.
तो देखा आपने आपके एक सिंगल एक्ट का किसी की जिंदगी पर कितना असर पड़ सकता है. हमारे एक्शन या जो भी हम करते है उनमे भी कोई ना कोई वजह छुपी होती है. हमारे एक्श्न लोगों को काफी हद तक प्रभावित कर सकते है. इसलिए अगली बार किसी को धक्का देने से पहले या उसके साथ बुरा व्यवहार करने से पहले सौ बार सोचना.
कर्म का सिद्धांत एक बड़ा ही दिलचस्प कांसेप्ट है. हमारे साथ बुरा क्यों होता है? क्योंकि आपने भी कभी ना कभी किसी के साथ बुरा किया होगा. जो आप बोते हो वही काटते हो. आपको जो मिला है, आपके कर्मो का फल है. एक खुशहाल आदमी किसी की भलाई नही सकता पर उसके अच्छे कर्म कर सकते है क्योंकि आप आज किसी का भला करोगे तो वही भलाई सौ गुना होकर आपके पास वापस लौटेगी.
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3. Habit: Its Slavery and its Freedom
हैबिट हमारी जिंदगी बना भी सकती है और बिगाड़ भी सकती है. जरा अपनी करंट आदतों के बारे में सोचिये. क्या आपको लगता है कि कोई बुरी आदत आप अभी आसानी से छोड़ सकते हो? क्या कभी ऐसा हुआ कि कोई बेड हैबिट आपने छोड़ी पर अलगे ही दिन फिर से वही काम किया?
दरअसल आदत ह्यूमन नेचर का एक पार्ट है. एक इंसान के तौर पर हमें जानी-पहचानी चीज़े अच्छी लगती है, हम उन चीजों को पसंद करते है जो हमें जानी-पहचानी लगती है. हैबिट वो काम है जो हम बार-बार करते है. लेकिन समझदारी इसी में है कि हम अपनी हैबिट्स का फायदा उठाये. जैसे कि हम अपनी अच्छी आदतों से खुद में कई सारे पोजिटिव बदलाव ला सकते है, खुद को एक बेहतर इंसान बना सकते है. तो आज से ही अपने सेल्फिश एक्श्न छोड़ने की आदत डाल लीजिये. इसे गुड बिहेवियर की हैबिट्स से बदल दीजिये. क्योंकि हैबिट्स इंसानी फितरत है, इसे हम छोड़ नही सकते पर हाँ अपनी बुरी आदतों को अच्छी आदतों से जरूर बदल सकते है.
आपकी आदतें आपके बारे में काफी कुछ बताती है. ये वो चीज़े है जो हम खुद ब खुद करने लगते है. ये हमारे बिहेवियर का एक पार्ट बन जाती है. अच्छी आदते हमारी जिंदगी में खुशियाँ और आज़ादी लेकर आती है वही बुरी आदते हमें गुलामी और दुखो की तरफ ले जाती है. आपको लगता होगा कि शायद बुरी आदते छोड़ना मुश्किल काम है पर ऐसा नही है, ये मुश्किल तो है पर नामुमकिन नही.
आपको हर रोज़ खुद पर मेहनत करनी होगी. एक दुःख भरी जिंदगी से खुशहाल जिंदगी की तरफ जाने के लिए आपको एक्टिव बनना होगा. आदत की एक बुरी बात है कि इन्हें बदलना या छोड़ना काफी मुश्किल होता है.लेकिन यही इसका अच्छा साइड भी है. जब आप ज़िदगी के ऐसे पॉइंट पर पहुँच जाओगे कि आपके अंदर कोई बुरी आदत बाकि ना रहे तो आप फिर कभी किसी बुरी आदत के शिकार नही बन सकते. आप अपने अंदर एक पॉवर फील करोगे. आपके एक्श्न एकदम फिक्स हो जायेंगे और फिर आपके नेगेटिव थॉट आपको दोबारा कभी तंग नहीं कर पाएंगे.
इसलिए खुद को बदलने से डरो मत. इस मेंटालिटी को चेंज कर दो कि आप बुरी आदतें नही बदल सकते. अगर आपने ऐसा सोच लिया तो समझ लो आपने हार मान ली. यानी आप एक्सेप्ट कर रहे हो कि बुराई में बड़ी ताकत है. पर अच्छाई की ताकत सबसे बड़ी होती है और जिंदगी में नामुमकिन कुछ भी नही है. खुद को लिमिट्स में मत बांधो. आपके अंदर बहुत पोटेंशियल है. इसलिए आज से ही “I cannot ” कहना छोड़ दो और” I can ” बोलना सीख लो और देखो ये एक छोटा सा शब्द कैसे आपकी जिंदगी को हर परेशानी और दुःख से आज़ाद कर देगा.